यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
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Thursday, November 29, 2012

नकारात्मक सोच की हद

आज एक अखबार का अग्र शीर्षक है 'खेती होगी पन्ना की, उजड़ेगे सतना के गांव' शीर्षक निश्चित तौर पर बहुत बढ़िया है और पाठकों को आकर्षित करने वाला है लेकिन हकीकत यह है कि यह नकारात्मक सोच से ग्रस्त मानसिकता का शीर्षक है जो साबित करता है कि अखबार विकास के नाम पर ढकोसलेबाजी करता है। ऐसे तो सतना में सिंगरौली से जो बिजली आती है वह नहीं आनी चाहिए, बरगी की नहर यहां आ रही है नहीं होनी चाहिये क्योंकि डूबा तो बरगी है लेकिन पानी तो सतना को मिल रहा है। आखिर इस हेडिंग से चाहते क्या बताना है। ऐसी ही हेडिंग इसी अखबार में आई ''बूटों तले दबना'' मुद्दा काफी गंभीर रहा और जिस संजीदगी से अखबार ने इसे पकड़ा और उठाया तारीफ के काबिल है लेकिन यहां बूटों तल दबना लिख कर एक बार फिर नकारात्मकता का परिचय दे दिया। बूटों तले का उपयोग तानाशाही और फौजी मामलों में किया जाता है। फिर यहां जानकर नहीं अव्यवस्था की बलि चढ़ा था नवजात. अव्यवस्था, अनदेखी, लापरवाही के लिये बूटों तले लिखना फिर वही नकारात्मकता दिखाता है।

Sunday, November 25, 2012

घोटालों का केन्द्र बुन्देलखण्ड पैकेज, पन्ना डीएफओं बड़े घोटाले बाज


1 करोड़ 5 लाख 14 हजार 503 तीन रूपये के फर्जीवाड़े को उजागर करने वाले हमे मिले मेल में इस बात की भी आशंका जताई गई है कि इसके चलते उसकी हत्या भी हो सकती है। घोटाले का पूरा आरोप मेल कर्ता ने उत्तर वन मण्डल पन्ना के वनमण्डलाधिकारी अमित दुबे पर लगाया है। हम इस मेल को जस का तस प्रकाशित कर रहे हैं। मेल में कहा गया है कि भ्रष्टाचार की महज यह एक बानगी है और दाल में नमक के बराबर है। केन्द्रीय जांच एजेंसी या आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरों जैसी जांच एजेंसिया इस मामले में जांच करेंगी तो बड़ा खुलासा होगा। बुन्देलखण्‍ड पैकेज में पन्ना डीएफओ का घोटाला

कहानी एक अनसुलझे महिला अग्निकाण्ड की


यदि वह न होती तो महाभारत न होता,  न जाने क्यों यह नाम एक बार संभागीय मुख्यालय में कभी काफी चर्चा में रहा है। अब तो इसे दफन कर दिया है लेकिन एक चतुर्वेदी जी के मेल ने हमे बताया है कि वह अग्निहादसा नहीं था बल्कि सोचे समझे तरीके से उसे मारा गया था। आज भी वे अपने पास ऐसे पत्र की कापी होने का दावा करते हैं जिसमें वो मारी जाने से पहले किस तरह से अपने परिवार को खत लिखा करती थी। इन मार्मिक  पत्रों में उसके साथ होने वाले बेइन्तहा जुर्मों का पूरा फलसफा होता था। लेकिन मायके ने इन पत्रों को आम झगड़े के रूप में लिया लेकिन इधर उसे तो पैसे की मशीन चाहिये थी, साथ ही उसे स्टेटस वाली पढ़ी लिखी महिला की जरूरत थी। इसलिये वह आग में झोक दी गई, और फिर दफन कर दी गई एक मौत.... । चतुर्वेदी ने मेल में कहा है कि पुलिस यदि उसके मायके पक्ष को गंभीरता से लेती और पुलिसिया पड़ताल करती तो आज वो इतने पाक साफ नहीं होते .... लेकिन खुदा के घर में देर हैं अंधेर नहीं। उन्होंने बताया कि केरवा से दूरी बनाते हए वाइट टाइगर के समर्थन में आने की यह भी एक वजह रही है। भले ही आज कलम के नाम पर कमाई खाने वाले कलमकार हों लेकिन तब टाइगर की सपोर्ट के बिना इनका मामला सुलटने वाला नहीं था क्योंकि वहां तो पूजा करने के दौरान उपन्ने में भी आग लग जाती है और लोग मर जाते हैं....

Thursday, November 22, 2012

मीडिया वीकली रिपोर्ट जल्द ही

न्यूजपोस्टमार्टम टीम जल्द ही न्यूज पेपरों की रिपोर्टिंग की साप्ताहिक समीक्षा उपरांत उस सप्ताह का स्टेटस प्रस्तुत करेगी। इसे मीडिया वीकली रिपोर्ट का नाम दिया गया है। यदि कोई चाहे तो इसमें अखबारों की खबरों पर अपने व्यूज भी दे सकता है उसे भी इस रिपोर्ट में शामिल किया जायेगा। प्रतीक्षा करें....

Wednesday, November 21, 2012

मेगा वीकली ब्रेकः जेल कानून के उल्लंघन में फंसे जेल मंत्री

जिसे गोपनीय तरीके से कसाब को फांसी देकर सरकार ने मीडिया को बता दिया कि वह कितना लाचार है कि सरकार न चाहे तो उसे खबर नहीं मिल सकती, ठीक उसी तरह से जागरण ने सतना मीडिया को कुछ ऐसा ही तमाचा मारा है। २२ नवंबर गुरुवार को एक सप्ताह बाद उसने एक खबर ब्रेक की जो शायद इस सप्ताह की सबसे बड़ी ब्रेक है। इसमें सप्ताह भर पहले जेल में भ्रमण करने पहुंचे जेल मंत्री के साथ उनके समर्थक भी जेल में बगैर अनुमति बिना रजिस्टर में हस्ताक्षर के पहुंचे। लेकिन कोई रिपोर्टर इस खबर को पकड़ नहीं पाया। कई अखबारों और चैनलों के रिपोर्टर तो सीना तान कर मंत्री के आगे पीछे ही घूमते रहे होंगे लेकिन खबर दी जागरण है। एक बार फिर जागरण ने सभी अखबारों को अपनी पैनी नजर से रिपोर्टिंग की औकात दिखा दी।

Thursday, November 8, 2012

स्टार समाचार रिपोर्टर महेन्द्र पाण्डेय का सीएफएल घोटाला

दैनिक भास्कर के एकेएस संबंध के बाद हमें मिले एक मेल में एक और मीडिया हाउस के रिपोर्टर का भ्रष्टाचार सामने लाया गया है। हमें भेजे मेल में बताया गया है कि स्टार समाचार के पत्रकार महेन्द्र पाण्डेय ने वैष्णवी इन्टरप्राइजेज के नाम पर नगर निगम को 200 सीएफएल बल्व सप्लाई करके 2 लाख रुपये का खेल खेला है। सप्लाई हैलेक्स या हेवेल्स नाम के बल्वों की हुई है और हकीकत में सभी बल्व दिल्ली से डुप्लीकेट लाकर दिये गये हैं। इस बल्वों की कीमत 680 रुपये बताई गई है।मेल में बताया गया है कि इस तरह की सप्लाई  9 लाख रुपये के आस पास की है। इसमें नगर निगम के अधिकारियों की भी मिली भगत बताई गई है। इसमें कहा गया है कि नगर निगम की इसकी सप्लाई की जांच होती है तो बड़े भ्रष्टाचार सामने आ सकते हैं। अखबार के नाम पर महापौर से नजदीकियां दिखा कर नगर निगम में यह कोई पहला खेल नहीं है। 

Wednesday, November 7, 2012

एकेएस फर्जीवाड़े के जनक हैं दैनिक भास्कर के विशेष संवाददाता

उच्च शिक्षा के सुनहरे भविष्य के लालच में सतना व शेरगंज की जनता ने  एकेएस विश्व विद्यालय द्वारा मंदिर की जमीन हड़पने का जहरीला घूँट दवा की तरह पी लिया, लेकिन यह प्रश्न आज तक अनुत्तिरित ही बना हुआ है कि इसकी साजिश कैसे रची गई और कौन था इसका सूत्रधार?
हमें ताजा मिले मेल में बताया गया है कि एकेएस विश्वविद्यालय प्रबंधन की गलतियों और झूठे तथ्यों को जड़ से धोने के लिये कुछ विशेष घटनाओं और सत्य के कुछ पहलुओं को उजागर कर मूल तथ्यों को दबाकर सोनी खानदान को पाकसाफ साबित करने में जुटे दैनिक भास्कर के संपादकीय के लोग खुद इस फर्जीवाड़े के सूत्रधार हैं। मेल में बताया गया है कि जब विश्वतारा राजीव गांधी कम्प्यूटर कालेज में चलने वाले पत्रकारिता पाठ्यक्रम में पढ़ रहे थे और इसकी पूर्ति वे यहां खुद पढ़ा कर भी कर रहे थे। तब पढ़ाई की फीस में छूट के लिये इन्होंने राजीव गांधी कालेज प्रबंधन की पूरी मदद की। इसी दौरान एकेएस कैम्पस से गुजरने वाली नहर के फर्जीवाड़े को जन्म दिया गया। तब एकेएस यूनिवर्सिटी की नींव की तैयारी थी और यहां शेरगंज से गुजरने वाली नहर इसमें बाधक थी। तब सोनी की कलेक्ट्रेट में औकात आम आदमी की ही तरह थी और जरूरत थी नहर को हड़पने की। ऐसे में तब के दैनिक भास्कर के विशेष संवाददाता और आज के हेड ने उस वक्त खुद इस मामले को देखते हुए नहर के दस्तावेजों से खेल करवाया था। खुद कलेक्ट्रेट जाकर इस मामले में पूरी मदद की और नहर को मूल स्थान से दूर करवा दिया। पहले नहर एकेएस बिल्डिंग के ब्लाक 2 पर थी लेकिन बाद में  विशेष संवाददाता ने अपने अखबारी प्रभाव का उपयोग सोनी खानदान के लिये करते हुए नहर की दिशा बदलवा दी। और नहर अब अपने मूल स्थान से बदल चुकी है और दोनों ब्लाकों के बीच में आ गई है। ऐसा नहीं किया गया होता तो नहर आज सेकण्ड ब्लाक के नीचे होती और उसे परमिशन नहीं मिलती।
- हालांकि अभी इसकी दस्तावेजी पुष्टि नहीं है और मेल के आधार पर ही यह आरोप दिया गया है। इसे पूरी हकीकत न्यूज पोस्टमार्टम द्वारा तब तक नहीं माना जायेगा जब तक हमें दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते हैं।

Tuesday, November 6, 2012

जिपं अध्यक्ष गगनेन्द्र सिंह और कांग्रेस नेता धर्मेश के हैं अवैध खनन में पकड़े गये डम्पर

हमें एक अखबार की कटिंग भेजते हुए बताया गया है कि नागौद क्षेत्र के सितपुरा स्थित तालाब में रात को पकड़े गये ट्रक अवैध खनन में जुटे थे। इन ट्रकों में से दो ट्रक जिला पंचायत अध्यक्ष गगनेन्द्र प्रताप सिंह के थे। इनके नंबर MP21 C 7121 और MP21 C 7122 है। इसके अलावा इसी दौरान यहां से पकड़े गये अन्य ट्रकों में से MP19 H 3036 शताब्दी इन्टरप्राइजेस के हैं। यह कंपनी कांग्रेस नेता धर्मेश चतुर्वेदी की है।
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अखबार की निजी विवि से 50 हजार की डील

हमें भेजे मेल में बताया गया है कि सबसे बड़े अखबार के संपादकीय सेक्शन की सतना के राजीव गांधी कालेज विश्वविद्यालय प्रबंधन ने 50 हजार का सौदा हुआ है। मेल के अनुसार जागरण अखबार में इस विश्वविद्यालय का अतिक्रमण का मामला काफी प्रमुखता से छपा है। अपने हमलों के लिये पहचाने जा रहे इस अखबार की सफाई जनता को देने के लिये विश्वविद्यालय प्रबंधन के सोनी ने बड़े अखबार के संपादकीय सेक्शन से 50 हजार की डील करते हुए अपने बचाव में खबर छपवाई है।






Saturday, November 3, 2012

मीडिया का चरण चुंबन और भिखमंगापन

हमें भेजे एक मेल में बताया गया है कि सत्ता के साकेत में बैठे हुए लोगों, सत्ता-प्रतिष्ठानों, बाहुबलियों, बिल्डरों तथा शैक्षणिक माफिया की बांदी होकर रह गयी है आज की सतना की पत्रकारिता। करकरे नोटों की चमक और एहसानों के तले दबे मीडियाकर्मी किस तरीके से नेताओं का चरण चुंबन करते हैं यह देखना हो तो जिले के सबसे बड़े अखबार में देखिये। (बगल में - हमें मेल किया गया चित्र)। यहां पत्रकारिता की किस तरह से चीरहरण होता है कि सारी वर्जनाएं तार-तार होकर रह जाती हैं। अब इसका उदाहरण देखना हो तो मझगवां में मुख्यमंत्री के आगमन के कव्हरेज को देखिये। इसमें इस अखबार ने मुख्यफोटो में उसे वरीयता दी जिसमें लक्ष्मी यादव जी नजर आ जाएं. जबकि हकीकत में इस कार्यक्रम का पूरा दारोमदार विधायक सुरेन्द्र सिंह गरहवार जी का था। इसलिये पत्रकारिता के मानदण्डों और रीति-नीति के तहत उन्हें मुख्य छाया में तो होना ही चाहिये था लेकिन एहसान के आगे पत्रकारिता दम तोड़ गयी। यहां यदि कहा जाये कि लक्ष्मी यादव तो विशिष्ट अतिथि भी नहीं थे महज आदत अनुसार बीच में ठंस जरूर गये थे। लेकिन यहां पत्रकारिता की दासता है सो उत्कृष्ट मानदण्डों की अपेक्षा की भी नहीं जानी चाहिये।  सेवक का जब इतने भी पेट नहीं भरा तो चित्र विवरण में भी पूरी निष्ठा के साथ श्रीयादव जी का नाम जोड़ा गया।
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गिफ्ट के लिये नाक भी कटायेगा? ... हां कटाएगा...
ऐसी ही एक घटना कुछ दिन पहले की मेल की गई है जिसमें प्रेस छायाकारों का भिखमंगापन दिखाया गया है। इसमें बताया गया है कि सेंट माइकल स्कूल में एक प्रेसकान्फ्रेंस थी। वहां कई फोटोग्राफरों ने खुद के गिफ्ट तो लिये ही साथ ही दो चार उन लोगों के नाम से भी गिफ्ट ले लिये जो आये नहीं। जबकि गिफ्ट वहां पहुंचने वालों के प्रति आयोजक की एक भेंट होती है न कि किराया या जबरिया बसूली का सामान....। लेकिन यहां नाक कटाने वालों की कमी नहीं है। इतना ही नहीं गिफ्ट की लालच में एक बड़े अखबार के दो-दो फोटो ग्राफर पहुंच गये और अंत तक गिफ्ट की लालच में डटे रहे।
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गुड आईकैचिंग दैनिक जागरण ... 
प्रदेश के स्थापना दिवस में लोक निर्माण मंत्री द्वारा कन्या पूजन करते वक्त जिस तरीके से जूते पहने गये और उस पर जो कव्हरेज जागरण ने दिया वह बताता है कि पत्रकारिता की पैनी नजर यह होती है। लेकिन शायद यह देखना भूल गये कि कलेक्टर ने भी जूते पहन रखे हैं।

Thursday, October 11, 2012

सतना का दलाल इलेक्ट्रानिक मीडिया

हमे भेजे गये हाल के मेल ने एक बार फिर सतना जिले के इलेक्ट्रानिक मीडिया की काली करतूतों से सामना कराया है। मीडिया जगत पर कालिख पोत रहे इन टुटपुंजिहे स्वनामधन्य पत्रकारों ने शहर को लूटने का औजार मीडिया को बना लिया है। जो मेल मिला है उस पर यदि विश्वास किया जाये तो उसके अनुसार विगत १० अक्टूबर को सुबह - सुबह दो इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार, एक स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी और एक आरक्षक ने एक राज श्री से लदे ट्रकर को रोककर उससे ७० हजार रुपये ऐंठ लिये। इस मामले में जो नाम मेल किये गये हैं उसमें स्थानीय चैनल के  कैमरामैन सोनी, कैमरामैन रिंकू, स्वास्थय विभाग का यादव, पुलिस विभाग के कोलगवां के लंबे आरक्षक का नाम है। मेल में कहा गया है कि शायद यह सब चैनल प्रबंधन की जानकारी में हो रहा है और वह भी इस कमाई का हिस्सा बना हुआ है। क्योंकि चैनल प्रबंधन को भी इस बारे में जानकारी दिये जाने की जानकारी मेल में बताई गई है।
दो प्रादेशिक चैनल के दलाल
इसके अलावा इन दिनों प्रादेशिक चैनल के दो पत्रकार पूरी तरह से दलाली में लगे हुए हैं। हमेशा साथ में रहने वाले इन पत्रकारों द्वारा हमेशा ऐसे मुद्दे तलाशे जाते हैं जिसमें गड़बड़ी मिले। फिर इनके द्वारा संबंधित अधिकारियों को बुला कर दबाव बनाया जाता है। इसके बाद मामले में लेनदेन कर लिया जाता है। एक मुस्लिम और दूसरा चंदनधारी पत्रकार बताया गया है। 

Tuesday, October 2, 2012

चिन्तामणि मिश्राः तीन उंगलियों के दोषी हो आप

चिन्तामणि मिश्रा मतलब वरिष्ठ पत्रकार, बहुत कम लोग जानते हैं कि ये शिक्षा विभाग में अकाउन्टेंट थे। शायद चिन्तामणि जी भी इस पद को दबाकर खुद को पत्रकारिता के लबादे में रखना चाहते हैं क्योंकि इनकी 'दुकान' इसी से चलती है लेकिन गाहे बगाहे या कहें हर दूसरे तीसरे आयोजन में ये खुद को आदर्श की प्रतिमूर्ति बताते हुए पत्रकारों की मां बहन अपने साहित्यिक अंदाज में करना नहीं भूलते। अपने परमप्रिय धतकरम शब्द की लिजलिजाहट का आशय शायद खुद न समझते हों लेकिन पत्रकारिता और पत्रकार के लिये इनका परमप्रिय शब्द है। लेकिन मिश्रा जी भूल जाते हैं कि जब एक उंगली दूसरों की ओर आदमी उठाता है तो तीन उंगलियां खुद उनकी ओर उठती है। अब मिश्रा जी तो इन तीन उंगलियों के दोषी है हीं....।
हमेशा खुद को पत्रकार बताने वाले मिश्रा जी की हकीकत यह है कि ये कभी पत्रकार रहे ही नहीं। क्योंकि पत्रकार होते तो शायद इन्हें मालूम होता कि पत्रकारिता क्या होती है। यह अलग बात है स्तंभकार रहे हैं और लिख लेते हैं... लेकिन पत्रकारिता और स्तंभकारिता दो अलग अलग चीजें होती है। कभी इन्होंने पत्रकारिता की हो और एक भी खबर लिखी हो तो बताएं...। मेरी बस्ती मेरे लोग नामक किताब का घण्टा गले में बांध कर घूमने वाले श्री मिश्रा की हकीकत यह है कि यह किताब भी चोरी का ही लेखन है। सतना का लेखक समुदाय इससे भली भांति परिचित है। विधानसभा अध्यक्ष शिवानंद जी की किताब सतना नगर की चोरी है यह मेरी बस्ती मेरे लोग। चलो इसे भी लोगों ने स्वीकार कर लिया लेकिन आज इनका एक लेख पढ़ा तो यह पूरा चिट्ठा लिखने का निर्णय हमारी टीम ने लिया। न्यूजपोस्ट मार्टम को अक्सर एक व्यक्ति से ईमेल आते रहे हैं चिंतामणि मिश्रा के बारे में। लेकिन हम इसे नजरअंदाज कर रहे थे। लेकिन साहित्य के पुलिसिया हवलदार नामक लेख ने आज हमारी टीम को इस बहुमत में ला दिया कि उनका चिट्ठा भी जनता के सामने आना चाहिये, तब उन्हें पता चलेगा की पत्रकारिता क्या है....
जब चिन्तामणि को आया था पसीना 
हमें भेजे मेल में बताया गया है कि उन दिनों नेशनल टूडे न्यूज अखबार शहर में काफी लोकप्रिय था। तब ये अपनी विज्ञप्ति छपवाने और दुकान सजाने के लिये कुछ समय इस अखबार में भी बैठते थे। एक दिन वे इस अखबार में बैठे थे तभी इस दफ्तर में कलेक्टर मोहन्ती भी पहुंच गये थे। कलेक्टर को देखकर इनकी हालत पतली हो गई थी और वे वहीं पसीने-पसीने हो गये थे। फिर किसी तरह से वहां से दबे पांव निकले थे।
कई किताबों का पता नहीं 
मेल में ही बताया गया है कि शहर में एक लाइब्रेरी सुभाष पार्क में रही काफी बेहतर. तब कई लेखक, अध्ययनकर्ता इसके सदस्य थे। चिन्तामणि जी भी इसके सदस्य थे। लेकिन इनके द्वारा इस लाइब्रेरी की कई किताबें गायब कर दी गईं। या कहें की दबा कर रख ली गई है। यहां के रजिस्टर आज भी उस वक्त के देखे जायेंगे तो इनका स्याह पक्ष सामने आ जायेगा।
.... जारी रहेगी यह सिरीज ....
यदि आपके चिन्तामणि जी की महानता के बारे में कोई जानकारी है तो हमे मेल करें....

Saturday, September 15, 2012

दैनिक भास्कर में घमासान, कईयों की होगी छुट्टी

दैनिक भास्कर अखबार का सतना संस्करण इन दिनों अपनी आंतरिक उथल-पुथल से जूझ रहा है। विश्वतारा दूसरे के सतना का संपादकीय दायित्व संभालने के बाद से जैसे ही यहां का मनमानीराज खत्म हुआ वहीं नाकारा लोगों की भी पहचान हो गई है। इसके बाद शुरू हुआ है इनके बाहर करने का खेल। हमें लगातार भेजे जा रहे मेल में बताया गया है कि जल्द ही सतना से कई लोगों की छुट्टी हो सकती है। इस मामले में सफेद हाथी साबित हो रहे सुदामा शरद को सिंगरौली में शुरू होने जा रहे संस्करण में भेजा जाये इसी तरह से अब तक विंदास मस्त मौला रहने वाले जीएम को भी बाहर के रास्ते के लिये यहां से अन्यत्र भेजे जाने की बात लिखी गई है। नाकामियत का ठप्पा लगाकर बाहर करने की जिसकी बात कही गई है उसमें राजेश धामी, विष्णु वर्मा, राबिन सिंह हैं। लिखा गया है कि राबिन सिंह योग्यता के मापदण्ड में ठीक हैं लेकिन उनकी निकटस्थता यहां के अब तक के भारी रहे कमलेश चौबे से है और यह लक्ष्मी यादव के पैनल को पसंद नहीं है कि कोई सुधीर सिंह का समर्थक यहां ज्यादा पावर में अब रहे। इस लिये कमलेश को हलका करने राबिन की बली लेने की तैयारी है साथ ही आगे जाकर कमलेश को भी बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा। इसके साथ ही इस पारी में राकेश त्रिपाठी और पाठक मजबूत होकर उभरे हैं जिसमें पाठक की योग्यता तो महज चम्मच गीरी की बताई जा रही है। हालांकि विश्वतारा दूसरे भी जांच के दायरे में आ चुके हैं। इनकी कुछ ऐसी शिकायते हैं जो इन पर बड़े सवाल उठा रही है। इसकी जांच भी चल रही है। मेल में कहा गया है कि कुछ दिन पहले ही यहां जबलपुर से कोई आये थे। इसके पीछे वजह जो सामने आई है उसमें विश्वतारा और पुष्पराज की आपसी खुन्नस है क्योंकि दोनों एक दूसरे को बढ़ते नहीं देखना चाहते और स्वयं को भारी दिखाना चाहते हैं। हालांकि विश्वतारा इस समय अपना भारीपन सिद्ध कर चुके हैं और राकेश अग्रवाल की आंख के तारे बन गये हैं। यहां से राशि इक्कठा करके राकेश को भेज कर इन्होंने संजय गौतम का स्थान लगभग पा लिया है। अब संतोष पाण्डेय की दैनिक भास्कर में इंट्री तय मानी जा रही है और वे दूसरी पारी के लिये तैयार भी हैं.

Thursday, September 13, 2012

गांजे के मामले में रुचि ले रहे नारायण और नेता

एक तो पुलिस कुछ करती नहीं है और जब कुछ करने लगती है तो नेता और मीडिया(सभी नहीं) उसमें सबसे बड़ी बाधा बन कर सामने आ जाती है। हाल ही में दो मामले को लेकर जिस तरीके से कुछ अखबार खबरे छाप रहें हैं उसमें स्पष्ट लग रहा है कि वे कहीं से आपरेट हो रहे हैं। पुलिस ने एक जायसवाल की सफारी क्या पकड़ ली और उसके बाद तो सभी पाक साफ सफेद पोश यह कसमें खाते घूम रहे हैं कि उससे पाक साफ और ईमानदार कोई है ही नहीं। गोया उसपर बयान यह कि ये सवाल खड़े हो रहे हैं वो सवाल खड़े हो रहे हैं। मसलन एक सवाल यह उठाया जा रहा है कि टाटा सफारी एमपी 19 सीए 5084 किसकी है। बड़े - बड़े अखबार नवीस खुद सवाल उठा रहे हैं लेकिन वे यह नहीं जानना चाह रहे या जान कर चुप हैं कि यह सफारी वाहन मीरा बाई जायसवाल के नाम है जो अमृतलाल जायसवाल (अभी जेल में हैं) की पत्नी हैं और अमृतलाल जायसवाल जस्सा के पिता है। इस लिहाज से यह गाड़ी जस्सा की मां के नाम है और इसका उपयोग जस्सा और उसके लोग अपने कारोबार में करते थे। अब शोकॉल्ड ईमानदार सचिव कृष्णकुमार जायसवाल की सफारी एमपी 19 सीए 4203 जो अनीता जायसवाल के नाम है यह भी हर्रई गांव के नाम पर रजिस्टर्ड है। यहां इन प्रकरणों में समानताएं जो हैं वह दोनों जायसवाल, एक गाड़ी हर्रई से बरामद होती है दूसरी हर्रई में रजिस्टर्ड है तीसरा इस मामले में तमाम आरोपों से घिरे रहने वाले नारायण त्रिपाठी का बैक डोर से सपोर्ट करते हुए ज्ञापन और पुलिस की कार्यवाही में बाधा डालना कुछ तो बड़े को छुपाने का संदेह है। वहीं जिस तरीके से मीडिया इस मामले के ज्ञापनों ओर विज्ञप्तियों को बढ़ा चढ़ा कर छाप रहा है यह भी किसी के गले नहीं उतर रहा है। मीडिया हल्के में ही चर्चा है कि इस मामले में मीडिया डील भी चल रही है। कुलजमा खर्च की बात करें तो यह मामला उतना सीधा नहीं है जितना दिख रहा है। पर्दे के पीछे कुछ ऐसा चल रहा है जो लोग सामने आने नहीं देना चाहते वहीं पुलिस की दिशा बदलने के मामले में भी काम किया जा रहा है।

Thursday, August 30, 2012

वाह गगनेन्द्र ! लोग मरे तो मरें आपके डम्पर चलते रहें


शहर के नेताओं की आत्मा मर चुकी है और उनके लिये जनहित कोई मायने नहीं रहता यह तब साबित हो गया जब विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले जिला पंचायत के माननीय अध्यक्ष गगनेन्द्र प्रताप सिहं जी का बयान दैनिक जागरण में सामने आया। शहर की तीन लाख आबादी का दर्द उन्हें सुनाई नहीं दिया और उसमें दबी चीखों से उनकी आत्मा नहीं कांपी लेकिन चंद व्यापारियों के दो घंटे के नुकसान ने उनका कलेजा हिला दिया। एक ओर शहर का एक-एक आम आदमी नो इंट्री में कोई राहत देने को तैयार नहीं है वहीं 'बेदाग' छवि वाले गगनेन्द्र को नो इंट्री चालू करने की पड़ी है। आखिर सिंह साहब को यह कैसे समझ में आयेगा क्योंकि उनके अपने भी तो दर्जनों डम्पर सड़क पर दौड़ते हैं। उनका अपना हित भी इस नो इंट्री से प्रभावित होता है। उनके अपने बच्चे लक्जरी चार पहिया वाहनों में स्कूल जाते हैं। गगनेन्द्र जी कभी सड़क में लक्जरी कारों से उतर कर आम आदमी की तरह चलियेगा तब १२-१२ चक्कों में आती मौत की भयावहता का अंदाजा लगेगा। किसी ऐसे के घर में जाकर देखियेगा जिसके यहां का कोई सहारा इस दुनिया से चला गया है और वह परिवार अपनी रोजी रोटी को मोहताज है। उस परिवार से पूछियेगा जिसका इकलौता चिराग इस दुनिया में नहीं रहा तो शायद आपको जनता का दर्द समझ में आयेगा। लेकिन ऊंचे कोठों में रहने वाले नेताओं को यह कहां समझ में आता है। चलिये हम भी प्रार्थना करेंगे कि प्रशासन आपके डम्परों के लिये नो इंट्री में छूट दे दे, जनता के बच्चे मरते हैं तो मरते रहे। एक मर जायेगा तो वे तो दूसरा पैदा कर लेंगे।
ऐसे ही एक नेता है मझगवां से भाजपा के विधायक सुरेन्द्र सिंह गहरवार। बस व्यवसायी। गरीबी, बेकारी, भुखमरी से जूझ रही अपनी क्षेत्र की जनता का भला तो कर नहीं सके लेकिन शहर में आ गये सभी स्कूलें बंद कराने के लिये। वाह रे भाजपा के फरमाबरदार नेता.... तुम्हारे ट्रक चलते रहें भले ही स्कूल बंद हो जायें। कहने को तो बहुत कुछ है लेकिन आप जैसे मगरमच्छी नेताओं के लिये कुछ कहने या लिखने में भी हमे शर्म आती है। आपकी इन दयानतदारी का जवाब जनता ही दे तो अच्छा है।

Sunday, August 26, 2012

सतना से मुंह चुरा के भागे सुब्रमण्यम स्वामी

जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी को सतना जिले में आकर कांग्रेस के युवराज को एक बार फिर से समलैंगी और उनकी मां श्रीमती सोनिया गांधी को विषकन्या कहना काफी भारी पड़ गया। सुबह कही गई बात शाम होते तक इस कदर बिगड़ गई कि स्वामी को कीचड़ और गोबर के छींटों का सामना करना पड़ा तो आम तौर पर दिखाए जाने वाले काले झण्डे भी दिखाये गये। इसके साथ ही युकांईयों ने स्वामी का सतना शहर में रुकना दुस्वार कर दिया। स्थिति यह रही कि महाकौशल एक्सप्रेस से दिल्ली के लिये रिजर्वेशन होने के बाद भी उन्हें गोपनीय तरीके से मैहर ले जाया गया। यहां के एक सीमेन्ट कंपनी के रेस्ट हाउस में भोजन कराने के बाद आगे सड़क मार्ग (नेशनल हाइवे से नहीं) से जबलपुर ले जाया गया।
फेल हुआ पुलिस प्रशासन 
सतना में स्वामी द्वारा राहुल गांधी को समलैंगी व सोनिया को विषकन्या बताने के साथ ही कांग्रेस का टैम्प्रेचर बढ़ने लगा था। लेकिन यहां की पुलिस के थर्मामीटर में यह बढ़ता तापमान नहीं आ पाया। न ही पुलिस द्वारा इसकी कोई व्यवस्था की गई। जब तक पुलिस को कांग्रेस के विरोध का पता चला तब तक काफी देर हो चुकी थी और मुट्ठी भर युवक कांग्रेस के लोगों ने देश की राजनीति में तहलका मचाने वाले सुब्रमण्यम स्वामी का सतना में रहना मुश्किल कर दिया और उन्हें सतना से मुंह छिपाकर भागना पड़ा।
सीनियरों ने कटाई नाक 
स्वामी के विरोध को लेकर जिस तरीके से सीनियर कांग्रेसियों ने चुप्पी साध रखी थी और मोर्चे पर अकेले युकांई लड़ रहे थे इसने साबित कर दिया है कि सतना में सीनियरों का दम बुझ चुका है और वे अपने पद लायक नहीं रह गये हैं। क्योंकि वे इस विरोध में न तो हिस्सा ले रहे थे और न ही दिशा दे रहे थे। दिशाहीन युकांई जिस तरह आवेशित थे उससे कुछ भी हो सकता था। शायद इसीलिये प्रशासन ने स्वामी को गुपचुप तरीके से कहीं दूसरी जगह भेजने का निर्णय लिया। क्योंकि इस विरोध में सुनने वाला कोई था नहीं और जो सुन सकते थे वे आंदोलन के परे थे।

Friday, August 24, 2012

किस दिशा में जा रहा है सतना का प्रिंट मीडिया

सतना का प्रिंट मीडिया का जैसा गैर जिम्मेदाराना रवैया इस बार अंकिता सिंह के प्रकरण में देखने को मिला वैसा अभी तक नहीं मिला। निहायत वाहियात तरीके से हवा में लाठी भांजते हुए इलेक्ट्रानिक मीडिया की तरह टीआरपी के गेम में शामिल नजर आया प्रिंट मीडिया। प्रिंट का हर अक्षर ब्रह्मा का लेख माना जाता है और कालजयी रहने वाले इन अक्षरों की महिमा पर ही पाठक अखबारों पर विश्वास करता है लेकिन अंकिता प्रकरण में अखबारों ने जिस तरीके की गैर जिम्मेदारी दिखाई है उससे तो अखबार ही शर्मशार हुए हैं। दैनिक भास्कर जैसे सबसे ज्यादा प्रसार संख्या वाले अखबार ने तो इस मामले में हद ही कर दी। कभी अंकिता के रिश्ते किसी से बताता चला गया और कभी किसी से। इससे भी पेट नहीं भरा तो फिर एक आईएएस और उद्योगपति से रिश्ता जोड़ दिया। कुल मिलाकर न जाने किसक इशारे पर मोतीलाल गोयल तो एपीसिंह, तत्कालीन कलेक्टर फिर अहलूवालिया और न जाने किस-किस से रिश्ते जोड़ने का प्रयास किया। अखबार का गैर जिम्मेदाराना पक्ष यह भी कि यह सब किस हवाले से कह रहा है वह तक नहीं न ही इसका कोई प्रमाण। आखिर इस मामले में वह साबित क्या करना चाह रहा है। हद तो तब हो गई जब कुछ छापने को नहीं बचा तो अंकिता के पिता के बारे में ही छापने में जुट गया और उनका इतिहास उठा लाया। शहर में लोगों ने तो इस गासिप भरी कहानियों पर यह तक प्रतिक्रिया दी है कि अखबार के लिये अब बचा है तो अब अंकिता की नैपकिन और अंतः वस्त्र के बारे में जानकारी दी जाये। सतना में 13-14 साल की किशोरवय उम्र तक रहने वाली अंकिता को किसी वैश्या की भूमिका में पेश करने जैसी स्थिति कर दी गई।
कुछ ऐसा ही स्टार समाचार ने भी करने की कोशिश की। लेकिन इसमें इतनी हवा में लाठी नहीं भांजी गई। इनका भी हाल यूं रहा कि दिल्ली पुलिस की पतासाजी में पीछे रह गये तो दिल्ली पुलिस पर ही तमाम सवाल उठा गये। गोया ऐसा कि दिल्ली पुलिस की नैतिक जवाबदेही थी कि वह पहले इस अखबार को आकर रिपोर्ट करती कि हम यहां है और यहां जायेंगे। और उसने ऐसा नहीं किया तो वह यहां वसूली के लिये आई। 
दैनिक जागरण ने भी कुछ कमी नहीं रखी। इसने तो अंकिता के पूरे खानदान की ही चरित्र हत्या करने में कोई कोर कसर नहीं रखी। यह तो दो कदम और आगे जाकर इनकी मां रेणू सिंह का चरित्र प्रमाण पत्र बनाने बनाने में जुट गया। गासिप पर चल रही इस पत्रकारिता ने यहां के अखबारों के जिम्मेदारों का नैतिक दीवालियापन तो दिखा ही दिया और अपनी अखबारी समझ का भी परिचय दे दिया।
दिल्ली का नंबर और कांडा 
प्रिंट मीडिया का इन दिनों एक और संपादकीय दिवालियापन देखने को मिला कि कुछ दिनों से एक थाने में दिल्ली नंबर की कार खड़ी थी। उसकी जानकारी मिली नहीं की उसके तार भी काण्डा से जोड़ दिये। हद तो यह हो गई कि यह भी पता नहीं किया कि गीतिका की आत्महत्या के पहले से वह कार खड़ी थी। रिपोर्टिंग की इतनी शर्मनाक स्थिति तो नहीं कही जा सकती कि बगैर किसी जानकारी पर पहुंचे कुछ भी लिख दें फिर दूसरे दिन अपनी ही बात से पलटते हुए सफाई देते नजर आएं। 

Monday, August 20, 2012

कौन है कांडा की अंकिता सिंह


हमे भेजे मेल में बताया गया है कि गीतिका आत्महत्या मामले में घिरे गोपाल कांडा के रिश्ते सतना से काफी पुराने हैं। मेल में बताया गया है कि अंकिता सिंह के पिता प्रभाकर सिंह रामपुर बाघेलान के महुरछ इलाके में कभी टायर का कारोबार करते थे । मूल रूप से वे बांदा निवासी रहे और उस दौर में वे सतना आ गये थे। इनका रवैया दिखावा भरा होता था और इन्होंने उस दौर में सोया जैसे लाइसेंस हासिल करके अपना ओहदा इतना ऊपर उठा लिया था कि उनके लिये बड़ी बड़ी कंपनियां अपने खास लोगों को उन तक भेजती थी। हालांकि यह पूरा कारोबार कागजी था। दिखावे की दुनिया में जीने वाले प्रभाकर सिहं का रहन सहन उनकी आर्थिक स्थिति से कुछ ज्यादा ही रहा करता था। इसकी चमक दमक में वे अपना रसूख बनाते थे। उनकी तीन बेटियां थी। ये भी पिता के ही पद चिन्हों पर चलने में विश्वास रखती थी और उस दौर में उनका पहनावा आज के दौर के समतुल्य था। आये दिन पार्टियां करना और रसूखदारों को उसमें बुलाना इनका पसंदीदा सगल था। शहर में दिनभर इस बात की चर्चा रही कि इनकी पार्टियों में शामिल होने वालों में सिंह मशीनरी के राजीव सिंह, कभी टीआई रहे और अब नेता बने अखण्ड प्रताप सिंह प्रमुख रहे। इस परिवार का लगाव शराब करोबारी कुलदीप सिंह से भी काफी रहा और इनके रिश्ते चर्चित भी खूब हुए ( हालांकि यह अभी अपुष्ट है )। बाद में इस परिवार की बड़ी लड़की ने यहीं रामपुर में शादी कर ली। उनके पति का नाम वैभव सिहं बताया जा रहा है जिनका हाल निवास बस स्टैण्ड के पास की कालोनी में होने की बात कही जा रही है। उधर वक्त के साथ यह परिवार बिखराव के दौर से गुजरने लगा और आकांक्षाएं आसमान छू ही रही थी। प्रभाकर दंपति में भी तनाव होने लगा था। स्थितियां संभलते न देख यह परिवार बाद में यहां अपना सबकुछ बेच कर दिल्ली चला गया। इस दौर तक परिवार की सबसे छोटी बेटी अंकिता भी दुनियादारी समझने लगी थी और आसमान की उंचाइयों में अपना अक्श देखने लगी थी। दिल्ली जाते ही इसके परों को और फैलाव मिल गया और वह सतना की पार्टियों का और बड़ा कद करके वहां की पार्टियां ज्वाइन करने लगी। इसी बीच इनकी पहचान बढ़ी और एक दिन अंकिता गोपाल कांडा के गुड़गांव स्थित फार्महाउस की पार्टी की ज्वाइन करने गई। वहां जैसे जैसे मस्ती का दौर और शुरूर बढ़ता गया अंकिता के कदम भी थिरकने लगे। यह थिरकन उसे गोपाल कांडा तक ले गई। हुश्न का शौकीन कांड़ा यहीं पर अंकिता से पहली बार रू-ब-रू हुआ और फिर उसे अपनी एअर लाइन कंपनी में ज्वाइन करने का आफर दे दिया। अंकिता को यह ऊंचाई रास आई और उसने कांडा की कंपनी के साथ उसे भी ज्वाइन करना शुरू कर दिया। कांडा की नजदीकी का लाभ उसे मिलने लगा और कांडा ने उसे गोवा में काफी संपत्ति दी।
''According to Mehta, Kanda used to give expensive gifts to the women who surrounded him. Some received pets from him, some got perfumes or diamonds. Ankita received a property in Goa worth crores from Kanda.''
 अंकिता का गोवा कनेक्शन 
कांडा से नजदीकियां बढ़ने के बाद कांडा ने गोवा में अंकिता को काफी प्रापर्टी देने के साथ ही अपने कसीनों की देख रेख का भी जिम्मा दिया हुआ था। खुद को कांडा की पत्नी बताने वाली अंकिता गोवा के मॉडल रेजिडेंसी में मॉडल्स डीलिथीया बिल्डिंग के फ्लैट में रहती थी. उसे कांडा ने एचआर 26 ए एम 0444 नंबर की होंडा सीआरवी दी हुई है. यह गाड़ी मॉडल्स डीलिथीया बिल्डिंग के बाहर खड़ी हुई है. सनी देओल की फिल्म 'जो बोले सो निहाल' में रोल कर चुकी नूपुर मेहता को गोपाल कांडा ने उन्हीं दिनों बेंगलुरु में रखा हुआ था. अंकिता की एक बेटी भी है. अंकिता के मुताबिक वह कांडा की बेटी है.(@ india tday)

गीतिका से झगड़ा 
अंकिता गोवा में बतौर कांडा की पत्नी के रूप में रह रही थी। उधर २००९ में कांडा ने गीतिका को भी गोवा भेज दिया। यहीं से लव, सेक्स और रुतबे की लड़ाई प्रारंभ हुई। जब अंकिता गीतिका के बारे में जान पाई तो वह एक दिन नूपुर मेहता के साथ होटल में आई और गीतिका की पिटाई कर दी। कांडा ने जो सामान गीतिका को दिया था, उसने वे सारे छीन लिए। गीतिका ने पणजी थाने में अंकिता और नूपुर के खिलाफ केस दर्ज करवाया था। एफआईआर वापस लेने के लिए भी गीतिका पर काफी दबाव चल रहा था। शादी न होने का जिम्‍मेदार भी गीतिका अंकिता को मानती थी। (@ one india)

और हो गई फरार 
उधर गीतिका मर्डर केस में गीतिका के सुसाइड नोट में अपना नाम आता देख अंकिता गोवा स्थित अपने घर से गायब हो गई है। वह कहां गई है इसकी किसी को जानकारी नहीं है। दिल्ली पुलिस को उसके घर में ताला लटका मिला है। अब दिल्ली पुलिस उसकी पतासाजी में सतना आने वाली है। (@ dainik jagran up)


Saturday, August 11, 2012

रेस्क्यू आपरेशन में पुलिस की भारी चूक, जाते जाते बची जान

जन्माष्टमी की भोर को जिगनहट के समीप सतना नदी पर बने रपटे नुमा पुल में नदी की बीच धार में फंसी जीप और उसमें बैठे चार आदमियों को बचाने के पुलिस द्वारा चलाया गया रेस्क्यू आपरेशन का सच यह है कि तीन जान तो उसने बचाई लेकिन एक व्यक्ति की जान सुरक्षा मानदण्डों की पुलिस द्वारा की गई अनदेखी से जाते जाते बची। हालांकि इस मामले को पूरी तरह से दबाते हुए सभी को पुरस्कृत करने की बात की जा रही है जबकि हकीकत यह है कि इस मामले की जांच की जाकर सुरक्षा में चूक बरतने वालों को दण्ड देना चाहिये।
रेस्क्यू आपरेशन की हकीकत यह थी कि यहां क्रेन की सहायता से बचाव अभियान जब शुरु किया गया तो तीन आदमियों को क्रेन के माध्यम से ट्यूब की सहायता से खींच लिया गया लेकिन जब चौथे की बारी आई तो उसकी बातों में आकर बचाव दल ने खाली क्रेन के हुक को खाली उसके पास पहुंचा दिया और जोश में चौथे आदमी ने हुक पकड़ लिया। इस दौरान उसे ट्यूब नहीं भेजा गया। हुक से लटके व्यक्ति को जब खींचा जाने लगा तो थोड़ी देर में हुक से पकड़ ढीली हो गई और व्यक्ति के हाथ से हुक छूट गया और वह नदी में जा गिरा। इस दौरान यहां सभी की सांसे थम गई और युवक नदी की धारा में बह गया। उधर कुछ साहसी लोग धारा के साथ उसके पीछे भागे और एक युवक ट्रैक्टर का ट्यूब लेकर नदी में कूद गया। उसके सहारे वह युवक के पास पहुंचा और फिर ट्यूब के सहारे दोनों लोग किसी तरह नदी के किनारे पहुंचे।
यहां बचाव दल की लापरवाही यह रही कि उसे बचाव के सिद्धांतों का पालन करते हुए खाली हुक में युवक को न लटकाते हुए ट्यूब या सुरक्षा पट्टी के सहारे खींचना था। वह तो गनीमत रही कि युवक से थोड़ा बहुत तैरना आता था नहीं तो इस बचाव अभियान की चूक के कारण उसकी मौत तय थी।
(चित्र में देखेः किस तरह से अंतिम व्यक्ति को निकालने चलाया गया था बचाव अभियान)

Sunday, August 5, 2012

समाचार-पत्र न्यूज पोस्टमार्टम शुरू

सतना से
समाचार पत्र 
न्यूज पोस्टमार्टम 
की

शुरुआत 

15 अगस्त 2012
 

Saturday, August 4, 2012

चुनाव के मद्देनजर हुए तबादले

इस मर्तबा सतना जिले में जो तबादले हुए वह चुनावों को सामने रखकर किये गये हैं। सांसद, विधायकों ने अपनी मर्जी के मुताबिक कर्मचारियों को दायें बायें किया है। इस मामले में माननीय सांसद ने अपने किसी भी शुभचिंतक को निराश नहीं कियाहै। भाजपा ने भी अपने अनुसार तबादले कराये हैं। इसके लिये मोहरा बनी प्रबंध समिति. देखे टेबल किसने किसका प्रस्ताव किया। Transfer

Wednesday, August 1, 2012

एसडीएम के पास पहुंचा नोटो का बैग किसके लिये था

हमें मेल द्वारा बताया गया है कि इन दिनों एसडीएम मझगवां विनय जैन या तो जम कर कमा रहे हैं या फिर किसी बड़े अधिकारी या नेता के कलेक्शन एजेंट बने हैं। मेल में बताया गया है कि पिछले गुरुवार की रात को जीव्हीआर कम्पनी के पीआरओ जो एसडीएम के दलाल भी है रात को किसी द्विवेदी नामक व्यक्ति जो काफी मोटा ताजा था के साथ एक सूटकेस लेकर एसडीएम के घर आते हैं। इसके बाद यहां बातचीत होती है और बाद में दोनों खाली हाथ वापस लौट जाते हैं। इस सूटकेस में रकम थी यह तो तय बताया गया है लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि रकम किसके लिये थी। क्या खुद एसडीएम भ्रष्टाचार की रकम ले रहे हैं या फिर अपने बॉस कलेक्टर केके खरे के लिये या फिर किसी नेता के लिये। लेकिन रात को जीव्हीआर कंपनी के पीआरओ के साथ सूटकेस का पहुंचना साबित कर रहा है कि यह राशि यहां हो रहे सड़क निर्माण में भारी भ्रष्टाचार को दफन करने के नाम पर हो रहा है। मेल में बताया गया है कि एसडीएम विनय जैन ने अशोक मिश्रा को पूरी तरह से अपने अधिकार भी सौंप रखे हैं वसूली और दलाली के इसलिये रात में जीव्हीआर कंपनी की गाड़ी में पीली बत्ती लगाकर वे घूमते हैं। मेल में बताया गया है कि शासन से एसडीएम को गाड़ी मिली है लेकिन वे जीव्हीआर कंपनी की गाड़ी ही उपयोग में ला रहे हैं। आखिर जीव्हीआर उन्हें क्यों गाड़ी दे रहा है और एसडीएम अपनी सरकारी गाड़ी से क्यों नहीं चलते, कहानी अपने आप में काफी कुछ कह रही है लेकिन अब इस मामले में कलेक्टर केके खरे की भी गर्दन फंसती नजर आ रही है।

एक अखबार जहां शराब तय करती है खबर

सतना के अखबार जगत में इन दिनों शराबखोरों की बेहतरी के दिन चल रहे हैं। दिन भी बेहतर ऐसे कि शराब पिलाओ और खबर छपवाओ। इसमें रिपोर्टर और संपादक दोनों शामिल हैं। हमे मेल से बताया गया है कि इन दिनों एक दैनिक अखबार में खबरों का महत्व और स्थान शराब तय करती है। यहां संपादक को शराब पार्टी दे दो या शराब ही दे दो फिर देखों कैसे खबरें लगती हैं। हालांकि इस मामले पर अभी पुष्टि नहीं हो सकी है। पुष्टि होते ही इस खबर में अखबार और संपादक का नाम दे दिया जायेगा। मेल में तो यह भी बताया गया है कि संपादक खुद कई लोगों को फोन करके शराब या पार्टी की डिमांड करते हैं।

Sunday, June 3, 2012

माहेश्वरी ने दैनिक भास्कर को समाज का शत्रु कहा

रेलवे में कार्यकाल के दौरान शक्कर से भरी वैगन चोरी की चर्चा से लेकर शहर में भू-माफिया और अतिक्रमण माफिया को प्रश्रय देने के मामले में गाहे बगाहे विवादों में रहने वाले संघ के पदाधिकारी श्री कृष्ण माहेश्वरी पर कुछ दिनों पहले दैनिक भास्कर ने अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला था। इसमें शिव के राज में श्रीकृष्ण लीला  के नाम से जो खबर की सिरीज चलाई गई थी उसमें श्रीकृष्ण माहेश्वरी की असलियत सामने आ गई थी। हालांकि इस खबर पर चुप्पी साधे बैठे माहेश्वरी का गुबार रविवार को रामवन में उस समय फूटा जब यहां बाबू शारदा प्रसाद की प्रतिमा का अनावरण हो रहा था।
दैनिक भास्कर से खार खाये बैठे माहेश्वरी ने अपने भाषण में कहा कि
'' अच्छे काम व अच्छे लोगों के सामने बाधाएं हमेशा आती हैं। देवता हैं तो राक्षस भी होंगे। नकारात्मक शक्तियां हमेशा रही हैं। अभी कुछ दिनों से समाचार पत्र ने मेरे बारे में काफी कुछ लिखा। एक अभियान चलाया। मैं यहां खड़ा हूं जिसे जो पूछना है मेरे व्यापार के बारे में, मेरे काम के बारे में ... पूछे। बाधाएं आती हैं अच्छे कामों में। डरे नहीं। नकारात्मक लोग जो समाज के शत्रु हैं उनकी पहचान करें भय खाने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे लोग कुछ कर सकते हैं तो समाज के लिये कुछ करें। उन्हें भी सद् बुद्धि आयेगी।''

नागौद में ऊर्जा मंत्री की हुई फजीहत

मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री जनाब राजेन्द्र शुक्ल फीडर सेपरेशन के समारोह में शिरकत करने 1जून शुक्रवार को पहुंचे। उनके साथ लोक निर्माण मंत्री नागेन्द्र सिंह और सांसद गणेश सिंह भी रहे। समारोह में ऊर्जा मंत्री ने अपने मंच पर कुछ ऐसे लोगों को बुला लिया जो वहां के पार्टी समर्थकों और उनकी पार्टी भाजपा के लोगों को नागवार भी गुजरा। इसके बाद तो इनका गुस्सा भड़क उठा और जमकर मंत्री को उनके ही मुंह पर बेगैरत किया गया।
मसला कुछ ऐसा रहा कि फीडर सेपरेशन के समारोह में मंत्री जी अपने साथ कुछ अपने चहेतों को भी ले गये थे। समारोह स्थल पर जब मंच पर बैठने और स्वागत का नंबर आया तो स्थित तब अजीब हो गई जब मंच पर मंत्री के चहेते अधिकारी और पत्रकार ही नजर आये यही हाल स्वागत का भी रहा। स्वागत में भी इन्ही लोगों के नाम रहे। इससे नाराज वहां के पार्टी के खासबरदारों का गुस्सा फूट पड़ा और मंत्री के सामने पहुंच कर उनके मुंह पर ही बोल पड़े कि यदि यहां पर विधायक नागेन्द्र सिंह न जीतते, बागरी न जीतते, सुरेन्द्र सिंह न जीतते तो आपको मंत्री न बनाया जाता। आपको ये अधिकारी और पत्रकार वोट नहीं दिलाएंगे। तब यही कार्यकर्ता आपके काम आते हैं जिनको आप नजरअंदाज कर रहे हैं। यदि ये नजर अंदाज होते रहे तो आपका मंत्री पद जाते एक मिनट भी नहीं लगेगा राजेन्द्र शुक्ला जी यहीं एक मिनट मुख्यमंत्री को भी हटने में नहीं लगेगा। इसके अलावा भी मंत्री जी को जमकर लताड़ उनके मुंह पर लगाई गई।
मामले की हकीकत का वाकया कुछ यह पता चला है कि मंत्री जी के साथ एक पत्रकार साथ में चल रहा था जिन्हें वे काफी अहमियत दे रहे थे। जो वहां के लोगों को पसंद नहीं आ रहा था। ऐसे में पहले से नाराज कार्यकर्ता का गुबार फूट पड़ा।

Saturday, May 19, 2012

विट्स की प्रेमकहानी है क्या मारपीट की जड़

जिले का चर्चित इंजीनियरिंग कालेज है विट्स। पतेरी से होकर करही रोड जाने पर दाहिनी ओर भव्य अट्टालिकाओं और मनोहारी दृश्यों के बीच रचा बसा शिक्षा का यह केन्द्र अपने में कई प्रेम कहानियों और अवैध कृत्यों को समेटे हैं। इसमें जहां विद्यार्थियों की नादानियां भी शामिल हैं तो यहां के स्टाफ का छल व पिपासा भी। यहां के मालिकानों में से एक सेनानी से अपने संबंधों को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाली तलाकशुदा महिला के अब नये संबंध यहां चर्चा का विषय बन रहे हैं। मस्त पार्टियों के लिये मशहूर यह महिला इन दिनों कालेज के एक शिक्षक पर कुछ ज्यादा मेहरबान है। सीडी सिंह जो कि एक विज्ञापन एजेंसी चलाने वाले के भाई है विट्स में पढ़ाने का काम करते हैं। पढ़ाने के साथ-साथ इनकी रुचि वहां के छात्रों के निजी मामलों में भी ज्यादा रहती है। ऐसे ही एक विवाद के मामले में सीडी ने एक छात्र की पक्ष की ओर से दूसरे छात्र को न केवल धमकाया बल्कि हाथ भी छोड़ दिया। यहां से माहौल बिगड़ने लगा था। छात्र एक जुट होने लगे थे और मौके की तलाश भी थी। उधर कैम्पस में यह भी चर्चा गरम थी कि आखिर एचआर ऋचा सिंह एक दूसरी दिशा में रहने वाले शिक्षक को क्यों अपनी कार में बैठाकर लगातार क्यों लाती और ले जाती हैं। हर विद्यार्थी यह दबी जुबान कहता है कि मैडम पेप्टेक सिटी में रहती हैं, सीडी सिंह राजेन्द्र नगर स्थित रामा बिहार कालोनी के पीछे स्थित कालोनी में। दोनों की निवास की दिशा पूरब पश्चिम है फिर साथ आना-जाना क्या है। हम मुंह का अपना मतलब है। कोई इसे प्रेम संबंध से जोड़ रहा है, कोई इसे दोस्ताना कह रहा है, कोई जूनियर स्टाफ पर मेहरबानी कोई महज सामान्य घटना।
लेकिन सीडी की मारपीट के बाद से नाराज छात्रों को एक हर्ष दायक खबर तब मिली जब उन्हें पता चला कि विट्स की एचआर ऋचा सिंह और प्रोफेसर सीडी सिंह एक साथ कार में निकलने वाले हैं। फिर क्या था फोन हुए, व्यवस्था हुई और भट्ठे के पास कार रोकने का प्रयास किया गया और उसके शीशे फोड़ डाले गये। वो तो ऋचा की दिलेरी थी कि उसने कार रोकी नहीं वरना सीडी सिंह की हालत कार के टूटे हुए शीशों की तरह होती।
कुल मिला कर इन दिनों कालेज में यह तथाकथित प्रेमकहानी हर छात्र छात्रा की जुबानी हैं। ऐसे कालेज में जहां स्टाफ की कहानियां सुनने को मिले वहां के माहौल का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह कहानी कितनी सही व कितनी गलत है यह तो विट्स प्रबंधन और एचआर व प्रोफेसर ही जानते होंगे लेकिन यह भी सच है कि बिना आग लगे धुंआ नहीं उठता है।

Friday, May 18, 2012

धर्मेन्द्र सिंह हत्याकाण्ड- स्लेटी कलर की इंडिका में भागा था राजा

हमे भेजे गये मेल में बताया गया है कि बाबूपुर में हुए हत्याकाण्ड में चार लोग मरे हैं। जमीन को लेकर हुए विवाद में मरने वालों में एक पक्ष से भाजपा नेता व पूर्व पार्षद तथा इन दिनों संघ के श्रीकृष्ण माहेश्वरी का करीबी धर्मेन्द्र सिंह घूरडांग, उसके दो सगे भांजे बिप्पू सिंह और बिन्नू सिंह है। दूसरे पक्ष से मरने वाले में जगन कोल है।
मेल में बताया गया है कि जब बाबूपुर में खूनी संघर्ष हो रहा था उस वक्त वहां पर राजा भी था। उस दौरान उसके पास दो पिस्टल रही हैं। एक उसकी खुद की लाइसेंसी और दूसरी गैर लाइसेंसी। जब आदिवासियों ने राजा को देख लिया तो उसके पीछे भी भागे। हालात के मद्देनजर राजा ने वहां से दौड़ लगा दी। हालांकि इस दौरान राजा के हाथ व शरीर में कुछ डंडे पड़े हैं और कंधे के नीचे बांह में सूजन है। इस दौरान उसने अपने साथ रखी पिस्तौल से चार गोलियां भी दागी। हालांकि आदिवासियों ने उसका पीछा जारी रखा और सतना-अमरपाटन रोड आने तक राजा दौड़ता ही रहा। इसके बाद राजा ने एक बस रुकवाई और उसमें बैठकर भटनवारा तक आया। यहां पर वह उतर गया और ओर एक होटल में जाकर पनाह ली। इस दौरान तक वह सतना अपने साथियों को सूचित कर चुका था। इसके बाद एक एक स्लेटी कलर की इंडिका में उसे लेने एक मुसलमान पहुंचा था जिसके साथ राजा सतना पहुंचा।

घटना की वजह
घटना की शुरुआत बुधवार की रात से होती है। यहां पर रात से ही डामर रोड से लगी सरकारी जमीन पर स्थानीय आदिवासियों द्वारा कब्जे की नीयत से 50 से 60 की संख्या में लकड़ी के चार खंभे और ऊपर टटिया, प्लास्टिक, त्रिपाल आदि लगाकर झोपड़ा बनाते हैं। इसकी जानकारी गुरुवार को धर्मेन्द्र सिंह को होती है और वह गुरुवार की रात को अपने साथियों को भेज कर यहां की जमीन खाली करने की धमकी दिलवाता है। जिसमें कहाजाता है कि रात को यह जमीन खाली कर दो नहीं तो सुबह सब जला देंगे। इस दौरान वहां चार पांच हवाई फायर किये गये।
की बातचीत की तैयारी 
धमकी से घबराये आदिवासियों ने रात में ही निर्णायक लड़ाई की तैयारी कर ली। उन्होंने अपनी ओर से बातचीत के लिये जगन कोल को चुना। अगली सुबह पूरे लोग इक्कठा होकर वहीं सरकारी जमीन पर बैठ गये थे।
पहली गोली बिप्पू ने चलाई 
रात की धमकी के बाद अगले दिन धर्मेन्द्र सिंह अपने भांजों व अन्य लोगों के साथ वहां पहुंचा। इस दौरान पहुंचते ही उसने सरकारी जमीन में तनी कुछ झोपड़ियों में आग लगानी शुरु की तो वहां बैठे आदिवासी उसके पास आये जिसमें आगे जगन कोल था। इसके बाद इन लोगों ने ऐसा न करने की बात कही तो धर्मेन्द्र सिंह ने जगन को नेतागिरी न करने की धमकी के साथ गाली दी। इस दौरान बहस बढ़ती गई और आवेशित जगन का धीरज जवाब दे गया और उसने धर्मेन्द्र सिंह की कालर पकड़ ली। यह देखते ही पास खड़े बड़े भांजे दिप्पू  ने जगन पर गोली चला दी। गोली लगते ही लगते ही जगन नीचे गिरा। इसके साथ ही हालात बेकाबू हो गये। भीड़ तंत्र हावी हो गया और सभी ने शहर के गुण्डों को घेर लिया। इस दौरान धर्मेन्द्र ने अपने बचाव में एक गोली चलाई जो उसकी आखिरी गोली थी इसके बाद उसे दूसरा फायर करने का मौका नहीं मिला औरपत्थर लाठियों की मार के बीच भागते भागते सड़क के किनारे की नाली में गिर पड़ा। फिर भी लोग तब तक मारते रहे जबतक वह मर नहीं गया। यही हश्र उसके दोनों भांजों का हुआ।
नीचे नहीं उतरा था ड्राइवर 
इस पूरे घटनाक्रम में ड्राइवर स्कार्पियो में ही बैठा रहा। वह नीचे नहीं उतरा था। राजा इन लोगों से लगभग 30 फीट की दूरी पर खड़ा था। इसी दूरी पर अन्य लोग भी खड़े थे।
माहेश्वरी भी है जमीन के पार्टनर
मेल में बताया गया है कि यहां की जमीन के साइलेंट पार्टनर संघ के पदाधिकारी  भी हैं। इन दिनों माहेश्वरी जमीनों और खदान के कारोबार में जुड़े हैं। ऐसे ही एक जमीन इनकी जोड़ी ने लखनवाह में भी ली है। यहां पर भी ऐसा ही विवाद तैयार हो रहा था और वहां पर भी खूनी खेल होता। संघ के नाम पर भाजपा के कंधे पर सवार यह माहेश्वरी इन दिनों जिले में जमीन का सबसे बड़ा काला कारोबारी है जो सामने से सफेदपोश बने है लेकिन इसके पीछे काफी काले धंधे हैं।

Friday, April 20, 2012

नेहरू और संन्यासिन का प्रेम

नेहरू का संन्यासिन से प्रेम पर मथाई ने पृष्ठ क्रमांक 206 में खुल कर लिखा है।
Reminiscences of the Nehru Age by M O Mathai Part 2of2

नेहरू की हकीकत बयां करती किताब जो भारत में प्रतिबंधित है

Reminiscences of the Nehru Age by M O Mathai Part 1of2

Sunday, March 25, 2012

अखबार की आड़ में कारोबार

हमें एक मेल प्राप्त हुआ है उसे यथा प्रकाशित किया जा रहा है। इसमें कुछ नामों को सत्यता पुष्टि न होने के कारण छिपाया जा रहा है-
प्रति,
    श्री संपादक महोदय
    xxxxxxx सतना
विषय - आपके द्वारा xxxxxxx संबंध में ।
    विषयांतर्गत लेख है कि xxxxx मामले को ठंडे बस्तें में डाल दिया गया ।
    जैसा कि मुझे पूर्व से विदित है कि xxxxx जो कि बिकाऊ नही  है अतः मुझे यह अहसास हुआ कि इस मामले की जानकारी आपको देनी चाहिये जिससे आप लोगो तक सच्चाई पहुॅचा सकें ।
    मिडिया के आड में xxxxx के द्वारा xxxxx व xxxx के माध्यम से शहर के व्यापारियो से जबरन उगाही का धंधा किया जा रहा है ।
    अपने आप को शहर के गणमान्य नागरिको में गिनने वाले xxxxx के द्वारा पूर्व में पंजाब एण्ड सिंध बैंक से लगभग 10 लाख का लोन लिया गया बाद में अपनी असली नियत दिखते हुये हजम कर लिया गया । जो कि आज भी बैंक द्वारा भगोडे घोसित है ।
    xxxxx के xxxx के द्वारा अपने पद में रहते हुये बिरला फैक्ट्री में करोडो रूपये का हेरफेर किया गया जिसकी जांच आज भी माननीय न्यायालय में लंबित है ।
   xxxxx के द्वारा अपने आप को समाजवादी पार्टी के नेता कहलाने वाले xxxxxx के साथ मिलकर आजकल फर्जी जमीन का कारोबार किया जा रहा है , इसी तरह की एक जमीन सतना नदी पुल के बगल में है जिसकी रजीस्ट्री पूर्व में ही किसी के नाम से है बाद में फर्जी तरीके से इसी जमीन की रजीस्ट्री राजनैतिक व मिडिया की धांैस जमाकर अपने साथियो के नाम पर करा दी गई ।
  xxxxx के तथाकथित पार्टनर xxxxxx  के द्वारा फर्जी मार्कसीट व फर्जी दस्तावेजो के आधार पर सुबोध मेनन जो कि मूलतः महाराष्ट्र (मुंबई) का रहने वाला है का पिस्टल का लाइसेंस असंवैधानिक तरीके से बनवाया गया ।
   xxxxx  के द्वारा पूर्व में अस्था बी.एड. कालेज के मालिक को किडनैप करवाकर उसके साथ मारपीट कर उससे कालेज की संपत्ति व कालेज को अपने हितग्राहियो के नाम करवाया गया ।

                                        एक शुभौक्षुक

Friday, March 2, 2012

प्रिज्म सीमेन्ट का सेलो गिरा, यूनिट २ का काम ठप

सतना के रामपुर बाघेलान के समीप मनकहरी स्थित प्रिज्म सीमेन्ट कंपनी को लंबा नुकसान झेलना पड़ा है। इन नुकसान के साथ ही कंपनी की यूनिट क्रमांक 2 का कामकाज भी ठप हो गया है जो अगले 6 महीने तक बंद ही रहेगा। इस घटना से कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ है। 6 माह तक उत्पादन न होने से अप्रत्यक्ष रूप से और करोड़ों की हानि हुई है। इससे पहले भी यह सेलो निर्माण के समय गिर गया था और तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद शुरू हुए निर्माण के बाद तकनीकि खामी रह गई थी। 2 मार्च को यहां काम चल रहा था कि दोपहर अचानक सेलो में दरारें आनी शुरु हो गई। हालात नाजुक होते देख कंपनी प्रबंधन सकते में आ गया। इसी दौरान सेलो के गिरे मलबे से 3 लोगों के घायल होने की खबर है। शुरुआत में 18 हजार टन वजनी सेलो पीसा की झुकी हुई मीनार की तरह झुका हुआ था। हालात देखते हुए कंपनी ने यहां से लोगों को हटा लिये। देर रात 12 बजे के लगभग पूरा सेलो भरभरा का गिर गया। इस दौरान कोई जन हानि नहीं हुई है। लेकिन जो 4 लोग शुरुआती दौर में घायल हुए हैं वे कहां है और किस हाल में इसकी जानकारी को छुपाने लंबा मैनेजमेंट किया जा रहा है। अखबारों और न्यूज चैनलों में भी खरीद फरोख्त हुई है।  
बिकाऊ हुई सतना की पत्रकारिता  
सतना शहर का मीडिया बिक चुका है इसका प्रमाण इस घटना से मिल रहा है। चंद रुपयों के खातिर अपना जमीर बेचने वाले पत्रकार और प्रबंधन इतने भी नीचे चले जायेंगे यह शायद सतना में ही होता है। हद तो तब हो गई कि चंद नोटों के नीचे आकर इन लोगों ने खबर की खबर को हजम कर लिया। जबकि खबर तो दी जा सकती थी। बहरहाल मरे मीडिया जगत में इसी लिये तो उनकी औकात कुत्तों की तरह होती जा रही है कि जो भी आता है दो रोटी डाल देता है या फिर ज्यादा भोंके तो मार देता है। बनो कुत्ते...

Sunday, February 26, 2012

धन्यवाद भास्कर, जन सरोकार के लिये


इन दिनों सतना शहर में सीमेन्टेड सड़कों के उपर डामर बिछाया जा रहा है। दो तीन साल पहले 20 साल की गारंटी पर नगर निगम द्वारा बनवाई गई इस सीमेन्ट-कांक्रीट सड़कों की हालत अभी बेहतर है लेकिन इसके उपर एक बार फिर से डामर बिछाने को महज पैसे का दुरुपयोग ही माना जा सकता है वह भी तब जब शहर की आधे से ज्यादा सड़कों को अभी पक्का या डामरीकृत होने का इंतजार है। लेकिन कुछ ठेकेदार व महापौर की मिलीभगत से हो रहे इन कामों को दैनिक भास्कर ने जिस तरीके से सामने लाने का साहस किया है उससे यह तो अब साबित होने लगा है कि यह अखबार सतना शहर के जन सरोकारों का सही हितैषी है। नारेबाजी में अपने आपको जन सरोकारी कहने वालों की चुप्पी पर जनता की नजर तो है ही लेकिन अब शहर की जनता को भास्कर से ही आशा है कि शायद वह बाईपास शहर वासियों को दिला सकेगा। 
बिगड़ रही महापौर की छवि 
शहर की जनता ने जिस तरीके से पुष्कर सिंह तोमर को महापौर के रूप में देखा था अब वही जनता इन दिनों नगर निगम में होने वाले कामों से आजिज नजर आ रही है। कागजी व दिखावे के विकास में ज्यादा रुचि दिखाने के कारण महापौर की शहर वासियों के बीच उनकी निगेटिव छवि बन रही है।

Friday, February 24, 2012

विश्वतारा दूसरे ने स्टार समाचार में दी आमद

प्रदेश टुडे जबलपुर के स्थानीय संपादक विश्वतारा दूसरे ने स्टार समाचार ज्वाइन कर लिया है। उनकी यहां इन्ट्री स्टार समाचार के भोपाल संस्करण के लिये हुई है। जब तक भोपाल संस्करण नहीं खुल जाता है तब तक उन्हें रीवा ब्यूरो की जिम्मेदारी दी गई है। बतौर इंचार्ज वे रीवा के साथ-साथ सीधी और अनूपपुर का प्रमोशन व सर्कुलेशन भी देखेंगे।इसके पहले वे राज एक्सप्रेस में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और डेस्क (जबलपुर व सतना) इंचार्ज के रूप में यहां काम किया। इसके पहले वे जागरण सतना में ब्यूरो इंचार्ज रहे चुके हैं और बतौर सिटी चीफ दैनिक भास्कर सतना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अपने बेहतर लेखन के लिये इन्हें पहचाना जाता है।

Tuesday, February 21, 2012

देवेन्द्र नगर में गिरफ्तार हुआ पत्रकार का बेटा

अपने साथियों के साथ खजुराहों से लौट रहे नई दुनिया के पत्रकार के बेटे को देवेन्द्रनगर में रुकना तब महंगा पड़ गया जब उनकी हरकतों की वजह से स्थानीय पुलिस ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया। अपने साथियों के साथ खजुराहों की रंगीनियत देखने के बाद वापस लौट रहे थे तो नशे में ये लोग देवेन्द्रनगर में रुक गये। यहां इन्होंने जो भी किया हो उसकी सूचना जब पुलिस को मिली तो पुलिस ने पत्रकार पुत्र सहित सभी साथियों को गिरफ्तार कर लिया। बाद में पत्रकारीय रिश्तों की बदौलत पुलिस इन्हे छोड़ा है। देवेन्द्रनगर रेड लाइट एरिया(बेड़िनियों) के रूप में कुख्यात है।

Friday, February 17, 2012

दैनिक भास्कर के मालिकाना विवाद में अजय अग्रवाल कोर्ट पहुंचे

दैनिक भास्कर के खिलाफ प्रकाशन और मालिकाना हक से संबंधित फर्जी घोषणापत्र के मामले में १५ फरवरी बुधवार को न्यायालय में सुनवाई हुई।पिछली सुनवाई के दौरान प्रकरण से संबंधित मूल दस्तावेज पेश नहीं किये गये थे। इस पर न्यायालय ने दस्तावेजों की सत्य प्रतिलिपि सौपने के निर्देश दिये थे। इस सुनवाई में सतना से अजय अग्रवाल भी शामिल हुए हैं।
घोषणा पत्र के मामले में जबलपुर के पूर्व कलेक्टर भागीरथ प्रसाद की ओर से जारी आदेश और रिकार्ड के मूल दस्तावेज न्यायालय में पेश किये जाने है। लेकिन इसकी मूल फाइल नहीं मिल रही।
भोपाल के अजय झा तथा कलिनायक के प्रकाशक संजीव जैन व प्रेम जैन ने ११ नवंबर को प्रेस रजिस्ट्रेशन एवं बुक एक्ट १८६७ की धारा ८बी के तहत दैनिक भास्कर के प्रधान संपादक मनमोहन अग्रवाल, संचालक अजय अग्रवाल, सीएमडी कैलाश अग्रवाल, संचालक राकेश अग्रवाल तथा प्रकाश अग्रवाल के खिलाफ कोर्ट में आवेदन पेश किया था। जिसमें दैनिक भास्कर के घोषणा पत्रों को निरस्त करने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने २५ नवंबर को जिला दण्डाधिकारी को मामले का आठ माह के भीतर निराकरण करने के निर्देश दिये है। इसी आदेश के आधार पर यह कार्यवाही चल रही है।

Tuesday, February 7, 2012

स्टार समाचार, नगर निगम और रिपोर्टर का ठेका



जिले में स्टार समाचार ने आते ही जिस तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वह न केवल अखबार की बेहतर नीति रीति का नतीजा है लेकिन इसके पीछे भी एक और नीति चली वह रही है यहां के कुछ लोगों की स्व-महत्वाकांक्षा। अखबार के कंधे पर बंदूक रखकर अपना हित साधने वालों ने दिखाने  के लिये तो अखबार का फायदा किया लेकिन हकीकत कुछ और रही है। नगर निगम के मुखपृष्ट बने स्टार समाचार की बात पोस्टमार्टम पहले ही कर चुका है विगत दिवस सेमरिया एक्सप्रेस ने भी इसके रिपोर्टर की तथाकथा उजागर की है। स्टार समाचार के रिपोर्टर महेन्द्र पाण्डेय स्टार समाचार  के  नाम से कमाई करने में जुटे हैं। इंजीनियरों
 से 500-500 रुपये महीना वसूलने तथा  नगर निगम में फर्जी बिलों  के आधार पर सप्लाई करने वाले महेन्द्र पाण्डेय अखबार प्रबंधन को कुछ विज्ञापन देकर लाखों की मलाई अखबार के नाम पर खा रहा  है। हालांकि इससे बदनाम अखबार हो रहा है जो अभी प्रबंधन को नहीं समझ में आ रहा है क्य¨ंकि वह अभी शहर में निकल कर अखबार की क्षवि  के बारे  में पता नहीं कर रहा है। हालांकि शहर में खुद का काम करने वाले पत्रकारों में कई लोग हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर का बैकग्राउण्ड ठीक है और उनकी मूल पूंजी स्वयं की है। लेकिन महेन्द्र पाण्डेय जिनके पिता मूलतः सेमरिया नगर में चपरासी पद पर पदस्थ हैं और शराब के लती है इस वजह से परिवार की माली हालत सही नहीं रही है। एक भाई जो एमआर हैं ने परिवार को संभाला तभी
  राज एक्सप्रेस से तीन साल पहले पत्रकारिता में आने वाले महेन्द्र ने अखबार को अपनी कमाई का जरिया बनाया जो आज भी जारी है।

पत्रकारिता के दम पर अपनी रामकहानी लिखने वाले पत्रकारों में एसा ही एक दूसरा नाम संजय लोहानी का है। जब ये सतना आये थे तो इनकी स्थिति क्या थी किसी से नहीं छिपी है। लेकिन पत्रकारिता की ब्लैकमेलिंग से इन्होंने यहां अपना काला कारोबार शुरू किया और आज जमीन  के धंधे  के साथ ट्रक संचालन में जुटे हैं। पत्रकारिता की आड़ में मैहर सीमेन्ट में इन्होंने अपने ट्रक लगा रखे हैं। इसी तरह सतना सीमेन्ट में भी
इन्होंने काफी प्रयास किया था लेकिन सफल न होने पर इन्होंने यहां की काफी खबर दिखाई थी।