कई वर्षों तक मध्यप्रदेश के सतना जिले की अमरपाटन विधानसभा में लगभग राज करने वाले विधायक व पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिहं का कद व प्रतिष्ठा इतना हल्का हो गया है जिसका अंदाजा विगत दिवस युवक कांग्रेस के चुनावों में सामने आ गया। इसके साथ ही यह भी साबित हो गया कि राजेन्द्र सिंह राजनीतिक सोच से भी कमजोर हो चले हैं और पुत्र मोह में अपना ही नुकसान कर रहे हैं। यह अलग बात है कि राजेन्द्र सिंह अपने क्षेत्र के बेहतर राजनीतिज्ञ हैं लेकिन उनके पुत्रों में वह क्षमता नहीं है। यदि पिता राजेन्द्र सिहं का नाम अलग कर दें तो उनका रुतबा व राजनीतिक कद शून्य है।
ऐसे में विगत दिवसों में जिलें में युवक कांग्रेस के चुनाव चल रहे थे। इसमें बतौर विधानसभा प्रत्याशी एक लोकप्रिय युवा धीरेन्द्र द्विवेदी ने भी अपना पर्चा भरा लेकिन पहले से खार खाये बैठे राजेन्द्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह गिनी ने उनके खिलाफ तमाम हथकण्डे अपनाते हुए नाजायज तरीके से उसे बाहर का रास्ता दिखा पाने में सफल रहे। यहां गिनी के लिये राजेन्द्र सिंह का पुत्र इस लिये लिखा गया क्योंकि जब चुनाव हो रहे थे तभी मीडिया में यह लड़ाई काफी उछल रही थी और दोनों की विज्ञप्तियां भी खूब दिख रही थी। जो जानकारियां मीडिया के लोगों से मिली हैं उसके अनुसार इस लड़ाई में राजेन्द्र सिंह भी एक पात्र रहे हैं जो पर्दे के पीछे से अपने पुत्र के पक्ष में संपादकों से निवेदन करते रहे हैं । यह साबित कर रहा है कि राजेन्द्र सिहं कितने हलके हो गये हैं कि युकां प्रत्याशी के लिये के उन्हें मैदान में उतरना पड़ा।
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