
वरिष्ट पत्रकार निरंजन शर्मा जो स्टार समाचार में अब तक या तो विवादित या फिर किसी को सपोर्ट करने वाली खबरे ही ज्यादा बनाई हैं ने एक फिर रामवन की एक स्टोरी छाप कर चापलूसी की पराकाष्ठा पार कर दी। जितनी बड़ी स्टोरी प्रकाशित की गई है उतनी बड़ा मामला यह नहीं था। यहां संपादकीय कमी स्पष्ट दिखी की आखिर संपादक इस स्टोरी को इतना स्पेस कैसे दे रहे हैं, दूसरा निरंजन शर्मा ने शहर के दो सबसे बड़े लिजलिजे व घटिया (शहर वासियों की नजर में) श्री कृष्ण माहेश्वरी तथा अखण्ड प्रताप सिंह का चरण चुंबन कर अपना हल्का पन सामने ला दिया। उनसे इतनी घटिया स्टोरी की उम्मीद नहीं रही। बहरहाल यदि उन्हें रामवन पर लिखना है तो क्या वे साहस दिखा पायेंगे उस सच को सामने लाने का जो वहां चल रहा है कि अखण्ड प्रताप सिंह व अन्य ने वहां अपनी जमीनों को आसमान में पहुंचाने क्या खेल किया, श्री कृष्ण माहेश्वरी जेसे दलाल समाजसेवी जो फिनायल न लेने वाले विभाग प्रमुखों की सरकार से क्लास लगवाते हैं ने सरकारी पैसे को अपनी अंटी में डालने के लिये समिति गठित कर रामवन में काम शुरू किया और यहां लाखों रुपये शासन के अपने कब्जे में कर लिये। शासन की योजनाओं को अपने नाम जोड़कर जनता को ये सभी बेवकूफ बना सकते हैं लेकिन इस काकस मंडली की हकीकत एक चोर से ज्यादा नहीं है जो सत्ता व संगठन के दम पर पाक साफ बचा है।
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