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Tuesday, May 18, 2010

कलेक्टर का डीओ लेटर और सीईओ का तुगलकी फरमान

हमें मेल द्वारा भेजी गई जानकारी में भ्रष्टाचार को बढावा दे रहे सीईओ जिला पंचायत का एक और कारनामा बताया गया है. इसमें अपनी करतूतों का काला चिट्ठा न खुले इसके लिये कलेक्टर के पत्र के बाद अपने मातहतों को सूचना के अधिकार पर छन्ना लगाने के निर्देश जारी किये हैं.
मेल में बताया गया है कि जिले में रोजगार गारंटी योजना की उड़ती धज्जियों और लगातार मिल रही शिकायतों के बाद जब एक अखबार में सैकड़ा भर पंचायतों में काम बंद होने की बात सामने आयी तो अंततः कलेक्टर सुखबीर सिंह ने जिला पंचायत के सीईओ आशीष कुमार गुप्ता को डीओ लेटर जारी किया. इसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि 159 पंचायतों में काम बंद है. जबकि रोजगार गारंटी योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना है. यह स्थिति बेहद चिंताजनक है तथा बेहद दुःखद है. आप इन पंचायतों में काम प्रारंभ कराना सुनिश्चित करके मुझे अवगत कराएं.
उधर टीएल बैठक के पूर्व भी इसी घटना क्रम से संबंधित मामले कल कलेक्टर ने सीईओ जिला पंचायत की लंबी क्लास ली.
इन घटनाक्रमों के बाद अपनी नाकामी और फर्जीवाड़े के खुलती पोल को छुपाने जिला पंचायत सीईओ ने आननफानन में अपने मातहत अधिकारियों को भी पत्र जारी कर सूचना के अधिकार पर भी फिल्टर लगाने का काम किया है. मेल में बताया गया है कि सीईओ जिला पंचायत ने पत्र क्रमांक 669 में जिला पंचायत के विभिन्न योजनाओं के शाखा प्रभारियों व सहायको को निर्देशित किया है कि सूचना के अधिकार के तहत जो भी जानकारी दें उसके पूर्व उन्हें उस जानकारी का अवलोकन कराया जाय तथा उनका अनुमोदन लिया जाये तब जाकर सूचना दी जाय. यहां सवाल यह उठ रहा है कि सीईओ आखिर किस सूचना के लीक होने से इतना घबरा गये हैं कि उन्हें यह कदम उठाना पड़ा. बहरहाल इस काजल की कोठरी में उन्होंने व उनके सिपहसलारों ने इतनी कालिख भर रखी है कि उससे सफेदी की उम्मीद किसी फिल्टर से बेमानी ही है.
मेल में तो यह भी बताया गया है कि अब सीईओ अपने काले कारनामों की लगातार खुल रही पोल से आजिज आकर तथा प्रभारी मंत्री को हर तरीके से संतुष्ट कराने के बाद अब रीवा जाने का मन बना चुके हैं तथा इसके जुगाड़ में भी लगे हैं.

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