
ग्राम पंचायतों को योजनाओं की राशि चेक द्वारा दिये जाने के बाद कमीशन के लिये जनपदों के सीईओ ने भी शासन से आगे जाकर नायाब तरीका निकाला. उन्होंने अपने खास फरमाबरदार लोगों के नाम से फर्जी दुकानों के नाम पर खाते खुलवा लिये. फिर ग्राम पंचायतों से इन्हीं खातों में राशि बतौर कमीशन जमा करने को कहा जाने लगा. यह अभी भी बेखौफ चल रहा है तथा सोहावल सीईओ का एक पुख्ता मामला सामने आया है. इसमें मां दुर्गा इंटरप्राइजेज प्रो. राकेश कुमार पाण्डेय तथा ओम सांई ट्रेडर्स प्रो. विजय कुमार शुक्ला के शारदा ग्रामीण बैंक में खुले खाते है. यदि इन खातेदारों की जांच की जाये तथा इनकी कहां दुकान थी तथा इनके द्वारा क्या-क्या सप्लाई किया गया आदि की गंभीरता से जांच की जायेगी तो कुड़िया सरपंच की मौत का भी कुछ पर्दाफाश हो सकेगा.
लेकिन यहीं अखबारों में लगातार छप रही खबरों में जिला पंचायत के छत्रपाल सिंह की सरगर्मी भी कम संदेहास्पद नहीं है. आखिर ऐसा क्या हो गया है कि सोहावल सीईओ उनकी नजर में एकदम से भ्रष्ट हो गये. यहां एक जानकारी यह भी मिली है कि कुड़िया संरपंच की मौत के बाद ही बैंकों का खाता बंद होते ही बैंक से इन खातों की पूरी जानकारी छत्तू द्वारा निकलवा ली गई थी लेकिन तब इन्हे जारी नहीं किया गया, और इतने दिन बाद ऐसी क्या मजबूरी आ गयी कि इन्हे अब जारी करना पड़ रहा है.
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