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Sunday, February 26, 2012

धन्यवाद भास्कर, जन सरोकार के लिये


इन दिनों सतना शहर में सीमेन्टेड सड़कों के उपर डामर बिछाया जा रहा है। दो तीन साल पहले 20 साल की गारंटी पर नगर निगम द्वारा बनवाई गई इस सीमेन्ट-कांक्रीट सड़कों की हालत अभी बेहतर है लेकिन इसके उपर एक बार फिर से डामर बिछाने को महज पैसे का दुरुपयोग ही माना जा सकता है वह भी तब जब शहर की आधे से ज्यादा सड़कों को अभी पक्का या डामरीकृत होने का इंतजार है। लेकिन कुछ ठेकेदार व महापौर की मिलीभगत से हो रहे इन कामों को दैनिक भास्कर ने जिस तरीके से सामने लाने का साहस किया है उससे यह तो अब साबित होने लगा है कि यह अखबार सतना शहर के जन सरोकारों का सही हितैषी है। नारेबाजी में अपने आपको जन सरोकारी कहने वालों की चुप्पी पर जनता की नजर तो है ही लेकिन अब शहर की जनता को भास्कर से ही आशा है कि शायद वह बाईपास शहर वासियों को दिला सकेगा। 
बिगड़ रही महापौर की छवि 
शहर की जनता ने जिस तरीके से पुष्कर सिंह तोमर को महापौर के रूप में देखा था अब वही जनता इन दिनों नगर निगम में होने वाले कामों से आजिज नजर आ रही है। कागजी व दिखावे के विकास में ज्यादा रुचि दिखाने के कारण महापौर की शहर वासियों के बीच उनकी निगेटिव छवि बन रही है।

Friday, February 24, 2012

विश्वतारा दूसरे ने स्टार समाचार में दी आमद

प्रदेश टुडे जबलपुर के स्थानीय संपादक विश्वतारा दूसरे ने स्टार समाचार ज्वाइन कर लिया है। उनकी यहां इन्ट्री स्टार समाचार के भोपाल संस्करण के लिये हुई है। जब तक भोपाल संस्करण नहीं खुल जाता है तब तक उन्हें रीवा ब्यूरो की जिम्मेदारी दी गई है। बतौर इंचार्ज वे रीवा के साथ-साथ सीधी और अनूपपुर का प्रमोशन व सर्कुलेशन भी देखेंगे।इसके पहले वे राज एक्सप्रेस में अपनी सेवाएं दे चुके हैं और डेस्क (जबलपुर व सतना) इंचार्ज के रूप में यहां काम किया। इसके पहले वे जागरण सतना में ब्यूरो इंचार्ज रहे चुके हैं और बतौर सिटी चीफ दैनिक भास्कर सतना में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। अपने बेहतर लेखन के लिये इन्हें पहचाना जाता है।

Tuesday, February 21, 2012

देवेन्द्र नगर में गिरफ्तार हुआ पत्रकार का बेटा

अपने साथियों के साथ खजुराहों से लौट रहे नई दुनिया के पत्रकार के बेटे को देवेन्द्रनगर में रुकना तब महंगा पड़ गया जब उनकी हरकतों की वजह से स्थानीय पुलिस ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया। अपने साथियों के साथ खजुराहों की रंगीनियत देखने के बाद वापस लौट रहे थे तो नशे में ये लोग देवेन्द्रनगर में रुक गये। यहां इन्होंने जो भी किया हो उसकी सूचना जब पुलिस को मिली तो पुलिस ने पत्रकार पुत्र सहित सभी साथियों को गिरफ्तार कर लिया। बाद में पत्रकारीय रिश्तों की बदौलत पुलिस इन्हे छोड़ा है। देवेन्द्रनगर रेड लाइट एरिया(बेड़िनियों) के रूप में कुख्यात है।

Friday, February 17, 2012

दैनिक भास्कर के मालिकाना विवाद में अजय अग्रवाल कोर्ट पहुंचे

दैनिक भास्कर के खिलाफ प्रकाशन और मालिकाना हक से संबंधित फर्जी घोषणापत्र के मामले में १५ फरवरी बुधवार को न्यायालय में सुनवाई हुई।पिछली सुनवाई के दौरान प्रकरण से संबंधित मूल दस्तावेज पेश नहीं किये गये थे। इस पर न्यायालय ने दस्तावेजों की सत्य प्रतिलिपि सौपने के निर्देश दिये थे। इस सुनवाई में सतना से अजय अग्रवाल भी शामिल हुए हैं।
घोषणा पत्र के मामले में जबलपुर के पूर्व कलेक्टर भागीरथ प्रसाद की ओर से जारी आदेश और रिकार्ड के मूल दस्तावेज न्यायालय में पेश किये जाने है। लेकिन इसकी मूल फाइल नहीं मिल रही।
भोपाल के अजय झा तथा कलिनायक के प्रकाशक संजीव जैन व प्रेम जैन ने ११ नवंबर को प्रेस रजिस्ट्रेशन एवं बुक एक्ट १८६७ की धारा ८बी के तहत दैनिक भास्कर के प्रधान संपादक मनमोहन अग्रवाल, संचालक अजय अग्रवाल, सीएमडी कैलाश अग्रवाल, संचालक राकेश अग्रवाल तथा प्रकाश अग्रवाल के खिलाफ कोर्ट में आवेदन पेश किया था। जिसमें दैनिक भास्कर के घोषणा पत्रों को निरस्त करने की मांग की गई है। हाईकोर्ट ने २५ नवंबर को जिला दण्डाधिकारी को मामले का आठ माह के भीतर निराकरण करने के निर्देश दिये है। इसी आदेश के आधार पर यह कार्यवाही चल रही है।

Tuesday, February 7, 2012

स्टार समाचार, नगर निगम और रिपोर्टर का ठेका



जिले में स्टार समाचार ने आते ही जिस तरह से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वह न केवल अखबार की बेहतर नीति रीति का नतीजा है लेकिन इसके पीछे भी एक और नीति चली वह रही है यहां के कुछ लोगों की स्व-महत्वाकांक्षा। अखबार के कंधे पर बंदूक रखकर अपना हित साधने वालों ने दिखाने  के लिये तो अखबार का फायदा किया लेकिन हकीकत कुछ और रही है। नगर निगम के मुखपृष्ट बने स्टार समाचार की बात पोस्टमार्टम पहले ही कर चुका है विगत दिवस सेमरिया एक्सप्रेस ने भी इसके रिपोर्टर की तथाकथा उजागर की है। स्टार समाचार के रिपोर्टर महेन्द्र पाण्डेय स्टार समाचार  के  नाम से कमाई करने में जुटे हैं। इंजीनियरों
 से 500-500 रुपये महीना वसूलने तथा  नगर निगम में फर्जी बिलों  के आधार पर सप्लाई करने वाले महेन्द्र पाण्डेय अखबार प्रबंधन को कुछ विज्ञापन देकर लाखों की मलाई अखबार के नाम पर खा रहा  है। हालांकि इससे बदनाम अखबार हो रहा है जो अभी प्रबंधन को नहीं समझ में आ रहा है क्य¨ंकि वह अभी शहर में निकल कर अखबार की क्षवि  के बारे  में पता नहीं कर रहा है। हालांकि शहर में खुद का काम करने वाले पत्रकारों में कई लोग हैं लेकिन उनमें से ज्यादातर का बैकग्राउण्ड ठीक है और उनकी मूल पूंजी स्वयं की है। लेकिन महेन्द्र पाण्डेय जिनके पिता मूलतः सेमरिया नगर में चपरासी पद पर पदस्थ हैं और शराब के लती है इस वजह से परिवार की माली हालत सही नहीं रही है। एक भाई जो एमआर हैं ने परिवार को संभाला तभी
  राज एक्सप्रेस से तीन साल पहले पत्रकारिता में आने वाले महेन्द्र ने अखबार को अपनी कमाई का जरिया बनाया जो आज भी जारी है।

पत्रकारिता के दम पर अपनी रामकहानी लिखने वाले पत्रकारों में एसा ही एक दूसरा नाम संजय लोहानी का है। जब ये सतना आये थे तो इनकी स्थिति क्या थी किसी से नहीं छिपी है। लेकिन पत्रकारिता की ब्लैकमेलिंग से इन्होंने यहां अपना काला कारोबार शुरू किया और आज जमीन  के धंधे  के साथ ट्रक संचालन में जुटे हैं। पत्रकारिता की आड़ में मैहर सीमेन्ट में इन्होंने अपने ट्रक लगा रखे हैं। इसी तरह सतना सीमेन्ट में भी
इन्होंने काफी प्रयास किया था लेकिन सफल न होने पर इन्होंने यहां की काफी खबर दिखाई थी।