सतना के मीडिया जगत में इन दिनों खुशी का माहौल है। यह मीडिया इस बात पर खुश हो रहा है कि उसने भाजपा की कान्फ्रेंस में बंटे नोट को नेशनल लेबल पर हाइलाइट करके बड़ी जीत हासिल की है साथ ही उसने खुद को बड़ा ईमानदार दिखाने की कोशिश की है लेकिन जहां से हम खड़े होकर देख रहे हैं वहां से सतना मीडिया सब कुछ हार चुका है। उसकी पहली और बड़ी हार उसकी अपनी विश्वसनीयता है। दूसरी हार जिसे मीडिया ने कैश फार कव्हरेज का नाम दिया है उसने अपना सस्ता पन बताया है, तीसरी हार उसका अपना दिल है जिसमें यह वही जानता है कि यह नोट कव्हरेज के लिये थे या गिफ्ट के स्थान पर उपहार स्वरूप और चौथी हार उसकी वह नासमझी और बेचारगी जिसमें वह किसी की साजिश का हथियार बना। कुल मिला कर इस पूरी कहानी में सतना मीडिया का हाल वही रहा कि 'न खुदा ही मिला न ही विसाले सनम'
आएं इस हार का विश्लेषण करे तो इस घटना में जो विश्वसनीयता घटी है उसमें अब इस घटना के बाद पत्रकारों का विश्वास सहज तरीके से कोई नहीं मानेगा। मजा तो तब आता जब ये पत्रकार वहीं पर लिफाफे वापस करते और उस कान्फ्रेंस की एक भी खबर न लिखते और फिर लिखते की उन्हें पैसे दिये गये। लेकिन जिस तरीके से किया उससे वे खुद ही संदिग्ध हो गये हैं।
दूसरी हार जिसे कैश फार कव्हरेज का नाम दे रहे हैं उससे यह मैसेज स्पष्ट जा रहा है कि सतना के मीडिया को मैनेज करना कितना सरल है कि वह 5 सौ में बिक जाता है या उसे खरीदा जा सकता है।जबकि यदि मीडिया को यह कहना ही था वे यह कह सकते थे कि उन्हें गिफ्ट में नोट दिये गये जिससे मीडिया हल्का न होता बल्कि भाजपा हल्की होती और यही हकीकत भी थी।
आडवाणी की यात्रा के बेहतर कव्हरेज के लिये नोट देने की बात कही जा रही है तो कई लोगों से बात के बाद यह स्पष्ट हुआ है कि उस पत्रकार वार्ता में कहीं भी यह नहीं कहा गया था कि आपको बेहतर कव्हरेज के लिये यह राशि दी जा रही है। यह अलग बात है कि यहां गिफ्ट न देकर पत्रकारों को नोट दिये गये। हालांकि इसके पीछे की साजिश आगे बताएंगे।
अब आते है इस कान्फ्रेंस के पीछे की कहानी पर जो हमें मेल करके बताई गई है। इसकी सत्यता पर हमारी भी पड़ताल चल रही है।
यह पूरा खेल एक साजिश के तहत खेला गया और इसके मोहरा बना सतना का मीडिया।यह पूरा खेल सांसद गणेश सिंह को बदनाम करने के लिये खेला गया और इस खेल में भाजपा के जिलाध्यक्ष, सूर्यनाथ सिंह गहरवार, लक्ष्मी यादव, महापौर और कुछ पत्रकार।
दरअसल सांसद का कद इन दिनों जिले में सबसे बड़ा है साथ ही इस यात्रा का पूरा जिम्मा उन्होंने अपने कंधे पर ले लिया। यह यात्रा का जिम्मा जैसे ही सांसद ने लिया पार्टी के लोगों को यह लगा कि उन्होंने जन चेतना यात्रा को हाइजैक कर लिया है। इससे नाराज पार्टी के कुछ लोगों ने यह साजिश रची।
इसके लिये पत्रकार वार्ता को औजार बनाया गया। इसमें जानबूझ कर जिलाध्यक्ष ने मंत्री को बुलाया और सांसद को बुलाया जबकि सांसद की कान्फ्रेंस पहले हो चुकी थी। इस गैर जरूरी कान्फ्रेंस में जानकर नोट बांटे गये। इसमें से कुछ राशि पार्टी के खाते से खर्च हुई और कुछ राशि लक्ष्मी यादव के यहां से पहुंची। नोट बंटने के बाद इस साजिश में शामिल पत्रकार चौकन्ना को सक्रिय किया गया(चौकन्ना जी की इन दिनों गणेश सिंह से बन नहीं रही है क्योंकि उनके कुछ काम करने से गणेश सिंह ने मना कर दिया था) चौकन्ना ने पर्दे से यह खबर नेजा में छपवाई। इसके बाद अरविन्द मिश्रा को विज्ञापन की गणित के नाम से इसमें शामिल किया गया। जबकि अरविन्द मिश्रा का कलेवर पहले से ही स्पष्ट था कि वे कुछ सकारात्मक नहीं कर रहे हैं। यहां उनकी स्टाइल उसी तरह दिखी जैसे कभी शिवेन्द्र सिंह ने चुनाव के समय होस्ट मैरिज हाल में सांसद गणेश सिंह से दिखाया था। सो यह तय था कि यह होगा। उधर स्टार समाचार की सांसद व मंत्री विरोधी मुहिम ने आग में घी का काम किया और साजिश अपने अंजाम तक पहुंच गई।
हालांकि इस साजिश में सांसद की भद्द पिटनी थी लेकिन बात तब बिगड़ गई जब मामला साजिश कर्ता अखबारी लोगों के हाथ से फिसल गया। और मजबूरी में उन्हें अपनी ईमानदारी साबित करने मामला नेशनल मीडिया को देना पड़ा। और सतना मीडिया अपनी बेवकूफी को ईमानदारी साबित करने में जुटा रहा वो भी दूसरे का औजार बन कर।
हालांकि इस पूरे खेल का सूत्रधार जिलाध्यक्ष स्टोरी से अलग बचता रहा और इसमें बेचारे श्यामलाल को बली का बकरा बना दिया गया जबकि उसका कोई दोष नहीं है।
jaggi bekar me nipat gaya. lifafe de deta.
ReplyDeletemuh upar karke thunka hai
ReplyDeleteकैश फार कव्हरेज की हकीकत यह है कि सतना सेमरिया सड़क खराब होने की शिकायत सांसद द्वारा लगातार की जा रही थी। इस पर लोनिवि मंत्री ने मार्ग की जांच कराई और गड़बड़ी पाने पर कार्यवाही की बात कही। तब इस सड़क के ठेकेदार भाजपा विधायक अभय मिश्रा ने कहा कि सड़क इस लिये सही नहीं है कि यहां अवैध उत्खनन के ट्रक चलते हैं जो सांसद और उसके भाई की शह पर चलते हं। उधर लोनिवि मंत्री सड़क खराब होने में अवैध उत्खनन को जिम्मेदार मानते हुए कलेक्टर पर सख्त कार्यवाही का दबाव बनाया। सो उस दौरान सांसद और मंत्री के खिलाफ माहौल नकारात्मक था और इसलिये दोनों वहां कान्फ्रेंस में एक साथ थे। लेकिन पैसे देने का पूरा मामला जिलाध्यक्ष ने तय किया था।
ReplyDeletepura khel suryanath sing ka hai. ve mahapaur ke khas hain aur sansad ka mahapaur se vivad jag jahir hai.
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