यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
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Friday, December 24, 2010

गणेश व शंकर बीच किसने बड़ी की खाई

बिगत दिवस सांसद गणेश सिंह की भतीजी की शादी पर तमाम बड़े नेता आये। लेकिन इस अवसर पर कुछ ऐसे लोग भी सक्रिय रहे जो इस अवसर का अपने हित में पूरी तरह से कूटनीति का प्रयोग किया।
इस दिन दो घटनाक्रम हुए जो कूटनीति के बड़े उदाहरण हैं
1. शंकरलाल तिवारी की बेइज्जतीः
हमें भेजे गये मेल में बताया गया है कि इस दिन हवाई अड्डे पर पुलिस के एक अधिकारी द्वारा विधायक शंकरलाल तिवारी को बाहर निकालने की बात को इस तरह से प्रचारित किया गया कि मानों वे धक्के देकर बाहर किये गये। लेकिन ऐसा था नहीं दरअसल यहां छत्रपाल सिंह ने बड़ी राजनीतिक चाल चली है। हकीकत यह रही है कि शंकरलाल तिवारी हवाईअड्डे पर अंदर जा ही नहीं रहे थे। लेकिन यहां कुछ नेताओं और पत्रकारों को बाहर ला रहे पुलिस अधिकारी को समझाइश दे रहे शंकरलाल तिवारी के बीच में छत्रपाल सिंह छत्तू ने पुलिस अधिकारी को यह कह दिया कि "अंदर जो खड़े हैं वो तुम्हारे बाप हैं..." यह सुन अधिकारी नाराज हो गया। इसके बाद बहस बढ़ती गई। पुलिस अधिकारी भी तमतमा गया इसी तमतमाहट के बीच वह सभी को बाहर लाता जा रहा था और इसी के साथ शंकरलाल भी स्वयं ही बाहर आ गये। यहां छत्रपाल सिंह ने बड़ी कूटनीतिक रणनीति खेली और यह प्रचारित किया कि शंकरलाल को बाहर किया गया। इससे इन दिनों गणेश सिंह से छत्तू की चल रही दूरी को उसने शंकरलाल के बहाने भुनाया। हमें भेजे मेल में बताया गया है कि उधर विधायक शंकरलाल को यह बताया गया है यह सब सांसद गणेश सिंह के कहने पर हुआ है। इससे गणेश शंकर का शीतयुद्ध और गहरा गया है। और फायदा दोनों के विरोधियों का हुआ है। यहां यह भी बताया गया है कि आखिर एसपी यादव किस के कहने पर यह सफाई दे रहे हैं कि भोपाल से जिनकी सूची भेजी गई थी उन्हें ही अन्दर जाने दिया गया। यहां भी जातिवाद को मदद की बात बताई जा रही है।
2. घट गया भोजनः
सांसद गणेश सिंह जो इन दिनों करोड़ों के मालिक हैं जिनके गोवा व हिमाचल प्रदेश में अपने बिजनेस तैयार हैं उनके यहां शादी में एक घंटे तक आगंतुकों को भोजन न मिलना एक बड़ी साजिश है। हमें भेजे मेल में बताया गया है कि यहां भोजन की कमी एक सोची समझी साजिश का नतीजा रही है। इसमें कहा जा रहा है कि भोजन की व्यवस्था वहां एक यादव को दी गई थी जो कुटिल राजनीतिज्ञ माने जाने वाले लक्ष्मी यादव का खास आदमी माना जाता है तथा एक स्कूल संचालक अग्रवाल को निगरानी में रखा गया था। इन लोगों ने किसी एक के इशारे पर पूरी व्यूह रचना के साथ खाने में साजिश रची जिसका नतीजा एक घंटे तक खाना न मिलना रहा। इस वजह से आम लोग तो खान नहीं पाये व बिना खाये चले गये कई व्हीआईपी भी होटल में अपना भोजन लिया।
3. सरकारी कार्यक्रम का दुष्प्रचारः
मुख्यमंत्री भी इस शादी में शामिल होने आये थे। चूंकि वे वायुयान से आ रहे थे इस लिये जिला प्रसाशन को स्थानीय स्तर पर एक सरकारी कार्यक्रम रखना मजबूरी थी। उसकी तैयारी उसने रामपुर बाघेलान क्षेत्र में कर रखी थी लेकिन इसका कोई प्रचार प्रसार नहीं था। यह एक प्रशासन की तैयारी थी। इसे छत्रपाल सिंह द्वारा दूसरे तरीके से प्रकट कर ऐसा माहौल बनाया गया कि प्रशासन भी परेसान हो गया जिसका असर शादी की माहौल में पड़ा।
इसके अलावा तीन और बिन्दु हमें मेल किये गये हैं जिनकी प्रमाणिकता अभी नहीं मिल सकी है इस लिये उसे प्रकाशित नहीं कर रहे हें।

Thursday, December 16, 2010

विश्वतारा दूसरे राज से हटाए गये

राज एक्सप्रेस भोपाल में डेस्क एडीटर के तौर पर पदस्थ विश्वतारा दूसरे को राज से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। हमें भेजे मेल में बताया गया है कि विगत कई महीनों से इनके द्वारा वहां कार्य में रुचि नहीं ली जा रही थी साथ ही अपने स्तर पर अखबारी राजनीति में लिप्त रहे। इसकी भनक राज प्रबंधन को लगी तो इन्हें इनके मूल एडीटोरियल से हटाते हुए विज्ञापन सेक्शन में भेज दिया गया और इन्हें जबलपुर रीजन का प्रभारी बनाते हुए इतना टारगेट तय कर दिया गया कि उतना संभव नहीं था। इन स्थितियों के मद्देनजर यह माना जाने लगा था कि विश्वतारा की छुट्टी राज से तय है। हालांकि वहां से इस घटना के बाद बगैर सूचना के सतना पहुंचे विश्वतारा दूसरे के वापस राज न पहुंचने पर उनको हटा दिया गया है। मेल में बताया गया है कि श्री दूसरे पहले सतना में जागरण के ब्यूरो चीफ रहे हैं तब एक महिला सहकर्मी के संबंधों को लेकर तथा शराबखोरी के चलते काफी विवादित रहे हैं।

Monday, November 29, 2010

नहीं मिली अधिमान्यता

हमें भेजे मेल में बताया गया है कि nd tv ke reporter gyan shukla ko nahi mili adhimanyata. jila stariya adhimanyata ke liye gyan shukla ko us samaya ghatka laga jab graduation ki degree na hone par adhimanyata ka farm nirast kar diya gaya.gyan sabhi ko graduation ke saath be kai degree hone ka dhaus dikhate the.isi baat ko lekar hi pro maravi se vivad hua tha mamla thane gaya tha.wahi nitin gurudev sahara v sanjay lohani ko adhimanata mil gaye hai

स्टार में गुटीय संघर्ष

हमें भेजे मेल में स्टार समाचार में संपादकीय विभाग में चलरही उथल पुथल के बारे में बताया गया है। जो मेल आया है वह यथानुसार नीचे है-
star samachar satna se suru hua ek naya akhbar hai. jisme kai dhurandhar na jane kaise ghus gaye. jinki jindgi patrakarita me gujar jaroor gai par khatam pees kism ke patrakar hain. nam likhen agar to akhbar ke karyakari sampadak jairam shukla, jin par patni ko mar dalne ka mukdma chala aur ve bachav me shrinivash tiwari yani ki vidhansabha adhyaksha ke charanvandan ho gaye. so vo bach gaye. is akhbar me ek aur diggaz hai jinka nam hai niranjan sharma jinhe do dashak pahle kanhaiya sindhi kand ke roop me jo surkhiya mili uska vo fayda ab bhi utha rahe hain. kanhaiya sindhi yani ahuza sweets semariya chauk ke malik ke khilaf niranzan sharma ne ek samachar chhapa jiske chalte overbridge ke bagal me sthit dainik jagran ke beuro karyalay me shatter gira kar niranjan sharma par janleva hamla hua.
jila asptal ke private ward me ilajrat niranjan sharma ko dekhne ane vala har vyakti khud ko sandigdh manta tha ki kahi sindhi samaj se narajgi ka panga na ho jae. ye ghatna 1990 ke pahle ki hai. ab yahi niranjan sharma star samachar ke kuch din pahle city chief hote the. is beech satna se prakashit semariya express namak saptahik akhbar me chap gaya ki niranjan sharma city chief pad se hata diye gaye hain. unke badle shaktidhar dube ko incharge banaya gaya hai. is vajah se har din table me baithkar ya phir kuch netao ke ghar ya dafter me jakar ya phir phoniya kar apna nam dal kar niranjan sharma yah jatate dikhe ki main ab bhi city page me hun. charcha hai ki semariya express ke jis ank me yeh khabar chapi uske bad se lagatar niranjan sharma byline khabar kevel isliye likhne lage ki log unse poochne lage ki aap loopline me chale gaye kya. is beech pt. shaligram sharma ki starsamachar me entry ho gai. kalam ke dhani saligram ki entry sampadak jairam shukla, niranjan sharma ke alava aur bhi kai logo ko apach ho gai. bavjood iske saligram sarma ne apni kalam se akhbar maliko ka dil jeet liya. idhar saktidhar dubey ke parivarik karyakram me avkas me jane par niranjan sharma ko laga ki unhe malik city pages ka jimma denge. iske liye kuch logo se sharma ji phoniyate bhi rahe. par akhbar me karyarat sabhi junior logo ne aisa kam kiya ki na khabar me kami dikhi na apsi vyavhar me. darasal starsamachar me kai gut hai ek gut ashwani sarma ka hai jo vigyapan prabhari hai. dusra anant shevde ka hai jo production incharg hai. teesra gut jairam shukla ka hai. chautha niranjan sharma ka hai

Monday, November 15, 2010

शहर की अंधी मीडिया का चरण चुंबन

शहर की मीडिया विशेष तौर पर प्रिंट मीडिया कितने हलके तरीके से समाचारों को लेती है यह विगत दिवस उसने स्वयं दिखा दिया साथ ही जनप्रतिनिधि भी जनता को ठगने किस तरीके से मीडिया को उपयोग करते हैं यह भी साबित हो गया।
बिगत दिवस जब अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा संसद में आये थे उसके बाद सांसद गणेश सिंह ने सभी अखबारों में विज्ञप्ति भिजवाई की उन्होंने ओबामा से भोपाल मामले में सवाल कहा और ओबामा श्योर श्योर कह कर उनका जवाब दिया।
जबकि हकीकत यह थी जो दूरदर्शन के लोकसभा में लाइव दिखाया गया कि सेन्ट्रल हाल में जब ओबामा पहुंचे तो वहां पहले से ही सभी सांसद अपनी निर्धारित सीटों पर बैठे थे व जब निकले तब भी सभी अपनी सीट पर बैठे रहे। इस दौरान उनके रास्ते में सांसद गणेश सिंह कहीं नजर नहीं आये। हालांकि मीडिया भी यह जानता है कि ओबामा से सांसद गणेश सिंह का मिलना नामुमकिन था। प्रोटोकाल के तहत ओबामा से वहां गिनती के लोग ही उनके साथ रह सकते थे। फिर भी गणेश सिंह ने झूठी वाहवाही के लिये स्वयं विज्ञप्ति भिजवाई और अंधा मीडिया उनके चरण चुंबन में जुट गया।

स्टार समाचार अपनी ही खबर को लेकर बैक फुट पर

"150 करोड़ की जमीन का छल" को अपनी खास खबर बताने वाले स्टार समाचार मंगलवार 16 नवम्बर को बैकफुट पर नजर आने लगा है। हालत यह है कि खबर के असर के नाम पर रिपोर्टर खुद अपना बचाव करता नजर आ रहा है। 11 नहीं तो चार ही सही के सब हेड में रिपोर्टर ने चालाकी से यह लिख दिया है कि 11 एकड़ 66 डिसमिल जमीन वापस पाना संभव नहीं है, साथ ही यहां चालाकी से इस बात से किनारा कर लिया कि क्यों संभव नहीं है। फिर सवाल है कि यदि जमीन महाराजा ने दी थी तो वह निगम की है, या फिर जमीन नहीं दी तो 150 करोड़ का छल वाली खबर गलत है। लेकिन सौदेवाजी होने के बाद रिपोर्टर के आका अब शांत बैठ गये हैं इस लिये साफगोई से स्टार ने ही समाचार छापा कि 11 एकड़ नहीं तो ... । अब स्टार समाचार खुद सवालों के घेरे में हैं कि क्योंकि 11 एकड़ के दस्तावेजों को वो स्वयं अपनी खबर में दिखा चुका है। यदि दस्तावेज सही है तो 11 एकड़ की जमीन निगम को मिलनी चाहिये या फिर वो दस्तावेज गलत रहे ... लेकिन स्टार ने बड़े खुलासे की बात कही है तो फिर 11 एकड़ वापस पाने वो मुहिम क्यों नहीं बना रहा, निगम के अधिकारियों को लपेटे में नहीं ले रहा? अगर निगम 11 एकड़ के लिये कायर्वाही नहीं कर रहा तो स्टार फालोअप दे। उन गायब दस्तावेजों के लिये एफआईआर कराने की मुहिम खोले। यदि स्टार की खबर सही थी तो फिर 11 एकड़ जमीन क्यों वापस निगम को नहीं मिल सकती यह सवाल मीडिया हलके में भी चल निकला है वहीं सौदेबाजी की भी पुष्टि होने लगी है।
दूसरी ओर स्टार समाचार स्वयं इस मामले में एक आरोपी बन गया है। जमीन के मामले में जांच के आदेश में स्टार समाचार ने अंतिम लाइनों में 4 एकड़ की जमीन मामले के ओरिजनल दस्तावेज केवल अपने पास होना स्वीकार किया है। जबकि यह दस्तावेज नगर निगम में होने चाहिये थे। और स्टार स्वयं यह लिख चुका है कि यह दस्तावेज गायब हैं। इससे खुद स्टार आरोपी बन चुका है।

Friday, November 12, 2010

दीपावली की डील अब हुई फाइनल

हमें भेज मेल में बताया गया है शहर के एक डेली अखबार के रिपोर्टर ने दीपावली के दिन पुलिस के साथ-साथ चल कर फड़ों में दबिश का जो खेल देखा और दिखाया है उसकी डीलिंग विगत दिवस पूरी हुई है। 50 हजार से शुरू हुई सौदेबाजी के आखिर में उसे 15 हजार रुपये मिले हैं। वहीं पुलिस तो दीपावली को ही अपना कारनामा कर चुकी थी।

स्टार समाचार के कंधे पर शुरू हुई सौदेबाजी

स्टार समाचार को शुरू हुए अभी महीने भर ही हुए हैं कि इसके कंधे का सहारा लेकर शहर में सौदेबाजी भी शुरू हो गई है। हमें भेजे मेल में बताया गया है कि एक पुराना भू-माफिया जिसके स्मगलिंग के कारोबार से जुड़े होने की चर्चा भी रहती है ने स्टार समाचार में अपनी खबरें छपवाकर सौदेबाजी का खेल शुरू कर दिया है। बताया गया है कि इस मामले में नगर निगम का भी एक कर्मचारी शामिल है। मिली जानकारी के अनुसार विगत दिवस 150 करोड़ ...... के हेड पर जो खबर छापी गई है उसके बाद नगर निगम का संबंधित युवक जगतदेव तालाब स्थित एक दुकानदार तक अपना संदेश पहुंचवाया है कि अब कार्यवाही होने वाली है इसलिये समझौते की तैयारी करें। जबकि नगर निगम में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। बहरहाल प्रेंमनगर से जुड़ी खबरों की यह तार एक बड़ी सौदेबाजी का रूप ले रही है और कंधा बन रहा है स्टार समाचार। अब देखना है क्या स्टार नगर निगम से इस मामले में जांच करवा पाता है, उन फाइलों की खोज के लिये कुछ कदम उठाये जाते हैं या महज सौदेबाजी में ही माध्यम बन कर रह जाता है।

Tuesday, November 2, 2010

नवभारत के जीएम मिश्रा की पिटाई

हमें मेल द्वारा बताया गया है कि अपने कारनामों के लिये बदनाम नवभारत सतना संस्करण के जीएम रावेन्द्र मिश्रा की नवभारत के पूर्व कर्मचारी ने जमकर धुनाई कर दी है। बताया गया है विगत दिवस रावेन्द्र ने कर्मचारी को बकाया वेतन लेने के लिये बुलाया था लेकिन कर्मचारी के पहुंचने पर उससे गाली गलौज करने लगा। इस पर परेशान कर्मचारी ने जीएम की धुनाई कर दी। हालांकि इस मारपीट में कर्मचारी भी पिटा है। लेकिन कर्मचारी को अभी भी पैसा नहीं दिया जा रहा है। इसमें वहीं के कुछ अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल बताये गये हैं।

Wednesday, October 27, 2010

सांसद गणेश सिंह जी हर चीज दुकान नहीं होती, जनहित प्राथमिक होता है


सांसद गणेश सिंह ने खजुराहो समिट के माध्यम से करोड़ों के सपने बुनने शुरू कर दिये हैं और तालाब खुदने से पहले ही अपने मगर छोड़ दिये हैं। सतना के हितैषी बने गणेश सिंह ने अब बयान मीडिया में देना शुरू कर दिया है कि अब बस यहां और सीमेन्ट फैक्ट्री नहीं चाहिये। इसकी मूल वजह है कि फैक्ट्रियों को अपना सबसे बड़ा विरोधी सांसद नजर आयेगा और इसे पांच लाख की जनता का प्रतिनिधि मानते हुए वे बड़ी सौदेबाजी की पहल रखेगी। फिर करोड़ों का सौदा होगा और हमेशा की तरह गणेश सिंह फायदा लेकर शांत हो जायेंगे।
जनहितैषी सांसद गणेश सिंह के मुंह में तब दही जम गया था जब प्रिज्म सीमेंट फैक्ट्री में कई मजदूर घायल हुए थे। तब सांसद ने सुरक्षा जांच की अनदेखी करने पर आवाज क्यों नहीं उठाई। प्रिज्म सीमेंट अपना गंदा पानी अंडरग्राउण्ड तरीके से टमस में छोड़ कर जल दूषित कर रही है यह सांसद को नजर नहीं आता। यहां की सीमेंट फैक्ट्रियों की वजह से आसपास की खेती चौपट हो गई है यह उन्हें नहीं दिखता।
सतना नगर की जनता का पानी सतना सीमेंट फैक्ट्री को जा रहा है वह आपको नहीं दिख रहा और हर गरमी में आप गला फाड़-फाड़ कर चिल्लाते है और झूठा बयान देकर अपना ढोल पीटते हैं कि अब टमस में लोअर पुरवा नहर का पानी गिर जायेगा। सांसद जी बस कीजिये जनता की भावनाओं से खिलवाड़। अभी भी एक्वाडक्ट से पानी नदी में नहीं गिरा है। तब आप चुप्पी क्यों साध गये जब फैक्ट्री की वजह से नहर की दिशा बदली क्योंकि आपके मुंह में भी शायद वही ताला लगाया गया जो फैक्ट्रियां नोटों की गड्डी देकर दूसरों की जुबान बंद कर देती है।

गणेश सिंह जी आप सांसद हैं आपकी जिम्मेदारी पहले यह है कि यहां जो गलत हो रहा है उसे तो देखिये। बाकी जनता खुद आने वालों को देख लेगी। अभी आप अकेले ठेकेदार न बने, जनमत बनाएं। बाकी जनता भी जानती है कि आपने गोटी खेल दी है।
रही सही कुछ अखबार आपकी लाइजनिंग में जुट ही गये है। वे भी अपनी रोटी सेंक लेंगे। जनता की न आप सोच रहे न अखबार।
न्यूज पोस्टमार्टम की खुद की राय है। जरूरी नहीं है कि यह सही ही हो। लेकिन यह जन भावनाओं के आधार पर बनाई गई है।

Sunday, October 24, 2010

भास्कर के दफ्तर में औदीच्य व कमलेश में गाली गलौज

हमें भेजे मेल में बताया गया है कि विगत दिवस दैनिक भास्कर के दफ्तर में सेमरिया एक्सप्रेस के संपादक व संचालक शरद औदीच्य व भास्कर के रिपोर्टर कमलेश चौबे के बीच जमकर गाली गलौज हुई है। मेल में बताई जानकारी के अनुसार शरद औदीच्य किसी काम से भास्कर कार्यालय गये थे। उसी वक्त वहां का रिपोर्टर कमलेश चौबे भी पहुंचा। कमलेश चौबे की औदीच्य से सेमरिया एक्सप्रेस में छपने वाली खबरों से पुरानी खुन्नस चली आ रही है। इसी को लेकर वह अपने कार्यालय में ही औदीच्य से गालीगलौज करने लगा। मामला बिगड़ता इससे पहले ही वहां के जीएम पुष्पराज सिंह सहित कई लोगों ने पहुंच कर दोनों को अलग कराया। मेल में बताया गया है कि बाद में सिविल लाइन पुलिस को बुलाया गया है।

Wednesday, October 20, 2010

स्टार समाचार में फेरबदल शुरू

स्टार समाचार में फेरबदल का दौर शुरू हो गया है। अखबार जगत में चर्चा है कि मालिकान ने अखबार के लिये जो अपेक्षा की थी अखबार में उस स्तर की खबरें नहीं आ रही थी। अखबार नकारात्मकता के लिये चर्चित हो रहा था। इसको देखते हुए अखबार में फेरबदल की जाने की शुरूआत हो गई है। इसकी सबसे पहली गाज सिटी चीफ का कार्यभार देख रहे निरंजन शर्मा पर गिरने की चर्चा है। अब सिटी का प्रभार किसी दूसरे को िदया गया है तथा निरंजन शर्मा सिर्फ स्पेशल रिपोर्टिंग करेंगे। चर्चा है कि सिटी में अखबार बढ़ाने व खबरों को और बेहतर करने का जिम्मा शक्तिधर पाण्डेय को िदया जा सकता है।
संबंधित लिंक के लिये यहां क्लिक करें (clickhear)

Monday, October 18, 2010

बी.टीव्ही के भूप सिंह ने खबर पर की सौदेबाजी

पत्रकारिता के नाम पर सौदेबाजी के लिये बदनाम सतना के स्थानीय चैनल में एक नया खुलासा हुआ है। इसमें हमें भेजे मेल में बताया गया है कि सिविल लाइन के समीप स्थित बीटीवी चैनल के संचालक और सरकारी शिक्षक भूप सिंह ने एक खबर रोकने के नाम पर पतेरी के मेडिकल स्टोर संचालक से 6 हजार रुपये की सौदेबाजी की है. बताया गया है पतेरी चौराहे में स्थित ऋतुराज मेडिकल स्टोर के संचालक राजकुमार पाण्डेय से खफा कुछ पतेरी के ही लड़कों ने बीटीवी के कैमरामैन हीरेन्द्र सिंह से सांठगांठ कर कोरेक्स की खरीदी की वीडियोग्राफी करवाई। इसके बाद हीरेन्द्र ने सौदेबाजी शुरू की 10 हजार से बात शुरू हुई थी तभी इस मामले में संचालक ने राजू गढ़िया नामक पत्रकार से चर्चा की यहां से बात बनती न देख उसने धवारी के पालन चतुर्वेदी से इस मामले को सुलझाने की बात कही। बताया गया है पालन ने बीटीवी के संचालक भूप सिंह से जब बात की आशा के विपरीत भूप सिंह भी सौदेबाजी की बात पर उतर आये। मेल में बताया गया है कि इसके बाद राजकुमार पाण्डेय को बीटीवी के आफिस में बुलाया गया। जहां उससे कहा गया कि कैमरामैन और रिपोर्टरों को पेट्रोल मोबाइल और वेतन देना पड़ता है। उनकी जरूरत के अनुरूप आप देख ले। तमाम चर्चा के बाद सौदा 6 हजार में टूटना बताया जा रहा है। बताया गया है कि भूप सिंह ने अंत में 6 हजार रुपये राजकुमार पाण्डेय से बसूल कर खबर का प्रसारण गायब करवा दिया।

Saturday, October 9, 2010

पत्रकार गिरोह ने स्कूलों से बसूले पैसे

हमें भेजे एक मेल में बताया गया है कि एक पत्रकार गिरोह ने विगत दिवस स्कूलों से जमकर पैसे की वसूली की है। इस बारे में मेल में बताया गया है कि स्कूलों की मान्यता संबंधी मामले पर पूरा खेल खेला गया है। जिन स्कूलों की मान्यता नहीं थी उन पर ही सारा वसूली का खेल हुआ है। इसमें एक प्रादेशिक इलेक्ट्रानिक चैनल का पत्रकार भी शामिल बताया जा रहा है शेष स्थानीय व दलाली के चैनल वाले बताये गये है।

Friday, October 8, 2010

दैनिक भास्कर में श्रम विभाग का छापा

आप को यह जानकर आश्चर्य होगा कि सतना के नम्बर वन दैनिक भास्कर अखबार में मात्र आठ लोग काम करते हैं या कह सकते हैं कि आठ लोग ही इतना बड़ा अखबार सतना से निकालते हैं। जी हां. यह असत्य बयानी हम नहीं खुद दैनिक भास्कर का मैनेजमेंट कर रहा है। यह जानकारी हमें एक मेल से भेजी गई है। इसमें बताया गया है अखबार प्रबंधन यह गलत जानकारी तब दी है जब अपने एक कर्मचारी को नियमविरुद्ध तरीके से निकाल दिया. इस पर उस कर्मचारी ने श्रम विभाग सहित कोर्ट में अखबार प्रबंधन को घसीट लिया और इसी मामले में भास्कर से उसके कर्मचारियों के बारे में जानकारी ली गई। इस पर जब गलत जानकारी दी गई तो श्रम विभाग के अधिकारियों ने अखबार के दफ्तर में छापे की कार्यवाही कर दी। यहां भी प्रबंधन ने उस दिन अपने कर्मचारियों के आने का समय बढ़ा दिया। इस पर छापा मारने गये अधिकारियों ने जब धमकी दी की अगले दिन मैं अब शाम से लेकर सुबह तक बैठकर देखूंगा की कैसे आठ आदमियों में पूरा अखबार छापते हो तब जाकर प्रबंधन को अपना ऊंट पहाड़ के नीचे नजर आया और उसने सही जानकारी देने की बात कही। मेल में बताया गया है कि अब शायद प्रबंधन ने कर्मचारियों की सही संख्या बता दी है।

Wednesday, October 6, 2010

एनडीटीवी का कथित पत्रकार बिजली चोरी में पकड़ाया

हमें भेजे गये एक मेल में बताया गया है कि विगत दिवस सतना में खुद को एनडीटीवी का रिपोर्टर बताने वाला पत्रकार बिजली चोरी करते पकड़ा गया. मेल में बताया गया है कि बाहर की विद्युत विभाग की टीम ने उनके घर में छापा डाला और व्यापक पैमाने पर विद्युत चोरी पकड़ी। इस पर उनकी पत्रकारिता काम न आयी और विद्युत विभाग ने बिजली चोरी का प्रकरण तैयार कर दिया। मेल में बताया गया है कि प्रकरण दर्ज होते ही पत्रकार को जमानत करानी पड़ी है।

Wednesday, September 8, 2010

लीक हुई स्टार की पालिसी, भास्कर ने शुरू की तैयारी

सतना से शुरू होने को तैयार स्टार समाचार की अखबारी तैयारियां अब लीक होने लगी है. नम्बर वन के स्थान पर काबिज दैनिक भास्कर इस मुहिम में सफल रहा है. भास्कर ने जब यह पाया है कि स्टार के ज्यादातर एजेंट उसके ही पुराने लोग हैं तो उसके मालिकान ने अब इन एजेंटों से संपर्क करना शुरू कर दिया है वहीं भास्कर इस बात में सेंध लगाने में सफल हो गया है कि उसे स्टार समाचार की कॉपी मिलने लगी है इसको देखते हुए उसने भी अपनी साज सज्जा पर बदलाव शुरू कर दिये हैं ताकि पाठको को स्टार में कुछ नया न लगे. हमें भेजे मेल में बताया गया है कि भास्कर सतना में इन दिनों एक बार फिर राकेश अग्रवाल सक्रिय हो चुके हैं और अखबारी रणनीति में उनका मुकाबला कठिन है. वहीं लगातार अखबार शुरू होने में होने वाली देरी का भी खामियाजा स्टार समाचार को उठाना पड़ेगा क्योंकि जो जिज्ञासा लोगों के मन में इस अखबार को लेकर थी वह अब धीरे-धीरे कम होने लगी है.

Tuesday, August 24, 2010

प्रेमी युगल की गिरफ्तारी पर एक लाख का सौदा

हमें भेजे गये मेल में मीडिया के ही एक शख्स ने बताया है कि विगत 21 अगस्त को सतना शहर के हवाई अड्डा क्षेत्र में रात्रि 9-10 बजे के करीब एक प्रेमी युगल को पुलिस ने अनैतिक कृत्य करते हुए पकड़ा. मामला संबंधित थाने के टीआई तक पहुंचा. इनसे पूछताछ के बाद उनके परिवार की जानकारी मिलने पर यहां उनके द्वारा नये सिरे से ब्यूह रचना की गई और इन दोनो को थाने में न रखकर अन्यत्र कहीं और रखा गया इसके बाद शुरू हुआ संबंधित के परिवारों से सौदेबाजी का खेल. मेल में बताया गया है कि इन दोनो परिवारों से सौदेबाजी के बाद अंत में लड़के व लड़की को उनके परिवार के हवाले कर दिया गया. इस मामले में टीआई द्वारा एक लाख रुपये लिये जाने की जानकारी दी गई है. जो जानकारी दी गयी है उसके अनुसार लड़का किसी राजेश तिवारी का भाई बताया गया है जो डेयरी व्यवसाय से जुड़ा बताया गया है इसका घर सिंधी कैम्प स्थित तलाब के पास बताया गया है. वहीं लड़की सिंधी कैम्प स्थित पुरस्वानी मोहल्ले के एक रईस परिवार की बताई गई है. ये दोनो हवाई अड्डे पर आल्टो कार में पाये गये थे. हालांकि इसकी जानकारी मीडिया को भी हो गई थी लेकिन इनके द्वारा भी स्टोरी का न देना संदेह को जन्म दे रहा है. मेल में बताया गया है कि एक प्रिंट मीडिया के रिपोर्टर नें मध्यस्थता करके कई मीडिया कर्मियों को इस मामले में उपकृत कराया है.
इसी तरह कोलगवां में ही एक अन्य घटना में विगत पखवाड़े सिंधी कैम्प में ही एक रईसजादे के नाबालिग पुत्र द्वारा नई कार से दो मजदूरों की कुचलने से मौत मामले में भी कोलगवां टीआई द्वारा लंबी सौदेबाजी की बात कही जा रही है. इस मामले में टीआई ने पैसे लेकर लड़के को बचा कर ड्राइवर बदल दिया है. बताया गया है कि इस मामले में जिस सख्स ने मध्यस्थता की है उसने 25 हजार लिये है तथा टीआई को एक लाख रुपये दिये गये हैं.

Saturday, August 21, 2010

प्रमुख सचिव की सरकारी यात्रा का निजी जलवा

हमें मेल में बताया गया है कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव एसआर मोहन्ती ने विगत दिवस जिला अस्तपताल का औचक निरीक्षण किया. इसके पूर्व उन्होंने मैहर अस्पताल में भी जाकर निरीक्षण किया. निरीक्षण करने तक तो सब कुछ ठीक है लेकिन एक हरकत ऐसी है जो सबके बीच चर्चा में है. यहां आकर प्रोटोकाल के तहत उन्हें सरकारी वाहन की उपलब्धता थी. लेकिन उन्होंने यहां के उद्योगपति पवन अहलूवालिया के वाहन का उपयोग करना ज्यादा बेहतर समझा साथ ही उनके ही साथ सरकारी निरीक्षण में गये. इसके अलावा सरकारी दौरे में वे रेस्ट हाउस में न रुक कर उद्योगपति के यहां ही रुके व अपना समान छोड़ा. यहां चर्चा यह है कि आखिर नेता या मंत्री हो तो उनका निजी वाहन या उद्योगपति या धन्नासेठों के साथ आना जाना निरीक्षण करना समझ में आता है लेकिन प्रमुख सचिव स्तर के विभाग के सबसे बड़े प्रशासनिक अधिकारी का ऐसा रवैया कही न कहीं गलत संदेश दे रहा है. वहीं उनके आगे पीछे रमेशचन्द्र श्रीवास्तव नामक दलालनुमा .... भी घूमता रहा . मेल में बताया गया कि अस्पताल में तो उसे इतना जोश चढ़ा हुआ था कि वह वार्ड में निरीक्षण के दौरान खुद गार्ड बन जाता था और एक जगह पर तो उसने नर्सिंग स्टाफ को भी अंदर जाने से मना कर दिया. बहरहाल इनकी पीएस से निकटता सतना के किसी जानकार से नहीं छिपी है क्योंकि इनकी ...... सप्लाई का लाभ तत्कालीन तौर पर मोहंती स्वयं उठा चुके हैं. सतना में कलेक्टर के दौरान मोहंती अपनी रंगीन मिजाजी के लिये काफी चर्चित रहे हैं. वहीं मेल में बताया गया है कि मोहंती का शायद सतना की किसी निजी फैक्ट्री में शेयर है. यही वजह है कि वे उद्योगपति के साथ चलते रहे.

Tuesday, August 10, 2010

पत्रकार का अनैतिक प्रेम प्रसंग

हमें भेजे गये एक मेल में बताया गया है कि इन दिनों शहर के पत्रकार जगत में एक प्रादेशिक न्यूज चैनल के रिपोर्टर का प्रेम प्रसंग चर्चा में बना हुआ है. अभी तक गैर शादीशुदा इस पत्रकार के प्रेम संबंध में जो चर्चा है उसके अनुसार इसके मधुर संबंध किसी पुलिस कर्मी की पत्नी से हैं. एक दूसरे के पड़ोसी होने से अभी यह मामला ज्यादा गरमाया नहीं है लेकिन बताया जा रहा है कि इस हरकत की जानकारी मालिक मकान को भी हो चुकी है. बहरहाल लोग इस संबंध को लंबे विवाद के पहले की खामोशी से देख रहे हैं.

Thursday, August 5, 2010

महिला पत्रकार की सीडी बनी

सतना की एक महिला पत्रकार की अश्लील सीडी बनाई गई है. जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार इंदौर में एक चैनल के वरिष्ठ पत्रकार सतना की एक महिला पत्रकार को स्टिंग आपरेशन के लिए ले गये। बाद में उस लड़की की सीडी बनाकर ब्लैकमेल करने लगे। बताया यह भी गया है कि इसकी सीडी के काफी अंश भोपाल के पत्रकार जगत में एमएमएस के तौर पर काफी प्रसिद्ध हुआ था. ये लड़की आज एक अखबार में है।

दैनिक भास्कर के संपादक का इस्तीफा

गुरुवार को दैनिक भास्कर समाचार पत्र के सतना संस्करण के स्थानीय संपादक राकेश चौधरी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. अपनी नियुक्ति दिनांक से ही अलग थलग रहने की अवधारणा लेकर चल रहे श्री चौधरी के इस्तीफे को लेकर मीडिया जगत में कयासों का दौर जारी हो गया है. कुछ लोग इस इस्तीफे को विगत दिवस हुए एक घटनाक्रम से जोड़ रहे हैं तो कुछ लोग उनकी लेखनी को लेकर सवाल उठा रहे हैं. वहीं कुछ का मानना है कि लगातार अवकाश पर रहने की वजह से प्रबंधन उनसे नाराज रहा है तो कुछ लोग एक कर्मचारी द्वारा खुद को निकाले जाने से प्रबंधन पर मुकदमा दायर करने से भी जोड़ रहे हैं. वहीं मीडिया वर्ग के एक तबके का मानना है कि उनका जबलपुर के संपादक श्री तिवारी से मतभेद भी इस्तीफे की एक वजह हो सकता है.

Friday, July 23, 2010

दलाली का एनजीओ

जिले में चल रहे कई कमाऊखोर एनजीओ में एक नया एनजीओ शामिल हो गया है. इस मामले में जो जानकारी शुरुआती दौर में आई है उसमें इस एनजीओ का संचालन एक पत्रकार व सीए का पुत्र कर रहे हैं तथा उसमें एक चिकित्सक की पत्नी का नाम भी शामिल होना बताया जा रहा है. हालांकि इस एनजीओ की विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है लेकिन अभी जो जानकारी सामने आई है उसमें खुद को एनडीटीव्ही का रिपोर्टर बताने वाले ज्ञान शुक्ला का नाम सामने आया है. बताया जा रहा है इसमें पन्नीलाल चौक क्षेत्र के एक सीए का पुत्र भी इनके साथ है. यह जुगलजोड़ी पत्रकारिता के नाम पर एनजीओ के माध्यम से कमाई की राह पर चल पड़ी है तो इसमें बिरला हास्पिटल में कार्यरत एक चिकित्सक के परिजन का नाम भी शामिल है. जबकि अस्पताल के वर्किंग बाइलाज में किसी अधिकारी या कर्मचारी का संस्था में कार्य के दौरान किसी अन्य संस्था में बगैर अनुमति कार्य करना मना है. इस नियम के आधार पर प्रबंधन उस चिकित्सक पर भी कार्यवाही कर सकता है.

Tuesday, June 29, 2010

अबूझमाड़ पीआरओ

जनसंपर्क विभाग का यह दुर्भाग्य है कि इन दिनों जो पीआरओ यहां मौजूद है वह किसी भी तरीके से अपने पद के योग्य नहीं है. न तो इन्हे लिखना आता है न ही सलीके से जानकारी देना. अखबार जगत में इन दिनों चर्चा है कि इनके द्वारा विभिन्न जानकारियों, बैठकों, भ्रमण आदि की जो खबरें भेजी जाती है वह किसी काम की नहीं रहती हैं या फिर सिर्फ एजेण्डे को ही उतार कर भेज देते हैं. ऐसे ही विगत दिवस स्वास्थ्य मंत्री के आगमन पर जो जानकारी इनके द्वारा भेजी गई वह पूरी तरह से कलेक्टर के प्रेस नोट की नकल रही. इन्होने जो स्वास्थ्य मंत्री का भ्रमण भेजा है वह पूरी तरह से गलत है और कलेक्टर के भ्रमण की कापी है. कुलमिलाकर शायद इन्हें या तो मुद्दे व विषय की समझ नहीं है या फिर इन्हें लिखना नहीं आता.

Wednesday, June 16, 2010

कृषि उपसंचालक अमिताभ तिवारी, डीईओ सिंह सहित कई का तबादला

कृषि विभाग के उपसंचालक अमिताभ तिवारी सतना से सागर तथा आईपी पटेल सागर से सतना, डिप्टी कलेक्टर गजेन्द्र सिंह नागेश सतना से सिवनी, सहकारिता विभाग में संजय नायक मुख्यालय भोपाल से सतना, जिला शिक्षा अधिकारी टीपीसिंह सतना से प्राचार्य कटनी, बीपीमिश्रा डीईओ रीवा से सतना, पंजीयन एवं मुद्रांक की उपपंजीयक सरला तिवारी सतना से रामपुर बाघेलान, लेखा सेवा के चंद्रप्रकाश तिवारी सिंगरौली से सतना, तहसीलदार रमाकांत श्रीवास्तव राजगढ़ से सतना, सत्यनारायण मिश्रा सतना से शहडोल के लिये तबादला किया गया है.

सीएमएचओ के वसूली के खेल में पुत्र भी शामिल

स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा पद का दुरुपयोग कर वसूली का खेल जमकर जारी है. हमें भेजे गये मेल में बताया गया है कि इस खेल में उन्होंने अपने पुत्र को भी शामिल कर लिया है. हालांकि अपने पद के दम पर ही उन्होंने पुत्र को प्रिज्म में नौकरी दिलाई थी अब वहीं से उनका पुत्र अपने सीएमएचओ पिता के लिये कमाई के जरिये लेकर आ रहा है.
मेल में बताया गया है कि प्रिज्म सीमेन्ट में कर्मचारियों को मेडिकल की पात्रता है और इसकी मेडिकल की स्वीकृति सीएमएचओ द्वारा मान्य की जाती है. अब सीएमएचओ डॉ.आर.एस. दण्डोतिया के पुत्र वहां से मामले लेकर आते हैं और पिता द्वारा इन केसों का मेडिकल बनाया जाता है. इस प्रक्रिया में 3 से 5 हजार रुपये की वसूली की जाती है. कुल मिलाकर पद की कमाई में पिता ने अपने पुत्र को भी शामिल कर लिया है.

Monday, June 14, 2010

जिपं अध्यक्ष ने उतारी दो कर्मचारियों की लू

जिला पंचायत के कर्मचारियों की आजाद व लापरवाह कार्यशैली ने आज जिला पंचायत अध्यक्ष गगनेन्द्र सिंह को अपनी पद गरिमा छोड़ने को मजबूर कर दिया. कर्मचारियों द्वारा आराजकता की स्थिति से आजिज आकर जिला पंचायत अध्यक्ष ने अपनी समझाने वाली नीति को छोड़ते हुए लगभग 12 बजे जिपं कार्यालय पहुंच कर दो कर्मचारियों की न केवल जमकर मां-बहन याद की बल्कि 22 कर्मचारियों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिये. मेल में बताया गया है कि भोला प्रसाद नापित नामक कर्मचारी के पास पहुंच कर जिला पंचायत अध्यक्ष ने उसे जमकर फटकार लगाई. बताया गया है कि उसे अध्यक्ष द्वारा जो कार्य कहा गया था उसको अनसुना किया गया था. इस पर अध्यक्ष ने श्री नापित पर बरसने वाले अंदाज में कहा कि इतना बड़ा रहीस हो गया है कि मुझसे बात नहीं कर सकता है. ये जो पेट बढ़ गया है सब छंट जायेगा. इसके बाद लिपिक संतोष कुमार पयासी को बुलाकर कहा कि तुमने अभी चार्ज नहीं दिया. मसीहा बनते हो... राजनीति करते हो... मैने कहा था जो भी परेशानी हो मुझसे कहना... विधायक से फोन करवाते हो....
इसके बाद एसीओ को बुलाकर जिन्होने चार्ज नहीं दिया सभी को नोटिस जारी करने के निर्देश दिये. मेल में कहा गया है कि अब नोटिस जारी करने की प्रक्रिया जारी है. उधर इस घटना क्रम से कर्मचारियों में सनाका खिंचा हुआ है और अध्यक्ष के बदले अंदाज की चर्चा जोरो पर है.

Monday, May 31, 2010

कलेक्टर ने खरीदी पुरातात्विक प्रतिमा!

हमें भेजे गये मेल में जो जानकारी सामने आई है वह इस बार चौंकाने वाली है. इसमें बताया गया है कि सतना जिले के कलेक्टर द्वारा छतरपुर के किसी गांव से एक पुरातात्विक महत्व की गणेश प्रतिमा मंगाई गई है. इस प्रतिमा को लाने में राजस्व विभाग के किसी छोटे कर्मचारी का अहम रोल रहा है तो पूरा मामला मैनेज कराने में एसडीएम गजेन्द्र सिंह नागेश का नाम बताया गया है. मेल में बताया गया है कि इस गणेश प्रतिमा को सतना लाने के बाद उसे फिर स्थानीय स्तर पर किसी सुनार के यहां से सफाई आदि कराई गई है. यह प्रतिमा अब कलेक्टर के पास पहुंच चुकी है. मेल में कहा गया है कि यह पुरातात्विक महत्व की प्रतिमा है. इसे सामान्य तौर पर घरों में नहीं रखा जा सकता है बल्कि यह शासकीय मूर्ति संग्रहालयों में रखी जाने योग्य है. बहरहाल इस खबर की विस्तृत पुष्टि के लिये न्यूजपोस्टमार्टम टीम जुटी हुई है.

Friday, May 21, 2010

लोनिवि मंत्री के पुत्र के वाहन से मरी बाघिन!

बांधवगढ़ नेशनल पार्क में एक हादसे में बाघिन की मौत का जो सच स्थानीय लोगों व पार्क के कर्मचारियों की चर्चा में सामने आ रहा है उससे साफ जाहिर है कि बाघिन की मौत प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री नागेन्द्र सिंह के पुत्र की लापरवाही से चलाई जा रही जिप्सी से टकराकर हुई है. चर्चा तो यह भी है कि वे वहां स्वयं अपने पारिवारिक रिश्तेदारों को जिप्सी में बैठा कर ले गये थे जो बनारस से आये थे. मेल से हमें बताया गया है कि उनके रिश्तेदार घटना वाले दिन के दो दिन पहले आ चुके थे और जंगल में गये थे लेकिन शेर नहीं मिलने पर मंत्री पुत्र ने लोकेशन बाबत पार्क के अधिकारियों पर भी दबाब डाला था. ये सभी लोग मंत्री पुत्र के गेस्ट हाउस में ही रुके थे. और हादसे वाले दिन में मंत्री पुत्र ही जिप्सी चला रहे थे. जिनसे बाघ के अत्यंत निकट जाने पर बाघ के व्यवहार में हुए अचानक आये बदलाव से हड़बड़ाहट में यह हादसा हुआ.
हादसे के तुरंत बाद ही जैसे ही पार्क प्रबंधन को मामले की जानकारी मिली वैसे ही राजनीतिक व सत्ता पक्ष का दबाव भी काम करने लगा. दबाब की स्थिति तो यहां तक रही कि पार्क प्रबंधन शुरुआती तीन घंटे तक ऐसी किसी घटना से ही इंकार करता रहा कि किसी बाघिन की मौत हुई है. उधर पार्क के अंदर इस दौरान प्रबंधन मामले को संभालने भी लगा रहा. तीन घंटे बाद उसने घटना को स्वीकार तो किया लेकिन उसे दूसरा रूप देने में लगा रहा.
उधर जब चिकित्सक ने इसकी पुष्टि की कि मौत एक्सीडेंट का नतीजा है तो जिप्सियां जब्त करने की कार्यवाही की गई लेकिन यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि इसमें से तीन जिप्सियों को जबरन जब्त किया गया है जबकि वे वहां थी ही नहीं. साथ ही जिप्सियों को साफ सफाई करने का भी पूरा मौका दिया गया.
मेल में बताया गया है कि पार्क प्रबंधन सहित स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अमला जबरदस्त राजनीतिक व सत्ता के दबाव में है और इस कार्यवाही से किसी नतीजे की उम्मीद करना बेमानी है. दबाब का आलम तो यह है कि यहां भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है.
ऐसे हुई घटना
घटना के संबंध में जो पार्क के कर्मचारियों के बीच चर्चा है उसके अनुसार भ्रमण के दौरान दूर से दिखी बाघिन को पास से देखने के चक्कर में गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी. आवाज से घबराई बाघिन पलटी तो सीधे जिप्सी के बंपर से टकरा गई. रास्ते में ढाल होने से रफ्तार पर काबू नहीं किया जा सका और गाड़ी पेड़ से टकरा गई. मामले को रफा-दफा करने के लिए बाघिन को पानी के पास पटक दिया गया।
उचेहरा में भी मरा था शेर
कुछ वर्ष पूर्व उचेहरा क्षेत्र में भी एक शेर का शिकार किया गया था. उसको लेकर भी मंत्री के परिवार की ओर शक की सुई घूम रही थी. लेकिन चर्चा यह है कि बाद में काफी गुणा गणित के बाद किसी दूसरे आदमी को आरोपी बना कर प्रस्तुत कर दिया गया.

Tuesday, May 18, 2010

कलेक्टर का डीओ लेटर और सीईओ का तुगलकी फरमान

हमें मेल द्वारा भेजी गई जानकारी में भ्रष्टाचार को बढावा दे रहे सीईओ जिला पंचायत का एक और कारनामा बताया गया है. इसमें अपनी करतूतों का काला चिट्ठा न खुले इसके लिये कलेक्टर के पत्र के बाद अपने मातहतों को सूचना के अधिकार पर छन्ना लगाने के निर्देश जारी किये हैं.
मेल में बताया गया है कि जिले में रोजगार गारंटी योजना की उड़ती धज्जियों और लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जब एक अखबार में सैकड़ा भर पंचायतों में काम बंद होने की बात सामने आयी तो अंततः कलेक्टर सुखबीर सिंह ने जिला पंचायत के सीईओ आशीष कुमार गुप्ता को डीओ लेटर जारी किया. इसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि 159 पंचायतों में काम बंद है. जबकि रोजगार गारंटी योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना है. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है तथा बेहद दुःखद है. आप इन पंचायतों में काम प्रारंभ कराना सुनिश्चित करके मुझे अवगत कराएं.
उधर टीएल बैठक के पूर्व भी इसी घटना क्रम से संबंधित मामले कल कलेक्टर ने सीईओ जिला पंचायत की लंबी क्लास ली.
इन घटनाक्रमों के बाद अपनी नाकामी और फर्जीवाड़े के खुलती पोल को छुपाने जिला पंचायत सीईओ ने आननफानन में अपने मातहत अधिकारियों को भी पत्र जारी कर सूचना के अधिकार पर भी फिल्टर लगाने का काम किया है. मेल में बताया गया है कि सीईओ जिला पंचायत ने पत्र क्रमांक 669 में जिला पंचायत के विभिन्न योजनाओं के शाखा प्रभारियों व सहायको को निर्देशित किया है कि सूचना के अधिकार के तहत जो भी जानकारी दें उसके पूर्व उन्हें उस जानकारी का अवलोकन कराया जाय तथा उनका अनुमोदन लिया जाये तब जाकर सूचना दी जाय. यहां सवाल यह उठ रहा है कि सीईओ आखिर किस सूचना के लीक होने से इतना घबरा गये हैं कि उन्हें यह कदम उठाना पड़ा. बहरहाल इस काजल की कोठरी में उन्होंने व उनके सिपहसलारों ने इतनी कालिख भर रखी है कि उससे सफेदी की उम्मीद किसी फिल्टर से बेमानी ही है.
मेल में तो यह भी बताया गया है कि अब सीईओ अपने काले कारनामों की लगातार खुल रही पोल से आजिज आकर तथा प्रभारी मंत्री को हर तरीके से संतुष्ट कराने के बाद अब रीवा जाने का मन बना चुके हैं तथा इसके जुगाड़ में भी लगे हैं.

Friday, May 14, 2010

बाबाराजा पर पुलिस की जांच और सफाई देते नेता

परसमनिया के बाहुबली और लोक निर्माण विभाग के मंत्री नागेन्द्र सिंह के भतीजे(यह रिश्ता लिखना पड़ रहा है) पर एक आदिवासी महिला ने बलात्कार का आरोप क्या लगाया उसके बचाव में नेताओं ने सफाई अभियान की बाढ़ लगा दी क्योंकि उन्हें नहीं मालूम कि किसी अपनी बहू बेटी की इज्जत लुटने का क्या दुःख होता है. यदि यहीं घटना उनके साथ होती तब क्या बयान यही होते. भारत की न्याय प्रणाली भी यह मानती है कि यदि कोई महिला यह कह दे कि उसकी इज्जत लूटी गयी है तो प्राथमिकता उसके बयान को ही दी जायेगी क्योंकि भारत में महिलाओं की इज्जत उनकी सबसे अमूल्य निधि होती है. दूसरा पक्ष बाबाराजा पर आरोप लगने के बाद पुलिस की जांच का है. पुलिस कह रही है कि सबके बयान ले लिये गये हैं पड़ोसी का बाकी है. पुलिस की जांच के तरीके से कितनी हास्यास्पद स्थिति बन रही है इससे तो ऐसा लगता है कि बाबाराजा ने यदि बलात्कार किया भी होगा तो पड़ोसी को बता कर या फिर उनके सामने. जो अब पुलिस इस लोगों से बयान लेकर सत्यता जानना चाह रही है. सवाल यह है कि पुलिस केस दर्ज करके आरोपी को न्यायालय में पेश करे. निर्णय जो भी होगा वह न्यायालय देगा. यदि महिला ने गलत बयानी की होगी तो उसे भी दण्ड मिलेगा. लेकिन यहां तो पुलिस की जांच ऐसी चल रही है कि मानों वह यह सिद्ध करना चाह रही है कि बाबाराज बेकसूर है. हम नहीं कहते हैं कि बाबाराजा ने बलात्कार किया लेकिन जिसके साथ यह घटना हुई यदि वह कह रही है तो पुलिस यह क्यों मानना नहीं चाह रही. यदि ऐसे ही आरोप पुलिस के किसी परिवार के सदस्य द्वारा होते तो भी यही रवैया होता.
दूसरा यह भी एक पक्ष है कि राजनीतिक बैर भुनाने के लिये कुछ लोगों की साजिश हो इस पर भी यदि मामला न्यायालय में आ जायेगा तो वह भी दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. एक बात और बाबाराज बार बार बयान दे रहे हैं कि उनका डीएनए टेस्ट कराया जाय लेकिन जब वह पेश होंगे तब न टेस्ट संभव है. यदि वे पाकसाफ हैं तो आकर पुलिस के सामने पेश हों और अपनी जांच के लिये प्रस्तुत हो.
इस मामले में यह इतना ही सत्य है कि नागेन्द्र सिंह का कोई दोष नहीं है. दैनिक भास्कर में सोमदत्त शास्त्री का लेख काफी कुछ बयां करता है कि उनका दोष इतना ही है कि बाबाराज उनके भतीजे हैं. लेकिन उनका तो इतना दायित्व बनता है कि परिवार के वरिष्ठ सदस्य होने के नाते लगाम लगाना जाने.
यह है मामला
आदिवासी युवती ने पुलिस को बताया कि बाबा राजा कल रात अपने साथी बबलू सेन के साथ उसके घर आया और उसे अकेला पाकर बलात्कार किया। युवती ने आरोप लगाया कि बलात्कार के बाद बाबा राजा ने किसी को भी बताने पर पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने पहले तो किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन मीडिया में मामला उछलने के बाद अब मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि जब तक मेडिकल रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। दूसरी ओर अस्पताल में भी डॉक्टर पूरी एहतियात के साथ मेडिकल जांच की तैयारी कर रहे हैं। युवती और उसका पूरा परिवार फिलहाल डरा-सहमा है।

Friday, April 30, 2010

सांसद के भाई की गुण्डागर्दी

इस दिनों सांसद गणेश सिंह के भाई उमेश सिंह लाला की गुण्डागर्दी चरम पर है. पूर्व में भी अपने सांसद भाई के नाम पर हीलहुज्जत के लिये बदनाम उमेश सिंह लाला जनपद सदस्य रामपुर बाघेलान बनने के बाद और ही बेकाबू हो गये हैं. इसका परिणाम है कि वे अपने को अब भाजपा का भगवान तक कहने लगे हैं. इसी का नतीजा है कि अभी हाल ही में उनका विवाद अपनी ही पार्टी के अरविंद सिंह पप्पू से हो गया है. विवाद बहस तक न होकर गालीगलौज तक पहुंच चुका है. लेकिन मजे की बात तो यह रही कि अरविंद सिंह ने यह बाते रिकार्ड कर ली हैं जिसमें लाला न केवल सांसद से भाई होने की धौस दे रहा है वरन सांसद के प्रदेश स्तर के पद को लेकर भी चेता रहा है. हालांकि इस मामले में छत्रपाल सिंह छत्तू ने अरविंद की ओर से लाला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. चर्चा है कि यह मामला प्रदेश स्तर तक जा रहा है. लाला की इन दिनों बढ़ रही गुण्डागर्दी के चलते सांसद की इमेज का ग्राफ बड़ी तेजी से नीचे गिर रहा है. उनके साथ भी वही स्थितियां बन रही हैं जो कभी विधायक शंकरलाल जी की उनके पुत्र राजा के कारण बनी थी.
पेश है लाला की गुण्डागर्दी का नमूना





Tuesday, April 20, 2010

रीवा कलेक्टर का तबादला सतना को अभयदान

कलेक्टर सतना को उनके एक साल में किये गये कामों और शासन व सत्ता के बीच बेहतर समन्वय का ईनाम आखिर जारी तबादला सूची में मिल गया है. इसमें तमाम कयासों के बीच आखिर सतना कलेक्टर का नाम नहीं है और यही अपनी सेवाएं देंगे.

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Monday, April 19, 2010

अधिकारी का महिला कर्मी के साथ दौरा

इन दिनों सतना शहर से प्रकाशित एक अखबार के आला अधिकारी का अपने ही अखबार में काम कर रही महिला कर्मचारी का काम ज्यादा पसंद आ गया है. अब तो हालात यहां तक हो गये हैं कि साहब जब कभी बाहर जाते हैं तो उसकी कार्यक्षमता को देखते हुए अपने साथ ले जाना नहीं भूलते. बहरहाल हमेशा मर्यादित रहने वाले इस अखबार में अधिकारी कर्मचारी का यह स्नेह जहां चर्चा का विषय बना है वहीं उस अखबार के कर्मचारी इस कथा को कुछ और ही बता रहे हैं.

Wednesday, April 14, 2010

पूर्व एसपी पाराशर भारी पड़ रहे यादव पर

सतना शहर वासियों को इन दिनों पुलिस महकमें की हलचल कुछ ज्यादा देखने को मिल रही है तथा हमेशा आंख बंद कर के अपराध क्षेत्र से गुजर जाने वाले पुलिस कर्मचारी ताबड़तोड़ छापेमारी में जुट गये है. यही वजह है कि दो दिन पहले शहर के ज्यादातर शराबखानों में छापे डाले गये तो जुआरियों व सटोरियों पर भी निगाहें टेढ़ी कर ली गई है. लेकिन यह रवैया पुलिस का बदला कैसा इसकी भी कहानी कुछ कम नहीं है. दरअसल यह सब हुआ है महकमे के माइक टू अर्थात एडीशनल एसपी द्वारा विगत दिवस बाज टीम की ली गई क्लास के बाद. बताया जा रहा है कि एसपी को किसी परिचित ने जब यह कहा कि आपके समय से ज्यादा ठीक तो पूर्व एसपी पाराशर जी के समय था. तब इतनी सुस्ती नहीं थी. फिर क्या था अपने ही सामने किसी दूसरे एसपी की बड़ाई और अपनी बुराई महाशय को रास नहीं आई और आनन फानन में अपने अधीनस्थ अधिकारी को व्यवस्था सुधारने कह दिया. फिर क्या था आदेश की तामीली में एडीशनल एसपी ने बाज टीम की मीटिंग रखी और उन्हें सख्त निर्देश जारी कर डाले. उधर कार्यवाही हुई और उसका असर अवैध कारोबारियों पर तो दिखा साथ ही संबंधित थानों के टीआई पर भी स्पष्ट दिखा और वे इस जुगाड़ में जुट गये हैं कि यह मुहिम कैसे रुके.

टेंडर घोटाला

हालांकि हम यह वेबसाइट सतना जिले पर केन्द्रित किये हुए थे लेकिन इसकी लोकप्रियता निरंतर बढ़ती जा रही है और हमें विभिन्न जगहों से खबरे मिलने लगी हैं. इस कड़ी में हमें भिलाई नगर निगम में घोटाले की एक खबर मेल द्वारा भेजी गई है इसमें नगर निगम में किये गए निविदा घोटाले का पर्दाफाश किया गया है.
इसमें बताया गया है कि नगर निगम भिलाई में खेल उपकरणों के क्रय के लिये टेंडर प्रक्रिया आयोजित की गयी थी जहां इस प्रक्रिया से जुड़े जीएस ताम्रकार द्वारा लंबा लेन देन किया जाकर छत्तीसगढ़ भंडार के अधिनियम को ताक में रखकर टेंडर खोला गया. यहां सिर्फ दो टेंडर फार्म ही बुलाए जाकर निविदा स्वीकृत कर दी गयी और इसकी सूचना पहले ही निगम आयु्क्त को दी जा चुकी थी तथा श्री ताम्रकार को इस प्रक्रिया से अलग रखने को कहा गया था लेकिन निगमायुक्त द्वारा इसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया. बताया गया है कि टेंडर फार्म भी भी सिर्फ दो संस्थाओं को दिये गये वह भी आखिरी दिन ही जारी किये गये. जबकि इसके पूर्व जो लोग टेंडर फार्म लेने गये उन्हें यह कह कर बरगला दिया गया कि अभी टेंडर फार्म तैयार नहीं हुए है. इससे इस मामले में लम्बा लेनदेन किया जाकर निविदा प्रक्रिया आयोजित की गयी है.

Tuesday, March 30, 2010

सत्ता पक्ष के विधायक ने कराई सरकार की फजीहत

हमें मिले एक गुमनाम कमेंट में जो जानकारी दी गई है वह यह उजागर कर रही है कि एक विधायक अपने मतलब के लिये किस हद तक जा सकता है भले ही उसकी हरकत से सरकार की ही फजीहत हो जाये. हमें बताया गया है कि विगत दिवस विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस पार्टी बिजली के मुद्दे पर सरकार को घेर रही थी. चर्चा चल ही रही थी कि तभी सतना जिले के रैगांव विधानसभी क्षेत्र के विधायक जुगुलकिशोर बागरी अचानक उठ खड़े हुए और काग्रेस की बात का समर्थन करते हुए कहने लगे कि सही बोल रहे हैं ये लोग. अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है. भारी भ्रष्टाचार मचा हुआ है. ट्रांसफार्मर के नाम पर घूंस चल रही है कहीं कोई सुनवाई नहीं है.... आदि... आदि...
फिर क्या था कांग्रेस को तो मानो मुंह मांगी मुराद मिल गई और सदन में ही शेम..शेम... के नारे लगने लगे और सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई.
खैर उसी दिन शाम को मुख्यमंत्री ने जुगुलकिशोर को बुलाकर फटकारने लगे इस दौरान वहां कई विधायक मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कोई तरीका नहीं है. यह नहीं कहता कि आपकी बात गलत थी लेकिन बात का एक मंच होता है. यह सुनकर जुगुल किशोर बागरी अपनी आदत अनुसार कह पड़े - क्या करें हमारी प्याज सूखी जा रही है.
बहरहाल यह सब कुछ होने के बाद मुख्यमंत्री ने जुगुलकिशोर बागरी की लंबी क्लास ली साथ ही वहीं मौजूद उर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को भी तल्ख लहजे में कहा कि देखिये बिधायक जी की क्या समस्या है.
बहरहाल जुगुलकिशोर की सदन में चर्चा जरूर मुद्दे पर थी लेकिन यदि उनकी प्याज न सूख रही होती तो क्या वे आम जनता के लिये इस तरह आवाज उठा सकते यह अपने आप में बड़ा सवाल है...

Sunday, March 21, 2010

एकाउंट अफसर और पांच लाख के फर्जी बिल

न्यूजपोस्टमार्टम को मिले मेल में बताया गया है कि डीआरडीए सतना में एकाउंट आफीसर के पद पर पदस्थ मुकेश राय ने विभाग को लाखों रुपयों की चपत लगाई है. बताया गया है कि राय ने उच्चाधिकारियों को गलत जानकारी देकर पेंमेंट की नोटशीट और फाइल में हस्ताक्षर कराकर सुनियोजित साजिश के तहत लाखों का गोलमाल कराने की भूमिका अदा की है. इतना ही नहीं फर्जी एपीओ, पीओ व पीओ(टी) अजय सिंह को विधि विरुद्ध
भ्रष्ट आचरण अपनाते हुए अजय सिंह को पांच लाख के फर्जी मेडिकल बिल पास जबरदस्त फायदा पहुंचाया है इसमे बकायदे इनका भी शेयर रहा. बताया जा रहा है कि यह मामला कोर्ट जा रहा है जिसमें मुकेश राय भी पार्टी बन सकते हैं.
इस मामले कि विस्तृत जानकारी मेल में भेज सकते हैं.

Friday, March 19, 2010

महावीर ज्वेलर्स मामले में प्रिंट मीडिया भी सौदेबाजी में उतरा

महावीर ज्वेलर्स में आभूषणों के लेने देन को लेकर हुए विवाद के बाद गंभीर हुई महिला के मामले में खबरों की सौदेबाजी में प्रिंट मीडिया के भी शामिल होने की चर्चा बाजार में होने लगी है. इसमें जो नाम सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक दैनिक भास्कर के एक सबसे पुराने संपादकीय विभाग के व्यक्ति द्वारा संबंधित ज्वेलर्स से चर्चा करने के उपरांत क्राइम देख रहे रिपोर्टर को वहां भेजा था. बताया गया है कि यह पुराना संपादकीय का कर्मचारी एक निजी कालेज में भी सेवाएं देता है तो एक सपा पदाधिकारी पर भी कुछ ज्यादा ही मेहरबान है. बहरहाल यह मामला व्यापारी जगत में चर्चा में काफी आने के बाद मामला मालिकान तक पहुंचा है. इस पर मालिकान ने क्राइम रिपोर्टर पर तो सख्ती की है लेकिन अभी वरिष्ठ कर्मचारी के बारे में जानकारी ली जा रही है. उधर एक अन्य प्रिंट मीडिया में भी फालोअप न देने के नाम पर उगाही की गई है.

Thursday, March 18, 2010

फिर की इलेक्ट्रानिक मीडिया ने सौदेबाजी

विगत दिवस महावीर ज्वेलर्स में हुए आभूषणों को लेकर हुए विवाद में गंभीर हुई महिला और ज्वेलर्स पर संगीन आरोप के बाद एक बार फिर सतना का इलेक्ट्रानिक मीडिया खबरों की सौदेबाजी में जुट गया है. न्यूजपोस्टमार्टम को भेजे मेल में बताया गया है कि इस खबर को रोकने के लिये किसी न्यूज चैनल के फारुख, एसएमएस सेवा के राज, ईटीव्ही के संजय तथा ज्ञान शुक्ला का नाम चर्चा में है. चर्चा है कि इनके द्वारा खबर रोकने के लिये सामूहिक रूप से दस हजार रुपये लिये गये है लेकिन शुरुआती दौर में इनकी डिमांड चालीस हजार रुपये थी. आमतौर पर छोटी छोटी बातों में खबर देने वाले इन रिपोर्टरों ने लेनदेन होने के बारे इस खबर से परहेज किया. हालांकि दूसरे दिन ईटीव्ही के दूसरे रिपोर्टर ने बाद इस खबर को बनाया है. वहीं इस सौदेबाजी में सहारा के नितिन गुरुदेव अलग रहे लेकिन उनकी खबर प्रसारित नहीं हो पायी.

Thursday, March 11, 2010

पत्रकार का गैस सिलेण्डर की सौदेबाजी का खेल बिगड़ा

विगत दिवस रेलवे स्टेशन के स्टैण्ड में नवभारत के एक पत्रकार का गैस सिलेण्डर की कालाबाजारी की सौदेबाजी का खेल उसके ही साथियों की नासमझी ने बिगाड़ दिया. इसकी चर्चा जो आज रही उसके अनुसार विगत दिवस रात को रेलगाड़ी की पैन्ट्रीकार में रखने के लिये घरेलू गैस सिलेण्डर काफी संख्या में रेलवे स्टेशन के स्टैण्ड में रखे थे. तभी इन पर नवभारत के एक पत्रकार की नजर पड़ गई. वह यह सब देख कर सिलेण्डर के साथ आये व्यक्ति पर दबाब बनाने लगा क्योंकि पैन्ट्रीकार में व्यावसायिक सिलेण्डर प्रयुक्त होते है. लेकिन व्यक्ति भी दबने को तैयार नहीं था. इसी दौरान उसके साथी भी वहां आ पहुंचे तभी किसी बात को लेकर न जाने उनमें क्या हुआ और मामला झगड़े में बदल गया. किसी तरह उन्हें शांत करा कर आखिर नवभारत का वह पत्रकार भी वहां से रवाना हो गया. लेकिन अहम बात यह रही है कि सिलेण्डरों के कालाबाजारी की यह घटना अखबार में भी नहीं दिखी जिसे लेकर चर्चा जमकर रही. कहना तो यह भी रहा कि वहां समझौते का खेल चलता है.

अजय सिंह की वापसी को लेकर मीडियाकर्मी भिड़े

जिला पंचायत के बहुचर्चित कर्मचारी अजय सिंह की मूल विभाग में वापसी का असर मीडिया जगत में भी काफी देखने को मिला. जहां उनका चहेता मीडिया का एक वर्ग काफी मायूस रहा तो दूसरा वर्ग उत्साहित नजर आया. इसी का परिणाम यह रहा कि कल दो मीडिया कर्मी आपस में भिड़ गये. हमे भेजे गये मेल में बताया गया है कि प्रकाश मेडिकल स्टोर में बैठे कुछ मीडियाकर्मियों के बीच अजय सिंह की मूल विभाग में वापसी पर चर्चा चल रही थी तभी किसी मीडियाकर्मी ने यह पूछ लिया कि यह अजय सिंह है कौन. तभी वहां मौजूद एनडीटीव्ही के ज्ञान शुक्ला ने यह कहा कि मैं उसे नहीं जानता और ईटीव्ही के शिवेन्द्र सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा कि यही बता सकते हैं कि वह कौन है. तभी शिवेन्द्र सिंह ने कहा कि डिजिटल स्टूडियो वाले का बिल लेकर अजय सिंह से पास कराते थे तब तो बहुत अच्छे से जानते थे अब बोल रहे हो कि नहीं जानता. यह सुनते ही ज्ञान शुक्ला उखड़ गये और शिवेन्द्र सिंह से गाली गलौज करने लगे. आखिर शिवेन्द्र सिंह ने भी पलट कर जवाब देते हुए लताड़ लगाई और अपशब्दों का प्रयोग शुरू कर दिया. इतना होते ही ज्ञान शुक्ला नरम पड़ने लगे और वहां मौजूद लोगों ने भी बीच बचाव कर मामला शांत कर दिया.
बहरहाल जो जानकारी आ रही है उससे पता चला है कि इस मामले की जानकारी नवनिर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष गगनेन्द्र सिंह को भी लगी है और उन्होंने शिवेन्द्र सिंह से सद्भावना जताई है.

Tuesday, March 9, 2010

चर्चित अजय सिंह जिला पंचायत से पैतृक विभाग में वापस

अपने कारनामों से हमेशा चर्चा में रहे तथा सीईओ के खास सिपहसालारों में से एक अजय सिंह की विधानसभा द्वारा मूल विभाग में वापसी कर दी गई है. साथ ही इससे संबंधितों पर भी जांच शुरू होगी.
पेश है इस मामले में विधानसभा पर हुई चर्चा
शंकरलाल तिवारीः माननीय अध्यक्ष महोदय एक डेलीवेजेज में काम चलाने के लिये भर्ती किया गया कापरेटिव बैंक रीवा में उपयंत्री और उसने 5 वर्ष तक लगातार जिला पंचायत में कार्यपालन यंत्री हो गया, परियोजना अधिकारी हो गया और करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया. उस पर मेरा प्रश्न था उसके उत्तर में संशोधन में कहा गया है कि हम उसे उसके पैतृक विभाग को वापस भेज रहे हैं. मेरी विनती है कि करोड़ों रुपयों का उसके कार्यकाल में काम हुआ है जिसमें भ्रष्टाचार हुआ और 5 वर्ष तक उसे निरंतर पदोन्नति मिलती रही. एक सामान्य उपयंत्री को बिना किसी नियम के बिना किसी सर्विस बुक के ऐसे व्यक्ति को फर्जी पदोन्नति देने वालों पर कोई दोषी अधिकारी जो थे उन पर कार्यवाही होगी और इसे सिर्फ पैतृक विभाग में वापस भेजना तो में सोचता हूं कि करोड़ों तुम कमाओ और जहां से आए वहां चले जाओ, इसे मुअत्तल करना चाहिये. कम से कम और फर्जी जो पदोन्नति देने वाले अधिकारी है उन पर कार्यवाही करनी चाहिये.
गोपाल भार्गवः माननीय अध्यक्ष महोदय, माननीय विधायक को धन्यवाद देना चाहूंगा. माननीय सदस्य ने जो प्रश्न उठाया है निश्चित रूप से गंभीर है और इसी कारण से कल हमने संज्ञान लेते हुए उस कर्मचारी की उसके पैतृक विभाग में वापसी कर दी है इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि वह कापरेटिव का कर्मचारी था और इसमें डुपुटेशन पर आये और पदोन्नति भी लेता रहा इसके लिये जो भी लोग उत्तरदायी होंगे उनके उत्तरदायित्व और उनके दोष के बारे में भी निर्धारण करके उसकी जांच करा लेंगे. उन पर भी कार्यवाही होगी.
शंकरलाल तिवारीः माननीय अध्यक्ष महोदय मेरा एक सवाल है इसी तरह से वहां तिलहन संघ के अन्य लोग भी डेपुटेशन पर यही काम कर रहे हैं. कांग्रेस के जमाने से 5-5 6-6 सालों से जिसकी मैं अभी चर्चा कर रहा था वे भी कांग्रेस के जमाने से और वहां जिला पंचायत में सिर्फ आम जनता के पैसे का ही भ्रष्टाचार कर रहे हैं. सामान्य कर्मचारी है यहां आकर के अधिकारी बन गये हैं . जिला पंचायत में ऐसी क्या जांच करा लेंगे तिलहन संघ के.
गोपाल भार्गवः अध्यक्ष महोदय माननीय सदस्य की जैसी मंशा है उसके अनुसार यह बात सही है कि बहुत सी अन्य संस्थाओं के अधिकारी कर्मचारी डेपुटेशन पर लिये गये उनसे काम करवाया गया अब क्या आवश्यकता थी क्या नहीं थी इसके बारे में तो जब संपूर्ण जांच होगी तभी पता चलेगा कि आवश्यकता के अनुसार लिये गये या नहीं, लेकिन तिलहन संघ के कर्मचारियों के बारे में जानकारी है कि अधिकांश लोग उच्च न्यायालय से स्टे लिये हुये हैं और इस कारण से वहां पर भी कार्यरत है. विभाग प्रयास कर रहा है कि वह स्टे जल्दी से जल्दी समाप्त हो और उसे वेकेट करा कर हम विभाग के जो मूल अधिकारी कर्मचारी है उन्हे ही पदस्थ करवाकर उनसे ही काम लें.
शंकरलाल तिवारीः माननीय मंत्री जी को धन्यवाद, अध्यक्ष जी आप को भी धन्यवाद.
संशोधन
प्रश्नोत्तर सूची में मुद्रित उत्तर के भाग ग में
प्रकरण में विस्तृत जांच कराने का निर्णय लिया गया है. जांच के निष्कर्ष के आधार पर कार्यवाही की जायेगी.
के स्थान पर संशोधित उत्तर
प्रकरण प्रकाश में आते ही जांच प्रारंभ की गई. जांच के प्रथम चरण में श्री अजय सिंह की सेवाएं इनके पैतृक विभाग को वापिस कर दी गई है.

Sunday, March 7, 2010

अस्तित्व की जननी को नमन, ... लेकिन ऐसी न हो

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आज चारों ओर महिलाओं के गुणगान हो रहे हैं. उनकी सफलता जहां उदाहरण बन रही है तो उनकी उनके शिकवे व परेशानियां आज करुणगाथा बन रही है.
यह सही भी है और ऐसा होना भी चाहिये क्योंकि इसकी वह हकदार भी है. लेकिन एक पहलू और भी है जो इन सारी संवेदनाओं पर कुठाराघात करता है. दरअसल महिलाओं का दहलीज लांघना हमेशा से बुरा माना गया है और समाजसेवियों और जागरुक लोगों ने हमेशा से इसका विरोध किया है. लेकिन आज के समय में हमारा मानना है कि महिला यदि वह दहलीज न पार करे तो ही वह सम्मान की हकदार है और वह दहलीज कोई और नहीं बल्कि ईमानदारी की है.
आज के समय में देखा जा रहा है कि कभी बेईमानी और भ्रष्टाचार से दूर समझी जाने वाली नारी आज इसके कीर्तिमान कायम कर रही है. इसका ताजा उदाहरण अपने प्रदेश में सचिव स्तर की श्रीमती टीनू जोशी से देखा जा सकता है तो भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व सतना महापौर श्रीमती विमला पाण्डेय का दामन भी कम दागदार नहीं है. इस मामले में वे लाख इनकार करें या कुछ भी सफाई दे लेकिन यह सत्य है कि महापौर बनने के पहले उनका रहन सहन और घर की माली हालत काफी दयनीय थी. हमेशा से रिक्शे में सफर करने वाली इन महिला ने ऐसा कौन सा कारनाम कर दिया कि पूरा परिवार अब लक्जरी चार पहिया में चल रहा है आलीशान घर में रह रहा है व सभी एक्जक्यूटिव क्लास की सुविधाएं वहन कर रहा है. हमारा मानना है कि आज के समय में इतनी जल्दी इतना कुछ इमानदारी से तो नहीं मिल सकता है और यह दावा गारंटीड है. इसमें न प्रमाण लेने की जरूरत है और न ही देने की. सो श्रीमती पाण्डेय जैसे कृत्यों से जननी को पहचाना जाने लगेगा तो हमारी प्रार्थना है कि .....
अंत में पोस्टमार्टम परिवार की तरफ से मां, बहन, बेटी सहित सभी नारी स्वरूपों को नमन्

Thursday, March 4, 2010

स्वास्थ्य मंत्री की बेटी की शादी और चिकित्साधिकारियों का न्यौता

इन दिनों स्वास्थ्य महकमे में मध्यप्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा की पुत्री का विवाह चर्चा का विषय बना हुआ है. चर्चा की सतना जिले में दो वजह है. एक वजह तो जिले के सीएमएचओ द्वारा विवाह में शामिल होने आये न्यौते के नाम पर सभी बीएमओ और कई चिकित्सकों से सप्रेम भेंट का वसूलना शामिल है. इस बारे में जो खबरे छन कर आ रही हैं उनके मुताबिक सीएमएचओ ने स्वास्थ्य मंत्री की पुत्री की शादी के रिसेप्शन में भेंट के नाम पर बीएमओ से जहां ग्यारह-ग्यारह सौ रुपये लिये हैं तो चिकित्सकों से एक सौ एक रुपये लिये गये है. हालांकि कुछ बीएमओ ने अपनी सप्रेम भेंट को बढ़ा कर पांच हजार एक रुपये तक पहुंचा दिया है. इस तरह एकत्र हुई सारी राशि लेकर सीएमएचओ सप्रेम भेंट पहुंचाने वहां तक जा चुके हैं.
उधर एक और वाकया सामने आया है वह स्वास्थ्य मंत्री और राजधानी स्थित विभाग के आला अधिकारियों में से एक के बीच चल रहे शीतयुद्ध को भी उजागर कर गया है. इस मामले जो जानकारी आई है उसके अनुसार संयुक्त संचालक स्वास्थ्य रीवा संभाग डॉ.राजेन्द्र सिंह 4 मार्च को सतना से ग्वालियर इस विवाह कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे. वे सतना से महाकौशल एक्सप्रेस में थ्री टियर वातानुकूलित शयनयान की बोगी क्रमांक बी-2 की सीट नम्बर 34 में आरक्षण करा चुके थे. उनका पीएनआर नं. 8240641233 और टिकट संख्या 25228369 रहा. बताया गया है कि वे अपनी यात्रा के मद्देनजर स्टेशन तक पहुंचे और ट्रेन तक गये लेकिन अचानक आये एक फोन से वे पसीने पसीने होते हुए वापस लौट चले. यह तो रहा घटना क्रम लेकिन इसकी हकीकत जब सामने आयी उसके अनुसार श्री सिंह के पास भोपाल के एक अधिकारी का फोन आया था जिसमें कहा गया था कि उस कार्यक्रम में यदि गये तो वहां से सस्पेंशन का आर्डर भी साथ ही मिलेगा. यह फोन रिसीव करने वाले जेडी अकेले अधिकारी नहीं है. ऐसा विभाग के कई अधिकारियों के साथ हुआ है और सभी वापस अपने घर लौटना ही बेहतर समझे हैं. यही वजह है कि सतना के सीएमएचओ जो अभी जल्दी नहीं आने वाले थे वे भी रातो रात बस पकड़ कर सुबह कार्यलय समय में सतना पहुंचना बेहतर समझे क्योंकि वहां से आने वाली ट्रेन काफी लेट थी और वह कार्यालय समय में सतना नहीं पहुंच रही थी. लेकिन उनके साथ इतना तो प्लस हो ही गया है कि वे सतना से सप्रेम भेंट की लंबी चौड़ी राशि मंत्री जी तक पहुंचा पाने में सफल रहे हैं.

Tuesday, February 16, 2010

जिला पंचायत का वेलेन्टाइन डे कृष्णा लाज में

न्यूज पोस्टमार्टम को भेजे गये मेल में एक सनसनीखेज घटना का खुलासा किया गया है. अपनी रंगमिजाजी के लिये बदनाम जिला पंचायत के अधिकारी-कर्मचारियों की हकीकतों में एक वाकया और जुड़ गया है. वाकया यह है कि विगत दिवस सेमरिया चौक के समीप स्थित कृष्णा लाज में जिला पंचायत के एक परियोजना अधिकारी एचएस परिहार के नाम पर कमरा बुक किया जाता है. जब यहां बुकिंग कराने वाले लोग पहुंचते हैं तो इसकी स्थिति संदेहास्पद होने पर मामले की सूचना कोलगवां थाने को दी जाती है. वहां से दो पुलिस कर्मी डी.आर.शर्मा एवं राकेश सिंह उस लाज में पहुंचते है. जब कमरा खुलवाया जाता है तो वहां से जिला पंचायत के जाने पहचाने शख्स दिग्विजय सिंह और उनके साथ भरहुत नगर की एक युवती मिलती है. मामले की पोल खुलते ही दिग्विजय सिंह इसे वहीं सुलझाने का प्रयास करते हैं जो सफल भी होता है. लेनदेन का समझौता होने के बाद आखिर मामला थाने नहीं पहुंचता है. लेकिन बाद में कुछ और बखेड़ा न हो इस लिये रजिस्टर में बुकिंग के आगे कैन्सिल लिखवा लिया जाता है. पता चला है कि यह लाज लालता चौक निवासी भानू अग्रवाल का है जिसके उस दिन केयर टेकर अनिल सिंह और बालेन्दु द्विवेदी रहे. इस लाज का फोन नं. 404758 है. इस घटना की रिकार्डिंग मीडिया कर्मी ने भी की है.
वहीं उसी दिन जिला पंचायत सतना में पूर्व में रहे एपीओ का जबलपुर से सतना जिपं में भी आगमन हुआ था तथा जिला पंचायत से अक्सर उपकृत होने वाली नामीगिरामी संस्था की संचालिका भी दिनभर जिलापंचायत के चक्कर लगाते देखी गई हैं. लोग इस घटना को भी उस मामले से जोड़ कर देख रहे है.

Sunday, February 14, 2010

सुखबीर मामले में लोक सूचना अधिकारी तलब

राज्य सूचना आयोग ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में सीधी के तत्कालीन कलेक्टर सुखबीर सिंह से जु़ड़े भ्रष्टाचार के प्रकरण में सूचना न देने पर सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) के लोक सूचना अधिकारी को तलब किया है। सुनवाई मुख्य सूचना आयुक्त 25 फरवरी को करेंगे। इसमें विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह तथ्यात्मक उत्तर, प्रतिवेदन एवं प्रकरण से संबंधित दस्तावेल लेकिन उपस्थित हो। सीधी में योजना के तहत हुए भ्रष्टाचार के मामले में कॉंग्रेस के सूचना अधिकार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय दुबे ने कार्रवाई संबंधी जानकारी विभाग से मांगी थी। लेकिन विभाग ने प्रकरण के प्रचलन में होने का हवाला देते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया था।

Friday, February 12, 2010

कलेक्टर सुखवीर सिंह सहित 30 आईएएस की फाइल फिर खुलने लगीं

भोपाल में आईएएस दंपत्ति के यहां पड़े छापे के बाद लोकायुक्त सक्रिय हो गया है. उसकी सक्रियता का असर यह है कि एक बार फिर प्रदेश के तमाम आईएएस के भ्रष्टाचार की फाइलों के पन्ने पलटे जाने लगे हैं. इन फाइलों में सतना कलेक्टर सुखबीर सिंह सहित तीस आईएएस अफसरों पर जांच की कार्यवाही अब तेज होगी. पता तो यह भी चला है कि सतना कलेक्टर कि फाइल पर आगामी 25 फरवरी को राजधानी में चर्चा होनी है.
आईएएस के जिन अफसरों पर लोकायुक्त की जांच चल रही है उन अफसरों पर बेईमानी, सरकार को धोखा देने जैसे इल्जाम हैं। इनमें से अधिकांश अफसर तो मंत्रियों की पसंद के हैं।
लोकायुक्त जांच के दायरे में आबकारी आयुक्त अरुण कुमार पांडे, प्रभात पाराशर आयुक्त जबलपुर, मनीष श्रीवास्तव कलेक्टर सागर, लोक निर्माण विभाग के सचिव मोहम्मद सुलेमान हैं तो विवेक अग्रवाल और एसके मिश्रा, जो कि मुख्यमंत्री के सचिवालय में कार्यरत हैं, भी जांच के घेरे में हैं।

रोजगार गारंटी योजना में सीधी के कलेक्टर रहे सुखवीर सिंह, संजय गोयल, डिंडोरी कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर, छिंदवाड़ा कलेक्टर, निकुंज श्रीवास्तव, भिंड कलेक्टर विवेक पोरवाल सहित अन्य जांच के घेरे में हैं। मनीष श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष जिला शिवपुरी पर त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्रश्न–पत्र की छपाई में घोटाले का आरोप है। अरुण कुमार पांडे पर अधिकारियों की मिलीभगत से दो करोड़ रुपए का ठेकेदार को लाभ देने का आरोप है।

प्रभात पाराशर (तत्कालीन आयुक्त नगर पालिक निगम, इंदौर) पर वाहन खरीदी में पांच लाख से ज्यादा का भ्रष्टाचार का आरोप है। गोपाल रेड्डी (तत्कालीन कलेक्टर इंदौर) पर शासन के राजस्व को हानि पहुंचाने, अवैध कालोनाइजरों को अनुचित लाभ पहुंचाने एवं शासन को आर्थिक हानि का आरोप हैं अनिता दास, तत्कालीन प्रमुख सचिव, ग्रामोउद्योग भोपाल तथा अन्य पर ऊन तथा सिल्क साडि़यों के क्रय में भ्रष्टाचार का आरोप है। दिलीप मेहरा, तत्कालीन प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग, भोपाल पर कार्यपालन यंत्री से अधीक्षण यंत्री की पदोन्नति में भ्रष्टाचार एवं अनियमिततओं का आरोप हैं। मोहम्मद सुलेमान, तत्कालीन कलेक्टर इंदौर पर कालोनाइजरों को अवैध लाभ पहुंचाने का आरोप है। जीटी राधाकृष्ण, तत्कालीन प्रबंध संचालक, मप्र राज्य बीज निगम, भोपाल वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन पर दवा खरीदी में अनियमितताओं का आरोप है।

देवराज बिरदी प्रमुख सचिव, आवास एवं पर्यावरण विभाग पर ग्राम उमरिया तहसील महू की कृषि भूमि का उपयोग आवासीय करके आवासीय कालोनी का ले–आउट स्वीकारकर आवासीय कालोनी की अनुमति देकर मेसर्स डिवाइन, बिल्डवेज प्रा.लि. को लगभग बीस करोड़ का अवैध लाभ पहुंचाने का आरोप है।

एस.एस. उप्पल आयुक्त नगर निगम, भोपाल पर पांच लाख रुपए लेकर भूमाफियाओं को मंजूरी देने का आरोप है। अरुण भट्ट (कलेक्टर झाबुआ) पर पेटलावद नगर की शासकीय आबादी भूमि सर्वे नं. 1414 रकबा 3.59 का कमिश्नर इंदौर के अदला–बदली का आरोप है। निकुंज श्रीवास्तव (कलेक्टर खंडवा) पर भ्रष्टाचार का आरोप, एमए खान (प्रबंध संचालक मप्र राज्य एवं फार्म विकास निगम) पर मंडियों के सचिव की नियुक्ति में अनियमितता, अनिल श्रीवास्तव ( प्रबंध संचालक मप्र लघु उद्योग निगम) पर अनियमितता, संजय दुबे (मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत शहडोल) पर वर्ष 1998–99 के दौरान जिला शहडोल के शिक्षा कर्मियों के चयन में अनियमतिता के आरोप।

रामकिंकर गुप्ता (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, इंदौर) पर योजना क्रमांक 54 में टर्मिनल एवं बस स्टैंड बनाने हेतु दस एकड़ भूमि के आवंटन में मे. श्रीराम बिल्डर्स को सौ करोड़ रुपए का अवैध लाभ पहुंचाने, एमके वाष्र्णेय (तत्कालीन आयुक्त नगर निगम ग्वालियर) पर संपत्ति कर के प्रकरणों के अनाधिकृत निराकरण से निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने, आरके गुप्ता (तत्कालीन कलेक्टर उमरिया) पर निविदा स्वीकृति में अनियमितता, एंटोनी डिसा (तत्कालीन आयुक्त, भोपाल) पर निविदा स्वीकृति में अनियमितता, शशि कर्णावत (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी मंडला) पर पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार, राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र मिशन के अंतर्गत बीज एवं पौधों के क्रय में वित्तीय (जिलाध्यक्ष जिला अनूपपुर) पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार, विवेक अग्रवाल पर झूठे प्रमाण पत्रों के आधार पर वर्ष 2005–06 के बिक्स प्रोत्साहन राशि के रूप में 11,50,400 रुपए, कार्यालयीन उपयोग हेतु प्राप्त 21 लाख रुपए के मनमाने उपयोग का आरोप है।

एसके मिश्रा सचिव, खनिज साधन विभाग, भोपाल पर खनिज साधन विभाग में एमएल एवं पीएल आवंटन प्रकरणों में भ्रष्टाचार। राकेश साहनी, मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन पर व्यक्तिगत लाभ हेतु अपने पद का दुरुपयोग कर अपने पुत्र समीन साहनी को विमान प्रशिक्षण का कम शुल्क में प्रशिक्षण दिलवाना तथा पांच लाख का अवैध लाभ प्राप्त करना तथा संस्था को आर्थिक लाभ पहुंचाने का आरोप है।

महेंद्रसिंह भिलाला (आईएएस) पर संपूर्ण ग्रामीण योजना के प्रथम स्त्रोत के अंतर्गत 22.5 फीसदी के अंतर्गत मप्र स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपेंट कॉर्पोरेशन शाखा बैतूल के माध्यम से 75 लाख रुपए की खरीदी में अनियमितता का आरोप। अलका उपाध्याय, स्वास्थ्य आयुक्त तथा अन्य भोपाल पर पद का दुरुपयोग, सोमनाथ झारिया, आयुक्त नगर निगम खंडवा एवं अन्य पर विगत चार साल से भ्रष्टाचार तथा पद का दुरुपयोग कर 819 वर्ग फुट के स्थान पर 1330 वर्ग फुट की भूमि पर निमा्रण की अनुमति देने का आरोप है। डा. पवन कुमार शर्मा, तत्कालीन आयुक्त नगर निगम, ग्वालियर पर न्यू दर्पण कॉलोनी में बगैर रोड निर्माण कराए ठेकेदार को 5,06,055 रुपए का भुगतान किया जाना है। ये सभी अधिकारी लोकायुक्त जांच के घेरे में है।

Wednesday, February 10, 2010

शागिर्द भी कम नहीं

सहायक परियोजना अधिकारी सुरेन्द्र सिंह के शागिर्द सहायक ग्रेड -2 अब लेखापाल राकेश बाबू सिंह भी जिला पंचायत में काम करने की इच्छा रखने और लाख कोशिशों के बाद भी मलाईदार जिला पंचायत में जमें रहने के कायल हैं. दरअसल मध्यान्ह भोजन सेल में शिक्षा विभाग से अटैच हुए बाबू राकेश सिंह को जो चस्का लगा तो विभाग द्वारा प्रमोशन देकर लेखापाल बनाने के बाद भी वह जिला पंचायत में बाबूगिरी ही करना चाहते हैं. लम्बी शिकायतों के बाद जब सीईओ जिला पंचायत ने उन्हे बीईओ आफिस के लिये चलता किया तो वे सांसद, विधायक की शरण में चले गये. अब मजबूरन सीईओ ने उन्हे वापस तो ले लिया लेकिन मध्यान्ह भोजन का कार्य राखी गुप्ता को सौप कर राकेश बाबू को एपीओ अवधेश सिंह के अण्डर में कर दिया. जिला पंचायत में ही रहने को मजबूर राकेश बाबू अब अनिच्छा के बावजूद जन श्री बीमा योजना और ग्रेनबैंक योजनाओं से काम चला रहे हैं.

कारनामाः मझगवां जनपद में नया पद बना सहायक अधिकारी का

जिले की जनपद पंचायत और जिला पंचायत में कौन से नये नियम बन जायें कह पाना असंभव है. ताजा मामला है जिला पंचायत में सहायक परियोजना अधिकारी सुरेन्द्र सिंह को मझगवां जनपद का सहायक मुख्य कार्यपालन अधिकारी बनाने का. मध्यान्ह भोजन का कार्य देख रहे सुरेन्द्र सिंह को जनपद मझगवां के सीईओ का पद स्थानीय विधायक के प्रयास से एक बार क्या मिला उन्हे तो जैसे सीईओ बनने का चस्का लग गया. विकासखण्ड अधिकारी उचवारे ने नियमों का हवाला देकर कोर्ट के आदेश से जब सीईओ का पद हासिल कर लिया तो सुरेन्द्र सिंह बेचैन हो गये. रही सही कसर तब पूरी हो गयी जब फ्रेश सीईओ मीना कश्यप ने मझगवां का प्रभार ग्रहण कर छुट्टी पर चली गईं. अब नियमानुसार सीईओ का पद एसडीएम को प्रभार में देना पड़ा. सुरेन्द्र सिंह ने एक बार फिर विधायक गहरवार के सहयोग से जनपद के प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी एसडीएम के सहायक अधिकारी के रूप में अपना आर्डर करा लिया. अब स्थिति यह है कि मझगवां जनपद के कर्मचारी समझ नहीं पा रहे हैं कि यह पद क्या है और क्यों है ? क्योंकि प्रभारी जनपद के सीईओ की सहायता के लिये विकासखण्ड अधिकारी सहित भारी भरकम अमला तो जनपद में शासन ने पहले ही तैनात कर रखा है.

अदना सा बाबू जिला पंचायत सीईओ पर भारी

क्या कोई बाबू स्तर का कर्मचारी जिले की त्रिस्तरीय पंचायतों की कमान संभालने वाले जिला पंचायत सीईओ पर भारी हो सकता है?यह प्रश्न सहित चर्चा पूरे जिला पंचायत महकमे में पूरे शवाब पर है.
दरअसल चर्चा का कारण भी वाजिब है. जिला पंचायत सीईओ आशीष कुमार ने दो माह पूर्व कार्यालय के अधिकारी कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका सहित गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक कर देने के आरोप में स्थापना का प्रभार देख रहे संतोष कुमार पयासी सहायक ग्रेड 2 से स्थापना का प्रभार छीनकर सहायक ग्रेड 2 बी.के.कुशवाहा को देने का आर्डर जारी किया था. किन्तु दो माह बाद भी सीईओ का यह आदेश बेअसर साबित हो रहा है. प्रभावित बाबू पयासी स्थापना का मलाईदार प्रभार किसी को नहीं देना चाह रहे इसके लिये वह सांसद और विधायक सतना से सीईओ पर डलवाने में सफल भी रहे हैं. बी.के.कुशवाहा भी प्रभार पाने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन डीआरडीए की काकस मण्डली द्वारा किये जा रहे प्रयासों के आगे सभी नतमस्तक हैं. स्थापना प्रभारी एसीईओ एन.के.पाण्डेय, लेखापाल एवं स्टेनो गर्ग सीईओ के आगे यही दलील देते हैं कि साहब पयासी के अलावा और कोई नहीं चला सकता यह प्रभार. सीईओ जिला पंचायत भी इसी दलील के पक्षधर हो गये हैं. क्या करें आखिर जनप्रतिनिधियों की भी यही इच्छा है. बहरहाल एक बाबू जिपं सीईओ से भारी नजर नहीं आ रहा बल्कि उनपर भारी हो चला है.

Thursday, February 4, 2010

महंगा पड़ा पीआरओ पर दबाव डालना

सतना में कल 4 फरवरी का दिन पत्रकार जगत के लिये काफी उहापोह से भरा रहा. विगत 3 फरवरी को हुए एक अप्रत्याशित घटनाक्रम से घबराये पत्रकारों को एक बार फिर अपनी बचाने में प्रेस क्लब नामक जमींदोज हो गये पत्रकार संगठन का सहारा लेना पड़ा तो मामले की गंभीरता को देखते हुए समझौते पर मजबूर हुए. हालांकि इस घटना के जितने जिम्मेदार वे पत्रकार रहे उतने पीआरओ नहीं. यह अलग बात है कि मामला थाने में ले जाकर पीआरओ ने गलत किया था.
मामला जो जानकारी में आया है उसके मुताबिक बुधवार को संजय लोहानी, नितेन्द्र गुरुदेव और ज्ञान शुक्ला पीआरओ आफिस पहुंचकर पीआरओ से यह प्रमाणीकरण चाहते है कि वे यह लिख कर दे दें कि उनका नाम इस कार्यालय में है. जब पीआरओ यह लिखने से मना कर देते है साथ ही अधिमान्यता संबंधी मामले में नियुक्ति प्रमाण पत्र की मांग भी करते हैं तो यहां से इन तीनों का दिमाग उखड़ जाता है और बाहर आकर तल्ख टिप्पणी करने लगते है यह टिप्पणियां पीआरओ को हो रही थी. इसी दौरान वहा मौजूद एक फर्जी पत्रकार अंदर जाकर इस मामले को बढ़ा चढ़ा कर पीआरओ को बताता है और उनके द्वारा मामला थाने को दे दिया जाता है.
मामला थाने में जाते ही इन पत्रकारों ने अपने बचाव में आनन फानन में काउंटर केस दर्ज कराया लेकिन मामले की गंभीरता से अवगत होने पर बचाव की मुद्रा में आये इन लोगों ने समझौते की राह तलाशी और नवभारत के संपादक संजय पयासी और घटना के सूत्रधार अशोक शुक्ला चौकन्ना, जनसंपर्क विभाग के संभागीय अधिकारी चौधरी की मौजूदगी में गुरुवार को समझौता हुआ. लेकिन यहां सवाल यह खड़ा हुआ है कि गलती कहां से हुई तो जो जानकारी में आया है वह यह है कि पूरी गलती ज्ञान शुक्ला को प्रमाणीकरण दिलाने के लिये की गयी. क्योंकि यहां संजय लोहानी और नितेन्द्र के पास वे सभी दस्तावेज है जो अधिकृत पत्रकार को चाहिये. लेकिन ज्ञान जनसंपर्क अधिकारी से यह लिखाना चाह रहे थे कि पीआरओ यह लिख कर दे दे कि उनके कार्यालय में चैनल प्रतिनिधि के रूप में उनका नाम दर्ज है. दरअसल गलत बुनियाद पर शुरू हुई बात की वजह से ही समझौते पर उतरना पड़ा. उधर पीआरओ की गलती यह रही कि उन्हे भी किसी के बहकावे में आकर मामले को थाने नहीं ले जाना था. क्योंकि जो भी बात हुई थी वह उनके सामने नहीं थी. उन्हे भी अपनी आदत में सुधार लाना होगा कि अपने यहां फर्जी तरीके से बैठने वालो को एक दूरी तक लाना होगा क्योंकि उनके यहां ऐसे लोगों की जमात बढ़ती जा रही है.

Wednesday, January 27, 2010

गणतंत्र दिवस पुरस्कारः अंधे ने बांटी रेवड़ी

गणतंत्र दिवस के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिये पुरस्कार देने में मुंहदेखी और चापलूसी की पराकाष्ठा पार कर दी गयी. मसलन इस मौके पर पुलिस विभाग के सभी थाना प्रभारियों और पुलिसकर्मियों को किसी न किसी कार्य के लिये सम्मानित किया गया. कलेक्ट्रेट एवं अन्य विभागों के अधिकारियों को गणतंत्र दिवस पर पुरस्कार देने में सावधानी बरतते हुए किसी को पुरस्कृत नहीं किया गया. इनमें केवल महिला बाल विकास अधिकारी को जनसुनवाई में सर्वश्रेष्ठ निराकरण के लिये पुरस्कृत करना बताया गया जबकि वास्तविकता यह है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के भर्ती के संबंध में जनसुनवाई में हजारों की तदाद में शिकायती पत्र प्राप्त हुए जिनका निराकरण अभी लंबित है फिर भी जनसुनवाई में श्रेष्ठ कार्य के लिये पुरस्कृत किया गया. इसी प्रकार से पुलिस विभाग में अपने चहेते एवं खास किस्म के अधिकारियों को किसी न किसी बहाने पुरस्कृत किया गया. मंच संचालक द्वारा जब उन अधिकारियों के सर्वश्रेष्ठ कार्य एवं उपलब्धियों के बारे में बखान किया जाता रहा तब उपस्थित जनसमुदाया में कानाफूसी और हास्यास्पद स्थिति बनी रही. उदाहरण बतौर सिटी कोतवाली के टीआई विमल श्रीवास्तव को चुनाव के दौरान सतना शहर में शांति और व्यवस्था अपराधों के नियंत्रण बनाये रखने के कार्य में पुरस्कृत किया गया जबकि चुनाव के दौरान शहर में एक ही रात में पांच पांच दुकानों के ताले चटकाए गये, कोतवाली के बगल में दोहरा हत्याकाण्ड हुआ, धवारी में गुटीय संघर्ष हुआ इसी प्रकार शहर की चरमराई यातायात व्यवस्था, बाजारों में पल पल लगने वाले जाम की स्थिति और ओव्हर ब्रिज पर झूलते हुए ट्रक और बसों के बीच आये दिन रिकार्ड बना रही सड़क दुर्घटनाओं के माहौल में सुदृढ़ यातायात व्यवस्था के लिये यातायात सूबेदार लाल बहादुर बौद्ध को पुरस्कृत किया गया. अधिकारियों के चमचा गिरी करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत करने की हद तब पार हो गई जब जिला पंचायत सीईओ आशीष कुमार ने अपने अंगरक्षक को जिला पंचायत की सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर सम्मानित करवाया. समग्र स्वच्छता अभियान के स्तर हीन झांकी प्रदर्शत होने के बाद भी इस झांकी को द्वितीय स्थान दिला कर परियोजना अधिकारी अजय सिंह के साथ सीईओ जिला पंचायत आशीष कुमार स्वयं प्रमाण पत्र लेने समारोह मंच पर पहुंच गये. जिला पंचायत के प्रभारी अध्यक्ष कमलेश्वर सिंह, सदस्य दिलीप मिश्रा किरण सेन, प्रागेन्द्र बागरी सहित अनेक जिला पंचायत सदस्य निर्मल ग्रामों के पालक होने के नाते निर्मल पुरस्कार की चाह लिये गणतंत्र दिवस समारोह में पूरे समय तक उपस्थित रहे लेकिन इन्हे निराशा ही हाथ लगी.

Sunday, January 24, 2010

फैक्ट्री की जांच और सीएमएचओ पुत्र को नौकरी

हमें भेजे गये मेल में चिकित्सा विभाग के बड़े अधिकारी के कारनामे का खुलासा किया गया है. इसमें बताया गया है कि विगत दिनों सीएमएचओ आरएस दण्डोतिया द्वारा प्रिज्म सीमेन्ट फैक्ट्री के समीप रहने वाले ग्रामीणों की शिकायत पर जांच करने गये थे कि फैक्ट्री द्वारा फैलाए गये प्रदूषण से ग्रामीणों को बीमारी हो रही है या नहीं. यह जांच उन्होने प्रदूषण विभाग के अनुरोध पर गांव में जाकर की. इसकी रिपोर्ट के दो तीन दिन बाद वे प्रिज्म फैक्ट्री परिसर स्थित अस्पताल का निरीक्षण करने भी पहुंचे. वहां कि रिपोर्ट क्या रही यह तो पता नहीं चल सका लेकिन यह जरूर है कि डॉ दण्डोतिया के पुत्र को कुछ दिनों पहले ही फैक्ट्री में नौकरी मिल गयी है.

Saturday, January 9, 2010

जिला पंचायत का गरीबों के धन में भी डाका

न्यूजपोस्टमार्टम को मिले मेले में खुलासा किया गया है कि अब तक रोजगार गारंटी में भ्रष्टाचार की मिशाल कायम कर चुके जिला पंचायत सतना के अधिकारी अब गरीबों के ऋण में भी डाका डालने में जुटे हैं. मामला है एसजीएसवाई योजना का. इस योजना के तहत जो प्रकरण स्वीकृत होते हैं उसमें योजना के नोडल अधिकारी गौरव शर्मा तथा यहां तैनात डिस्पैच का काम देख रहे लिपिक का हिस्सा तय करना पड़ता है. बताया गया है कि पी4 के जो प्रकरण यहां आते है तो स्वीकृत उपरांत उनकी एक कापी तो जनपदों में भेज दी जाती है लेकिन बैंको को जाने वाली कापी को गौरव शर्मा द्वारा डिस्पैच में रुकवा दिया जाता है . जब हितग्राही जनपद से जानकारी मिलने पर बैंक जाता है तो उसे पता चलता है कि यहां प्रकरण नहीं पहुंचा है तब वह जिला पंचायत पहुंचता है. जहां डिस्पैच का काम देख रहा गौरव शर्मा का प्यादा उससे सौदा तय करता है तब जाकर प्रकरण बैंक भेजा जाता है . ऐसा नहीं है इस मामले की जानकारी सीईओ जिला पंचायत को नहीं है लेकिन वे अपने सिपहसलार की इस हरकत की इसलिये अनदेखी करते हैं क्योंकि उससे उन्हे गाहे बगाहे फायदा तो होता ही रहता है.
इस मामले की विस्तृत जानकारी के लिये न्यूजपोस्टमार्टम की पड़ताल अलग से जारी है जो आगे दी जायेगी.