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Wednesday, November 7, 2012

एकेएस फर्जीवाड़े के जनक हैं दैनिक भास्कर के विशेष संवाददाता

उच्च शिक्षा के सुनहरे भविष्य के लालच में सतना व शेरगंज की जनता ने  एकेएस विश्व विद्यालय द्वारा मंदिर की जमीन हड़पने का जहरीला घूँट दवा की तरह पी लिया, लेकिन यह प्रश्न आज तक अनुत्तिरित ही बना हुआ है कि इसकी साजिश कैसे रची गई और कौन था इसका सूत्रधार?
हमें ताजा मिले मेल में बताया गया है कि एकेएस विश्वविद्यालय प्रबंधन की गलतियों और झूठे तथ्यों को जड़ से धोने के लिये कुछ विशेष घटनाओं और सत्य के कुछ पहलुओं को उजागर कर मूल तथ्यों को दबाकर सोनी खानदान को पाकसाफ साबित करने में जुटे दैनिक भास्कर के संपादकीय के लोग खुद इस फर्जीवाड़े के सूत्रधार हैं। मेल में बताया गया है कि जब विश्वतारा राजीव गांधी कम्प्यूटर कालेज में चलने वाले पत्रकारिता पाठ्यक्रम में पढ़ रहे थे और इसकी पूर्ति वे यहां खुद पढ़ा कर भी कर रहे थे। तब पढ़ाई की फीस में छूट के लिये इन्होंने राजीव गांधी कालेज प्रबंधन की पूरी मदद की। इसी दौरान एकेएस कैम्पस से गुजरने वाली नहर के फर्जीवाड़े को जन्म दिया गया। तब एकेएस यूनिवर्सिटी की नींव की तैयारी थी और यहां शेरगंज से गुजरने वाली नहर इसमें बाधक थी। तब सोनी की कलेक्ट्रेट में औकात आम आदमी की ही तरह थी और जरूरत थी नहर को हड़पने की। ऐसे में तब के दैनिक भास्कर के विशेष संवाददाता और आज के हेड ने उस वक्त खुद इस मामले को देखते हुए नहर के दस्तावेजों से खेल करवाया था। खुद कलेक्ट्रेट जाकर इस मामले में पूरी मदद की और नहर को मूल स्थान से दूर करवा दिया। पहले नहर एकेएस बिल्डिंग के ब्लाक 2 पर थी लेकिन बाद में  विशेष संवाददाता ने अपने अखबारी प्रभाव का उपयोग सोनी खानदान के लिये करते हुए नहर की दिशा बदलवा दी। और नहर अब अपने मूल स्थान से बदल चुकी है और दोनों ब्लाकों के बीच में आ गई है। ऐसा नहीं किया गया होता तो नहर आज सेकण्ड ब्लाक के नीचे होती और उसे परमिशन नहीं मिलती।
- हालांकि अभी इसकी दस्तावेजी पुष्टि नहीं है और मेल के आधार पर ही यह आरोप दिया गया है। इसे पूरी हकीकत न्यूज पोस्टमार्टम द्वारा तब तक नहीं माना जायेगा जब तक हमें दस्तावेज उपलब्ध नहीं होते हैं।

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