इस दौराने ये सभी दलाल यह भूल गये कि उनकी जिम्मेदारी क्या है. क्या जनता के साथ यह घोखा नहीं है जिन्होंने इन पर भरोसा किया. इन्हे चाहिये था कि ये शांति से सैम्पलिंग की कार्यवाही अंजाम दिलवाते. लेकिन शायद यह भी सच है कि सेम्पलिंग हो जाती तो हकीकत सामने आ जाती और लोगों को पता चल जाता कि बड़ी दुकान का पकवान कितना फीका है. सो दबाव बना कर ये सभी दलालो ने जनता को नकली खाद्य सामग्री बांटने की छूट दिलाकर पूरा दिन गौरवान्वित होते दिखे.
Wednesday, October 14, 2009
खोवे में खुल गई पत्रकारिता व नेता की दलाली
इस दौराने ये सभी दलाल यह भूल गये कि उनकी जिम्मेदारी क्या है. क्या जनता के साथ यह घोखा नहीं है जिन्होंने इन पर भरोसा किया. इन्हे चाहिये था कि ये शांति से सैम्पलिंग की कार्यवाही अंजाम दिलवाते. लेकिन शायद यह भी सच है कि सेम्पलिंग हो जाती तो हकीकत सामने आ जाती और लोगों को पता चल जाता कि बड़ी दुकान का पकवान कितना फीका है. सो दबाव बना कर ये सभी दलालो ने जनता को नकली खाद्य सामग्री बांटने की छूट दिलाकर पूरा दिन गौरवान्वित होते दिखे.
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