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Thursday, October 20, 2011

श्री कृष्ण माहेश्वरी का रामवन में नया पैंतरा

रामवन विकास के नाम पर आरएसएस के क्षेत्र संचालक श्री कृष्ण माहेश्वरी ने समाजसेवा के नाम पर जो कुछ किया है उसका सच जनता के सामने हैं। पंचायतों के विकास की राशि रामवन में खर्च करवा कर अपने नाम का ढिढोरा पिटवाने वाले माहेश्वरी का काला चिट्ठा इन दिनों दैनिक भास्कर खोल रहा है। रामवन में श्री कृष्ण माहेश्वरी के गुंडे शराब के नशे में न केवल यहां आने वाले लोगों से अभद्रता कर रहे हैं बल्कि उन्ही के ईशारे पर लोगों से पैसे भी वसूल रहे हैं। श्री कृष्ण माहेश्वरी के दबाव में प्रशासन वहां इन पर कार्यवाही भी नहीं कर पा रहा है। इसका खुलासा करने के लिये दैनिक भास्कर बधाई का पात्र है जो कम से कम इस मामले में लिखने का साहस तो दिखाया।
जिनके नाम से रामवन है वहां के विकास की कहानी
कहता घटिया सा शेड जबकि दूसरी ओर 
व्यावसायिकता व विलासिता संबधी निर्माण
में लाखों खर्च कर दिये गये।


उधर हमे एक मेल में माहेश्वरी के नये कारनामे का चिट्ठा भेजा गया है। इसके अनुसार मानस संघ की आड़ में माहेश्वरी ने एक करोड़ 70 लाख रुपये शासन की जेब से निकाल कर कमाई का नया जरिया तैयार कर लिया है।इसके लिये इस बार उन्होंने पर्यटन विकास निगम को माध्यम बनाया है। मेल में बताया गया है कि यहां मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुसार रामवन में सामुदायिक भवन, पोस्ट आफिस सहित अन्य कार्यों के लिये एक करोड़ सत्तर लाख रुपये का स्टीमेट भेजा गया था। इसके अनुरूप राज्य पर्यटन विकास निगम भोपाल द्वारा कम्यनिटी सेंटर के निर्माण के लिये 50 लाख रुपये भेजे जा चुके हैं। अब इस पचास लाख पर माहेश्वरी ने गिद्ध दृष्टि लगा दी है। मजे की बात है कि इसके लिये उनके दूत लगातार कलेक्टर के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन शासन से इसकी प्रशासकीय स्वीकृति जारी नहीं होने के कारण यह राशि उन्हें नहीं मिल पा रही है।
अब जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार कलेक्टर पर इस बात का दबाव बनाया जा रहा है कि इस राशि के कामों की निर्माण एजेंसी मानस संघ रामवन को ही बनाया जाये। साथ ही जल्द ही प्रशासकीय स्वीकृति दी जाये। मजे की बात है कि शासन की अपनी कई निर्माण एजेंसियां मसलन लोक निर्माण विभाग, आरईएस, हाउसिंग बोर्ड हैं लेकिन इनको निर्माण एजेंसी न बना कर निजी संस्था मानस संघ को निर्माण एजेंसी बनाने के पीछे की वजह स्पष्ट है। क्योंकि इससे जो भी लाभ होगा वह मानस संघ यानि की श्री कृष्ण माहेश्वरी को ही होगा। इससे जहां मानस संघ यह भी कह सकेगा का सारा विकास उसने कराया और बचत राशि भी उसकी झोली मे।
जबकि यदि श्री कृष्ण माहेश्वरी व उनका मानस संघ यदि इतना ही ईमानदार है तो वह यह काम शासकीय एजेंसी से कराता और उसकी मानीटरिंग स्वयं करता तो इससे उनकी सद् नीयत झलकती लेकिन यहां तो पैसा खाने का खेल चल रहा है। और पहली खेप में 50 लाख पर श्री कृष्ण माहेश्वरी की नजर है। संभावना है कि कलेक्टर मानस संघ को निर्माण एजेंसी बनाने के लिये अपनी सहमति भी दे देंगे। 


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