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Sunday, August 26, 2012

सतना से मुंह चुरा के भागे सुब्रमण्यम स्वामी

जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी को सतना जिले में आकर कांग्रेस के युवराज को एक बार फिर से समलैंगी और उनकी मां श्रीमती सोनिया गांधी को विषकन्या कहना काफी भारी पड़ गया। सुबह कही गई बात शाम होते तक इस कदर बिगड़ गई कि स्वामी को कीचड़ और गोबर के छींटों का सामना करना पड़ा तो आम तौर पर दिखाए जाने वाले काले झण्डे भी दिखाये गये। इसके साथ ही युकांईयों ने स्वामी का सतना शहर में रुकना दुस्वार कर दिया। स्थिति यह रही कि महाकौशल एक्सप्रेस से दिल्ली के लिये रिजर्वेशन होने के बाद भी उन्हें गोपनीय तरीके से मैहर ले जाया गया। यहां के एक सीमेन्ट कंपनी के रेस्ट हाउस में भोजन कराने के बाद आगे सड़क मार्ग (नेशनल हाइवे से नहीं) से जबलपुर ले जाया गया।
फेल हुआ पुलिस प्रशासन 
सतना में स्वामी द्वारा राहुल गांधी को समलैंगी व सोनिया को विषकन्या बताने के साथ ही कांग्रेस का टैम्प्रेचर बढ़ने लगा था। लेकिन यहां की पुलिस के थर्मामीटर में यह बढ़ता तापमान नहीं आ पाया। न ही पुलिस द्वारा इसकी कोई व्यवस्था की गई। जब तक पुलिस को कांग्रेस के विरोध का पता चला तब तक काफी देर हो चुकी थी और मुट्ठी भर युवक कांग्रेस के लोगों ने देश की राजनीति में तहलका मचाने वाले सुब्रमण्यम स्वामी का सतना में रहना मुश्किल कर दिया और उन्हें सतना से मुंह छिपाकर भागना पड़ा।
सीनियरों ने कटाई नाक 
स्वामी के विरोध को लेकर जिस तरीके से सीनियर कांग्रेसियों ने चुप्पी साध रखी थी और मोर्चे पर अकेले युकांई लड़ रहे थे इसने साबित कर दिया है कि सतना में सीनियरों का दम बुझ चुका है और वे अपने पद लायक नहीं रह गये हैं। क्योंकि वे इस विरोध में न तो हिस्सा ले रहे थे और न ही दिशा दे रहे थे। दिशाहीन युकांई जिस तरह आवेशित थे उससे कुछ भी हो सकता था। शायद इसीलिये प्रशासन ने स्वामी को गुपचुप तरीके से कहीं दूसरी जगह भेजने का निर्णय लिया। क्योंकि इस विरोध में सुनने वाला कोई था नहीं और जो सुन सकते थे वे आंदोलन के परे थे।

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