Tuesday, February 22, 2011
जमीन के खुलासे में प्लाट का सौदा
हमें भेजे गये मेल में बताया गया है कि इन दिनों जमीनों का खुलासा करने वाले एक अखबार में इन खबरों के नाम पर दलाली भी शुरू हो गई है। इसके साथ ही शहर के मीडिया जगत में इस बात का काफी शोर है कि खबर के बाद लेनदेन जोरों पर चल रहा है। मीडिया जगत की चर्चाओं को सही माने तो किसी अग्रवाल से एक रिपोर्टर का एक प्लाट पर सौदा तय हुआ है और उस पर नजरे इनायत हो रही है। यह जानकारी पत्रकार जगत में चर्चा में आने के बाद नंबर 1 का दावा करने वाले अखबार ने भी जमीन की खबरों पर फोकस कर दिया है। इस मामले में मेल में बताया गया है िक यह पीड़ित पक्ष का बचाव का हथकडा भी है और वह नंबर वन अखबार के सहारे प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिया है। हालांकि न्यूजपोस्टमार्टम टीम यह पुष्ट करने और पता लगाने में लगी है कि किस पत्रकार ने किससे सौदा किया है लेकिन यह भी पता चला है िक जमीन के कारोबारियों का एक ताकतवर वर्ग इस मामले में सत्ता व प्रशासन से संपर्क कर पलटवार की तैयारी कर रहा है। इस वर्ग के निशाने पर वह जानकारी है जिसमें तत्कालीन कलेक्टर के समक्ष अखण्ड प्रताप सिंह के साथ एक व्यवसायी मिलने गया था तो कलेक्टर ने उस वक्त अखण्ड के दबाव पर फाइल को थाम तो िलया था लेिकन अब वह फाइल फिर खोजी जा रही है। इसमें भाजपा युवा वर्ग के लोग सीनियरों के इशारे पर सक्रिय हुए हैं।
Saturday, February 5, 2011
दैनिक भास्कर के चेयरमैन का काला चिट्ठा प्रकाशित
दैनिक भास्कर के चेयरमैन रमेश अग्रवाल की बदनामी की कथा का प्रकाशन राजस्थान में हुआ है। इसमें उनकी कुटिलता का पूरा बखान किया गया है।
PDF Kalinayak Book
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सांसद गणेश सिंह के गांव में एमपीईबी के छापे का मतलब...
विगत दिवस बिजली विभाग की एक हरकत से सांसद गणेश सिंह की काफी किरकिरी तो हुई लेकिन इस घटना क्रम ने यह बता दिया कि इन दिनों सांसद की अनबन नागौद विधायक व लोनिवि मंत्री नागेन्द्र सिंह के अलावा जिले के प्रभारी मंत्री राजेन्द्र शुक्ला से भी हो गई है। बताया गया है कि मंत्री पद की महत्वाकांक्षा पाल कर चल रहे सांसद गणेश सिंह इन दिनों आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति में अभी से चल रहे हैं। इसके साथ ही अपने बढ़े राजनीतिक कद का अहम भी उनमें अब नजर आने लगा है। इसी फेर में कुछ दिनों पहले सांसद ने पाला पीड़ित किसानों की मदद के नाम पर ऐसा बयान दे दिया की उर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के हाथ पांव फूल गये। सांसद ने कहा था कि किसानों को बिजली बिल की माफी मिलेगी। अब सरकार यदि ऐसा करती है तो उतना पैसा सरकार को विभाग को देना होगा इस स्थिति में सरकार है नहीं और ऐसे में उर्जा मंत्री की किरकिरी तय मानी जा रही थी क्योंकि विपक्ष को यह एक हथियार मिलने वाला था। सांसद का यह गेम शुरुआत में ही उर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को समझ में आ गया और उन्होंने विभाग को ईशारा कर दिया नतीजा यह हुआ कि सांसद के गांव में ही बिजली विभाग का छापा पड़ गया और भारी संख्या में बिजली चोरी उजागर हुई और इसमें भी सबसे ज्यादा सांसद के सजातीय लोग ही पकड़े गये। हालांकि मीडिया मैनेजमेंट में माहिर सांसद ने किसी तरह से स्थानीय मीडिया की नजर से यह घटना संभलवा ली लेकिन अब उनके समर्थक किसानों की डूबती लुटिया को बचाने सांसद को वहां पदस्थ लाइन मैन को हटाने की चिट्ठी लिखनी पड़ी तो अब उन्हें उर्जा मंत्री से भी चर्चा करनी पड़ेगी। हालांकि इस बार राजेन्द्र शुक्ल बाजी मार गये लगते हैं लेकिन अब स्पष्ट तो हो गया है कि सांसद को तीन मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। इसमें पहला मोर्चा मंत्री नागेन्द्र सिंह, दूसरा विधायक शंकरलाल तिवारी तथा तीसरा रीवा विधायक व जिले के प्रभारी मंत्री राजेन्द्र शुक्ला का होगा।
उधर यह चर्चा अब जोर पकड़ चुकी है कि अगली विधानसभा में सांसद गणेश सिंह का हाथ आजमाना तय है और इसमें वे रामपुर बाघेलान या अमरपाटन में अपनी बाजी खेलेंगे लेकिन सतना पर भी उनकी निगाहें बनी हुईं हैं।
उधर यह चर्चा अब जोर पकड़ चुकी है कि अगली विधानसभा में सांसद गणेश सिंह का हाथ आजमाना तय है और इसमें वे रामपुर बाघेलान या अमरपाटन में अपनी बाजी खेलेंगे लेकिन सतना पर भी उनकी निगाहें बनी हुईं हैं।
दैनिक भास्कर के अतिथि सर्किट हाउस में शराब पीकर लुढ़के
अब तक सर्किट हाउस नेताओं और उनके कारिन्दों द्वारा की जाने वाली हरकतों की वजह से चर्चित रहता था लेकिन हाल ही में ऐसा मामला सामने आया है जिसमें शहर का नम्बर वन अखबार दैनिक भास्कर दागदार हो गया है। वाकया यह है कि चार पांच दिन पहले सर्किट हाउस का एक कमरा दैनिक भास्कर के जीएम पुष्पराज सिंह ने सिटी मजिस्ट्रेट से कह कर बुक कराया। यहां बताने लायक मामला यह है कि सिटी मजिस्ट्रेट ने नियम विरुद्ध तरीके से यहां कमरा एलाट कर दिया और इसकी इन्ट्री न करने के लिये सर्किट हाउस के कर्मचारियों को कह दिया गया। सिटी मजिस्ट्रेट के कहने पर सर्किट हाउस का कमरा दैनिक भास्कर के जीएम पुष्पराज सिंह के नाम पर एलाट हो गया और यहां जबलपुर से दैनिक भास्कर का एक सज्जन यहां आकर रुक गया। शक्ल सूरत में सांवला सा यह शख्स अपने आप में काफी बड़ा शराबी बताया जा रहा है। कहते हैं कि दैनिक भास्कर का यह अतिथि यहां आने के बाद से ही लगातार शराब पीने में जुट गया। लगातार शराब की वजह से उसकी हालत खराब होने लगी जो सर्किट हाउस के कर्मचारियों को भी खलने लगी थी। कोई बात न हो इसके मद्देनजर यहां के कर्मचारियों ने इसकी शिकायत सिटी मजिस्ट्रेट से कर दी। उधर यह कर्मचारी नशे में इस कदर डूब गया कि अपने से चल फिर पाने में असमर्थ रहा और सीढ़ी चढ़ते वक्त लुढ़क गया। यह देख यहां के कर्मचारियों के हाथ पाव फूल गये और उसे कमरे से बाहर का रास्ता दिखाकर राहत की सांस ली। इस दौरान इसके कमरे से 9 शराब की बोतलें पायी गयी थीं।
दैनिक भास्कर के मालिक का सिटी मजिस्ट्रेट को पत्र
इस मामले में एक दूसरा पहलू यह भी सामने आया है कि इस घटना की जानकारी जब दैनिक भास्कर के स्थानीय मालिक अजय अग्रवाल को लगी तो वे चकरा गये। उनकी जानकारी के बगैर उनके संस्थान के जीएम पुष्पराज सिंह द्वारा सर्किट हाउस में किसी को ठहराना उन्हें नागवार गुजरा वह भी तब उसकी हरकत से संस्था की बदनामी हो। ऐसे में उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट को तत्काल ही पत्र लिख डाला। जिसमें उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि भविष्य में सर्किट हाउस में दैनिक भास्कर के नाम पर कोई भी कमरा तब तक न दिया जाये जब तक उनका अनुरोध पत्र शामिल न हो। इससे यह मामला उलझ गया है कि पुष्पराज सिंह आखिर दैनिक भास्कर के नाम पर किस अतिथि को ठहराये हुए थे। हालांकि चर्चा है कि इन दिनों भास्कर में वे ज्यादा ताकतवर हो कर सामने आये हैं और वे संपादकीय पर भी भारी हैं इस वजह से शहर में संपादकीय का भी लाभ उठारहे हैं। यही वजह है कि अक्सर वे पत्रकार वार्ताओं में भी न केवल नजर आते हैं बल्कि सवाल भी पूछते हैं। यह अलग है उन सवालों का संपादकीय से कोई लेना देना नहीं होता न ही वे अखबार में दूसरे दिन दिखते हैं लेकिन होता यह जरूर है कि संबंधित की जेब जरूर ढीली होती है।
दैनिक भास्कर के मालिक का सिटी मजिस्ट्रेट को पत्र
इस मामले में एक दूसरा पहलू यह भी सामने आया है कि इस घटना की जानकारी जब दैनिक भास्कर के स्थानीय मालिक अजय अग्रवाल को लगी तो वे चकरा गये। उनकी जानकारी के बगैर उनके संस्थान के जीएम पुष्पराज सिंह द्वारा सर्किट हाउस में किसी को ठहराना उन्हें नागवार गुजरा वह भी तब उसकी हरकत से संस्था की बदनामी हो। ऐसे में उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट को तत्काल ही पत्र लिख डाला। जिसमें उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि भविष्य में सर्किट हाउस में दैनिक भास्कर के नाम पर कोई भी कमरा तब तक न दिया जाये जब तक उनका अनुरोध पत्र शामिल न हो। इससे यह मामला उलझ गया है कि पुष्पराज सिंह आखिर दैनिक भास्कर के नाम पर किस अतिथि को ठहराये हुए थे। हालांकि चर्चा है कि इन दिनों भास्कर में वे ज्यादा ताकतवर हो कर सामने आये हैं और वे संपादकीय पर भी भारी हैं इस वजह से शहर में संपादकीय का भी लाभ उठारहे हैं। यही वजह है कि अक्सर वे पत्रकार वार्ताओं में भी न केवल नजर आते हैं बल्कि सवाल भी पूछते हैं। यह अलग है उन सवालों का संपादकीय से कोई लेना देना नहीं होता न ही वे अखबार में दूसरे दिन दिखते हैं लेकिन होता यह जरूर है कि संबंधित की जेब जरूर ढीली होती है।
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