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Thursday, February 4, 2010

महंगा पड़ा पीआरओ पर दबाव डालना

सतना में कल 4 फरवरी का दिन पत्रकार जगत के लिये काफी उहापोह से भरा रहा. विगत 3 फरवरी को हुए एक अप्रत्याशित घटनाक्रम से घबराये पत्रकारों को एक बार फिर अपनी बचाने में प्रेस क्लब नामक जमींदोज हो गये पत्रकार संगठन का सहारा लेना पड़ा तो मामले की गंभीरता को देखते हुए समझौते पर मजबूर हुए. हालांकि इस घटना के जितने जिम्मेदार वे पत्रकार रहे उतने पीआरओ नहीं. यह अलग बात है कि मामला थाने में ले जाकर पीआरओ ने गलत किया था.
मामला जो जानकारी में आया है उसके मुताबिक बुधवार को संजय लोहानी, नितेन्द्र गुरुदेव और ज्ञान शुक्ला पीआरओ आफिस पहुंचकर पीआरओ से यह प्रमाणीकरण चाहते है कि वे यह लिख कर दे दें कि उनका नाम इस कार्यालय में है. जब पीआरओ यह लिखने से मना कर देते है साथ ही अधिमान्यता संबंधी मामले में नियुक्ति प्रमाण पत्र की मांग भी करते हैं तो यहां से इन तीनों का दिमाग उखड़ जाता है और बाहर आकर तल्ख टिप्पणी करने लगते है यह टिप्पणियां पीआरओ को हो रही थी. इसी दौरान वहा मौजूद एक फर्जी पत्रकार अंदर जाकर इस मामले को बढ़ा चढ़ा कर पीआरओ को बताता है और उनके द्वारा मामला थाने को दे दिया जाता है.
मामला थाने में जाते ही इन पत्रकारों ने अपने बचाव में आनन फानन में काउंटर केस दर्ज कराया लेकिन मामले की गंभीरता से अवगत होने पर बचाव की मुद्रा में आये इन लोगों ने समझौते की राह तलाशी और नवभारत के संपादक संजय पयासी और घटना के सूत्रधार अशोक शुक्ला चौकन्ना, जनसंपर्क विभाग के संभागीय अधिकारी चौधरी की मौजूदगी में गुरुवार को समझौता हुआ. लेकिन यहां सवाल यह खड़ा हुआ है कि गलती कहां से हुई तो जो जानकारी में आया है वह यह है कि पूरी गलती ज्ञान शुक्ला को प्रमाणीकरण दिलाने के लिये की गयी. क्योंकि यहां संजय लोहानी और नितेन्द्र के पास वे सभी दस्तावेज है जो अधिकृत पत्रकार को चाहिये. लेकिन ज्ञान जनसंपर्क अधिकारी से यह लिखाना चाह रहे थे कि पीआरओ यह लिख कर दे दे कि उनके कार्यालय में चैनल प्रतिनिधि के रूप में उनका नाम दर्ज है. दरअसल गलत बुनियाद पर शुरू हुई बात की वजह से ही समझौते पर उतरना पड़ा. उधर पीआरओ की गलती यह रही कि उन्हे भी किसी के बहकावे में आकर मामले को थाने नहीं ले जाना था. क्योंकि जो भी बात हुई थी वह उनके सामने नहीं थी. उन्हे भी अपनी आदत में सुधार लाना होगा कि अपने यहां फर्जी तरीके से बैठने वालो को एक दूरी तक लाना होगा क्योंकि उनके यहां ऐसे लोगों की जमात बढ़ती जा रही है.

1 comment:

  1. is prakaran me galti pro maravi ki nahi lagati .gyan shukla fargi tarike se praman patra hasil kar lena chahata tha. shayed yeh jugad ashok shukla ne bataya hoga.vahi bada jankar aur patrakaro ka neta banata hai.lekin kuchch bade akhbar ke sampadak bhi jhanse me aaker uske pichlaggu ban jate hai. yeh sharm ki bat hai.

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