यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
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Tuesday, March 30, 2010

सत्ता पक्ष के विधायक ने कराई सरकार की फजीहत

हमें मिले एक गुमनाम कमेंट में जो जानकारी दी गई है वह यह उजागर कर रही है कि एक विधायक अपने मतलब के लिये किस हद तक जा सकता है भले ही उसकी हरकत से सरकार की ही फजीहत हो जाये. हमें बताया गया है कि विगत दिवस विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस पार्टी बिजली के मुद्दे पर सरकार को घेर रही थी. चर्चा चल ही रही थी कि तभी सतना जिले के रैगांव विधानसभी क्षेत्र के विधायक जुगुलकिशोर बागरी अचानक उठ खड़े हुए और काग्रेस की बात का समर्थन करते हुए कहने लगे कि सही बोल रहे हैं ये लोग. अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है. भारी भ्रष्टाचार मचा हुआ है. ट्रांसफार्मर के नाम पर घूंस चल रही है कहीं कोई सुनवाई नहीं है.... आदि... आदि...
फिर क्या था कांग्रेस को तो मानो मुंह मांगी मुराद मिल गई और सदन में ही शेम..शेम... के नारे लगने लगे और सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई.
खैर उसी दिन शाम को मुख्यमंत्री ने जुगुलकिशोर को बुलाकर फटकारने लगे इस दौरान वहां कई विधायक मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कोई तरीका नहीं है. यह नहीं कहता कि आपकी बात गलत थी लेकिन बात का एक मंच होता है. यह सुनकर जुगुल किशोर बागरी अपनी आदत अनुसार कह पड़े - क्या करें हमारी प्याज सूखी जा रही है.
बहरहाल यह सब कुछ होने के बाद मुख्यमंत्री ने जुगुलकिशोर बागरी की लंबी क्लास ली साथ ही वहीं मौजूद उर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को भी तल्ख लहजे में कहा कि देखिये बिधायक जी की क्या समस्या है.
बहरहाल जुगुलकिशोर की सदन में चर्चा जरूर मुद्दे पर थी लेकिन यदि उनकी प्याज न सूख रही होती तो क्या वे आम जनता के लिये इस तरह आवाज उठा सकते यह अपने आप में बड़ा सवाल है...

Sunday, March 21, 2010

एकाउंट अफसर और पांच लाख के फर्जी बिल

न्यूजपोस्टमार्टम को मिले मेल में बताया गया है कि डीआरडीए सतना में एकाउंट आफीसर के पद पर पदस्थ मुकेश राय ने विभाग को लाखों रुपयों की चपत लगाई है. बताया गया है कि राय ने उच्चाधिकारियों को गलत जानकारी देकर पेंमेंट की नोटशीट और फाइल में हस्ताक्षर कराकर सुनियोजित साजिश के तहत लाखों का गोलमाल कराने की भूमिका अदा की है. इतना ही नहीं फर्जी एपीओ, पीओ व पीओ(टी) अजय सिंह को विधि विरुद्ध
भ्रष्ट आचरण अपनाते हुए अजय सिंह को पांच लाख के फर्जी मेडिकल बिल पास जबरदस्त फायदा पहुंचाया है इसमे बकायदे इनका भी शेयर रहा. बताया जा रहा है कि यह मामला कोर्ट जा रहा है जिसमें मुकेश राय भी पार्टी बन सकते हैं.
इस मामले कि विस्तृत जानकारी मेल में भेज सकते हैं.

Friday, March 19, 2010

महावीर ज्वेलर्स मामले में प्रिंट मीडिया भी सौदेबाजी में उतरा

महावीर ज्वेलर्स में आभूषणों के लेने देन को लेकर हुए विवाद के बाद गंभीर हुई महिला के मामले में खबरों की सौदेबाजी में प्रिंट मीडिया के भी शामिल होने की चर्चा बाजार में होने लगी है. इसमें जो नाम सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक दैनिक भास्कर के एक सबसे पुराने संपादकीय विभाग के व्यक्ति द्वारा संबंधित ज्वेलर्स से चर्चा करने के उपरांत क्राइम देख रहे रिपोर्टर को वहां भेजा था. बताया गया है कि यह पुराना संपादकीय का कर्मचारी एक निजी कालेज में भी सेवाएं देता है तो एक सपा पदाधिकारी पर भी कुछ ज्यादा ही मेहरबान है. बहरहाल यह मामला व्यापारी जगत में चर्चा में काफी आने के बाद मामला मालिकान तक पहुंचा है. इस पर मालिकान ने क्राइम रिपोर्टर पर तो सख्ती की है लेकिन अभी वरिष्ठ कर्मचारी के बारे में जानकारी ली जा रही है. उधर एक अन्य प्रिंट मीडिया में भी फालोअप न देने के नाम पर उगाही की गई है.

Thursday, March 18, 2010

फिर की इलेक्ट्रानिक मीडिया ने सौदेबाजी

विगत दिवस महावीर ज्वेलर्स में हुए आभूषणों को लेकर हुए विवाद में गंभीर हुई महिला और ज्वेलर्स पर संगीन आरोप के बाद एक बार फिर सतना का इलेक्ट्रानिक मीडिया खबरों की सौदेबाजी में जुट गया है. न्यूजपोस्टमार्टम को भेजे मेल में बताया गया है कि इस खबर को रोकने के लिये किसी न्यूज चैनल के फारुख, एसएमएस सेवा के राज, ईटीव्ही के संजय तथा ज्ञान शुक्ला का नाम चर्चा में है. चर्चा है कि इनके द्वारा खबर रोकने के लिये सामूहिक रूप से दस हजार रुपये लिये गये है लेकिन शुरुआती दौर में इनकी डिमांड चालीस हजार रुपये थी. आमतौर पर छोटी छोटी बातों में खबर देने वाले इन रिपोर्टरों ने लेनदेन होने के बारे इस खबर से परहेज किया. हालांकि दूसरे दिन ईटीव्ही के दूसरे रिपोर्टर ने बाद इस खबर को बनाया है. वहीं इस सौदेबाजी में सहारा के नितिन गुरुदेव अलग रहे लेकिन उनकी खबर प्रसारित नहीं हो पायी.

Thursday, March 11, 2010

पत्रकार का गैस सिलेण्डर की सौदेबाजी का खेल बिगड़ा

विगत दिवस रेलवे स्टेशन के स्टैण्ड में नवभारत के एक पत्रकार का गैस सिलेण्डर की कालाबाजारी की सौदेबाजी का खेल उसके ही साथियों की नासमझी ने बिगाड़ दिया. इसकी चर्चा जो आज रही उसके अनुसार विगत दिवस रात को रेलगाड़ी की पैन्ट्रीकार में रखने के लिये घरेलू गैस सिलेण्डर काफी संख्या में रेलवे स्टेशन के स्टैण्ड में रखे थे. तभी इन पर नवभारत के एक पत्रकार की नजर पड़ गई. वह यह सब देख कर सिलेण्डर के साथ आये व्यक्ति पर दबाब बनाने लगा क्योंकि पैन्ट्रीकार में व्यावसायिक सिलेण्डर प्रयुक्त होते है. लेकिन व्यक्ति भी दबने को तैयार नहीं था. इसी दौरान उसके साथी भी वहां आ पहुंचे तभी किसी बात को लेकर न जाने उनमें क्या हुआ और मामला झगड़े में बदल गया. किसी तरह उन्हें शांत करा कर आखिर नवभारत का वह पत्रकार भी वहां से रवाना हो गया. लेकिन अहम बात यह रही है कि सिलेण्डरों के कालाबाजारी की यह घटना अखबार में भी नहीं दिखी जिसे लेकर चर्चा जमकर रही. कहना तो यह भी रहा कि वहां समझौते का खेल चलता है.

अजय सिंह की वापसी को लेकर मीडियाकर्मी भिड़े

जिला पंचायत के बहुचर्चित कर्मचारी अजय सिंह की मूल विभाग में वापसी का असर मीडिया जगत में भी काफी देखने को मिला. जहां उनका चहेता मीडिया का एक वर्ग काफी मायूस रहा तो दूसरा वर्ग उत्साहित नजर आया. इसी का परिणाम यह रहा कि कल दो मीडिया कर्मी आपस में भिड़ गये. हमे भेजे गये मेल में बताया गया है कि प्रकाश मेडिकल स्टोर में बैठे कुछ मीडियाकर्मियों के बीच अजय सिंह की मूल विभाग में वापसी पर चर्चा चल रही थी तभी किसी मीडियाकर्मी ने यह पूछ लिया कि यह अजय सिंह है कौन. तभी वहां मौजूद एनडीटीव्ही के ज्ञान शुक्ला ने यह कहा कि मैं उसे नहीं जानता और ईटीव्ही के शिवेन्द्र सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा कि यही बता सकते हैं कि वह कौन है. तभी शिवेन्द्र सिंह ने कहा कि डिजिटल स्टूडियो वाले का बिल लेकर अजय सिंह से पास कराते थे तब तो बहुत अच्छे से जानते थे अब बोल रहे हो कि नहीं जानता. यह सुनते ही ज्ञान शुक्ला उखड़ गये और शिवेन्द्र सिंह से गाली गलौज करने लगे. आखिर शिवेन्द्र सिंह ने भी पलट कर जवाब देते हुए लताड़ लगाई और अपशब्दों का प्रयोग शुरू कर दिया. इतना होते ही ज्ञान शुक्ला नरम पड़ने लगे और वहां मौजूद लोगों ने भी बीच बचाव कर मामला शांत कर दिया.
बहरहाल जो जानकारी आ रही है उससे पता चला है कि इस मामले की जानकारी नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष गगनेन्द्र सिंह को भी लगी है और उन्होंने शिवेन्द्र सिंह से सद्भावना जताई है.

Tuesday, March 9, 2010

चर्चित अजय सिंह जिला पंचायत से पैतृक विभाग में वापस

अपने कारनामों से हमेशा चर्चा में रहे तथा सीईओ के खास सिपहसालारों में से एक अजय सिंह की विधानसभा द्वारा मूल विभाग में वापसी कर दी गई है. साथ ही इससे संबंधितों पर भी जांच शुरू होगी.
पेश है इस मामले में विधानसभा पर हुई चर्चा
शंकरलाल तिवारीः माननीय अध्यक्ष महोदय एक डेलीवेजेज में काम चलाने के लिये भर्ती किया गया कापरेटिव बैंक रीवा में उपयंत्री और उसने 5 वर्ष तक लगातार जिला पंचायत में कार्यपालन यंत्री हो गया, परियोजना अधिकारी हो गया और करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया. उस पर मेरा प्रश्न था उसके उत्तर में संशोधन में कहा गया है कि हम उसे उसके पैतृक विभाग को वापस भेज रहे हैं. मेरी विनती है कि करोड़ों रुपयों का उसके कार्यकाल में काम हुआ है जिसमें भ्रष्टाचार हुआ और 5 वर्ष तक उसे निरंतर पदोन्नति मिलती रही. एक सामान्य उपयंत्री को बिना किसी नियम के बिना किसी सर्विस बुक के ऐसे व्यक्ति को फर्जी पदोन्नति देने वालों पर कोई दोषी अधिकारी जो थे उन पर कार्यवाही होगी और इसे सिर्फ पैतृक विभाग में वापस भेजना तो में सोचता हूं कि करोड़ों तुम कमाओ और जहां से आए वहां चले जाओ, इसे मुअत्तल करना चाहिये. कम से कम और फर्जी जो पदोन्नति देने वाले अधिकारी है उन पर कार्यवाही करनी चाहिये.
गोपाल भार्गवः माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक को धन्यवाद देना चाहूंगा. माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है निश्चित रूप से गंभीर है और इसी कारण से कल हमने संज्ञान लेते हुए उस कर्मचारी की उसके पैतृक विभाग में वापसी कर दी है इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि वह कापरेटिव का कर्मचारी था और इसमें डुपुटेशन पर आये और पदोन्नति भी लेता रहा इसके लिये जो भी लोग उत्तरदायी होंगे उनके उत्तरदायित्व और उनके दोष के बारे में भी निर्धारण करके उसकी जांच करा लेंगे. उन पर भी कार्यवाही होगी.
शंकरलाल तिवारीः माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा एक सवाल है इसी तरह से वहां तिलहन संघ के अन्य लोग भी डेपुटेशन पर यही काम कर रहे हैं. कांग्रेस के जमाने से 5-5 6-6 सालों से जिसकी मैं अभी चर्चा कर रहा था वे भी कांग्रेस के जमाने से और वहां जिला पंचायत में सिर्फ आम जनता के पैसे का ही भ्रष्टाचार कर रहे हैं. सामान्य कर्मचारी है यहां आकर के अधिकारी बन गये हैं . जिला पंचायत में ऐसी क्या जांच करा लेंगे तिलहन संघ के.
गोपाल भार्गवः अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य की जैसी मंशा है उसके अनुसार यह बात सही है कि बहुत सी अन्य संस्थाओं के अधिकारी कर्मचारी डेपुटेशन पर लिये गये उनसे काम करवाया गया अब क्या आवश्यकता थी क्या नहीं थी इसके बारे में तो जब संपूर्ण जांच होगी तभी पता चलेगा कि आवश्यकता के अनुसार लिये गये या नहीं, लेकिन तिलहन संघ के कर्मचारियों के बारे में जानकारी है कि अधिकांश लोग उच्च न्यायालय से स्टे लिये हुये हैं और इस कारण से वहां पर भी कार्यरत है. विभाग प्रयास कर रहा है कि वह स्टे जल्दी से जल्दी समाप्त हो और उसे वेकेट करा कर हम विभाग के जो मूल अधिकारी कर्मचारी है उन्हे ही पदस्थ करवाकर उनसे ही काम लें.
शंकरलाल तिवारीः माननीय मंत्री जी को धन्यवाद, अध्यक्ष जी आप को भी धन्यवाद.
संशोधन
प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित उत्तर के भाग ग में
प्रकरण में विस्तृत जांच कराने का निर्णय लिया गया है. जांच के निष्कर्ष के आधार पर कार्यवाही की जायेगी.
के स्थान पर संशोधित उत्तर
प्रकरण प्रकाश में आते ही जांच प्रारंभ की गई. जांच के प्रथम चरण में श्री अजय सिंह की सेवाएं इनके पैतृक विभाग को वापिस कर दी गई है.

Sunday, March 7, 2010

अस्तित्व की जननी को नमन, ... लेकिन ऐसी न हो

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज चारों ओर महिलाओं के गुणगान हो रहे हैं. उनकी सफलता जहां उदाहरण बन रही है तो उनकी उनके शिकवे व परेशानियां आज करुणगाथा बन रही है.
यह सही भी है और ऐसा होना भी चाहिये क्योंकि इसकी वह हकदार भी है. लेकिन एक पहलू और भी है जो इन सारी संवेदनाओं पर कुठाराघात करता है. दरअसल महिलाओं का दहलीज लांघना हमेशा से बुरा माना गया है और समाजसेवियों और जागरुक लोगों ने हमेशा से इसका विरोध किया है. लेकिन आज के समय में हमारा मानना है कि महिला यदि वह दहलीज न पार करे तो ही वह सम्मान की हकदार है और वह दहलीज कोई और नहीं बल्कि ईमानदारी की है.
आज के समय में देखा जा रहा है कि कभी बेईमानी और भ्रष्टाचार से दूर समझी जाने वाली नारी आज इसके कीर्तिमान कायम कर रही है. इसका ताजा उदाहरण अपने प्रदेश में सचिव स्तर की श्रीमती टीनू जोशी से देखा जा सकता है तो भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व सतना महापौर श्रीमती विमला पाण्डेय का दामन भी कम दागदार नहीं है. इस मामले में वे लाख इनकार करें या कुछ भी सफाई दे लेकिन यह सत्य है कि महापौर बनने के पहले उनका रहन सहन और घर की माली हालत काफी दयनीय थी. हमेशा से रिक्शे में सफर करने वाली इन महिला ने ऐसा कौन सा कारनाम कर दिया कि पूरा परिवार अब लक्जरी चार पहिया में चल रहा है आलीशान घर में रह रहा है व सभी एक्जक्यूटिव क्लास की सुविधाएं वहन कर रहा है. हमारा मानना है कि आज के समय में इतनी जल्दी इतना कुछ इमानदारी से तो नहीं मिल सकता है और यह दावा गारंटीड है. इसमें न प्रमाण लेने की जरूरत है और न ही देने की. सो श्रीमती पाण्डेय जैसे कृत्यों से जननी को पहचाना जाने लगेगा तो हमारी प्रार्थना है कि .....
अंत में पोस्टमार्टम परिवार की तरफ से मां, बहन, बेटी सहित सभी नारी स्वरूपों को नमन्

Thursday, March 4, 2010

स्वास्थ्य मंत्री की बेटी की शादी और चिकित्साधिकारियों का न्यौता

इन दिनों स्वास्थ्य महकमे में मध्यप्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा की पुत्री का विवाह चर्चा का विषय बना हुआ है. चर्चा की सतना जिले में दो वजह है. एक वजह तो जिले के सीएमएचओ द्वारा विवाह में शामिल होने आये न्यौते के नाम पर सभी बीएमओ और कई चिकित्सकों से सप्रेम भेंट का वसूलना शामिल है. इस बारे में जो खबरे छन कर आ रही हैं उनके मुताबिक सीएमएचओ ने स्वास्थ्य मंत्री की पुत्री की शादी के रिसेप्शन में भेंट के नाम पर बीएमओ से जहां ग्यारह-ग्यारह सौ रुपये लिये हैं तो चिकित्सकों से एक सौ एक रुपये लिये गये है. हालांकि कुछ बीएमओ ने अपनी सप्रेम भेंट को बढ़ा कर पांच हजार एक रुपये तक पहुंचा दिया है. इस तरह एकत्र हुई सारी राशि लेकर सीएमएचओ सप्रेम भेंट पहुंचाने वहां तक जा चुके हैं.
उधर एक और वाकया सामने आया है वह स्वास्थ्य मंत्री और राजधानी स्थित विभाग के आला अधिकारियों में से एक के बीच चल रहे शीतयुद्ध को भी उजागर कर गया है. इस मामले जो जानकारी आई है उसके अनुसार संयुक्त संचालक स्वास्थ्य रीवा संभाग डॉ.राजेन्द्र सिंह 4 मार्च को सतना से ग्वालियर इस विवाह कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे. वे सतना से महाकौशल एक्सप्रेस में थ्री टियर वातानुकूलित शयनयान की बोगी क्रमांक बी-2 की सीट नम्बर 34 में आरक्षण करा चुके थे. उनका पीएनआर नं. 8240641233 और टिकट संख्या 25228369 रहा. बताया गया है कि वे अपनी यात्रा के मद्देनजर स्टेशन तक पहुंचे और ट्रेन तक गये लेकिन अचानक आये एक फोन से वे पसीने पसीने होते हुए वापस लौट चले. यह तो रहा घटना क्रम लेकिन इसकी हकीकत जब सामने आयी उसके अनुसार श्री सिंह के पास भोपाल के एक अधिकारी का फोन आया था जिसमें कहा गया था कि उस कार्यक्रम में यदि गये तो वहां से सस्पेंशन का आर्डर भी साथ ही मिलेगा. यह फोन रिसीव करने वाले जेडी अकेले अधिकारी नहीं है. ऐसा विभाग के कई अधिकारियों के साथ हुआ है और सभी वापस अपने घर लौटना ही बेहतर समझे हैं. यही वजह है कि सतना के सीएमएचओ जो अभी जल्दी नहीं आने वाले थे वे भी रातो रात बस पकड़ कर सुबह कार्यलय समय में सतना पहुंचना बेहतर समझे क्योंकि वहां से आने वाली ट्रेन काफी लेट थी और वह कार्यालय समय में सतना नहीं पहुंच रही थी. लेकिन उनके साथ इतना तो प्लस हो ही गया है कि वे सतना से सप्रेम भेंट की लंबी चौड़ी राशि मंत्री जी तक पहुंचा पाने में सफल रहे हैं.