
शहर के नेताओं की आत्मा मर चुकी है और उनके लिये जनहित कोई मायने नहीं रहता यह तब साबित हो गया जब विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले जिला पंचायत के माननीय अध्यक्ष
गगनेन्द्र प्रताप सिहं जी का बयान दैनिक जागरण में सामने आया। शहर की तीन लाख आबादी का दर्द उन्हें सुनाई नहीं दिया और उसमें दबी चीखों से उनकी आत्मा नहीं कांपी लेकिन चंद व्यापारियों के दो घंटे के नुकसान ने उनका कलेजा हिला दिया। एक ओर शहर का एक-एक आम आदमी नो इंट्री में कोई राहत देने को तैयार नहीं है वहीं 'बेदाग' छवि वाले गगनेन्द्र को नो इंट्री चालू करने की पड़ी है। आखिर सिंह साहब को यह कैसे समझ में आयेगा क्योंकि उनके अपने भी तो दर्जनों डम्पर सड़क पर दौड़ते हैं। उनका अपना हित भी इस नो इंट्री से प्रभावित होता है। उनके अपने बच्चे लक्जरी चार पहिया वाहनों में स्कूल जाते हैं। गगनेन्द्र जी कभी सड़क में लक्जरी कारों से उतर कर आम आदमी की तरह चलियेगा तब १२-१२ चक्कों में आती मौत की भयावहता का अंदाजा लगेगा। किसी ऐसे के घर में जाकर देखियेगा जिसके यहां का कोई सहारा इस दुनिया से चला गया है और वह परिवार अपनी रोजी रोटी को मोहताज है। उस परिवार से पूछियेगा जिसका इकलौता चिराग इस दुनिया में नहीं रहा तो शायद आपको जनता का दर्द समझ में आयेगा। लेकिन ऊंचे कोठों में रहने वाले नेताओं को यह कहां समझ में आता है। चलिये हम भी प्रार्थना करेंगे कि प्रशासन आपके डम्परों के लिये नो इंट्री में छूट दे दे, जनता के बच्चे मरते हैं तो मरते रहे। एक मर जायेगा तो वे तो दूसरा पैदा कर लेंगे।

ऐसे ही एक नेता है मझगवां से भाजपा के विधायक
सुरेन्द्र सिंह गहरवार। बस व्यवसायी। गरीबी, बेकारी, भुखमरी से जूझ रही अपनी क्षेत्र की जनता का भला तो कर नहीं सके लेकिन शहर में आ गये सभी स्कूलें बंद कराने के लिये। वाह रे भाजपा के फरमाबरदार नेता.... तुम्हारे ट्रक चलते रहें भले ही स्कूल बंद हो जायें। कहने को तो बहुत कुछ है लेकिन आप जैसे मगरमच्छी नेताओं के लिये कुछ कहने या लिखने में भी हमे शर्म आती है। आपकी इन दयानतदारी का जवाब जनता ही दे तो अच्छा है।
very good in swarthi neta logo ki asaliyat samne aani chahiye.enhe satna ki janata se koi lena dena nahi hai.enka bas chale to kafan bech kar apni tijori bharenge
ReplyDeletein kafan chor netao ki yahi asaliat hai
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