एक लंबे अंतराल के बाद काफी कुछ नया हो गया जो आपको नहीं बता पाये।
हमें मिले मेलों के अनुसार मीडिया जगत में लड़ाई लड़ाई पत्रिका और दैनिकभास्कर
की चल रही है। हालांकि खबरों के हिसाब से पत्रिका आगे चल रहा है। लेकिन वह अभी सतना
के मूड के हिसाब से नहीं आ पाया है। जिससे उसे वह लोकप्रियता नहीं मिल पा रही है। उधऱ
दैनिक भास्कर खबरों में रहने के लिये कई बार फर्जी खबरों का भी सहारा ले रहा है।
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दैनिक भास्कर के संपादक विश्वतारा दूसरे इस समय दबाव में काम
कर रहे हैं। उनके यहां मैनेजमेंट में भाजपा
के एक पदाधिकारी की नियुक्ति कर दी गई है।
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-स्टार समाचार अभी भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है लेकिन
प्रजेन्टेंशन में अभी भी नंबर वन बना है। खबरों की गुणवत्ता घटी है। विश्वसनीयता भी
घेरे में है।
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- अभी दैनिक भास्कर और पत्रिका में सोहावल की एक नर्स को लेकर
लड़ाई चल रही है। इसमें दैनिक भास्कर के संपादक के परिचित कर्मचारी का मामला जुड़ा
है जिससे वह इसमें गलत खबरे प्रकाशित करता नजर आ रहा है.
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पत्रिका तहसील स्तर की खबरों में कमजोर है और स्थानीय विज्ञप्तियों
से जुड़ाव नहीं होने से रीडरशिप प्रभावी होती है। इसी तरह से शहर में इसकी पहुंच काफी कम नजर आ रही है। हालांकि बताया
जाता है कि भास्कर इनकी ५ से ६ हजार कापी डम्प कर रहा है।
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