यदि आपको किसी विभाग में हुए भ्रष्टाचार या फिर मीडिया जगत में खबरों को लेकर हुई सौदेबाजी की खबर है तो हमें जानकारी मेल करें. हम उसे वेबसाइट पर प्रमुखता से स्थान देंगे. किसी भी तरह की जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जायेगा.
हमारा मेल है newspostmartem@gmail.com

आपके पास कोई खबर है तो मेल करें newspostmartem@gmail.com आपका नाम गोपनीय रखा जाएगा.

Thursday, October 27, 2011

बिरला सीमेन्ट और ननि पर विजिलेंस का छापा

अवैध रूप से हो रहा था बिजली का उपयोग
पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की विजिलेंस टीम ने सतना नगर निगम व बिरला सीमेंट फैक्टरी द्वारा अवैध रूप से बिजली का उपयोग करते पाये जाने पर प्रकरण दर्ज किया है। विजिलेंस हैड एके कुलश्रेष्ठ के निर्देशन में यह कार्यवाही की गई है। कार्रवाई के सबब में बताया गया है कि सतना नगर निगम द्वारा जनता को सुविधाएं देने बिजली का कनेक्शन लिया गया था, लेकिन इस कनेक्शन से 90 एचपी की एक मोटर लगाकर बिरला फैक्टरी को पानी की सप्लाई की जा रही थी। टीम ने बताया कि बिजली का उपयोग किसी तीसरे द्वारा किये जाने की भी कोई परमीशन बिजली विभाग से नहीं ली गई थी, वहीं निगम तो बिजली भुगतान करता था, लेकिन यह पता नहीं चल पाया कि फैक्टरी और निगम के बीच कोई अनुबंध था या नहीं, अगर था तो भी गलत है और अगर निगम अपने खाते से भुगतान कर रहा था तो यह जनता के पैसे का दुरुपयोग है। फिलहाल विजिलेंस टीम ने अवैध बिजली का उपयोग करते पाये जाने पर सतना ननि और बिरला फैक्टरी पर प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू कर दी है व बिलिंग की जा रही है।

Sunday, October 23, 2011

श्री कृष्ण माहेश्वरी की नवंबर में संघ पद से विदाई तय

रामवन को लेकर चर्चा में रहने वाले श्री कृष्ण माहेश्वरी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और दखलंदाजी को लेकर संघ में स्थानीय स्तर पर ही असंतोष बढ़ गया है। उधऱ रामवन के कार्यक्रम में जब संघ प्रमुख मोहन भागवत आये थे तब भी श्री कृष्ण माहेश्वरी के खिलाफ काफी शिकायतें की गई थी। इसको लेकर संघ में पदाधिकारी की हैसियत से इनकी छुट्टी को तय माना जा रहा है। यह बात खुद माहेश्वरी जी भी समझ रहे है और अपनी राजनीतिक चाहत पूरी करने की जुगत में जुड़ गये हैं।श्री माहेश्वरी अब राज्य सभा में अपना दाव आजमाना चाह रहे हैं और इसके लिये वे काफी परेशान भी हैं। श्री कृष्ण माहेश्वरी को संघ ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया है तथा नवम्बर में क्षेत्रीय प्रमुख पद का कार्यकाल पूरा होने के बाद इससे भी उनका हटना तय माना जा रहा है। राज्य सभा के लिये माहेश्वरी ने उमा भारती से भी सहयोग चाहा है। इन दिनों इनके सहयोगी की भूमिका में लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष अखण्ड प्रताप सिंह, महापौर पुष्कर सिंह, पूर्व पार्षद धर्मेन्द्र सिंह घूरडांग शामिल हैं।
यदि बात सतना और रीवा जिले की करें तो श्री कृष्ण माहेश्वरी की कार्यप्रणाली से संघ का निचला कार्यकर्ता तो नाराज है ही साथ यहां के अन्य पदाधिकारी भी खुश नहीं हैं। संघ में परिवारवाद को महत्व दे रहे श्री माहेश्वरी से भाजपा में भी असंतोष है तो सांसद भी इनसे ज्यादा सहमत नजर नहीं आते हैं।

Thursday, October 20, 2011

श्री कृष्ण माहेश्वरी का रामवन में नया पैंतरा

रामवन विकास के नाम पर आरएसएस के क्षेत्र संचालक श्री कृष्ण माहेश्वरी ने समाजसेवा के नाम पर जो कुछ किया है उसका सच जनता के सामने हैं। पंचायतों के विकास की राशि रामवन में खर्च करवा कर अपने नाम का ढिढोरा पिटवाने वाले माहेश्वरी का काला चिट्ठा इन दिनों दैनिक भास्कर खोल रहा है। रामवन में श्री कृष्ण माहेश्वरी के गुंडे शराब के नशे में न केवल यहां आने वाले लोगों से अभद्रता कर रहे हैं बल्कि उन्ही के ईशारे पर लोगों से पैसे भी वसूल रहे हैं। श्री कृष्ण माहेश्वरी के दबाव में प्रशासन वहां इन पर कार्यवाही भी नहीं कर पा रहा है। इसका खुलासा करने के लिये दैनिक भास्कर बधाई का पात्र है जो कम से कम इस मामले में लिखने का साहस तो दिखाया।
जिनके नाम से रामवन है वहां के विकास की कहानी
कहता घटिया सा शेड जबकि दूसरी ओर 
व्यावसायिकता व विलासिता संबधी निर्माण
में लाखों खर्च कर दिये गये।


उधर हमे एक मेल में माहेश्वरी के नये कारनामे का चिट्ठा भेजा गया है। इसके अनुसार मानस संघ की आड़ में माहेश्वरी ने एक करोड़ 70 लाख रुपये शासन की जेब से निकाल कर कमाई का नया जरिया तैयार कर लिया है।इसके लिये इस बार उन्होंने पर्यटन विकास निगम को माध्यम बनाया है। मेल में बताया गया है कि यहां मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार रामवन में सामुदायिक भवन, पोस्ट आफिस सहित अन्य कार्यों के लिये एक करोड़ सत्तर लाख रुपये का स्टीमेट भेजा गया था। इसके अनुरूप राज्य पर्यटन विकास निगम भोपाल द्वारा कम्यनिटी सेंटर के निर्माण के लिये 50 लाख रुपये भेजे जा चुके हैं। अब इस पचास लाख पर माहेश्वरी ने गिद्ध दृष्टि लगा दी है। मजे की बात है कि इसके लिये उनके दूत लगातार कलेक्टर के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन शासन से इसकी प्रशासकीय स्वीकृति जारी नहीं होने के कारण यह राशि उन्हें नहीं मिल पा रही है।
अब जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार कलेक्टर पर इस बात का दबाव बनाया जा रहा है कि इस राशि के कामों की निर्माण एजेंसी मानस संघ रामवन को ही बनाया जाये। साथ ही जल्द ही प्रशासकीय स्वीकृति दी जाये। मजे की बात है कि शासन की अपनी कई निर्माण एजेंसियां मसलन लोक निर्माण विभाग, आरईएस, हाउसिंग बोर्ड हैं लेकिन इनको निर्माण एजेंसी न बना कर निजी संस्था मानस संघ को निर्माण एजेंसी बनाने के पीछे की वजह स्पष्ट है। क्योंकि इससे जो भी लाभ होगा वह मानस संघ यानि की श्री कृष्ण माहेश्वरी को ही होगा। इससे जहां मानस संघ यह भी कह सकेगा का सारा विकास उसने कराया और बचत राशि भी उसकी झोली मे।
जबकि यदि श्री कृष्ण माहेश्वरी व उनका मानस संघ यदि इतना ही ईमानदार है तो वह यह काम शासकीय एजेंसी से कराता और उसकी मानीटरिंग स्वयं करता तो इससे उनकी सद् नीयत झलकती लेकिन यहां तो पैसा खाने का खेल चल रहा है। और पहली खेप में 50 लाख पर श्री कृष्ण माहेश्वरी की नजर है। संभावना है कि कलेक्टर मानस संघ को निर्माण एजेंसी बनाने के लिये अपनी सहमति भी दे देंगे। 


Saturday, October 15, 2011

अपने ही दामन पर धब्बे लगा कर खुश होते सतना मीडिया की विश्वसनीयता दांव पर

सतना के मीडिया जगत में इन दिनों खुशी का माहौल है। यह मीडिया इस बात पर खुश हो रहा है कि उसने भाजपा की कान्फ्रेंस में बंटे नोट को नेशनल लेबल पर हाइलाइट करके बड़ी जीत हासिल की है साथ ही उसने खुद को बड़ा ईमानदार दिखाने की कोशिश की है लेकिन जहां से हम खड़े होकर देख रहे हैं वहां से सतना मीडिया सब कुछ हार चुका है। उसकी पहली और बड़ी हार उसकी अपनी विश्वसनीयता है। दूसरी हार जिसे मीडिया ने कैश फार कव्हरेज का नाम दिया है उसने अपना सस्ता पन बताया है, तीसरी हार उसका अपना दिल है जिसमें यह वही जानता है कि यह नोट कव्हरेज के लिये थे या गिफ्ट के स्थान पर उपहार स्वरूप और चौथी हार उसकी वह नासमझी और बेचारगी जिसमें वह किसी की साजिश का हथियार बना। कुल मिला कर इस पूरी कहानी में सतना मीडिया का हाल वही रहा कि 'न खुदा ही मिला न ही विसाले सनम'
आएं इस हार का विश्लेषण करे तो इस घटना में जो विश्वसनीयता घटी है उसमें अब इस घटना के बाद पत्रकारों का विश्वास सहज तरीके से कोई नहीं मानेगा। मजा तो तब आता जब ये पत्रकार वहीं पर लिफाफे वापस करते और उस कान्फ्रेंस की एक भी खबर न लिखते और फिर लिखते की उन्हें पैसे दिये गये। लेकिन जिस तरीके से किया उससे वे खुद ही संदिग्ध हो गये हैं।
दूसरी हार जिसे कैश फार कव्हरेज का नाम दे रहे हैं उससे यह मैसेज स्पष्ट जा रहा है कि सतना के मीडिया को मैनेज करना कितना सरल है कि वह 5 सौ में बिक जाता है या उसे खरीदा जा सकता है।जबकि यदि मीडिया को यह कहना ही था वे यह कह सकते थे कि उन्हें गिफ्ट में नोट दिये गये जिससे मीडिया हल्का न होता बल्कि भाजपा हल्की होती और यही हकीकत भी थी।
आडवाणी की यात्रा के बेहतर कव्हरेज के लिये नोट देने की बात कही जा रही है तो कई लोगों से बात के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि उस पत्रकार वार्ता में कहीं भी यह नहीं कहा गया था कि आपको बेहतर कव्हरेज के लिये यह राशि दी जा रही है। यह अलग बात है कि यहां गिफ्ट न देकर पत्रकारों को नोट दिये गये। हालांकि इसके पीछे की साजिश आगे बताएंगे। 

अब आते है इस कान्फ्रेंस के पीछे की कहानी पर जो हमें मेल करके बताई गई है। इसकी सत्यता पर हमारी भी पड़ताल चल रही है।
यह पूरा खेल एक साजिश के तहत खेला गया और इसके मोहरा बना सतना का मीडिया।यह पूरा खेल सांसद गणेश सिंह को बदनाम करने के लिये खेला गया और इस खेल में भाजपा के जिलाध्यक्ष, सूर्यनाथ सिंह गहरवार, लक्ष्मी यादव, महापौर और कुछ पत्रकार।
दरअसल सांसद का कद इन दिनों जिले में सबसे बड़ा है साथ ही इस यात्रा का पूरा जिम्मा उन्होंने अपने कंधे पर ले लिया। यह यात्रा का जिम्मा जैसे ही सांसद ने लिया पार्टी के लोगों को यह लगा कि उन्होंने जन चेतना यात्रा को हाइजैक कर लिया है। इससे नाराज पार्टी के कुछ लोगों ने यह साजिश रची।
इसके लिये पत्रकार वार्ता को औजार बनाया गया। इसमें जानबूझ कर जिलाध्यक्ष ने मंत्री को बुलाया और सांसद को बुलाया जबकि सांसद की कान्फ्रेंस पहले हो चुकी थी। इस गैर जरूरी कान्फ्रेंस में जानकर नोट बांटे गये। इसमें से कुछ राशि पार्टी के खाते से खर्च हुई और कुछ राशि लक्ष्मी यादव के यहां से पहुंची। नोट बंटने के बाद इस साजिश में शामिल पत्रकार चौकन्ना को सक्रिय किया गया(चौकन्ना जी की इन दिनों गणेश सिंह से बन नहीं रही है क्योंकि उनके कुछ काम करने से गणेश सिंह ने मना कर दिया था) चौकन्ना ने पर्दे से यह खबर नेजा में छपवाई। इसके बाद अरविन्द मिश्रा को विज्ञापन की गणित के नाम से इसमें शामिल किया गया। जबकि अरविन्द मिश्रा का कलेवर पहले से ही स्पष्ट था कि वे कुछ सकारात्मक नहीं कर रहे हैं। यहां उनकी स्टाइल उसी तरह दिखी जैसे कभी शिवेन्द्र सिंह ने चुनाव के समय होस्ट मैरिज हाल में सांसद गणेश सिंह से दिखाया था। सो यह तय था कि यह होगा। उधर स्टार समाचार की सांसद व मंत्री विरोधी मुहिम ने आग में घी का काम किया और साजिश अपने अंजाम तक पहुंच गई।
हालांकि इस साजिश में सांसद की भद्द पिटनी थी लेकिन बात तब बिगड़ गई जब मामला साजिश कर्ता अखबारी लोगों के हाथ से फिसल गया। और मजबूरी में उन्हें अपनी ईमानदारी साबित करने मामला नेशनल मीडिया को देना पड़ा। और सतना मीडिया अपनी बेवकूफी को ईमानदारी साबित करने में जुटा रहा वो भी दूसरे का औजार बन कर।
हालांकि इस पूरे खेल का सूत्रधार जिलाध्यक्ष स्टोरी से अलग बचता रहा और इसमें बेचारे श्यामलाल को बली का बकरा बना दिया गया जबकि उसका कोई दोष नहीं है। 






Tuesday, October 11, 2011

माहेश्वरी का नया दलाली फण्डा

समाजसेवा के नाम पर संघ के पदाधिकारी श्रीकृष्ण माहेश्वरी दलाली में जुटे हुए है। हमेशा किसी एनजीओ को आगे करके लाखों का काला पीला करने का अपना जुगाड़ तय कर रहे हैं। इसके साथ ही अपने को नाना जी बताने में जुट जाते हैं। इनका फर्जीवाड़ा देखना हो तो आइये हम दिखाते हैं-
गरमी के मौसम में कलेक्टर सुखबीर सिहं ने जल संरक्षण के लिये वाटर हार्वेस्टिंग का अभियान प्रारंभ किया। यह शुरू हुआ नहीं कि दो चार अग्रवालों को जोड़कर एक संस्था रजिस्टर्ड करवाई और इसे पूरी गरमी वाटर हार्वेस्टिंग अभियान का दिखावा करने जोड़ दिया। जबकि यह संस्था सिर्फ अखबारों में ही ज्यादातर काम कर रही थी। मजे की बात हर कार्यक्रम में इनके माहेश्वरी की दुकान चलती दिखी।
अब उन्होंने एक नया काम खोजा है। जूता चप्पल हब बनाने का। फिर एक एनजीओ खोज कर अब वे जिले को जूते चप्पल बनाने का हब बनाने का दावा कर रहे हैं। मजे की बात देखिये यह काम सज्जनपुर में होगा और पूरा जिला हब कैसे बनेगा। यह समझ से परे हैं।
माहेश्वरी जी काम ही करना है तो उन्हें अवसर दिलाएं जो अभी वास्तव में जूते चप्पल बना रहे हैं उन्हें आगे आने के अवसर दिलाएं।
लेकिन नहीं वे सिर्फ ऐसे काम ही लेते हैं जहां से जिला पंचायत द्वारा मदद मिलती है क्योंकि इनका कोई हिसाब नहीं होता है।

Friday, October 7, 2011

जिला भाजपा के विभीषण

हमे मेल में बताया गया है कि भारतीय जनता पार्टी की अन्दरूनी खबरें बाहर लाने वालों में पार्टी के कुछ असंतुष्ट लोग तो शामिल हैं ही साथ ही वह भी शामिल है जिसे पार्टी की छवि बनाये रखने की जिम्मेदारी दी गई है। इस मामले में बताया गया है कि अंदर की खबरें बाहर लाने वालों में असंतुष्ट नामों में पहला नाम नरेन्द्र त्रिपाठी का है। इनके द्वारा मीडिया की खबरें बाहर की जा रही हैं। इनका असंतोष जहां जिलाध्यक्ष और सांसद से वहीं दूसरा बड़ा नाम है भाजपा के प्रवक्ता श्यामलाल गुप्ता का। सोने के गहनों की हेराफेरी में फंस चुके श्यामलाल पर जब पुलिस का दबाव बढ़ा तब जिलाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह के चरण चुंबन कर अपने आपको पुलिस से बचाया वहीं जब मीडिया इस मामले को उठाने लगा तो मीडिया को पार्टी की अंदर की खबरें बता कर खुद को मीडिया का हितैषी बनाते हुए अपना बचाव करने की रणनीति बनाई।
छत्तू की आग
इन दिनों युवा नेता छत्रपाल सिंह छत्तू की सांसद गणेश सिंह से अनबन चल रही है। इस वजह से वे सांसद की अंदरूनी सेंध हमेशा की तरह मीडिया को दे रहे हैं। कुछ दिन पहले कैमरी पहाड़ में अवैध उत्खनन के मामले को हवा देने का पूरा काम छत्रपाल सिंह छत्तू ने किया है। सासंद से छत्तू के विवाद की स्पष्ट वजह तो नहीं सामने नहीं आ पाई है लेकिन इन्हें इन दिनों एलयूएन के अध्यक्ष अखण्ड प्रताप सिंह के कार्यक्रमों में ज्यादा देखा जा रहा है। यह भी हल्ला है कि छत्तू एलयूएन में कोई बड़ा हाथ मारने की फिराक में है। हालांकि यह जगजाहिर है छत्तू जिनके साथ रहे उनका बेड़ा गर्क हुआ है इसमें हालिया विधायक शंकरलाल तिवारी भी हैं।

Saturday, October 1, 2011

शिवसेना के सामना की तरह नगर निगम का मुखपत्र है स्टार समाचार

सबसे सरोकार खबरें धारदार का दावा करने वाला अखबार नगर निगम का मुखपत्र बन कर रह गया है। इसमें नगर निगम की भाठ गिरी के अलावा कुछ और देखने को नहीं मिलता है। अभी सफाई अभियान पर लगातार खबरे आ रही हैं लेकिन इनके रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों को शहर में फैली गंदगी नजर नहीं आ रही क्योंकि इन्हें चरण चुंबन से मतलब है। स्टेशन रोड मार्तण्ड काम्पलेक्स के सामने सफाई का बड़ा श्रेय लेते हैं लेकिन जनता को यह नहीं बताते कि सड़के के नाम पर स्वीकृत एक करोड़ से कमाई का जरिया किसका होगा। गरीबों की गुमटियां जो स्टेशन में हैं इससे शहर पर धब्बा लगता है लेकिन पूरे बाजार का अतिक्रमण स्टार समाचार की आंखों में नजर नहीं आता है न ही उसे डिग्री कालेज के सामने का अतिक्रमण नजर आता है।
हालात यह है कि
अतिक्रमण खुद नगर निगम का अमला कराता है फिर उनसे अवैध वसूली करता है।
शहर में गंदगी का साम्राज्य है सफाई कर्मी वहीं सफाई करते हैं जहां पार्षद कहते हैं या जहां से पैसा मिलता है।
पूरी गरमी वाटर हार्वेस्टिंग चिल्लाते रहे लेकिन अब कोई बताएगा कि कहा पूरा काम हुआ है।
नगर निगम वाटर हार्वेस्टिंग की राशि लेकर उससे कितनी संरचनाएं बनवाया है।
जल संरक्षण की बात तो खूब की लेकिन इस बारिश में जगतदेव तालाब का जल स्तर देख लीजिये।
स्ट्रीट लाइटों की हालत मुख्य सड़कों के अलावा सभी जगह खराब है।
कहीं भी कचरा पेटी सही जगह पर नहीं रखा है।
कचरा रिक्शे की घंटी सिर्फ स्टार समाचार को सुनाई देती है।
फिर भी स्टार समाचार में नगर निगम की जय हो............

Friday, August 19, 2011

विधायक रामखेलावन के भाई का प्रेम प्रसंग खुला

अपने कारनामों के लिये चर्चित रहने वाले विधायक अमरपाटन रामखेलावन पटेल के छोटे भाई के कारनामे भी अब चर्चा का विषय बन रहे हैं। विगत दिवस एक छात्रा ने विधायक के छोटे भाई की पत्नी पर मारपीट करने और अन्य गंभीर आरोप लगाये जो अखबारों में सुर्खियां बने लेकिन किसी भी अखबार ने इसके पीछे का सच लिखने का साहस नहीं किया।
इस घटना की हकीकत यह है कि विधायक रामखेलावन पटेल के छोटे भाई अजय जो शादीशुदा है के संबंध एक छात्रा से हैं। यह संबंध महज दोस्ती के न होकर उससे कहीं आगे हैं। यह जानकारी जब अजय की पत्नी को मिली तो उसने पहले अपने पति को समझाना चाहा लेकिन कोई सुधान नहीं हुआ। इस पर अजय की पत्नी ने उस छात्रा को जाकर समझाया। इसी दौरान मामला बहस में बदल गया और बाद में यह मारपीट में बदल गया।
इसी को लेकर छात्रा प्रिया ने यह आरोप तमाम अखबारों में लगाया कि विधायक की बहू ने उसे कमरे में बंद रखकर मारपीट की। यह सही है कि छात्रा को कमरे में काफी समय तक बंद किया गया लेकिन हकीकत प्रेम प्रसंग से जुड़ी है। हालांकि विधायक पर भी पिछले वर्ष इसी तरह के आरोप परिवार की ही एक महिला ने लगाया था। जो बाद में दबा दिया गया।

Sunday, July 24, 2011

इस बार सही कहा दिग्विजय नेः माहेश्वरी भी यही कर रहे हैं

दिग्विजय सिंह ने इस बार यह सही कहा है। इसका सीधा साधा उदाहरण देखना है तो सतना में आरएसएस के मध्य क्षेत्र (मप्र-छग) संघ चालक श्रीकृष्ण माहेश्वरी को देख लीजीये। रामवन के नाम पर मतहा रिछहरी को कंगाल कर दिया । इस पैसे से मतहा रिछहरी का विकास होना चाहिये था लेकिन विकास किया रामवन का और श्रेय लिया खुद का जबकि यह पैसा ग्रामीण विकास का है और इसका पूरा श्रेय उस पंचायत के सरपंच और जनपद सीईओ व जिला व जनपद पंचायत के अध्यक्ष को जाना चाहिये।

  • शहर से अतिक्रमण हटाने की बात कहने वाले श्री कृष्ण माहेश्वरी खुद नाले में अतिक्रमण किये हुए हैं।
  • पारदर्शिता की बात करने वाले श्री कृष्ण माहेश्वरी का फिनायल कोई विभाग न ले तो उसकी शामत तय है। इसलिये सतना में 80 फीसदी फिनायल श्री कृष्ण माहेस्वरी का है भले ही वह घटिया क्वालिटी का हो।
  • किसी को न सताने व मदद का मुखोटा लगाने वाले श्रीकृष्ण माहेश्वरी अपने गुंडो के दम पर जबरन माकान खाली कराते है। पिछले दिनों ऐसी घटना जगतदेव तालाब के पास घटी।
इन सबके बाद भी खुद को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कर्ता धर्ता बता कर अपनी ईमानदारी का चोला औढ़े घूमते हैं। सही हैं दिग्विजय सिंह।

--------
यह संघ गाथा के बाद आइये भाजपा गाथा में तो बस स्टैड के पास काफी हाउस के बगल में स्थित होटल चीतल में दारूखोरी से लेकर तमाम दुष्कृत्य होते हैं इसका संचालक सांसद का कितना खास है सारा शहर जानता है लेकिन जय श्री राम इस शासन में सब चलेगा। बजरंग दल में सामिल लोग ही सट्टा कारोबार से जुड़े हैं तो एक नेता दिन में गाय पकड़वाता है रात में सौदा करके उन्ही ट्रक वालों को जाने देता है। फिर भी जय श्री राम के राज में सब जायज है। सही हैं दिग्विजय सिंह।
--------
भाजपा विधायक शंकरलाल तिवारी कहने को पैदल और मोटरसाइकिल पर चलते हैं लेकिन बड़े भूमाफियाओं के इन दिनों पार्टनर बने हैं। पशुपतिनाथ धाम और टीएमडी में इनका पैसा लगा है। इनका पुत्र विधायकी में कमाए पैसों से खरीदे ट्रकों का संचालन कर रहा है। जय हो ईमानदार विधायक शंकरलाल तिवारी की।

Thursday, July 21, 2011

मंत्री नरेन्द्र सिंह के दाग सुखबीर को पड़ रहे भारी


विधान सभा में सीधी के विधायक ने मनरेगा में 14 करोड़ के घोटाले की बात कह कर तत्कालीन कलेक्टर सुखबीर सिंह और सीईओ पर तमाम आरोप लगाये और उन्हें कलेक्टरी से हटाने सहित कई बातें कह डाली साथ ही विपक्षी कांग्रेसी भी जलते हवन में होम दे दिया।
लेकिन हकीकत यह नहीं है और जो हकीकत है वह भारतीय जनता पार्टी के मंत्री का काला चिट्ठा सामने लाती है। हकीकत यह है कि तत्कालीन समय में नरेन्द्र सिंह तोमर (मंत्री भाजपा) के भतीजे ने पूरे प्रदेश में जेट्रोफा को कमाई का जरिया बनाते हुए प्रदेश के हर जिलों में इसकी खेती का प्लान तैयार किया और तब पंचायत मंत्री रहे नरेन्द्र सिंह तोमर इस मामले को अपने हाथ में लेकर सभी आयुक्तों को इसका पालन करने को कहा। आयुक्तों ने भी इसे कलेक्टरों को निर्देश दिये और कलेक्टर मरते क्या न करते आयुक्त के निर्देशों के पालन में जुट गये और सभी पंचायतों में जैट्रोफा लगवाने के फरमान दिये गये। नरेन्द्र सिंह के भतीजों का पेट इससे भी नहीं भरा और जैट्रोफा को मजबूत करने के लिये इंजेक्शन भी लगाने का प्लान बना और यह काम भी इन्होंने ले लिया फिर आदेश हुए और कलेक्टरों ने इसका पालन कराया। इसी की परिणति सीधी कलेक्टर सुखबीर सिंह के साथ हुई और वे तो सिर्फ आयुक्त वेद के आदेश का पालन करते जा रहे थे।
यही हाल सतना का रहा लेकिन मीडिया की सजगता से समय से पहले ही मामला सामने आ गया और बड़ा घोटाला होते-होते बचा। चंबल में तो बीहड़ो में हेलीकाप्टर से जैट्रोफा के बीज बोये गये।
जब पूरे प्रदेश में यही हाल रहा तो भला कलेक्टरों को क्यों दोषी कहा जा रहा है। इसकी जड़ में जायें और मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से इसका हिसाब पूछे। लेकिन भाजपा के भुख्खड़ों में ब्यूरोकेट्स ही दोषी बनाये जाते हैं।
यह है हकीकत
जो सच्चाई है उसके अनुसार 2005 में जब केन्द्र सरकार की बहुप्रतीक्षित मनरेगा योजना मध्यप्रदेश में लागू हुई तब से ही इस दुधारू योजना का दोहन करने के लिए अधिकारी अपनी पसंद की जगह पाने में जुट गए। शरूआत हुई पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव वसीम अख्तर से। इसके पीछे जो कहानी उभरकर सामने आई है उसके अनुसार श्री अख्तर जब ग्वालियर में कलेक्टर थे उस दौरान उनकी और भाजपा के नेता नरेन्द्र सिंह तोमर की दोस्ती हो गई। समय के बदलाव के साथ मध्यप्रदेश में भाजपा सत्ता में आई और नरेन्द्र सिंह तोमर को ग्रामीण विकास मंत्री बनाया गया। मंत्री बनते ही केन्द्र से आई नरेगा योजना की कमान वसीम अख्तर को दिलाने के लिए श्री तोमर ने सरकार से पहल की और श्री अख्तर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव बना दिए गए। बताते है इसके पीछे शिवराज सिंह चौहान की भी सहमति थी क्योंकि विदिशा में कलेक्टरी के दौरान से ही दोनों के अच्छे संबंध है और इसका लाभ उन्हें मिला भी। उनके कार्यकाल के दौरान सीधी में लगभग सौ करोड़ के भ्रष्टाचार का मामला भी प्रकाश में आया था जिसकी जांच 2007-08 में 8 सहायक इंजीनियरों और 32 अन्य इंजीनियरों ने की थी जहां प्लांटेशन, सड़क निर्माण आदि में व्यापक भ्रष्टाचार बताया गया था बावजूद इसके मामला दबा हुआ है।

मनरेगा में भ्रष्टाचार की कहानी शुरू होती है सीधी जिले से। सीधी जिले में वर्ष 2005-06, 2006-07 और 2007-08 में राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में भारी भ्रष्टाचार हुआ था। वर्ष 2006-07 में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत सीधी जिले में ग्राम पंचायतों के माध्यम से 255.87 करोड़ की लागत के 32 हजार 299 कार्य संपादित कराए गए थे। लेकिन जिला सीधी में 155 कार्य बिना प्रशासकीय एवं तकनीकी स्वीकृति के शुरू करा दिए गए। वहीं 38.48 लाख के 41 कार्य ऐसे हो गए, जो कार्यस्थल के निरीक्षण के बाद सत्यापित नहीं हो सके। ऐसे कई और काम कराए गए, जिनमें बाद में वसूली योग्य राशि की जानकारी सामने आई। उसी दौरान सुखबीर सिंह के खिलाफ जिले में जेट्रोफा पौधरोपण का कार्य अवैध कंपनियों से कराने का आरोप है। सिंह ने जेट्रोफा बीज की सप्लाई, पौधों की खाद, कीटनाशक दवाओं और ग्रोथ हार्मोन्स के छिड़काव का काम एकमात्र फर्म ओम सांई बायोटेक, रीवा से कराया और भुगतान स्व-सहायता समूहों से करवाया। जिसमें लगभग 18 से 20 करोड़ का व्यय दर्शाया। जांच के बाद पता चला कि उक्त राशि मजदूरों की मजदूरी थी जिसे नरेगा के तहत काम करने पर उन्हें मिलता।

यह पूरा काम योजना की शुरुआत से जुड़े अधिकारी व मंत्री के इशारे पर किया गया।

Wednesday, June 29, 2011

स्थानान्तरण के बाद भी डटे हैं सतना पीआरओ मरावी

सतना के पीआरओ श्री मरावी का सतना से स्थानान्तरण पन्ना के लिये हो गया है लेकिन महोदय हैं कि अभी भी सतना में ही डटे हुए हैं। यहां अपने साथ हमेशा बने रहने वाले फर्जी पत्रकारों या फिर दलाल नुमा पत्रकारों के साथ घूम-घूम कर दलाली के कारोबार में सहायक बन रहे हैं।
हमें बताया गया है कि कुछ दिन पहले सतना पीआरओ अपने कुछ दलाल पत्रकारों के साथ एक होटल में खाना खाने पहुंचे जब बिल चुकाने का नंबर आया तो पत्रकारिता की धौंस दिखाने लगे। यहां भी बात नहीं बनी तो कलेक्टर को फोन करके सीएमएचओ पर दबाव बनवाया और यहां जांच करवा दी। इस पूरी कहानी में वे खुद परिदृश्य से बाहर बने रहे। हालांकि यह भी बताया गया है कि यह होटल अपने कारनामों के लिये चर्चित तो है लेकिन उस दिन की घटना में पीआरओ का हाथ रहा।

Saturday, June 25, 2011

छात्रावास की दलाली नहीं पटी तो बनने लगी खबरें

बिगत दिवस एक फर्जी अफवाह फैलाकर सतना का एक मीडिया दल आदिम जाति कल्याण विभाग में अपनी दुकानदारी बनाने के लिये निकला। जब यहां से सौदा नहीं हो सका तो खबर बनाने में जुटा है। इस दौरान इस दल के कुछ लोग दबाव बनाकर सौदेबाजी की कोशिशों में जुटे हैं। तो कुछ लोग कलेक्टर से कार्यवाही के नाम पर दबाव बना रहे हैं।
हमें भेजे मेल में बताया गया है कि शुक्रवार को मीडिया का एक दल यह हवा फैलाने में सफल रहा कि आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास में जांच दल का छापा पड़ा है लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। जो जानकारी मिली है उसके अनुसार आजाक के विवादास्पद अधीक्षक अनिल शर्मा की इन दिनों अधिकारी से नहीं बन रही है। क्योंकि अधिकारी ने उनकी कमाई पर रोक लगाई हुई है। इसी के साथ ही यहां लगातार दो जिला संयोजकों के कार्रयकाल में पद दायित्व विहीन रहे क्षेत्रीय अधिकारी अविनाश पाण्डेय का स्थानान्तरण हो गया है। इससे ये दोनों आपसी गठजोड़ करके मीडिया को खबरे बता रहे हैं और इस पर उन्हें यह बताया जा रहा है कि यहां खबर करोगे तो तुम्हें पैसा मिलेगा। इसके बाद मीडिया कर्मी भी अपनी विद्वता का रौब झाड़ते इनके उकसाये में कूद रहे हैं और लगातार आदिम जाति कल्याण विभाग के लोगों पर सौदेबाजी का दबाव बना रहे हैं।
हालांकि खबरें कुछ हद तक सही हैं लेकिन इसमें मीडिया समूह की सौदेबाजी ने खबर को गलत रंग दे दिया है। ऐसे ही मीडिया की दलाली में रंगा इलेक्ट्रानिक मीडिया का दल जिसमें सहारा और एक अन्य शामिल रहे रेलवे स्टेशन समीप के एक होटल में दलाली करने पहुंचा। सतना स्थानीय में घर होने के बाद भी यहां पहुचे इस दल को कुछ न मिला तो फिर यहां औषधि खाद्य नियंत्रकों से छापा डलवा दिया।

Saturday, June 18, 2011

धुवनारायण का नक्सलवाद का दावा जमीन बचाने का फर्जीवाड़ा है

धुवनारायण का अमरपाटन में नक्सलवाद का दावा जमीन बचाने का फर्जीवाड़ा है।विगत दिवस सतना पहुंच कर खुद को स्थानीय बताने का ढोंग रचते हुए भाजपा कार्यालय में पत्रकार वार्ता करके अमरपाटन में नक्सवाद की बात कहने वाले ध्रुव नारायण सिंह ने पूरी कवायद अपनी जमीन बचाने के लिये की है।
भोपाल मध्य क्षेत्र से बिधायक वहीं रहने व वहीं की राजनीति करने वाले ध्रुव नारायण को आखिर वो कौन सी जादू की छड़ी मिल गई कि उन्हें भोपाल में बैठ कर अमरपाटन के नक्सली दिख गये और सतना के किसी नेता और शासन प्रशासन को यह नजर नहीं आया। इसके साथ ही यह भी सोचनीय पहलू है कि जब आज के समय में जहां विधायक अपने क्षेत्र की नहीं सोचते वहीं ध्रुव नारायण सिंह भोपाल विधायक होने के बाद आखिर यहां की क्यों सोच रहे हैं। जाहिर है उनका अपना फायदा इसमें जुड़ा हुआ है।
इस मामले की हकीकत यह है कि अमरपाटन क्षेत्र में न तो नक्सली हैं और न ही नक्सलवाद। यह अलग है कि यहां सामंतशाही जमाने की यादें आज भी जिंदा हैं। तत्कालीन समय में जब गोविन्दनारायण सिंह जी प्रदेश के मुखिया होते थे तब सीलिंग एक्ट आया था। इसमें हर व्यक्ति के पास जमीन की जरूरत निर्धारित की गई थी और उससे ज्यादा जमीन होने पर उसे सरकार अपने कब्जे में लेकर जरूरत मंदों को दे देती है। लेकिन गोविन्द नारायण सिंह ने सीलिंग एक्ट लाने के पहले ही राजाओं और सामंतों को इस एक्ट की सूचना दे दी थी साथ ही यह ही कह दिया था कि जिस तरीके से अपनी जमीने बचा सकते हैं बचा ले। और इसका बकायदे तरीका भी बताया गया था। इसके आधार पर अमरपाटन क्षेत्र में भी तब की राजशाही व सामंतशाही अपनी जमीन बचा लेने में सफल रही।
इसमें से एक शख्स तो ऐसे भी रहे कि अपनी सैकड़ों एकड़ जमीन बचा पाने में सफल रहे लेकिन जब 8 एकड़ की जमीन नहीं बच रही थी तब उन्होंने कागजों में अपनी पत्नी को तलाक दे दिया। हालांकि इससे वे अपनी जमीन बचा पाने में सफल रहे लेकिन इस घटना की जानकारी जब उनकी पत्नी को मिली तो वे एक घंटे बाद ही सदमें में स्वर्ग सिधार गईं।

ये है साजिश

अब अमरपाटन के तथाकथित नक्सलवादी क्षेत्र में आते हैं तो वहां पर ध्रुव नारायण सिह के परिवार की काफी जमीन है। इसमें से गोविन्दनारायण सिंह के नाम की ही जमीन है। जो जानकारी सामने आ रही है इस जमीन में वहीं के स्थानीय लोगों ने जिन्हें कभी इन्ही लोगों ने देख रेख के लिये रखा था वे अब बगावत पर आ गये हैं और उन्हीं की जमीन और आसपास की सरकारी जमीनों पर अपना कब्जा कर लिया है। ये न तो नक्सली है न ही आतंकवादी। ऐसे में इन्हें अपनी जमीन छिनती नजर आ रही है।
दूसरा जो बड़ा पहलू है वह यह है कि इन लोगों ने मिल कर वहां की गैर खेती योग्य तथा गैर उपजाऊ जमीन की सौदा सीमेंट कंपनियों से कर लिया है और इसके एवज में ये लोग वन विभाग से जमीन बदलने की साजिश कर रहे हैं इससे इनकी घटिया जमीन की जगह वन की बेहतर जमीन मिल जायेगी वहीं इनकी घटिया जमीन का कंपनियां भी अच्छा भुगतान करेंगी। ऐसे में आदिवासियों का कब्जा इनके लिये सिरदर्द बना हुआ है।
विधानसभा को किया गुमराह
इनकी सोच कितनी घटिया है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ये लोग अपने निहित स्वार्थ के लिये
के लिये नक्सलवाद की झूठी जानकारी देकर विधानसभा को गुमराह किया। इनका झूठ इसी से साबित हो जाता है कि खुद सतना के सांसद गणेश सिंह सहित क्षेत्रीय भाजपा विधायक भी वहां नक्सलवाद को महज कोरी बयानबाजी ठहरा रहे हैं तो एसपी व कलेक्टर भी इससे असहमत हैं।

क्या था मामला
फैक्ट्रियों से जमीन के सौदे पर सहमति की मुहर लगने के बाद मार्च माह में श्री ध्रुवनारायण सिंह ने आरोप लगाया कि अमरपाटन तहसील के छाईन, पठरा, अमझर, पपरा, मिरगोती, हर्रई और मरकरा गांव आदिवासी बहुत क्षेत्र है। इन क्षेत्रों में आधुनिक हथियारों एवं उपकरणों से लैस छत्तीसगढ़ से आए युवकों द्वारा कैंप लगाकर शासकीय भूमि पर कब्जा करने और शासन की लोककल्याण की नीतियों के खिलाफ आदिवासियों को भड़काने तथा डूब क्षेत्र की भूमि पर कब्जा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे प्रतीत होता है कि इस क्षेत्र में नक्सलियों ने अपने पैर पसार लिए है। नक्सली युवक ग्रामीणों को डरा धमका कर उनकी कृ षि भूमि हथियाने का प्रयास कर रहे है। जिससे ऐसे ग्रामीणों को जीवन दूभर हो गया है। इस क्षेत्र के ग्रामीण नक्सली गतिविधियों की जानकारी सतत् प्रशासन के अधिकारियों को दे रहे हैं। क्षेत्र के ग्रामीण इन नक्सली गतिविधियों से भयभीत होकर पलायन करने की सोच रहे है। इस बयान के पहले एक सोची समझी साजिश के तहत स्थानीय स्तर पर ही इन्हीं के चमचों ने एक अखबार में इससे मिलती खबर छपवाई और फिर फर्जीवाड़ा करके अन्य अखबारों में खबर छपवा कर माहौल तैयार किया गया। इसके बाद इसी को आधार बना कर मामला सदन में उठाया गया।

ये है हकीकत
इस घटना के बाद जिला व पुलिस प्रशासन ने इसकी जांच की इसमें पता चला कि बाण सागर बांध के निर्माण के समय कुछ विस्थापित आदिवासी न्यू मिरगोती गांव में खाली पड़ी शासकीय भूमि पर झोपड़ी बनाकर रह रहे है। इसके साथ ही इस गांव और पास के कुछ गांवों में स्थानीय आदिवासियों द्वारा शासकीय जमीन पर कब्जा करने की शिकायते आई थी। एक और तथ्य सामने आया है कि पहले कुछ पंचायतों में कृष्णम सिंह का राज चलता रहा है तब तक यहां इनकी और इनके परिजन शैलेन्द्र सिंह की जमीन सुरक्षित रही। अब वहां सरपंच पाल बन गया है। उसने इनके कब्जे की जमीनें जिसके दस्तावेज नहीं थे उनमें गरीब आदिवासी परिवारों को बसा दिया जिससे इनकी तथाकथित जमीन जो जबरिया कब्जा रही वह भी जाने लगी थी।

Saturday, May 28, 2011

पीआरओ सतना मरावी का मिश्रा प्रेम

अपनी कार्यशैली के लिए हमेशा विवादों में रहने वाले और काम की अज्ञानता की वजह से अक्सर बिना छुट्टियों के गायब रहने वाले सतना पीआरओ मरावी को इन दिनों फर्जी पत्रकार जो दिल्ली के किसी अखबार की चार प्रतियां यहां बेचता है के साथ काफी घनिष्टता नजर आ रही है। हमे भेजे मेल व फोटो में बताया गया है कि इन दिनों ये अपने शासकीय डेकोरम का भी पालन नहीं कर रहे हैं। ये शासकीय मैनुअल के हिसाब से काम न करके एक फर्जी पत्रकार पर मेहरबान है। हमेशा न केवल इस अशोक मिश्रा नामक फर्जी दलालनुमा पत्रकार को अपने साथ लेकर घूमते हैं बल्कि इसकी फोटो हर अखबार में प्रकाशित करवा कर उसका बाजार तैयार करवाते हैं। फिर अधिकारियों को धमकी दिलवाकर पैसे वसूल करवा कर उसमें से होने वाली आय से अपना भी लाभ कमा रहे हैं। इसके लिये जनसंपर्क से हमेशा पीआरओ द्वारा वहीं फोटो भेजी जाती हैं जिसमें अशोक मिश्रा होता है। अपने साथ हमेशा इसको लेकर जाते हैं। इसका सबूत पीआरओ द्वारा जनसंपर्क के मेल से भेजे अखबारों की फोटो में दिया जा रहा है। वहीं यह भी देखने योग्य है कि हर बैठक या दौरे में यही पत्रकार की ही फोटो क्यों आ रही है। क्या जिले में और कोई दूसरा नहीं है या फिर इसके अलावा फोटो नहीं खींची जाती है। लेकिन मेल में बताया गया है कि जान कर कलेक्टर के बगल और एसडीएम के बगल वाली फोटो पीआरओ द्वारा चयन करके भेजी गई है। ताकि कमाई का जरिया तैयार हो। जबकि ऐसे कई अवसर आये होंगे जब अशोक मिश्रा कलेक्टर से दूर रहे होंगे या फोकस में न रहे होंगे उन अवसरों की फोटो अखबार में जान कर नहीं भेजी गई।


अशोक मिश्रा का फर्जीवाड़ा
दिल्ली के मेडिकल से संबंधित किसी अखबार की सतना में एजेंसी लेकर खुद को पत्रकार बताने वाले अशोक मिश्रा खुलेआम दलाली करता है। मेडिकल का अखबार चलाने की बात करने वाले को जनपद या जिला पंचायत के सीईओ से ज्यादा मोह रहता है। वजह है कि वे अखबार के बारे जानते नहीं और पीआरओ के दफ्तर को अपना कार्यालय बताने वाला यह फर्जी पत्रकार उनसे राशि वसूलता है तो कई बार उनसे गाडियां लेकर अपने घर जाता है। इसमें सहायक बनता है पीआरओ मरावी। यही वजह है कि अशोक मिश्रा को दिन भर अपने यहां ही बैठाये रहता है। अब तो मिश्रा दूसरों को इस कार्यालय का ही फोन नंबर भी देने लगे हैं।


दिनांकः 28:05:2011 मरावी फिर मिश्रा पर मेहरबान
हमें मेल में मराबी द्वारा अखबारों को भेजी गई फोटो भेजी गई जिसमें बताया गया है कि मरावी ने एक बार फिर अशोक मिश्रा की फोटो अखबारों में छपवाने के लिये लोनिवि मंत्री नागेन्द्र सिंह के साथ भेजी है। देखे- चित्र



कौन है मरावी
के.के. मरावी जनसंपर्क विभाग का पीआरओ है। आरक्षित वर्ग से परीक्षा उत्तीर्ण कर पीआरओ तो बन बैठा है लेकिन आता जाता कुछ नहीं है। विभाग का मूल काम तरीके से खबर लिखना भी नहीं आता है। इस लिये अक्सर ये गायब रहते हैं या फिर अपने आगे पीछे ये महोदय घटिया या नौसिखिये पत्रकारों को जमघट लगाकर अपने को साबित करने में जुटे रहते हैं और चाटुकारिता करवा कर उन्हें भी कमाई का अवसर उपलब्ध कराते हैं। इनकी हकीकत यह है कि इनके पास कभी भी कोई बड़े अखबार का या फिर बड़ा संपादक, रिपोर्टर, संवाददाता, अखबार प्रतिनिधि नहीं बैठता है। दिन को अक्सर दफ्तर से गायब भी वे इसी लिये रहते हैं क्योंकि लोगों के बीच उनकी कमी न सामने आ जाये। काम न आने की वजह से वे काम को लटकाने की आदत से ग्रस्त हैं। कुछ दिनों पहले इनकी अकर्मण्यता के चलते मारुति एक्सप्रेस के संचालक को नाके चने चबाने पड़े थे। ये उनसे रोज ठंडा, नाश्ता, मुर्गा व शराब पीते और तीन माह बाद जाकर उनका काम किया। उधर आरक्षित वर्ग होने का फायदा भी खूब उठा रहे हैं। अगर कोई सच्चाई बोले तो उसे हरिजन एक्ट में फंसाने की धमकी भी देते हैं।

Saturday, May 7, 2011

कमजोर हो चले राजेन्द्र सिंह

कई वर्षों तक मध्यप्रदेश के सतना जिले की अमरपाटन विधानसभा में लगभग राज करने वाले विधायक व पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिहं का कद व प्रतिष्ठा इतना हल्का हो गया है जिसका अंदाजा विगत दिवस युवक कांग्रेस के चुनावों में सामने आ गया। इसके साथ ही यह भी साबित हो गया कि राजेन्द्र सिंह राजनीतिक सोच से भी कमजोर हो चले हैं और पुत्र मोह में अपना ही नुकसान कर रहे हैं। यह अलग बात है कि राजेन्द्र सिंह अपने क्षेत्र के बेहतर राजनीतिज्ञ हैं लेकिन उनके पुत्रों में वह क्षमता नहीं है। यदि पिता राजेन्द्र सिहं का नाम अलग कर दें तो उनका रुतबा व राजनीतिक कद शून्य है।
ऐसे में विगत दिवसों में जिलें में युवक कांग्रेस के चुनाव चल रहे थे। इसमें बतौर विधानसभा प्रत्याशी एक लोकप्रिय युवा धीरेन्द्र द्विवेदी ने भी अपना पर्चा भरा लेकिन पहले से खार खाये बैठे राजेन्द्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह गिनी ने उनके खिलाफ तमाम हथकण्डे अपनाते हुए नाजायज तरीके से उसे बाहर का रास्ता दिखा पाने में सफल रहे। यहां गिनी के लिये राजेन्द्र सिंह का पुत्र इस लिये लिखा गया क्योंकि जब चुनाव हो रहे थे तभी मीडिया में यह लड़ाई काफी उछल रही थी और दोनों की विज्ञप्तियां भी खूब दिख रही थी। जो जानकारियां मीडिया के लोगों से मिली हैं उसके अनुसार इस लड़ाई में राजेन्द्र सिंह भी एक पात्र रहे हैं जो पर्दे के पीछे से अपने पुत्र के पक्ष में संपादकों से निवेदन करते रहे हैं । यह साबित कर रहा है कि राजेन्द्र सिहं कितने हलके हो गये हैं कि युकां प्रत्याशी के लिये के उन्हें मैदान में उतरना पड़ा।

स्टार ग्रुप में सेल्स टैक्स का छापा

हमें भेजे मेल में बताया गया है कि सतना स्थित स्टार ग्रुप के हेड आफिस सहित इसके कई प्रतिष्ठानों में सेल्स टैक्स डिपार्टमेन्ट ने छापे की कार्यवाही की है। सतना, रीवा, सिंगरौली, भोपाल, सागर व छतरपुर के कार्यालयों में एक साथ मारे गये छापे के पीछे बड़ी कर चोरी की शिकायत को देखा जा रहा है। हालांकि इस मामले में विभाग व संबंधितों द्वारा शुरुआत में काफी खामोशी बरती जा रही है। कितनी कर चोरी उजागर हुई है अभी यह पता नहीं चल सका है। जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार इस कार्रवाई में लगभग विभाग के आधा सैकड़ा अधिकारी एक साथ कार्यवाही कर रहे हैं और इस मामले में अभी कुछ भी बताने से इंकार कर रहे हैं। सेल्स टैक्स के एण्टी एविजन ब्यूरो द्वारा इस कार्यवाही को लेकर जिले के व्यापारिक वर्ग में असमंजस व अफरातफरी की स्थिति बनी रही है।

Monday, April 25, 2011

साइबर संचालक ने फैलायी नजीराबाद हाट क्लिप

हमें भेजे मेल में बताया गया है कि सतना में एक माह से तहलका मचा रही नजीराबाद हाट के नाम की अश्लील मोबाइल क्लिप जो अब सीडी में उपलब्ध है को फैलाने में एक साइबर संचालक का हाथ है।

इस सीडी में कोर्ट के एक रीडर और एक जैतवारा की महिला के बीच न्यूड व अंतरंग दृश्यों का फिल्मांकन किया गया है। मेल में जो जानकारी दी गई है उसके अनुसार पन्नीलाल चौक के समीप स्थित एक साइबर कैफे का संचालक जो राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखता है तथा मीडिया से खुद को जुड़ा बताता है के संबंध पहले जैतवारा की इस महिला से रहे हैं। अपने किसी काम के संबंध में उसके संबंध कोर्ट में रीडर से बने और इन संबंधों को और भुनाने उसने जैतवारा की महिला मित्र (जो कथित रूप से देह व्यापार में संलिप्त बताई जाती है ) का परिचय रीडर से कराया। पहले से महिलाओं में रुचि रखने में बदनाम इस रीडर को इस महिला से अपने संबंध प्रगाढ़ करने में ज्यादा वक्त नहीं लगा और स्थितियां यह हो गई कि महिला के संबंध साइबर संचालक से ज्यादा प्रगाढ़ रीडर अफजल से हो गये। उधर साइबर संचालक व रीडर के बीच इस संबंध की वजह से उनके बीच दूरियां बढ़ने लगी। लेकिन साइबर संचालक ने महिला से अपने संबंध बरकरार रखे यह अलग बात रही कि महिला का संचालक से मिलना न के बराबर हो गया और वह रीडर के ज्यादा करीब रहने लगी।
उधर दुनियादारी के सभी गुर सीख चुकी इस महिला ने रीडर को अपनी मुट्ठी में करने के लिये उसी से अपने अंतरंग क्षणों की मोबाइल क्लिप बनवा कर अपने ही मोबाइल पर सुरक्षित कर रखी थी। उधर कुछ माह पूर्व उस महिला का साइबर संचालक से मिलना हुआ और पुरानी मित्रता के चलते एसएमएस आदान प्रदान होने लगा इसी बीच साइबर संचालक ने उस क्लिप को भी देख लिया और धीरे से अपने मोबाइल में लेकर पूरे बाजार व नेट में फैला दिया। बताया गया है कि साइबर की आड़ में इसके कई अन्य युवतियों से मित्रता है। उधर एक अन्य जानकारी जो सामने आ रही है उसके अनुसार कोर्ट इस मामले को स्वयं संज्ञान ले रही है और चर्चा है कि न्यायाधीश इस मामले में मुकदमा पंजीबद्ध करने का मन बना रहे हैं।

Saturday, April 23, 2011

जुलाई के बाद होगा अखबार संग्राम

प्रदेश की राजधानी में इन दिनों दैनिक भास्कर व पत्रिका अखबार के मालिकानों व मैनेजमेंट की बैठकों का दौर शुरू हो गया है और यह बैठक सतना जिले को लेकर केन्द्रित है। इसका मतलब अब सतना में पत्रिका की आने की तैयारी को अंतिम रूप देना है तो दैनिक भास्कर को इसके बचाव की तैयारी करना है। दैनिक भास्कर प्रबंधन के अनुसार वे पत्रिका की आमद सतना में जुलाई के बाद मान रहे हैं और इसी को आधार मानकर सतना में अपनी तैयारियां प्रारंभ कर चुके हैं। उनकी नई मशीन आ चुकी है तो पेज बढ़ना लगभग तय है। टाइम मैनेजमेंट के नजरिये से भी मशीन के साथ पेस्टिंग विभाग का आधुनिकी करण किया जा रहा है और यहां सीधे डीटीपी से प्लेट (सीटीपी अर्थात कम्प्युटर टू प्लेट) बनाने की सुविधा होगी। अब उनका जोर संपादकीय को मजबूत करना होगा और उनका वेतन भत्ता सुधारना भी चुनौती होगी। राजधानी में कुछ दिन पहले हुई बैठक में इस पर चर्चा के बाद सतना के कर्मचारियों की सूची मंगाई गई है। इस सूची के बाद इनके वेतन में और सुधार की गुंजाइश है। वहीं पत्रिका भी इसके लिये तैयार हो चुका है और जिले के पत्रकारों के बारे में नब्ज लेना शुरू कर चुका है।

Friday, April 22, 2011

आ रही है विदाई की बेला

इन दिनों जल्द ही शहर के कर्ताधर्ता स्तर के अधिकारियों की विदाई की बेला निकट आ रही है। जो सबसे ज्यादा चर्चा में नाम हैं उनमें कलेक्टर सुखबीर सिंह, सीईओ आशीष कुमार और पुलिस अधीक्षक हरि सिंह यादव हैं। हालांकि इसमें आशीष कुमार का सतना से जाना लगभग तय माना जा रहा है। इनका तबादला देवास होने की तथा यहां पन्ना या रीवा से आने की संभावना प्रबल है। कलेक्टर के स्थानान्तरण का रेशियों 70:30 चल रहा है। इसमें 70 रुकने व 30 जाने की स्थितियां हैं। वहीं अपनी नेताओ वाली छबि की वजह से एसपी के खिलाफ भी नेताओं की एक जमात लगी हुई है तो खुद उनके महकमें के ही लोग उनका स्थानान्तरण करवाने में लगे हैं। इनका यादव प्रेम भी इस आग में घी का काम कर रहा है। दो महीने तक इन पर स्थानान्तरण की तलवार लटक रही है। यदि इससे बचे तो बचे।

Tuesday, February 22, 2011

जमीन के खुलासे में प्लाट का सौदा

हमें भेजे गये मेल में बताया गया है कि इन दिनों जमीनों का खुलासा करने वाले एक अखबार में इन खबरों के नाम पर दलाली भी शुरू हो गई है। इसके साथ ही शहर के मीडिया जगत में इस बात का काफी शोर है कि खबर के बाद लेनदेन जोरों पर चल रहा है। मीडिया जगत की चर्चाओं को सही माने तो किसी अग्रवाल से एक रिपोर्टर का एक प्लाट पर सौदा तय हुआ है और उस पर नजरे इनायत हो रही है। यह जानकारी पत्रकार जगत में चर्चा में आने के बाद नंबर 1 का दावा करने वाले अखबार ने भी जमीन की खबरों पर फोकस कर दिया है। इस मामले में मेल में बताया गया है िक यह पीड़ित पक्ष का बचाव का हथकडा भी है और वह नंबर वन अखबार के सहारे प्रोटेस्ट करना शुरू कर दिया है। हालांकि न्यूजपोस्टमार्टम टीम यह पुष्ट करने और पता लगाने में लगी है कि किस पत्रकार ने किससे सौदा किया है लेकिन यह भी पता चला है िक जमीन के कारोबारियों का एक ताकतवर वर्ग इस मामले में सत्ता व प्रशासन से संपर्क कर पलटवार की तैयारी कर रहा है। इस वर्ग के निशाने पर वह जानकारी है जिसमें तत्कालीन कलेक्टर के समक्ष अखण्ड प्रताप सिंह के साथ एक व्यवसायी मिलने गया था तो कलेक्टर ने उस वक्त अखण्ड के दबाव पर फाइल को थाम तो िलया था लेिकन अब वह फाइल फिर खोजी जा रही है। इसमें भाजपा युवा वर्ग के लोग सीनियरों के इशारे पर सक्रिय हुए हैं।

Saturday, February 5, 2011

दैनिक भास्कर के चेयरमैन का काला चिट्ठा प्रकाशित

दैनिक भास्कर के चेयरमैन रमेश अग्रवाल की बदनामी की कथा का प्रकाशन राजस्थान में हुआ है। इसमें उनकी कुटिलता का पूरा बखान किया गया है।
PDF Kalinayak Book

सांसद गणेश सिंह के गांव में एमपीईबी के छापे का मतलब...

विगत दिवस बिजली विभाग की एक हरकत से सांसद गणेश सिंह की काफी किरकिरी तो हुई लेकिन इस घटना क्रम ने यह बता दिया कि इन दिनों सांसद की अनबन नागौद विधायक व लोनिवि मंत्री नागेन्द्र सिंह के अलावा जिले के प्रभारी मंत्री राजेन्द्र शुक्ला से भी हो गई है। बताया गया है कि मंत्री पद की महत्वाकांक्षा पाल कर चल रहे सांसद गणेश सिंह इन दिनों आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति में अभी से चल रहे हैं। इसके साथ ही अपने बढ़े राजनीतिक कद का अहम भी उनमें अब नजर आने लगा है। इसी फेर में कुछ दिनों पहले सांसद ने पाला पीड़ित किसानों की मदद के नाम पर ऐसा बयान दे दिया की उर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला के हाथ पांव फूल गये। सांसद ने कहा था कि किसानों को बिजली बिल की माफी मिलेगी। अब सरकार यदि ऐसा करती है तो उतना पैसा सरकार को विभाग को देना होगा इस स्थिति में सरकार है नहीं और ऐसे में उर्जा मंत्री की किरकिरी तय मानी जा रही थी क्योंकि विपक्ष को यह एक हथियार मिलने वाला था। सांसद का यह गेम शुरुआत में ही उर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को समझ में आ गया और उन्होंने विभाग को ईशारा कर दिया नतीजा यह हुआ कि सांसद के गांव में ही बिजली विभाग का छापा पड़ गया और भारी संख्या में बिजली चोरी उजागर हुई और इसमें भी सबसे ज्यादा सांसद के सजातीय लोग ही पकड़े गये। हालांकि मीडिया मैनेजमेंट में माहिर सांसद ने किसी तरह से स्थानीय मीडिया की नजर से यह घटना संभलवा ली लेकिन अब उनके समर्थक किसानों की डूबती लुटिया को बचाने सांसद को वहां पदस्थ लाइन मैन को हटाने की चिट्ठी लिखनी पड़ी तो अब उन्हें उर्जा मंत्री से भी चर्चा करनी पड़ेगी। हालांकि इस बार राजेन्द्र शुक्ल बाजी मार गये लगते हैं लेकिन अब स्पष्ट तो हो गया है कि सांसद को तीन मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ेगी। इसमें पहला मोर्चा मंत्री नागेन्द्र सिंह, दूसरा विधायक शंकरलाल तिवारी तथा तीसरा रीवा विधायक व जिले के प्रभारी मंत्री राजेन्द्र शुक्ला का होगा।
उधर यह चर्चा अब जोर पकड़ चुकी है कि अगली विधानसभा में सांसद गणेश सिंह का हाथ आजमाना तय है और इसमें वे रामपुर बाघेलान या अमरपाटन में अपनी बाजी खेलेंगे लेकिन सतना पर भी उनकी निगाहें बनी हुईं हैं।

दैनिक भास्कर के अतिथि सर्किट हाउस में शराब पीकर लुढ़के

अब तक सर्किट हाउस नेताओं और उनके कारिन्दों द्वारा की जाने वाली हरकतों की वजह से चर्चित रहता था लेकिन हाल ही में ऐसा मामला सामने आया है जिसमें शहर का नम्बर वन अखबार दैनिक भास्कर दागदार हो गया है। वाकया यह है कि चार पांच दिन पहले सर्किट हाउस का एक कमरा दैनिक भास्कर के जीएम पुष्पराज सिंह ने सिटी मजिस्ट्रेट से कह कर बुक कराया। यहां बताने लायक मामला यह है कि सिटी मजिस्ट्रेट ने नियम विरुद्ध तरीके से यहां कमरा एलाट कर दिया और इसकी इन्ट्री न करने के लिये सर्किट हाउस के कर्मचारियों को कह दिया गया। सिटी मजिस्ट्रेट के कहने पर सर्किट हाउस का कमरा दैनिक भास्कर के जीएम पुष्पराज सिंह के नाम पर एलाट हो गया और यहां जबलपुर से दैनिक भास्कर का एक सज्जन यहां आकर रुक गया। शक्ल सूरत में सांवला सा यह शख्स अपने आप में काफी बड़ा शराबी बताया जा रहा है। कहते हैं कि दैनिक भास्कर का यह अतिथि यहां आने के बाद से ही लगातार शराब पीने में जुट गया। लगातार शराब की वजह से उसकी हालत खराब होने लगी जो सर्किट हाउस के कर्मचारियों को भी खलने लगी थी। कोई बात न हो इसके मद्देनजर यहां के कर्मचारियों ने इसकी शिकायत सिटी मजिस्ट्रेट से कर दी। उधर यह कर्मचारी नशे में इस कदर डूब गया कि अपने से चल फिर पाने में असमर्थ रहा और सीढ़ी चढ़ते वक्त लुढ़क गया। यह देख यहां के कर्मचारियों के हाथ पाव फूल गये और उसे कमरे से बाहर का रास्ता दिखाकर राहत की सांस ली। इस दौरान इसके कमरे से 9 शराब की बोतलें पायी गयी थीं।
दैनिक भास्कर के मालिक का सिटी मजिस्ट्रेट को पत्र
इस मामले में एक दूसरा पहलू यह भी सामने आया है कि इस घटना की जानकारी जब दैनिक भास्कर के स्थानीय मालिक अजय अग्रवाल को लगी तो वे चकरा गये। उनकी जानकारी के बगैर उनके संस्थान के जीएम पुष्पराज सिंह द्वारा सर्किट हाउस में किसी को ठहराना उन्हें नागवार गुजरा वह भी तब उसकी हरकत से संस्था की बदनामी हो। ऐसे में उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट को तत्काल ही पत्र लिख डाला। जिसमें उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि भविष्य में सर्किट हाउस में दैनिक भास्कर के नाम पर कोई भी कमरा तब तक न दिया जाये जब तक उनका अनुरोध पत्र शामिल न हो। इससे यह मामला उलझ गया है कि पुष्पराज सिंह आखिर दैनिक भास्कर के नाम पर किस अतिथि को ठहराये हुए थे। हालांकि चर्चा है कि इन दिनों भास्कर में वे ज्यादा ताकतवर हो कर सामने आये हैं और वे संपादकीय पर भी भारी हैं इस वजह से शहर में संपादकीय का भी लाभ उठारहे हैं। यही वजह है कि अक्सर वे पत्रकार वार्ताओं में भी न केवल नजर आते हैं बल्कि सवाल भी पूछते हैं। यह अलग है उन सवालों का संपादकीय से कोई लेना देना नहीं होता न ही वे अखबार में दूसरे दिन दिखते हैं लेकिन होता यह जरूर है कि संबंधित की जेब जरूर ढीली होती है।

Sunday, January 2, 2011

पत्रिका के दर पर होने लगी दस्तक

पत्रिका के सतना आने की तैयारियां लगभग तय हो चुकी हैं लेकिन समय को लेकर अनिश्चितता अभी भी बनी हुई है। हमें भेजे मेल में बताया गया है कि पत्रिका को अभी आने में लगभग चार से पांच माह लग सकते हैं वहीं जबलपुर के स्टाफ को इस बाबत तैयार रहने के भी संकेत दे दिये गये हैं। बताया गया है कि अखबार के एक बड़े अधिकारी यहां का दौरा करके जा चुके हैं तो सर्वे विभाग का आना जाना लगा है।
उधर एक अन्य जानकारी में सतना के पत्रकार जगत में भी इसकी हलचल दिखने लगी है। कई लोग तो अभी से पत्रिका के दर पर दस्तक ठोंक आये हैं। बताया जा रहा है कि सबसे पहले दस्तक देने वाले चन्द्रकांत पाण्डेय हैं, इसके बाद निरंजन शर्मा भी अपनी जुगत लगा चुके हैं तो शक्तिधर दुबे भी चर्चा कर चुके हैं। इसी प्रकार भास्कर के उपेन्द्र मिश्रा भी जबलपुर में चर्चा कर चुके हैं। इसके अलावा भी कुछ अन्य नाम है जो नामवर नहीं है। बहरहाल जितने भी नाम बताये गये हैं इनकी कोई भी कोशिश अभी सफल नहीं कही जा सकती है क्योंकि ये सभी उस टीम तक नहीं पहुंच सके हैं जो नियुक्ति कर्ता होती है। बहरहाल ये अपने संबंध मजबूत करने जबलपुर व भोपाल के प्रबंधन स्तर से लगातार टच में हैं।
हालांकि पत्रिका का बिलासपुर का पोस्टपोंड होना सतना के खाते के लिये सकारात्मक है। उधर भास्कर भी इसे भांप रहा है। और अपनी तैयारी में जुटा है। बहरहाल पत्रिका के आने पर सबसे ज्यादा झटका स्टार समाचार को ही लगेगा क्योंकि उसकी टीम अभी भी मजबूत नजर नहीं आ रही है। भास्कर का कम्प्यूटर स्टाफ भी बाहर जाने को तैयार बैठा है। राज की टीम के कुछ अच्छे लोग भी पत्रिका उठा सकती है ऐसे संकेत हैं।

निरंजन की रामवन कथा

वरिष्ट पत्रकार निरंजन शर्मा जो स्टार समाचार में अब तक या तो विवादित या फिर किसी को सपोर्ट करने वाली खबरे ही ज्यादा बनाई हैं ने एक फिर रामवन की एक स्टोरी छाप कर चापलूसी की पराकाष्ठा पार कर दी। जितनी बड़ी स्टोरी प्रकाशित की गई है उतनी बड़ा मामला यह नहीं था। यहां संपादकीय कमी स्पष्ट दिखी की आखिर संपादक इस स्टोरी को इतना स्पेस कैसे दे रहे हैं, दूसरा निरंजन शर्मा ने शहर के दो सबसे बड़े लिजलिजे व घटिया (शहर वासियों की नजर में) श्री कृष्ण माहेश्वरी तथा अखण्ड प्रताप सिंह का चरण चुंबन कर अपना हल्का पन सामने ला दिया। उनसे इतनी घटिया स्टोरी की उम्मीद नहीं रही। बहरहाल यदि उन्हें रामवन पर लिखना है तो क्या वे साहस दिखा पायेंगे उस सच को सामने लाने का जो वहां चल रहा है कि अखण्ड प्रताप सिंह व अन्य ने वहां अपनी जमीनों को आसमान में पहुंचाने क्या खेल किया, श्री कृष्ण माहेश्वरी जेसे दलाल समाजसेवी जो फिनायल न लेने वाले विभाग प्रमुखों की सरकार से क्लास लगवाते हैं ने सरकारी पैसे को अपनी अंटी में डालने के लिये समिति गठित कर रामवन में काम शुरू किया और यहां लाखों रुपये शासन के अपने कब्जे में कर लिये। शासन की योजनाओं को अपने नाम जोड़कर जनता को ये सभी बेवकूफ बना सकते हैं लेकिन इस काकस मंडली की हकीकत एक चोर से ज्यादा नहीं है जो सत्ता व संगठन के दम पर पाक साफ बचा है।