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Sunday, January 2, 2011

पत्रिका के दर पर होने लगी दस्तक

पत्रिका के सतना आने की तैयारियां लगभग तय हो चुकी हैं लेकिन समय को लेकर अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है। हमें भेजे मेल में बताया गया है कि पत्रिका को अभी आने में लगभग चार से पांच माह लग सकते हैं वहीं जबलपुर के स्टाफ को इस बाबत तैयार रहने के भी संकेत दे दिये गये हैं। बताया गया है कि अखबार के एक बड़े अधिकारी यहां का दौरा करके जा चुके हैं तो सर्वे विभाग का आना जाना लगा है।
उधर एक अन्य जानकारी में सतना के पत्रकार जगत में भी इसकी हलचल दिखने लगी है। कई लोग तो अभी से पत्रिका के दर पर दस्तक ठोंक आये हैं। बताया जा रहा है कि सबसे पहले दस्तक देने वाले चन्द्रकांत पाण्डेय हैं, इसके बाद निरंजन शर्मा भी अपनी जुगत लगा चुके हैं तो शक्तिधर दुबे भी चर्चा कर चुके हैं। इसी प्रकार भास्कर के उपेन्द्र मिश्रा भी जबलपुर में चर्चा कर चुके हैं। इसके अलावा भी कुछ अन्य नाम है जो नामवर नहीं है। बहरहाल जितने भी नाम बताये गये हैं इनकी कोई भी कोशिश अभी सफल नहीं कही जा सकती है क्योंकि ये सभी उस टीम तक नहीं पहुंच सके हैं जो नियुक्ति कर्ता होती है। बहरहाल ये अपने संबंध मजबूत करने जबलपुर व भोपाल के प्रबंधन स्तर से लगातार टच में हैं।
हालांकि पत्रिका का बिलासपुर का पोस्टपोंड होना सतना के खाते के लिये सकारात्मक है। उधर भास्कर भी इसे भांप रहा है। और अपनी तैयारी में जुटा है। बहरहाल पत्रिका के आने पर सबसे ज्यादा झटका स्टार समाचार को ही लगेगा क्योंकि उसकी टीम अभी भी मजबूत नजर नहीं आ रही है। भास्कर का कम्प्यूटर स्टाफ भी बाहर जाने को तैयार बैठा है। राज की टीम के कुछ अच्छे लोग भी पत्रिका उठा सकती है ऐसे संकेत हैं।

निरंजन की रामवन कथा

वरिष्ट पत्रकार निरंजन शर्मा जो स्टार समाचार में अब तक या तो विवादित या फिर किसी को सपोर्ट करने वाली खबरे ही ज्यादा बनाई हैं ने एक फिर रामवन की एक स्टोरी छाप कर चापलूसी की पराकाष्ठा पार कर दी। जितनी बड़ी स्टोरी प्रकाशित की गई है उतनी बड़ा मामला यह नहीं था। यहां संपादकीय कमी स्पष्ट दिखी की आखिर संपादक इस स्टोरी को इतना स्पेस कैसे दे रहे हैं, दूसरा निरंजन शर्मा ने शहर के दो सबसे बड़े लिजलिजे व घटिया (शहर वासियों की नजर में) श्री कृष्ण माहेश्वरी तथा अखण्ड प्रताप सिंह का चरण चुंबन कर अपना हल्का पन सामने ला दिया। उनसे इतनी घटिया स्टोरी की उम्मीद नहीं रही। बहरहाल यदि उन्हें रामवन पर लिखना है तो क्या वे साहस दिखा पायेंगे उस सच को सामने लाने का जो वहां चल रहा है कि अखण्ड प्रताप सिंह व अन्य ने वहां अपनी जमीनों को आसमान में पहुंचाने क्या खेल किया, श्री कृष्ण माहेश्वरी जेसे दलाल समाजसेवी जो फिनायल न लेने वाले विभाग प्रमुखों की सरकार से क्लास लगवाते हैं ने सरकारी पैसे को अपनी अंटी में डालने के लिये समिति गठित कर रामवन में काम शुरू किया और यहां लाखों रुपये शासन के अपने कब्जे में कर लिये। शासन की योजनाओं को अपने नाम जोड़कर जनता को ये सभी बेवकूफ बना सकते हैं लेकिन इस काकस मंडली की हकीकत एक चोर से ज्यादा नहीं है जो सत्ता व संगठन के दम पर पाक साफ बचा है।