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Saturday, May 19, 2012

विट्स की प्रेमकहानी है क्या मारपीट की जड़

जिले का चर्चित इंजीनियरिंग कालेज है विट्स। पतेरी से होकर करही रोड जाने पर दाहिनी ओर भव्य अट्टालिकाओं और मनोहारी दृश्यों के बीच रचा बसा शिक्षा का यह केन्द्र अपने में कई प्रेम कहानियों और अवैध कृत्यों को समेटे हैं। इसमें जहां विद्यार्थियों की नादानियां भी शामिल हैं तो यहां के स्टाफ का छल व पिपासा भी। यहां के मालिकानों में से एक सेनानी से अपने संबंधों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाली तलाकशुदा महिला के अब नये संबंध यहां चर्चा का विषय बन रहे हैं। मस्त पार्टियों के लिये मशहूर यह महिला इन दिनों कालेज के एक शिक्षक पर कुछ ज्यादा मेहरबान है। सीडी सिंह जो कि एक विज्ञापन एजेंसी चलाने वाले के भाई है विट्स में पढ़ाने का काम करते हैं। पढ़ाने के साथ-साथ इनकी रुचि वहां के छात्रों के निजी मामलों में भी ज्यादा रहती है। ऐसे ही एक विवाद के मामले में सीडी ने एक छात्र की पक्ष की ओर से दूसरे छात्र को न केवल धमकाया बल्कि हाथ भी छोड़ दिया। यहां से माहौल बिगड़ने लगा था। छात्र एक जुट होने लगे थे और मौके की तलाश भी थी। उधर कैम्पस में यह भी चर्चा गरम थी कि आखिर एचआर ऋचा सिंह एक दूसरी दिशा में रहने वाले शिक्षक को क्यों अपनी कार में बैठाकर लगातार क्यों लाती और ले जाती हैं। हर विद्यार्थी यह दबी जुबान कहता है कि मैडम पेप्टेक सिटी में रहती हैं, सीडी सिंह राजेन्द्र नगर स्थित रामा बिहार कालोनी के पीछे स्थित कालोनी में। दोनों की निवास की दिशा पूरब पश्चिम है फिर साथ आना-जाना क्या है। हम मुंह का अपना मतलब है। कोई इसे प्रेम संबंध से जोड़ रहा है, कोई इसे दोस्ताना कह रहा है, कोई जूनियर स्टाफ पर मेहरबानी कोई महज सामान्य घटना।
लेकिन सीडी की मारपीट के बाद से नाराज छात्रों को एक हर्ष दायक खबर तब मिली जब उन्हें पता चला कि विट्स की एचआर ऋचा सिंह और प्रोफेसर सीडी सिंह एक साथ कार में निकलने वाले हैं। फिर क्या था फोन हुए, व्यवस्था हुई और भट्ठे के पास कार रोकने का प्रयास किया गया और उसके शीशे फोड़ डाले गये। वो तो ऋचा की दिलेरी थी कि उसने कार रोकी नहीं वरना सीडी सिंह की हालत कार के टूटे हुए शीशों की तरह होती।
कुल मिला कर इन दिनों कालेज में यह तथाकथित प्रेमकहानी हर छात्र छात्रा की जुबानी हैं। ऐसे कालेज में जहां स्टाफ की कहानियां सुनने को मिले वहां के माहौल का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह कहानी कितनी सही व कितनी गलत है यह तो विट्स प्रबंधन और एचआर व प्रोफेसर ही जानते होंगे लेकिन यह भी सच है कि बिना आग लगे धुंआ नहीं उठता है।

Friday, May 18, 2012

धर्मेन्द्र सिंह हत्याकाण्ड- स्लेटी कलर की इंडिका में भागा था राजा

हमे भेजे गये मेल में बताया गया है कि बाबूपुर में हुए हत्याकाण्ड में चार लोग मरे हैं। जमीन को लेकर हुए विवाद में मरने वालों में एक पक्ष से भाजपा नेता व पूर्व पार्षद तथा इन दिनों संघ के श्रीकृष्ण माहेश्वरी का करीबी धर्मेन्द्र सिंह घूरडांग, उसके दो सगे भांजे बिप्पू सिंह और बिन्नू सिंह है। दूसरे पक्ष से मरने वाले में जगन कोल है।
मेल में बताया गया है कि जब बाबूपुर में खूनी संघर्ष हो रहा था उस वक्त वहां पर राजा भी था। उस दौरान उसके पास दो पिस्टल रही हैं। एक उसकी खुद की लाइसेंसी और दूसरी गैर लाइसेंसी। जब आदिवासियों ने राजा को देख लिया तो उसके पीछे भी भागे। हालात के मद्देनजर राजा ने वहां से दौड़ लगा दी। हालांकि इस दौरान राजा के हाथ व शरीर में कुछ डंडे पड़े हैं और कंधे के नीचे बांह में सूजन है। इस दौरान उसने अपने साथ रखी पिस्तौल से चार गोलियां भी दागी। हालांकि आदिवासियों ने उसका पीछा जारी रखा और सतना-अमरपाटन रोड आने तक राजा दौड़ता ही रहा। इसके बाद राजा ने एक बस रुकवाई और उसमें बैठकर भटनवारा तक आया। यहां पर वह उतर गया और ओर एक होटल में जाकर पनाह ली। इस दौरान तक वह सतना अपने साथियों को सूचित कर चुका था। इसके बाद एक एक स्लेटी कलर की इंडिका में उसे लेने एक मुसलमान पहुंचा था जिसके साथ राजा सतना पहुंचा।

घटना की वजह
घटना की शुरुआत बुधवार की रात से होती है। यहां पर रात से ही डामर रोड से लगी सरकारी जमीन पर स्थानीय आदिवासियों द्वारा कब्जे की नीयत से 50 से 60 की संख्या में लकड़ी के चार खंभे और ऊपर टटिया, प्लास्टिक, त्रिपाल आदि लगाकर झोपड़ा बनाते हैं। इसकी जानकारी गुरुवार को धर्मेन्द्र सिंह को होती है और वह गुरुवार की रात को अपने साथियों को भेज कर यहां की जमीन खाली करने की धमकी दिलवाता है। जिसमें कहाजाता है कि रात को यह जमीन खाली कर दो नहीं तो सुबह सब जला देंगे। इस दौरान वहां चार पांच हवाई फायर किये गये।
की बातचीत की तैयारी 
धमकी से घबराये आदिवासियों ने रात में ही निर्णायक लड़ाई की तैयारी कर ली। उन्होंने अपनी ओर से बातचीत के लिये जगन कोल को चुना। अगली सुबह पूरे लोग इक्कठा होकर वहीं सरकारी जमीन पर बैठ गये थे।
पहली गोली बिप्पू ने चलाई 
रात की धमकी के बाद अगले दिन धर्मेन्द्र सिंह अपने भांजों व अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचा। इस दौरान पहुंचते ही उसने सरकारी जमीन में तनी कुछ झोपड़ियों में आग लगानी शुरु की तो वहां बैठे आदिवासी उसके पास आये जिसमें आगे जगन कोल था। इसके बाद इन लोगों ने ऐसा न करने की बात कही तो धर्मेन्द्र सिंह ने जगन को नेतागिरी न करने की धमकी के साथ गाली दी। इस दौरान बहस बढ़ती गई और आवेशित जगन का धीरज जवाब दे गया और उसने धर्मेन्द्र सिंह की कालर पकड़ ली। यह देखते ही पास खड़े बड़े भांजे दिप्पू  ने जगन पर गोली चला दी। गोली लगते ही लगते ही जगन नीचे गिरा। इसके साथ ही हालात बेकाबू हो गये। भीड़ तंत्र हावी हो गया और सभी ने शहर के गुण्डों को घेर लिया। इस दौरान धर्मेन्द्र ने अपने बचाव में एक गोली चलाई जो उसकी आखिरी गोली थी इसके बाद उसे दूसरा फायर करने का मौका नहीं मिला औरपत्थर लाठियों की मार के बीच भागते भागते सड़क के किनारे की नाली में गिर पड़ा। फिर भी लोग तब तक मारते रहे जबतक वह मर नहीं गया। यही हश्र उसके दोनों भांजों का हुआ।
नीचे नहीं उतरा था ड्राइवर 
इस पूरे घटनाक्रम में ड्राइवर स्कार्पियो में ही बैठा रहा। वह नीचे नहीं उतरा था। राजा इन लोगों से लगभग 30 फीट की दूरी पर खड़ा था। इसी दूरी पर अन्य लोग भी खड़े थे।
माहेश्वरी भी है जमीन के पार्टनर
मेल में बताया गया है कि यहां की जमीन के साइलेंट पार्टनर संघ के पदाधिकारी  भी हैं। इन दिनों माहेश्वरी जमीनों और खदान के कारोबार में जुड़े हैं। ऐसे ही एक जमीन इनकी जोड़ी ने लखनवाह में भी ली है। यहां पर भी ऐसा ही विवाद तैयार हो रहा था और वहां पर भी खूनी खेल होता। संघ के नाम पर भाजपा के कंधे पर सवार यह माहेश्वरी इन दिनों जिले में जमीन का सबसे बड़ा काला कारोबारी है जो सामने से सफेदपोश बने है लेकिन इसके पीछे काफी काले धंधे हैं।