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Saturday, February 5, 2011

दैनिक भास्कर के चेयरमैन का काला चिट्ठा प्रकाशित

दैनिक भास्कर के चेयरमैन रमेश अग्रवाल की बदनामी की कथा का प्रकाशन राजस्थान में हुआ है। इसमें उनकी कुटिलता का पूरा बखान किया गया है।
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3 comments:

  1. रमेश चन्द्र अग्रवाल के दादा केशव चन्द्र के तीन पुत्र थे – द्वारिका प्रसाद , विशम्भर दयाल और महेश प्रसाद ! इनमें सबसे बड़े द्वारिका प्रसाद अग्रवाल , मंझले विशम्भर दयाल और छोटे महेश प्रसाद अग्रवाल थे |द्वारिका प्रसाद अग्रवाल ने दो विवाह किये ! पहली पत्नी कस्तूरी देवी से उनकी तीन संताने हुई – रमेश , मीना व नीलम | दूसरी पत्नी किशोरी देवी से उनकी शादी सन १९४४ मैं हुई | किशोरी एवी से दो संताने हुई – हेमलता व अनुराधा | रमेश की शादी शारदा देवी से हुई जिनकी तीन संताने हुई – सुधीर अग्रवाल , गिरीश अग्रवाल व पवन अग्रवाल | विशम्भर दयाल पञ्च बेटों के पिता बने | उनके बचों के नाम कैलाश , मनमोहन , अजय प्रकाश और राकेश रखे गए | महेश प्रसाद अग्रवाल के इकलौते बेटे का नाम संजय अग्रवाल है | तो यह है रमेश का खानदान |

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  2. दैनिक भास्कर का प्रकाशन रोकने की मांग
    हिन्दुस्तान, बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली
    First Published:21-05-10
    दैनिक भास्कर के मालिकाना हक को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्रकाशक कंपनी डीबी कार्प लिमिटेड के एक भागीदार संजय अग्रवाल ने दावा किया है कि उनकी लिखित सहमति के बिना अखबार का कहीं से भी प्रकाशन शुरू नहीं किया जा सकता है। यही नहीं अग्रवाल ने रांची और पटना के अनुमण्डल अधिकारी (एसडीएम) को दैनिक भास्कर के प्रकाशन के लिए मांगी गई अनुमति के खिलाफ अपनी आपत्ति भी दर्ज करा दी है।

    इनकी इस आपत्ति को अधिकारी ने गंभीरता से लेते हुए कंपनी को नोटिस जारी कर एक हफ्ते में जबाव मांगा है। अग्रवाल के अनुसार यह कंपनी इसी तरह का प्रयास नोएडा में कर चुकी है जहां वह सफल नहीं हो पाई थी। अपनी पीड़ा को मीडिया के सामने व्यक्त करते हुए संजय अग्रवाल ने कहा कि अभी तक हम लोग सारे विवाद परिवार के अंदर ही निपटाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन अब मामला काफी आगे निकल गया है।

    इन्होंने बताया कि 1972 में द्वारिका प्रसाद अग्रवाल एण्ड ब्रदर्स फर्म ने दैनिक भास्कर का प्रकाशन शुरू किया था। इस फर्म में द्वारिका प्रसाद अग्रवाल, वी अग्रवाल, एमपी अग्रवाल और रमेश चन्द्र अग्रवाल भागीदार थे। लेकिन अचानक 1984 में एक कंपनी राइटर पब्लिशर लिमिटेड बना ली गई। इस कंपनी में कंपनी के अलावा मैं यानी संजय अग्रवाल भी मालिक के रूप में शामिल हुए। इसके बाद इस कंपनी से दैनिक भास्कर का व्यवसाय अलग करने के लिए डीबी कार्प नाम से एक और कंपनी 2004 में बनाई गई। वर्तमान में यह कंपनी दैनिक भास्कर का प्रकाशन कर रही है। नियमत यह कंपनी और मेरी सहमति के बिना दैनिक भास्कर का किसी भी नई जगह से प्रकाशन शुरू नहीं हो सकता है। श्री अग्रवाल ने बताया कि उनकी जानकारी में आया है कि दैनिक भास्कर उनकी सहमति के बिना झारखण्ड की राजधनी रांची और बिहार की राजधानी पटना से अखबार का प्रकाशन शुरू करने जा रही है। इस संबंध में डी बी कार्प ने वहां के एसडीएम के यहां अनुमति के लिए आवेदन भी कर दिया है। अग्रवाल के अनुसार जैसे ही उनको पता चला कि उनकी अनुमति के बिना यह काम किया गया है तो उन्होंने ने अपनी आपत्ति को एसडीएम के समझ रखा। अधिकारी ने उनकी आपत्तियों को गंभीरता से लेते हुए 18 मई 2010 को डी बी कार्प को नोटिस जारी कर दिया है। साथ ही नोटिस मिलने के सात दिनों के अंदर ही जबाव देने को कहा है। इन्होंने बताया कि जब कंपनी अपना आईपीओ लाई थी उसी वक्त से उनको इन लोगों की नियत पर शक हुआ।

    आईपीओ में संजय अग्रवाल को कोई भी भागीदारी नहीं दी गई। जबकि मौखिक रूप से उनको कंपनी में महात्वपूर्ण व्यक्ति बताया जाता रहा। यही नहीं अग्रवाल के अनुसार उनके देहरादून से दैनिक भास्कर को निकालने के प्रयास को भी असफल किया गया। पिछले वर्ष डीबी कार्प ने नोएडा से भी रांची और पटना की तरह गलत जानकारी देकर दैनिक भास्कर निकालने का प्रयास किया था। लेकिन उनको समय से सूचना मिल गई और उन्होंने डीएम के यहां अपनी आपत्ति को मजबूती से रखा। इसके बाद कंपनी को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। इन्होंने कहा कि वह पूरी ताकत से रांची और पटना में अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।

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  3. dainik bhaskar ki asali malikana hak ki ladai pt sambhunath shukla 9chief minister vindhya pradesh]ke pariwar se chal rahi hai .asali malik wo log hai unhone inhe akhbarsirf chale ko diya tha .aur ye log fargi tareke se copy rite act ka ulanghan karte hue apne naam krwaya is ka vivad satna court mai bhi chal raha hai jeska nienaye aane wala hai

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