यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
हमारा मेल है newspostmartem@gmail.com

आपके पास कोई खबर है तो मेल करें newspostmartem@gmail.com आपका नाम गोपनीय रखा जाएगा.

Monday, November 30, 2009

मेनन पर रामोराम ने लगाये लेनदेन के आरोप


सतना से भारतीय जनता पार्टी से महापौर टिकट के दावेदार तथा शुरुआती दौर पर तय माने जाने वाले रामोराम गुप्ता ने अपनी टिकट कटने पर सह संगठन महामंत्री अरविंद मेनन पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं. आरोप की यह चिट्ठी उन्होंने ने राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह सहित प्रदेश भाजपा प्रभारी अनंत कुमार को भेजी है. इससे पार्टी में ऊहापोह की स्थिति मची है तो इस मामले को दबाने के प्रयास भी तेजी से शुरू हो गये हैं. चिट्ठी के संबंध में जो पता चला में उसमें बताया गया है कि मेनन पर टिकट वितरण को लेकर लेनदेन जैसे गंभीर आरोप हैं. उधर इस चिट्ठी के लीक होते ही भाजपा का डिजास्टर मैनेजमेन्ट भी प्रारंभ हो गया है. इस मामले में पार्टी ने अपने खजांची रामोराम गुप्ता को जहां पार्टी लाइन में चलने की नसीहत दी है वहीं उनका तबादला बतौर चुनाव प्रभारी दूसरे जिले में कर दिया गया है.

Wednesday, November 25, 2009

सतना महापौर के सारे पत्ते खुले

काफी कश्मकश के बाद अंततः सतना नगर निगम के महापौर पद के लिये भाजपा और कांग्रेस ने भी अपने पत्ते खोल दिये. हालांकि इसमें बाजी पहले भाजपा ने मारी और देर शाम को भाजपा जिलाध्यक्ष रहे राजकुमार मिश्रा को अपना महापौर प्रत्याशी अधिकृत तौर पर घोषित कर दिया. उधर काफी ऊहापोह के बीच देर रात को लगभग 2 बजे कांग्रेस ने भी सतना से मनीष तिवारी को महापौर पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है. हालांकि रात को इसकी अधिकृत सूची जारी नहीं की गयी है. लेकिन यह तय है कि मनीष कांग्रेस के प्रत्याशी घोषित हो चुके हैं. उधर भाजपा महापौर प्रत्याशी के लिये जो खबरे छन कर आ रही है उसमें रामोराम के प्रत्याशी घोषित होने के बाद संघ लाइन ने उसपर आपत्ति जताई और श्रीकृष्ण माहेश्वरी ने उनका नाम हटा कर राजकुमार की सिफारिश की वहीं एक खेमे की माने तो यह भी कयास लगाये जा रहे हैं कि साजिश के तहत सांसद गणेश सिंह ने राजकुमार मिश्रा को अपने टिकट का विरोध जताने वाले राजकुमार को उसका बदला पूरा करने इन्हे टिकट दिलायी है और चर्चा है कि गणेश सिंह इन्हें हरवा कर अपने उस विरोध का बदला लेना चाहते हैं.

Monday, November 23, 2009

रामोराम हो सकते हैं भाजपा महापौर के उम्मीदवार


भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति ने अन्ततः सतना नगर निगम की महापौर की उम्मीदवारी लगभग फायनल कर दी है. समिति ने रामोराम गुप्ता को सशक्त उम्मीदवार मानते हुए उस पर सहमति की मोहर लगा दी है. इसके पूर्व समिति में जिन तीन नामों पर चर्चा थी वे थे स्वयं रामोराम गुप्ता, विनोद तिवारी और राजकुमार मिश्रा. अंतिम दौर की इस सूची के पहले इनमें सुधाकर चतुर्वेदी और रामदास मिश्रा का नाम भी शामिल रहा इसके पहले भोपाल में सबसे पहले जिसका नाम कटा वह रहे विवेक अग्रवाल. लेकिन अभी भी राजकुमार मिश्रा को लेकर पार्टी में असमंजस बना हुआ है और कयास लगाये जा रहे हैं अंतिम दौर में पार्टी इन पर विचार कर सकती है. और रामोराम गुप्ता का पत्ता कट कर इन्हें टिकट दी जा सकती है.
इधर चर्चा यह शुरू हो चुकी है कि रामोराम गुप्ता बिना आधार के नेता है और इनसे जीत की उतनी उम्मीद भी नहीं है. लोगों का मानना तो यह है कि एक तरह से सतना से भाजपा महापौर का पद हार चुकी है उधर यह भी सुनने में आ रहा है कि विवेक अग्रवाल शायद निर्दलीय महापौर का चुनाव लड़ने वाले हैं.
इसी तरह रीवा में शिवेन्द्र पटेल व राजेन्द्र ताम्रकार के नाम महापौर की उम्मीदवार की अंतिम दौड़ में पहुंच चुके हैं. इनमें से राजेन्द्र शुक्ला जिन्हे ओके. कह देगें वही उम्मीदवार हो जायेगा और बताया जा रहा है कि राजेन्द्र शुक्ला के पसंदीदा प्रत्याशी शिवेन्द्र पटेल हैं.

विवेक और श्रीकृष्ण में टक्कर

माधव वाधवानी के निधन(उन्हें न्यूज पोस्टमार्टम की श्रद्धांजलि) के बाद महापौर पद को लेकर भाजपा फिर असमंजस में फंसी दिख रही है. भारतीय जनता पार्टी के महापौर के दावेदार जहां अपने आकाओं के साथ भोपाल में डटे हैं वहीं कुछ अपनी गोटियां फिट करके लौट आये है. लेकिन टिकट की जो संभावनाएं दिख रहीं है उसमें विवेक अग्रवाल और सुधाकर चतुर्वेदी अब अपनी बढ़त बनाते दिख रहे हैं. इसमें चतुर्वेदी के साथ संघ के श्रीकृष्ण माहेश्वरी की सिफारिश है तो विवेक के साथ जमीनी हकीकतों का पुलिंदा और स्थानीय विधायक का भी पुश बैक शामिल है. लेकिन प्रदेश स्तर पर संगठन में पैठ रखने वाले रामोराम गुप्ता भी धीरे से आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं. वही अन्य दावेवार जिनमें रामदास मिश्रा, व कबाड़ व्यवसायी की हवा निकलती दिख रही है. इसमें रामदास मिश्रा का जहां व्यापारिक खेमें में व्यापक विरोध तथा कई पुरानी हार का कलंक अभी फिर ताजा हो चुका है वहीं कबाड़ व्यवसायी को उसके आका ही नेता के रूप में नहीं देखना चाह रहे हैं. राजकुमार मिश्रा को यह कह दिया गया है कि सभी में आपका ही कब्जा मंजूर नहीं है. मंडी और जिलाध्यक्ष पर कब्जा जमाने के बाद भी इनकी लालसा भी महापौर की है लेकिन इससे बनी छवि व विरोध को पार्टी पहले ही भांप चुकी है और इनका नंबर अलग करती दिख रही है. बहरहाल महापौर टिकट की दौड़ में दावेदारों से ज्यादा लड़ाई विधायक व संगठन के बीच हो रही है. पार्टी का मानना है विधायकों के चयन में हुए विरोध को संगठन ही ठंडा करता है इसलिये इसबार उसका मौका है. यदि यह सही रहा तो फिर कहीं न कहीं पार्टी को विवेक से काम करना पड़ेगा.

Friday, November 20, 2009

सतना महापौरः भाजपा में उठापटक तेज


सतना महापौर का पद भाजपा के लिये गले की हड्डी बनता जा रहा है. एक ओर एक वर्ग अपना नाम अग्रणी पंक्ति में लाने हर कदम उठा रहा है वहीं दूसरा वर्ग धमकी भरी खामोशी इख्तियार करे हुए है. इनसे इतर एक वर्ग ऐसा है जो खामोशी के कुहासे में अलाव की आंच तेज करने में जुटा है. यहां से उड़ रही खबरों के विपरीत पांच से सात लोगों के नाम महापौर के लिये भेजे जाने की खबर न्यूजपोस्टमार्टम को मिली है. मीडिया के एक कुनबे द्वारा जहां अपनी आका भक्ति के मद्देनजर सुधाकर चतुर्वेदी का इकलौता नाम भेजने की अफवाह फैलाई जा रही है वहीं मीडिया का एक खेमा रामदास मिश्रा का टिकट ही फाइनल कर चुका है. इससे साबित होता है कि दोनों को ही भाजपा की समझ ही नहीं है. महज ढोंग पीट रहे है. यह जरूर है इन भेजे गए पांच नामों में इन दोनो का नाम भी है लेकिन इनमें विनोद तिवारी, रामोराम गुप्ता का भी शामिल है तो एक शख्स वह भी शामिल है जिसके सर से आगे के बाल साथ छोड़ने लगे हैं. शेष नामों की अभी जानकारी नहीं मिल सकी है. लेकिन यह जानकारी जरूर मिली है कि इस सूची में निवृत्तमान महापौर विमला पाण्डेय का नाम नहीं है. उधर छनकर आ रही एक अन्य जानकारी में विवेक अग्रवाल भी अपने सेवा व असर के आधार पर दावेदारी में लगे हैं. जिसमें उनकी खामोशी काफी कुछ कह रही है. यदि कुछ इनके अनुरूप नहीं हुआ तो शायद कोई बवंडर भी खड़ा करने की इनकी मंशा दिखाई दे रही है फिर चाहे आगे जाकर वहीं पार्टी परिवर्तन या निर्दलीय सवारी ही क्यों न हो. बहरहाल यदि देखा जाये तो इस गधा पचीसी में विवेक ही दमखम वाले दिख रहे है लेकिन सत्ता की गणित में उत्तर दूसरे रहते हैं. बहरहाल बैठकों के दौर पर दौर व दावेदारों के उतार चढ़ाव का असर यह है कि पूर्व में भेजे गये नामों की हवा में अब पुख्ता तौर पर नये सिरे से कुछ नाम और जुड़ेंगे. जिसमें माधव वाधवानी जैसे कद्दावर भी शामिल है और इनका शामिल होना भाजपा की तय रणनीति का पुख्ता समीकरण है.

Thursday, November 12, 2009

दैनिक भास्कर के मालिक ने किया खबर का सौदा

अबतक अपनी ऊलजुलूल हरकतों के लिये पहचाने जाने वाले दैनिक भास्कर सतना के मालिक अजय अग्रवाल ने विगत दिवस शकुन्तलम नर्सिंग होम संचालक से डीलिंग कर पत्रकारिता जगत को शर्मशार कर दिया. इतना ही अजय अग्रवाल घटना क्रम के दौरान ही मौके पर पहुंच कर मालिकान जैसे वजनदार शब्द की साख पर भी बट्टा लगा दिया.
पोस्टमार्टम को मिले मेल में बताया गया है कि पिछले दिनों शकुन्तलम नर्सिंग होम में मीडियाकर्मी पहुंचे हुए थे. वहां नर्सिंग होम के संचालन में काफी कमियों तथा शिविर में फर्जीवाड़े की सूचना पर सभी गये थे. संचालक डॉ. आर.के.अग्रवाल व डॉ. सुचित्रा अग्रवाल द्वारा अपनी पोल खुलती देख यहां फर्जी तरीके से हंगामा मचाना शुरू कर दिया. यहां खाली वार्ड की फोटो ले रहे फोटोग्राफर को न केवल आपरेशन थियेटर में खीचने का प्रयास किया बल्कि उसके साथ मारपीट भी की. कुल मिलाकर यहां हंगामाई नजारा बन चुका था. इसी दौरान यहां पर दैनिक भास्कर सतना संस्करण के मालिक अजय अग्रवाल वहां पहुंच कर सीधे डॉक्टर के केबिन में चले जाते हैं. लगभग एक घंटे की डील के बाद बाहर निकलते हैं. यहां तक तो मीडिया के लिये भी सामान्य रहा लेकिन दूसरे दिन दैनिक भास्कर से इस संबंध में कोई खबर का न आना यह साबित कर गया कि घटनाक्रम के एवज में दैनिक भास्कर का मालिकान पत्रकारिता की आड़ में समझौता कर गया. इससे न केवल संस्थान की गरिमा खत्म हुई बल्कि पत्रकारों की नजर में उसकी कीमत व इज्जत जमीन पर आ गिरी.

Friday, November 6, 2009

शिवराजः स्थानीय वर्सेज बिहार

गरीब उत्थान सम्मेलन में विगत दिवस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह कहा कि यहां प्लांट लगाएं. सीमेंट के प्लांट लगाएं, लोहे के प्लांट लगाएं, पावर के एक नहीं अनेक प्लांट लगाएं लेकिन शर्त ये है कि मेरे जिले के नौजवानों को ही ट्रेंड करना पड़ेगा और इन्हीं को रोजगार देना पड़ेगा. ये नहीं कि प्लांट लग जाए सतना में और नौकरी करने वाले आ जाएं बिहार से. ये हम नहीं होने देंगे और इस शर्त को सख्ती से लागू किया जाएगा.
और इसको लेकर तमाम जगह हायतौबा मच गई.
लेकिन शिवराज के इस बयान को सिर्फ एक नजरिये से न देखें जरा मीडिया हकीकत के निकट जाकर भी देखे की ज्यादातर कारखानों की फितरत होती है कि वे बाहरी मजदूरों को ही प्राथमिकता देते हैं. उनकी कोशिश होती है कि स्थानीय कर्मचारी कम से कम ही रखने पड़ें. चूंकि सतना में उद्योगों का तेजी से विकास हो रहा है और यहां भारी संख्या में बाहरी मजदूर आ कर रोजगार पा रहे हैं और स्थानीय लोगों को काम की तलाश में बाहर पलायन करना पड़ रहा है. इस मामले को लेकर सतना में समय समय पर तमाम बयान आये, धरना प्रदर्शन हुए, सभाएं हुई... यह यहां का ज्वलंत मुद्दा है. श्री शिवराज सिंह ने शायद इसे ही आधार बना कर यह कहा है. रही बात बिहारियों की तो वे नेता जो तमाम तरह के बयान दे रहे हैं उन्होंने कभी सोचा है कि आखिर क्या स्थिति है की बिहार के ही लोग सर्वाधिक अपने राज्य से बाहर काम करने क्यों जा रहे हैं. क्या वहां काम नहीं है. पहले वो अपने राज्य की व्यवस्था बनाएं रोजगार के अवसर पैदा करें. जहां तक बात मध्यप्रदेश की है तो यहां बिहारियों को लेकर कभी कोई भेद नहीं रहा है और मीडिया जबरन इस अपनी टीआरपी की लालच में तूल देने में जुटा है. उसने यह गौर नहीं किया कि शिवराज ने तो प्रदेश को भी छोड़ कर सिर्फ जिले के नौजवानों को काम देने की बात कही है. इससे स्पष्ट है कि वे राज्यवाद की मानसिकता पर न बोल कर स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर दिलाने की बात कह रहे थे.

प्रभाष जोशी जी को श्रद्धांजलि

'' पत्रकारि‍ता लोगों को जानकारी देने, मन बनाने में मदद करने, सार्वजनि‍क मामलों में जनता की तरफ से नि‍गरानी करने, शासकों को लोगों के प्रति‍ उत्‍तरदायी बनाने, राज्‍य के तीनों स्‍तम्‍भों पर नजर रखने और पार्टीवि‍हीन तटस्‍थ भूमि‍का नि‍भाने के लि‍ए है।''

प्रभाष जोशी जी के ये कथन आज की पत्रकारिता के बिगड़ते स्वरूप पर कुठाराघात करते तथा उसे हकीकत से रूबरू कराने वाले थे. यदि पत्रकार जगत श्री प्रभाष जोशी
जी के इन कथनों का जितना भी पालन कर सके वह श्री जोशी को उतनी ही बड़ी श्रद्धांजलि होगी.
प्रभाषजी का मानना था '' अखबार के लि‍ए लि‍खने और कि‍ताब के लि‍ए लि‍खने में अपन फ़र्क करते हैं। अखबार में दबाब बाहरी होता है और लि‍खना सम्‍पादन का अनि‍वार्य लेकि‍न एक अंश है। अखबार के लि‍खे की कि‍ताब छपती है है दुनि‍या -भर में और सबकी। अपनी भी छपी है,और भी छपेगी लेकि‍न कि‍ताब के लि‍ए लि‍खना उसी के लि‍ए लि‍खना है। '' उनका मानना था कि कोई बात अगर सरासर झूठ और सामान्‍य शि‍ष्‍टाचार के वि‍रूद्ध न हो तो सम्‍पादकों और अखबारों को छापने के लि‍ए ज्‍यादा तैयार रहना चाहि‍ए। हमारा धर्म और काम छापना है न छापना नहीं। '' प्रभाषजी मानते थे '' न छापकर रोने से अच्‍छा है कि‍ छापकर रोया जाए।''
प्रभाष जोशी जी को न्यूज पोस्टमार्टम परिवार की ओर विनयावत श्रद्धांजलि
प्रभाष जी का विगत दिवस सतना आगमन हुआ था यदि किसी के पास उसके छायाचित्र या वीडियो हों तो हमें मेल करें
newspostmartem@gmail.com