
अपनी कार्यशैली के लिए हमेशा विवादों में रहने वाले और काम की अज्ञानता की वजह से अक्सर बिना छुट्टियों के गायब रहने वाले सतना पीआरओ मरावी को इन दिनों फर्जी पत्रकार जो दिल्ली के किसी अखबार की चार प्रतियां यहां बेचता है के साथ काफी घनिष्टता नजर आ रही है। हमे भेजे मेल व फोटो में बताया गया है कि इन दिनों ये अपने शासकीय डेकोरम का भी पालन नहीं कर रहे हैं। ये शासकीय मैनुअल के हिसाब से का

म न करके एक फर्जी पत्रकार पर मेहरबान है। हमेशा न केवल इस अशोक मिश्रा नामक फर्जी दलालनुमा पत्रकार को अपने साथ लेकर घूमते हैं बल्कि इसकी फोटो हर अखबार में प्रकाशित करवा कर उसका बाजार तैयार करवाते हैं। फिर अधिकारियों को धमकी दिलवाकर पैसे वसूल करवा कर उसमें से होने वाली आय से अपना भी लाभ कमा रहे हैं। इसके लिये जनसंपर्क से हमेशा पीआरओ द्वारा वहीं फोटो भेजी जाती हैं जिसमें अशोक मिश्रा होता है। अपने साथ हमे

शा इसको लेकर जाते हैं। इसका सबूत पीआरओ द्वारा जनसंपर्क के मेल से भेजे अखबारों की फोटो में दिया जा रहा है। वहीं यह भी देखने योग्य है कि हर बैठक या दौरे में यही पत्रकार की ही फोटो क्यों आ रही है। क्या जिले में और कोई दूसरा नहीं है या फिर इसके अलावा फोटो नहीं खींची जाती है। लेकिन मेल में बताया गया है कि जान कर कलेक्टर के बगल और एसडीएम के बगल वाली फोटो पीआरओ द्वारा चयन करके भेजी गई है। ताकि कमाई का जरिया तैयार हो। जबकि ऐसे कई अवसर

आये होंगे जब अशोक मिश्रा कलेक्टर से दूर रहे होंगे या फोकस में न रहे होंगे उन अवसरों की फोटो अखबार में जान कर नहीं भेजी गई।
अशोक मिश्रा का फर्जीवाड़ादिल्ली के मेडिकल से संबंधित किसी अखबार की सतना में एजेंसी लेकर खुद को पत्रकार बताने वाले अशोक मिश्रा खुलेआम दलाली करता है। मेडिकल का अखबार चलाने की बात करने वाले को जनपद या जिला पंचायत के सीईओ से ज्यादा मोह रहता है। वजह है कि वे अखबार के बारे जानते नहीं और पीआरओ के दफ्तर को अपना कार्यालय बताने वा

ला यह फर्जी पत्रकार उनसे राशि वसूलता है तो कई बार उनसे गाडियां लेकर अपने घर जाता है। इसमें सहायक बनता है पीआरओ मरावी। यही वजह है कि अशोक मिश्रा को दिन भर अपने यहां ही बैठाये रहता है। अब तो मिश्रा दूसरों को इस कार्यालय का ही फोन नंबर भी देने लगे हैं।
दिनांकः 28:05:2011 मरावी फिर मिश्रा पर मेहरबानहमें मेल में मराबी द्वारा अखबारों को भेजी गई फोटो भेजी गई

जिसमें बताया गया है कि मरावी ने एक बार फिर अशोक मिश्रा की फोटो अखबारों में छपवाने के लिये लोनिवि मंत्री नागेन्द्र सिंह के साथ भेजी है। देखे- चित्र
कौन है मरावीके.के. मरावी जनसंपर्क विभाग का पीआरओ है। आरक्षित वर्ग से परीक्षा उत्तीर्ण कर पीआरओ तो बन बैठा है लेकिन आता जाता कुछ नहीं है। विभाग का मूल काम तरीके से खबर लिखना भी नहीं आता है। इस लिये अक्सर ये गायब रहते हैं या फिर अपने आगे पीछे ये महोदय घटिया या नौसिखिये पत्र

कारों को जमघट लगाकर अपने को साबित करने में जुटे रहते हैं और चाटुकारिता करवा कर उन्हें भी कमाई का अवसर उपलब्ध कराते हैं। इनकी हकीकत यह है कि इनके पास कभी भी कोई बड़े अखबार का या फिर बड़ा संपादक, रिपोर्टर, संवाददाता, अखबार प्रतिनिधि नहीं बैठता है। दिन को अक्सर दफ्तर से गायब भी वे इसी लिये रहते हैं क्योंकि लोगों के बीच उनकी कमी न सामने आ जाये। काम न आने की वजह से वे काम को लटकाने की आदत से ग्रस्त हैं। कुछ दिनों पहले इनकी अकर्मण्यता के चलते मारुति एक्सप्रेस के संचालक को नाके चने चबाने पड़े थे। ये उनसे रोज ठंडा, नाश्ता, मुर्गा व शराब पीते और तीन माह बाद जाकर उनका काम किया। उधर आरक्षित वर्ग होने का फायदा भी खूब उठा रहे हैं। अगर कोई सच्चाई बोले तो उसे हरिजन एक्ट में फंसाने की धमकी भी देते हैं।