Thursday, November 29, 2012
नकारात्मक सोच की हद
आज एक अखबार का अग्र शीर्षक है 'खेती होगी पन्ना की, उजड़ेगे सतना के गांव' शीर्षक निश्चित तौर पर बहुत बढ़िया है और पाठकों को आकर्षित करने वाला है लेकिन हकीकत यह है कि यह नकारात्मक सोच से ग्रस्त मानसिकता का शीर्षक है जो साबित करता है कि अखबार विकास के नाम पर ढकोसलेबाजी करता है। ऐसे तो सतना में सिंगरौली से जो बिजली आती है वह नहीं आनी चाहिए, बरगी की नहर यहां आ रही है नहीं होनी चाहिये क्योंकि डूबा तो बरगी है लेकिन पानी तो सतना को मिल रहा है। आखिर इस हेडिंग से चाहते क्या बताना है। ऐसी ही हेडिंग इसी अखबार में आई ''बूटों तले दबना'' मुद्दा काफी गंभीर रहा और जिस संजीदगी से अखबार ने इसे पकड़ा और उठाया तारीफ के काबिल है लेकिन यहां बूटों तल दबना लिख कर एक बार फिर नकारात्मकता का परिचय दे दिया। बूटों तले का उपयोग तानाशाही और फौजी मामलों में किया जाता है। फिर यहां जानकर नहीं अव्यवस्था की बलि चढ़ा था नवजात. अव्यवस्था, अनदेखी, लापरवाही के लिये बूटों तले लिखना फिर वही नकारात्मकता दिखाता है।
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