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Monday, May 31, 2010

कलेक्टर ने खरीदी पुरातात्विक प्रतिमा!

हमें भेजे गये मेल में जो जानकारी सामने आई है वह इस बार चौंकाने वाली है. इसमें बताया गया है कि सतना जिले के कलेक्टर द्वारा छतरपुर के किसी गांव से एक पुरातात्विक महत्व की गणेश प्रतिमा मंगाई गई है. इस प्रतिमा को लाने में राजस्व विभाग के किसी छोटे कर्मचारी का अहम रोल रहा है तो पूरा मामला मैनेज कराने में एसडीएम गजेन्द्र सिंह नागेश का नाम बताया गया है. मेल में बताया गया है कि इस गणेश प्रतिमा को सतना लाने के बाद उसे फिर स्थानीय स्तर पर किसी सुनार के यहां से सफाई आदि कराई गई है. यह प्रतिमा अब कलेक्टर के पास पहुंच चुकी है. मेल में कहा गया है कि यह पुरातात्विक महत्व की प्रतिमा है. इसे सामान्य तौर पर घरों में नहीं रखा जा सकता है बल्कि यह शासकीय मूर्ति संग्रहालयों में रखी जाने योग्य है. बहरहाल इस खबर की विस्तृत पुष्टि के लिये न्यूजपोस्टमार्टम टीम जुटी हुई है.

Friday, May 21, 2010

लोनिवि मंत्री के पुत्र के वाहन से मरी बाघिन!

बांधवगढ़ नेशनल पार्क में एक हादसे में बाघिन की मौत का जो सच स्थानीय लोगों व पार्क के कर्मचारियों की चर्चा में सामने आ रहा है उससे साफ जाहिर है कि बाघिन की मौत प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री नागेन्द्र सिंह के पुत्र की लापरवाही से चलाई जा रही जिप्सी से टकराकर हुई है. चर्चा तो यह भी है कि वे वहां स्वयं अपने पारिवारिक रिश्तेदारों को जिप्सी में बैठा कर ले गये थे जो बनारस से आये थे. मेल से हमें बताया गया है कि उनके रिश्तेदार घटना वाले दिन के दो दिन पहले आ चुके थे और जंगल में गये थे लेकिन शेर नहीं मिलने पर मंत्री पुत्र ने लोकेशन बाबत पार्क के अधिकारियों पर भी दबाब डाला था. ये सभी लोग मंत्री पुत्र के गेस्ट हाउस में ही रुके थे. और हादसे वाले दिन में मंत्री पुत्र ही जिप्सी चला रहे थे. जिनसे बाघ के अत्यंत निकट जाने पर बाघ के व्यवहार में हुए अचानक आये बदलाव से हड़बड़ाहट में यह हादसा हुआ.
हादसे के तुरंत बाद ही जैसे ही पार्क प्रबंधन को मामले की जानकारी मिली वैसे ही राजनीतिक व सत्ता पक्ष का दबाव भी काम करने लगा. दबाब की स्थिति तो यहां तक रही कि पार्क प्रबंधन शुरुआती तीन घंटे तक ऐसी किसी घटना से ही इंकार करता रहा कि किसी बाघिन की मौत हुई है. उधर पार्क के अंदर इस दौरान प्रबंधन मामले को संभालने भी लगा रहा. तीन घंटे बाद उसने घटना को स्वीकार तो किया लेकिन उसे दूसरा रूप देने में लगा रहा.
उधर जब चिकित्सक ने इसकी पुष्टि की कि मौत एक्सीडेंट का नतीजा है तो जिप्सियां जब्त करने की कार्यवाही की गई लेकिन यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि इसमें से तीन जिप्सियों को जबरन जब्त किया गया है जबकि वे वहां थी ही नहीं. साथ ही जिप्सियों को साफ सफाई करने का भी पूरा मौका दिया गया.
मेल में बताया गया है कि पार्क प्रबंधन सहित स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अमला जबरदस्त राजनीतिक व सत्ता के दबाव में है और इस कार्यवाही से किसी नतीजे की उम्मीद करना बेमानी है. दबाब का आलम तो यह है कि यहां भारी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है.
ऐसे हुई घटना
घटना के संबंध में जो पार्क के कर्मचारियों के बीच चर्चा है उसके अनुसार भ्रमण के दौरान दूर से दिखी बाघिन को पास से देखने के चक्कर में गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी. आवाज से घबराई बाघिन पलटी तो सीधे जिप्सी के बंपर से टकरा गई. रास्ते में ढाल होने से रफ्तार पर काबू नहीं किया जा सका और गाड़ी पेड़ से टकरा गई. मामले को रफा-दफा करने के लिए बाघिन को पानी के पास पटक दिया गया।
उचेहरा में भी मरा था शेर
कुछ वर्ष पूर्व उचेहरा क्षेत्र में भी एक शेर का शिकार किया गया था. उसको लेकर भी मंत्री के परिवार की ओर शक की सुई घूम रही थी. लेकिन चर्चा यह है कि बाद में काफी गुणा गणित के बाद किसी दूसरे आदमी को आरोपी बना कर प्रस्तुत कर दिया गया.

Tuesday, May 18, 2010

कलेक्टर का डीओ लेटर और सीईओ का तुगलकी फरमान

हमें मेल द्वारा भेजी गई जानकारी में भ्रष्टाचार को बढावा दे रहे सीईओ जिला पंचायत का एक और कारनामा बताया गया है. इसमें अपनी करतूतों का काला चिट्ठा न खुले इसके लिये कलेक्टर के पत्र के बाद अपने मातहतों को सूचना के अधिकार पर छन्ना लगाने के निर्देश जारी किये हैं.
मेल में बताया गया है कि जिले में रोजगार गारंटी योजना की उड़ती धज्जियों और लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जब एक अखबार में सैकड़ा भर पंचायतों में काम बंद होने की बात सामने आयी तो अंततः कलेक्टर सुखबीर सिंह ने जिला पंचायत के सीईओ आशीष कुमार गुप्ता को डीओ लेटर जारी किया. इसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि 159 पंचायतों में काम बंद है. जबकि रोजगार गारंटी योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना है. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है तथा बेहद दुःखद है. आप इन पंचायतों में काम प्रारंभ कराना सुनिश्चित करके मुझे अवगत कराएं.
उधर टीएल बैठक के पूर्व भी इसी घटना क्रम से संबंधित मामले कल कलेक्टर ने सीईओ जिला पंचायत की लंबी क्लास ली.
इन घटनाक्रमों के बाद अपनी नाकामी और फर्जीवाड़े के खुलती पोल को छुपाने जिला पंचायत सीईओ ने आननफानन में अपने मातहत अधिकारियों को भी पत्र जारी कर सूचना के अधिकार पर भी फिल्टर लगाने का काम किया है. मेल में बताया गया है कि सीईओ जिला पंचायत ने पत्र क्रमांक 669 में जिला पंचायत के विभिन्न योजनाओं के शाखा प्रभारियों व सहायको को निर्देशित किया है कि सूचना के अधिकार के तहत जो भी जानकारी दें उसके पूर्व उन्हें उस जानकारी का अवलोकन कराया जाय तथा उनका अनुमोदन लिया जाये तब जाकर सूचना दी जाय. यहां सवाल यह उठ रहा है कि सीईओ आखिर किस सूचना के लीक होने से इतना घबरा गये हैं कि उन्हें यह कदम उठाना पड़ा. बहरहाल इस काजल की कोठरी में उन्होंने व उनके सिपहसलारों ने इतनी कालिख भर रखी है कि उससे सफेदी की उम्मीद किसी फिल्टर से बेमानी ही है.
मेल में तो यह भी बताया गया है कि अब सीईओ अपने काले कारनामों की लगातार खुल रही पोल से आजिज आकर तथा प्रभारी मंत्री को हर तरीके से संतुष्ट कराने के बाद अब रीवा जाने का मन बना चुके हैं तथा इसके जुगाड़ में भी लगे हैं.

Friday, May 14, 2010

बाबाराजा पर पुलिस की जांच और सफाई देते नेता

परसमनिया के बाहुबली और लोक निर्माण विभाग के मंत्री नागेन्द्र सिंह के भतीजे(यह रिश्ता लिखना पड़ रहा है) पर एक आदिवासी महिला ने बलात्कार का आरोप क्या लगाया उसके बचाव में नेताओं ने सफाई अभियान की बाढ़ लगा दी क्योंकि उन्हें नहीं मालूम कि किसी अपनी बहू बेटी की इज्जत लुटने का क्या दुःख होता है. यदि यहीं घटना उनके साथ होती तब क्या बयान यही होते. भारत की न्याय प्रणाली भी यह मानती है कि यदि कोई महिला यह कह दे कि उसकी इज्जत लूटी गयी है तो प्राथमिकता उसके बयान को ही दी जायेगी क्योंकि भारत में महिलाओं की इज्जत उनकी सबसे अमूल्य निधि होती है. दूसरा पक्ष बाबाराजा पर आरोप लगने के बाद पुलिस की जांच का है. पुलिस कह रही है कि सबके बयान ले लिये गये हैं पड़ोसी का बाकी है. पुलिस की जांच के तरीके से कितनी हास्यास्पद स्थिति बन रही है इससे तो ऐसा लगता है कि बाबाराजा ने यदि बलात्कार किया भी होगा तो पड़ोसी को बता कर या फिर उनके सामने. जो अब पुलिस इस लोगों से बयान लेकर सत्यता जानना चाह रही है. सवाल यह है कि पुलिस केस दर्ज करके आरोपी को न्यायालय में पेश करे. निर्णय जो भी होगा वह न्यायालय देगा. यदि महिला ने गलत बयानी की होगी तो उसे भी दण्ड मिलेगा. लेकिन यहां तो पुलिस की जांच ऐसी चल रही है कि मानों वह यह सिद्ध करना चाह रही है कि बाबाराज बेकसूर है. हम नहीं कहते हैं कि बाबाराजा ने बलात्कार किया लेकिन जिसके साथ यह घटना हुई यदि वह कह रही है तो पुलिस यह क्यों मानना नहीं चाह रही. यदि ऐसे ही आरोप पुलिस के किसी परिवार के सदस्य द्वारा होते तो भी यही रवैया होता.
दूसरा यह भी एक पक्ष है कि राजनीतिक बैर भुनाने के लिये कुछ लोगों की साजिश हो इस पर भी यदि मामला न्यायालय में आ जायेगा तो वह भी दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा. एक बात और बाबाराज बार बार बयान दे रहे हैं कि उनका डीएनए टेस्ट कराया जाय लेकिन जब वह पेश होंगे तब न टेस्ट संभव है. यदि वे पाकसाफ हैं तो आकर पुलिस के सामने पेश हों और अपनी जांच के लिये प्रस्तुत हो.
इस मामले में यह इतना ही सत्य है कि नागेन्द्र सिंह का कोई दोष नहीं है. दैनिक भास्कर में सोमदत्त शास्त्री का लेख काफी कुछ बयां करता है कि उनका दोष इतना ही है कि बाबाराज उनके भतीजे हैं. लेकिन उनका तो इतना दायित्व बनता है कि परिवार के वरिष्ठ सदस्य होने के नाते लगाम लगाना जाने.
यह है मामला
आदिवासी युवती ने पुलिस को बताया कि बाबा राजा कल रात अपने साथी बबलू सेन के साथ उसके घर आया और उसे अकेला पाकर बलात्कार किया। युवती ने आरोप लगाया कि बलात्कार के बाद बाबा राजा ने किसी को भी बताने पर पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी भी दी। सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने पहले तो किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन मीडिया में मामला उछलने के बाद अब मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस का कहना है कि जब तक मेडिकल रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। दूसरी ओर अस्पताल में भी डॉक्टर पूरी एहतियात के साथ मेडिकल जांच की तैयारी कर रहे हैं। युवती और उसका पूरा परिवार फिलहाल डरा-सहमा है।