Thursday, September 13, 2012
गांजे के मामले में रुचि ले रहे नारायण और नेता
एक तो पुलिस कुछ करती नहीं है और जब कुछ करने लगती है तो नेता और मीडिया(सभी नहीं) उसमें सबसे बड़ी बाधा बन कर सामने आ जाती है। हाल ही में दो मामले को लेकर जिस तरीके से कुछ अखबार खबरे छाप रहें हैं उसमें स्पष्ट लग रहा है कि वे कहीं से आपरेट हो रहे हैं। पुलिस ने एक जायसवाल की सफारी क्या पकड़ ली और उसके बाद तो सभी पाक साफ सफेद पोश यह कसमें खाते घूम रहे हैं कि उससे पाक साफ और ईमानदार कोई है ही नहीं। गोया उसपर बयान यह कि ये सवाल खड़े हो रहे हैं वो सवाल खड़े हो रहे हैं। मसलन एक सवाल यह उठाया जा रहा है कि टाटा सफारी एमपी 19 सीए 5084 किसकी है। बड़े - बड़े अखबार नवीस खुद सवाल उठा रहे हैं लेकिन वे यह नहीं जानना चाह रहे या जान कर चुप हैं कि यह सफारी वाहन मीरा बाई जायसवाल के नाम है जो अमृतलाल जायसवाल (अभी जेल में हैं) की पत्नी हैं और अमृतलाल जायसवाल जस्सा के पिता है। इस लिहाज से यह गाड़ी जस्सा की मां के नाम है और इसका उपयोग जस्सा और उसके लोग अपने कारोबार में करते थे। अब शोकॉल्ड ईमानदार सचिव कृष्णकुमार जायसवाल की सफारी एमपी 19 सीए 4203 जो अनीता जायसवाल के नाम है यह भी हर्रई गांव के नाम पर रजिस्टर्ड है। यहां इन प्रकरणों में समानताएं जो हैं वह दोनों जायसवाल, एक गाड़ी हर्रई से बरामद होती है दूसरी हर्रई में रजिस्टर्ड है तीसरा इस मामले में तमाम आरोपों से घिरे रहने वाले नारायण त्रिपाठी का बैक डोर से सपोर्ट करते हुए ज्ञापन और पुलिस की कार्यवाही में बाधा डालना कुछ तो बड़े को छुपाने का संदेह है। वहीं जिस तरीके से मीडिया इस मामले के ज्ञापनों ओर विज्ञप्तियों को बढ़ा चढ़ा कर छाप रहा है यह भी किसी के गले नहीं उतर रहा है। मीडिया हल्के में ही चर्चा है कि इस मामले में मीडिया डील भी चल रही है। कुलजमा खर्च की बात करें तो यह मामला उतना सीधा नहीं है जितना दिख रहा है। पर्दे के पीछे कुछ ऐसा चल रहा है जो लोग सामने आने नहीं देना चाहते वहीं पुलिस की दिशा बदलने के मामले में भी काम किया जा रहा है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment