Thursday, October 27, 2011
बिरला सीमेन्ट और ननि पर विजिलेंस का छापा
Sunday, October 23, 2011
श्री कृष्ण माहेश्वरी की नवंबर में संघ पद से विदाई तय
रामवन को लेकर चर्चा में रहने वाले श्री कृष्ण माहेश्वरी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा और दखलंदाजी को लेकर संघ में स्थानीय स्तर पर ही असंतोष बढ़ गया है। उधऱ रामवन के कार्यक्रम में जब संघ प्रमुख मोहन भागवत आये थे तब भी श्री कृष्ण माहेश्वरी के खिलाफ काफी शिकायतें की गई थी। इसको लेकर संघ में पदाधिकारी की हैसियत से इनकी छुट्टी को तय माना जा रहा है। यह बात खुद माहेश्वरी जी भी समझ रहे है और अपनी राजनीतिक चाहत पूरी करने की जुगत में जुड़ गये हैं।श्री माहेश्वरी अब राज्य सभा में अपना दाव आजमाना चाह रहे हैं और इसके लिये वे काफी परेशान भी हैं। श्री कृष्ण माहेश्वरी को संघ ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटा दिया है तथा नवम्बर में क्षेत्रीय प्रमुख पद का कार्यकाल पूरा होने के बाद इससे भी उनका हटना तय माना जा रहा है। राज्य सभा के लिये माहेश्वरी ने उमा भारती से भी सहयोग चाहा है। इन दिनों इनके सहयोगी की भूमिका में लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष अखण्ड प्रताप सिंह, महापौर पुष्कर सिंह, पूर्व पार्षद धर्मेन्द्र सिंह घूरडांग शामिल हैं।
यदि बात सतना और रीवा जिले की करें तो श्री कृष्ण माहेश्वरी की कार्यप्रणाली से संघ का निचला कार्यकर्ता तो नाराज है ही साथ यहां के अन्य पदाधिकारी भी खुश नहीं हैं। संघ में परिवारवाद को महत्व दे रहे श्री माहेश्वरी से भाजपा में भी असंतोष है तो सांसद भी इनसे ज्यादा सहमत नजर नहीं आते हैं।
यदि बात सतना और रीवा जिले की करें तो श्री कृष्ण माहेश्वरी की कार्यप्रणाली से संघ का निचला कार्यकर्ता तो नाराज है ही साथ यहां के अन्य पदाधिकारी भी खुश नहीं हैं। संघ में परिवारवाद को महत्व दे रहे श्री माहेश्वरी से भाजपा में भी असंतोष है तो सांसद भी इनसे ज्यादा सहमत नजर नहीं आते हैं।
Thursday, October 20, 2011
श्री कृष्ण माहेश्वरी का रामवन में नया पैंतरा

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जिनके नाम से रामवन है वहां के विकास की कहानी कहता घटिया सा शेड जबकि दूसरी ओर व्यावसायिकता व विलासिता संबधी निर्माण में लाखों खर्च कर दिये गये। |
अब जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार कलेक्टर पर इस बात का दबाव बनाया जा रहा है कि इस राशि के कामों की निर्माण एजेंसी मानस संघ रामवन को ही बनाया जाये। साथ ही जल्द ही प्रशासकीय स्वीकृति दी जाये। मजे की बात है कि शासन की अपनी कई निर्माण एजेंसियां मसलन लोक निर्माण विभाग, आरईएस, हाउसिंग बोर्ड हैं लेकिन इनको निर्माण एजेंसी न बना कर निजी संस्था मानस संघ को निर्माण एजेंसी बनाने के पीछे की वजह स्पष्ट है। क्योंकि इससे जो भी लाभ होगा वह मानस संघ यानि की श्री कृष्ण माहेश्वरी को ही होगा। इससे जहां मानस संघ यह भी कह सकेगा का सारा विकास उसने कराया और बचत राशि भी उसकी झोली मे।
जबकि यदि श्री कृष्ण माहेश्वरी व उनका मानस संघ यदि इतना ही ईमानदार है तो वह यह काम शासकीय एजेंसी से कराता और उसकी मानीटरिंग स्वयं करता तो इससे उनकी सद् नीयत झलकती लेकिन यहां तो पैसा खाने का खेल चल रहा है। और पहली खेप में 50 लाख पर श्री कृष्ण माहेश्वरी की नजर है। संभावना है कि कलेक्टर मानस संघ को निर्माण एजेंसी बनाने के लिये अपनी सहमति भी दे देंगे।
Saturday, October 15, 2011
अपने ही दामन पर धब्बे लगा कर खुश होते सतना मीडिया की विश्वसनीयता दांव पर
सतना के मीडिया जगत में इन दिनों खुशी का माहौल है। यह मीडिया इस बात पर खुश हो रहा है कि उसने भाजपा की कान्फ्रेंस में बंटे नोट को नेशनल लेबल पर हाइलाइट करके बड़ी जीत हासिल की है साथ ही उसने खुद को बड़ा ईमानदार दिखाने की कोशिश की है लेकिन जहां से हम खड़े होकर देख रहे हैं वहां से सतना मीडिया सब कुछ हार चुका है। उसकी पहली और बड़ी हार उसकी अपनी विश्वसनीयता है। दूसरी हार जिसे मीडिया ने कैश फार कव्हरेज का नाम दिया है उसने अपना सस्ता पन बताया है, तीसरी हार उसका अपना दिल है जिसमें यह वही जानता है कि यह नोट कव्हरेज के लिये थे या गिफ्ट के स्थान पर उपहार स्वरूप और चौथी हार उसकी वह नासमझी और बेचारगी जिसमें वह किसी की साजिश का हथियार बना। कुल मिला कर इस पूरी कहानी में सतना मीडिया का हाल वही रहा कि 'न खुदा ही मिला न ही विसाले सनम'
आएं इस हार का विश्लेषण करे तो इस घटना में जो विश्वसनीयता घटी है उसमें अब इस घटना के बाद पत्रकारों का विश्वास सहज तरीके से कोई नहीं मानेगा। मजा तो तब आता जब ये पत्रकार वहीं पर लिफाफे वापस करते और उस कान्फ्रेंस की एक भी खबर न लिखते और फिर लिखते की उन्हें पैसे दिये गये। लेकिन जिस तरीके से किया उससे वे खुद ही संदिग्ध हो गये हैं।
दूसरी हार जिसे कैश फार कव्हरेज का नाम दे रहे हैं उससे यह मैसेज स्पष्ट जा रहा है कि सतना के मीडिया को मैनेज करना कितना सरल है कि वह 5 सौ में बिक जाता है या उसे खरीदा जा सकता है।जबकि यदि मीडिया को यह कहना ही था वे यह कह सकते थे कि उन्हें गिफ्ट में नोट दिये गये जिससे मीडिया हल्का न होता बल्कि भाजपा हल्की होती और यही हकीकत भी थी।
आडवाणी की यात्रा के बेहतर कव्हरेज के लिये नोट देने की बात कही जा रही है तो कई लोगों से बात के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि उस पत्रकार वार्ता में कहीं भी यह नहीं कहा गया था कि आपको बेहतर कव्हरेज के लिये यह राशि दी जा रही है। यह अलग बात है कि यहां गिफ्ट न देकर पत्रकारों को नोट दिये गये। हालांकि इसके पीछे की साजिश आगे बताएंगे।
अब आते है इस कान्फ्रेंस के पीछे की कहानी पर जो हमें मेल करके बताई गई है। इसकी सत्यता पर हमारी भी पड़ताल चल रही है।
यह पूरा खेल एक साजिश के तहत खेला गया और इसके मोहरा बना सतना का मीडिया।यह पूरा खेल सांसद गणेश सिंह को बदनाम करने के लिये खेला गया और इस खेल में भाजपा के जिलाध्यक्ष, सूर्यनाथ सिंह गहरवार, लक्ष्मी यादव, महापौर और कुछ पत्रकार।
दरअसल सांसद का कद इन दिनों जिले में सबसे बड़ा है साथ ही इस यात्रा का पूरा जिम्मा उन्होंने अपने कंधे पर ले लिया। यह यात्रा का जिम्मा जैसे ही सांसद ने लिया पार्टी के लोगों को यह लगा कि उन्होंने जन चेतना यात्रा को हाइजैक कर लिया है। इससे नाराज पार्टी के कुछ लोगों ने यह साजिश रची।
इसके लिये पत्रकार वार्ता को औजार बनाया गया। इसमें जानबूझ कर जिलाध्यक्ष ने मंत्री को बुलाया और सांसद को बुलाया जबकि सांसद की कान्फ्रेंस पहले हो चुकी थी। इस गैर जरूरी कान्फ्रेंस में जानकर नोट बांटे गये। इसमें से कुछ राशि पार्टी के खाते से खर्च हुई और कुछ राशि लक्ष्मी यादव के यहां से पहुंची। नोट बंटने के बाद इस साजिश में शामिल पत्रकार चौकन्ना को सक्रिय किया गया(चौकन्ना जी की इन दिनों गणेश सिंह से बन नहीं रही है क्योंकि उनके कुछ काम करने से गणेश सिंह ने मना कर दिया था) चौकन्ना ने पर्दे से यह खबर नेजा में छपवाई। इसके बाद अरविन्द मिश्रा को विज्ञापन की गणित के नाम से इसमें शामिल किया गया। जबकि अरविन्द मिश्रा का कलेवर पहले से ही स्पष्ट था कि वे कुछ सकारात्मक नहीं कर रहे हैं। यहां उनकी स्टाइल उसी तरह दिखी जैसे कभी शिवेन्द्र सिंह ने चुनाव के समय होस्ट मैरिज हाल में सांसद गणेश सिंह से दिखाया था। सो यह तय था कि यह होगा। उधर स्टार समाचार की सांसद व मंत्री विरोधी मुहिम ने आग में घी का काम किया और साजिश अपने अंजाम तक पहुंच गई।
हालांकि इस साजिश में सांसद की भद्द पिटनी थी लेकिन बात तब बिगड़ गई जब मामला साजिश कर्ता अखबारी लोगों के हाथ से फिसल गया। और मजबूरी में उन्हें अपनी ईमानदारी साबित करने मामला नेशनल मीडिया को देना पड़ा। और सतना मीडिया अपनी बेवकूफी को ईमानदारी साबित करने में जुटा रहा वो भी दूसरे का औजार बन कर।
हालांकि इस पूरे खेल का सूत्रधार जिलाध्यक्ष स्टोरी से अलग बचता रहा और इसमें बेचारे श्यामलाल को बली का बकरा बना दिया गया जबकि उसका कोई दोष नहीं है।
आएं इस हार का विश्लेषण करे तो इस घटना में जो विश्वसनीयता घटी है उसमें अब इस घटना के बाद पत्रकारों का विश्वास सहज तरीके से कोई नहीं मानेगा। मजा तो तब आता जब ये पत्रकार वहीं पर लिफाफे वापस करते और उस कान्फ्रेंस की एक भी खबर न लिखते और फिर लिखते की उन्हें पैसे दिये गये। लेकिन जिस तरीके से किया उससे वे खुद ही संदिग्ध हो गये हैं।
दूसरी हार जिसे कैश फार कव्हरेज का नाम दे रहे हैं उससे यह मैसेज स्पष्ट जा रहा है कि सतना के मीडिया को मैनेज करना कितना सरल है कि वह 5 सौ में बिक जाता है या उसे खरीदा जा सकता है।जबकि यदि मीडिया को यह कहना ही था वे यह कह सकते थे कि उन्हें गिफ्ट में नोट दिये गये जिससे मीडिया हल्का न होता बल्कि भाजपा हल्की होती और यही हकीकत भी थी।
आडवाणी की यात्रा के बेहतर कव्हरेज के लिये नोट देने की बात कही जा रही है तो कई लोगों से बात के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि उस पत्रकार वार्ता में कहीं भी यह नहीं कहा गया था कि आपको बेहतर कव्हरेज के लिये यह राशि दी जा रही है। यह अलग बात है कि यहां गिफ्ट न देकर पत्रकारों को नोट दिये गये। हालांकि इसके पीछे की साजिश आगे बताएंगे।
अब आते है इस कान्फ्रेंस के पीछे की कहानी पर जो हमें मेल करके बताई गई है। इसकी सत्यता पर हमारी भी पड़ताल चल रही है।
यह पूरा खेल एक साजिश के तहत खेला गया और इसके मोहरा बना सतना का मीडिया।यह पूरा खेल सांसद गणेश सिंह को बदनाम करने के लिये खेला गया और इस खेल में भाजपा के जिलाध्यक्ष, सूर्यनाथ सिंह गहरवार, लक्ष्मी यादव, महापौर और कुछ पत्रकार।
दरअसल सांसद का कद इन दिनों जिले में सबसे बड़ा है साथ ही इस यात्रा का पूरा जिम्मा उन्होंने अपने कंधे पर ले लिया। यह यात्रा का जिम्मा जैसे ही सांसद ने लिया पार्टी के लोगों को यह लगा कि उन्होंने जन चेतना यात्रा को हाइजैक कर लिया है। इससे नाराज पार्टी के कुछ लोगों ने यह साजिश रची।
इसके लिये पत्रकार वार्ता को औजार बनाया गया। इसमें जानबूझ कर जिलाध्यक्ष ने मंत्री को बुलाया और सांसद को बुलाया जबकि सांसद की कान्फ्रेंस पहले हो चुकी थी। इस गैर जरूरी कान्फ्रेंस में जानकर नोट बांटे गये। इसमें से कुछ राशि पार्टी के खाते से खर्च हुई और कुछ राशि लक्ष्मी यादव के यहां से पहुंची। नोट बंटने के बाद इस साजिश में शामिल पत्रकार चौकन्ना को सक्रिय किया गया(चौकन्ना जी की इन दिनों गणेश सिंह से बन नहीं रही है क्योंकि उनके कुछ काम करने से गणेश सिंह ने मना कर दिया था) चौकन्ना ने पर्दे से यह खबर नेजा में छपवाई। इसके बाद अरविन्द मिश्रा को विज्ञापन की गणित के नाम से इसमें शामिल किया गया। जबकि अरविन्द मिश्रा का कलेवर पहले से ही स्पष्ट था कि वे कुछ सकारात्मक नहीं कर रहे हैं। यहां उनकी स्टाइल उसी तरह दिखी जैसे कभी शिवेन्द्र सिंह ने चुनाव के समय होस्ट मैरिज हाल में सांसद गणेश सिंह से दिखाया था। सो यह तय था कि यह होगा। उधर स्टार समाचार की सांसद व मंत्री विरोधी मुहिम ने आग में घी का काम किया और साजिश अपने अंजाम तक पहुंच गई।
हालांकि इस साजिश में सांसद की भद्द पिटनी थी लेकिन बात तब बिगड़ गई जब मामला साजिश कर्ता अखबारी लोगों के हाथ से फिसल गया। और मजबूरी में उन्हें अपनी ईमानदारी साबित करने मामला नेशनल मीडिया को देना पड़ा। और सतना मीडिया अपनी बेवकूफी को ईमानदारी साबित करने में जुटा रहा वो भी दूसरे का औजार बन कर।
हालांकि इस पूरे खेल का सूत्रधार जिलाध्यक्ष स्टोरी से अलग बचता रहा और इसमें बेचारे श्यामलाल को बली का बकरा बना दिया गया जबकि उसका कोई दोष नहीं है।
Tuesday, October 11, 2011
माहेश्वरी का नया दलाली फण्डा
समाजसेवा के नाम पर संघ के पदाधिकारी श्रीकृष्ण माहेश्वरी दलाली में जुटे हुए है। हमेशा किसी एनजीओ को आगे करके लाखों का काला पीला करने का अपना जुगाड़ तय कर रहे हैं। इसके साथ ही अपने को नाना जी बताने में जुट जाते हैं। इनका फर्जीवाड़ा देखना हो तो आइये हम दिखाते हैं-
गरमी के मौसम में कलेक्टर सुखबीर सिहं ने जल संरक्षण के लिये वाटर हार्वेस्टिंग का अभियान प्रारंभ किया। यह शुरू हुआ नहीं कि दो चार अग्रवालों को जोड़कर एक संस्था रजिस्टर्ड करवाई और इसे पूरी गरमी वाटर हार्वेस्टिंग अभियान का दिखावा करने जोड़ दिया। जबकि यह संस्था सिर्फ अखबारों में ही ज्यादातर काम कर रही थी। मजे की बात हर कार्यक्रम में इनके माहेश्वरी की दुकान चलती दिखी।
अब उन्होंने एक नया काम खोजा है। जूता चप्पल हब बनाने का। फिर एक एनजीओ खोज कर अब वे जिले को जूते चप्पल बनाने का हब बनाने का दावा कर रहे हैं। मजे की बात देखिये यह काम सज्जनपुर में होगा और पूरा जिला हब कैसे बनेगा। यह समझ से परे हैं।
माहेश्वरी जी काम ही करना है तो उन्हें अवसर दिलाएं जो अभी वास्तव में जूते चप्पल बना रहे हैं उन्हें आगे आने के अवसर दिलाएं।
लेकिन नहीं वे सिर्फ ऐसे काम ही लेते हैं जहां से जिला पंचायत द्वारा मदद मिलती है क्योंकि इनका कोई हिसाब नहीं होता है।
गरमी के मौसम में कलेक्टर सुखबीर सिहं ने जल संरक्षण के लिये वाटर हार्वेस्टिंग का अभियान प्रारंभ किया। यह शुरू हुआ नहीं कि दो चार अग्रवालों को जोड़कर एक संस्था रजिस्टर्ड करवाई और इसे पूरी गरमी वाटर हार्वेस्टिंग अभियान का दिखावा करने जोड़ दिया। जबकि यह संस्था सिर्फ अखबारों में ही ज्यादातर काम कर रही थी। मजे की बात हर कार्यक्रम में इनके माहेश्वरी की दुकान चलती दिखी।
अब उन्होंने एक नया काम खोजा है। जूता चप्पल हब बनाने का। फिर एक एनजीओ खोज कर अब वे जिले को जूते चप्पल बनाने का हब बनाने का दावा कर रहे हैं। मजे की बात देखिये यह काम सज्जनपुर में होगा और पूरा जिला हब कैसे बनेगा। यह समझ से परे हैं।
माहेश्वरी जी काम ही करना है तो उन्हें अवसर दिलाएं जो अभी वास्तव में जूते चप्पल बना रहे हैं उन्हें आगे आने के अवसर दिलाएं।
लेकिन नहीं वे सिर्फ ऐसे काम ही लेते हैं जहां से जिला पंचायत द्वारा मदद मिलती है क्योंकि इनका कोई हिसाब नहीं होता है।
Friday, October 7, 2011
जिला भाजपा के विभीषण
छत्तू की आग
इन दिनों युवा नेता छत्रपाल सिंह छत्तू की सांसद गणेश सिंह से अनबन चल रही है। इस वजह से वे सांसद की अंदरूनी सेंध हमेशा की तरह मीडिया को दे रहे हैं। कुछ दिन पहले कैमरी पहाड़ में अवैध उत्खनन के मामले को हवा देने का पूरा काम छत्रपाल सिंह छत्तू ने किया है। सासंद से छत्तू के विवाद की स्पष्ट वजह तो नहीं सामने नहीं आ पाई है लेकिन इन्हें इन दिनों एलयूएन के अध्यक्ष अखण्ड प्रताप सिंह के कार्यक्रमों में ज्यादा देखा जा रहा है। यह भी हल्ला है कि छत्तू एलयूएन में कोई बड़ा हाथ मारने की फिराक में है। हालांकि यह जगजाहिर है छत्तू जिनके साथ रहे उनका बेड़ा गर्क हुआ है इसमें हालिया विधायक शंकरलाल तिवारी भी हैं।
Saturday, October 1, 2011
शिवसेना के सामना की तरह नगर निगम का मुखपत्र है स्टार समाचार
सबसे सरोकार खबरें धारदार का दावा करने वाला अखबार नगर निगम का मुखपत्र बन कर रह गया है। इसमें नगर निगम की भाठ गिरी के अलावा कुछ और देखने को नहीं मिलता है। अभी सफाई अभियान पर लगातार खबरे आ रही हैं लेकिन इनके रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों को शहर में फैली गंदगी नजर नहीं आ रही क्योंकि इन्हें चरण चुंबन से मतलब है। स्टेशन रोड मार्तण्ड काम्पलेक्स के सामने सफाई का बड़ा श्रेय लेते हैं लेकिन जनता को यह नहीं बताते कि सड़के के नाम पर स्वीकृत एक करोड़ से कमाई का जरिया किसका होगा। गरीबों की गुमटियां जो स्टेशन में हैं इससे शहर पर धब्बा लगता है लेकिन पूरे बाजार का अतिक्रमण स्टार समाचार की आंखों में नजर नहीं आता है न ही उसे डिग्री कालेज के सामने का अतिक्रमण नजर आता है।
हालात यह है कि
अतिक्रमण खुद नगर निगम का अमला कराता है फिर उनसे अवैध वसूली करता है।
शहर में गंदगी का साम्राज्य है सफाई कर्मी वहीं सफाई करते हैं जहां पार्षद कहते हैं या जहां से पैसा मिलता है।
पूरी गरमी वाटर हार्वेस्टिंग चिल्लाते रहे लेकिन अब कोई बताएगा कि कहा पूरा काम हुआ है।
नगर निगम वाटर हार्वेस्टिंग की राशि लेकर उससे कितनी संरचनाएं बनवाया है।
जल संरक्षण की बात तो खूब की लेकिन इस बारिश में जगतदेव तालाब का जल स्तर देख लीजिये।
स्ट्रीट लाइटों की हालत मुख्य सड़कों के अलावा सभी जगह खराब है।
कहीं भी कचरा पेटी सही जगह पर नहीं रखा है।
कचरा रिक्शे की घंटी सिर्फ स्टार समाचार को सुनाई देती है।
फिर भी स्टार समाचार में नगर निगम की जय हो............
हालात यह है कि
अतिक्रमण खुद नगर निगम का अमला कराता है फिर उनसे अवैध वसूली करता है।
शहर में गंदगी का साम्राज्य है सफाई कर्मी वहीं सफाई करते हैं जहां पार्षद कहते हैं या जहां से पैसा मिलता है।
पूरी गरमी वाटर हार्वेस्टिंग चिल्लाते रहे लेकिन अब कोई बताएगा कि कहा पूरा काम हुआ है।
नगर निगम वाटर हार्वेस्टिंग की राशि लेकर उससे कितनी संरचनाएं बनवाया है।
जल संरक्षण की बात तो खूब की लेकिन इस बारिश में जगतदेव तालाब का जल स्तर देख लीजिये।
स्ट्रीट लाइटों की हालत मुख्य सड़कों के अलावा सभी जगह खराब है।
कहीं भी कचरा पेटी सही जगह पर नहीं रखा है।
कचरा रिक्शे की घंटी सिर्फ स्टार समाचार को सुनाई देती है।
फिर भी स्टार समाचार में नगर निगम की जय हो............
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