वहीं उसी दिन जिला पंचायत सतना में पूर्व में रहे एपीओ का जबलपुर से सतना जिपं में भी आगमन हुआ था तथा जिला पंचायत से अक्सर उपकृत होने वाली नामीगिरामी संस्था की संचालिका भी दिनभर जिलापंचायत के चक्कर लगाते देखी गई हैं. लोग इस घटना को भी उस मामले से जोड़ कर देख रहे है.
Tuesday, February 16, 2010
जिला पंचायत का वेलेन्टाइन डे कृष्णा लाज में
वहीं उसी दिन जिला पंचायत सतना में पूर्व में रहे एपीओ का जबलपुर से सतना जिपं में भी आगमन हुआ था तथा जिला पंचायत से अक्सर उपकृत होने वाली नामीगिरामी संस्था की संचालिका भी दिनभर जिलापंचायत के चक्कर लगाते देखी गई हैं. लोग इस घटना को भी उस मामले से जोड़ कर देख रहे है.
Sunday, February 14, 2010
सुखबीर मामले में लोक सूचना अधिकारी तलब
राज्य सूचना आयोग ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में सीधी के तत्कालीन कलेक्टर सुखबीर सिंह से जु़ड़े भ्रष्टाचार के प्रकरण में सूचना न देने पर सामान्य प्रशासन
विभाग (जीएडी) के लोक सूचना अधिकारी को तलब किया है। सुनवाई मुख्य सूचना आयुक्त 25 फरवरी को करेंगे। इसमें विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह तथ्यात्मक उत्तर, प्रतिवेदन एवं प्रकरण से संबंधित दस्तावेल लेकिन उपस्थित हो। सीधी में योजना के तहत हुए भ्रष्टाचार के मामले में कॉंग्रेस के सूचना अधिकार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय दुबे ने कार्रवाई संबंधी जानकारी विभाग से मांगी थी। लेकिन विभाग ने प्रकरण के प्रचलन में होने का हवाला देते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया था।

Friday, February 12, 2010
कलेक्टर सुखवीर सिंह सहित 30 आईएएस की फाइल फिर खुलने लगीं
भोपाल में आईएएस दंपत्ति के यहां पड़े छापे के बाद लोकायुक्त सक्रिय हो गया है. उसकी सक्रियता का असर यह है कि एक बार फिर प्रदेश के तमाम आईएएस के भ्रष्टाचार की फाइलों के पन्ने पलटे जाने लगे हैं. इन फाइलों में सतना कलेक्टर सुखबीर सिंह सहित तीस आईएएस अफसरों पर जांच की कार्यवाही अब तेज होगी. पता तो यह भी चला है कि सतना कलेक्टर कि फाइल पर आगामी 25 फरवरी को राजधानी में चर्चा होनी है.
आईएएस के जिन अफसरों पर लोकायुक्त की जांच चल रही है उन अफसरों पर बेईमानी, सरकार को धोखा देने जैसे इल्जाम हैं। इनमें से अधिकांश अफसर तो मंत्रियों की पसंद के हैं।
लोकायुक्त जांच के दायरे में आबकारी आयुक्त अरुण कुमार पांडे, प्रभात पाराशर आयुक्त जबलपुर, मनीष श्रीवास्तव कलेक्टर सागर, लोक निर्माण विभाग के सचिव मोहम्मद सुलेमान हैं तो विवेक अग्रवाल और एसके मिश्रा, जो कि मुख्यमंत्री के सचिवालय में कार्यरत हैं, भी जांच के घेरे में हैं।
रोजगार गारंटी योजना में सीधी के कलेक्टर रहे सुखवीर सिंह, संजय गोयल, डिंडोरी कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर, छिंदवाड़ा कलेक्टर, निकुंज श्रीवास्तव, भिंड कलेक्टर विवेक पोरवाल सहित अन्य जांच के घेरे में हैं। मनीष श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष जिला शिवपुरी पर त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्रश्न–पत्र की छपाई में घोटाले का आरोप है। अरुण कुमार पांडे पर अधिकारियों की मिलीभगत से दो करोड़ रुपए का ठेकेदार को लाभ देने का आरोप है।
प्रभात पाराशर (तत्कालीन आयुक्त नगर पालिक निगम, इंदौर) पर वाहन खरीदी में पांच लाख से ज्यादा का भ्रष्टाचार का आरोप है। गोपाल रेड्डी (तत्कालीन कलेक्टर इंदौर) पर शासन के राजस्व को हानि पहुंचाने, अवैध कालोनाइजरों को अनुचित लाभ पहुंचाने एवं शासन को आर्थिक हानि का आरोप हैं अनिता दास, तत्कालीन प्रमुख सचिव, ग्रामोउद्योग भोपाल तथा अन्य पर ऊन तथा सिल्क साडि़यों के क्रय में भ्रष्टाचार का आरोप है। दिलीप मेहरा, तत्कालीन प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग, भोपाल पर कार्यपालन यंत्री से अधीक्षण यंत्री की पदोन्नति में भ्रष्टाचार एवं अनियमिततओं का आरोप हैं। मोहम्मद सुलेमान, तत्कालीन कलेक्टर इंदौर पर कालोनाइजरों को अवैध लाभ पहुंचाने का आरोप है। जीटी राधाकृष्ण, तत्कालीन प्रबंध संचालक, मप्र राज्य बीज निगम, भोपाल वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन पर दवा खरीदी में अनियमितताओं का आरोप है।
देवराज बिरदी प्रमुख सचिव, आवास एवं पर्यावरण विभाग पर ग्राम उमरिया तहसील महू की कृषि भूमि का उपयोग आवासीय करके आवासीय कालोनी का ले–आउट स्वीकारकर आवासीय कालोनी की अनुमति देकर मेसर्स डिवाइन, बिल्डवेज प्रा.लि. को लगभग बीस करोड़ का अवैध लाभ पहुंचाने का आरोप है।
एस.एस. उप्पल आयुक्त नगर निगम, भोपाल पर पांच लाख रुपए लेकर भूमाफियाओं को मंजूरी देने का आरोप है। अरुण भट्ट (कलेक्टर झाबुआ) पर पेटलावद नगर की शासकीय आबादी भूमि सर्वे नं. 1414 रकबा 3.59 का कमिश्नर इंदौर के अदला–बदली का आरोप है। निकुंज श्रीवास्तव (कलेक्टर खंडवा) पर भ्रष्टाचार का आरोप, एमए खान (प्रबंध संचालक मप्र राज्य एवं फार्म विकास निगम) पर मंडियों के सचिव की नियुक्ति में अनियमितता, अनिल श्रीवास्तव ( प्रबंध संचालक मप्र लघु उद्योग निगम) पर अनियमितता, संजय दुबे (मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत शहडोल) पर वर्ष 1998–99 के दौरान जिला शहडोल के शिक्षा कर्मियों के चयन में अनियमतिता के आरोप।
रामकिंकर गुप्ता (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, इंदौर) पर योजना क्रमांक 54 में टर्मिनल एवं बस स्टैंड बनाने हेतु दस एकड़ भूमि के आवंटन में मे. श्रीराम बिल्डर्स को सौ करोड़ रुपए का अवैध लाभ पहुंचाने, एमके वाष्र्णेय (तत्कालीन आयुक्त नगर निगम ग्वालियर) पर संपत्ति कर के प्रकरणों के अनाधिकृत निराकरण से निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने, आरके गुप्ता (तत्कालीन कलेक्टर उमरिया) पर निविदा स्वीकृति में अनियमितता, एंटोनी डिसा (तत्कालीन आयुक्त, भोपाल) पर निविदा स्वीकृति में अनियमितता, शशि कर्णावत (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी मंडला) पर पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार, राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र मिशन के अंतर्गत बीज एवं पौधों के क्रय में वित्तीय (जिलाध्यक्ष जिला अनूपपुर) पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार, विवेक अग्रवाल पर झूठे प्रमाण पत्रों के आधार पर वर्ष 2005–06 के बिक्स प्रोत्साहन राशि के रूप में 11,50,400 रुपए, कार्यालयीन उपयोग हेतु प्राप्त 21 लाख रुपए के मनमाने उपयोग का आरोप है।
एसके मिश्रा सचिव, खनिज साधन विभाग, भोपाल पर खनिज साधन विभाग में एमएल एवं पीएल आवंटन प्रकरणों में भ्रष्टाचार। राकेश साहनी, मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन पर व्यक्तिगत लाभ हेतु अपने पद का दुरुपयोग कर अपने पुत्र समीन साहनी को विमान प्रशिक्षण का कम शुल्क में प्रशिक्षण दिलवाना तथा पांच लाख का अवैध लाभ प्राप्त करना तथा संस्था को आर्थिक लाभ पहुंचाने का आरोप है।
महेंद्रसिंह भिलाला (आईएएस) पर संपूर्ण ग्रामीण योजना के प्रथम स्त्रोत के अंतर्गत 22.5 फीसदी के अंतर्गत मप्र स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपेंट कॉर्पोरेशन शाखा बैतूल के माध्यम से 75 लाख रुपए की खरीदी में अनियमितता का आरोप। अलका उपाध्याय, स्वास्थ्य आयुक्त तथा अन्य भोपाल पर पद का दुरुपयोग, सोमनाथ झारिया, आयुक्त नगर निगम खंडवा एवं अन्य पर विगत चार साल से भ्रष्टाचार तथा पद का दुरुपयोग कर 819 वर्ग फुट के स्थान पर 1330 वर्ग फुट की भूमि पर निमा्रण की अनुमति देने का आरोप है। डा. पवन कुमार शर्मा, तत्कालीन आयुक्त नगर निगम, ग्वालियर पर न्यू दर्पण कॉलोनी में बगैर रोड निर्माण कराए ठेकेदार को 5,06,055 रुपए का भुगतान किया जाना है। ये सभी अधिकारी लोकायुक्त जांच के घेरे में है।
आईएएस के जिन अफसरों पर लोकायुक्त की जांच चल रही है उन अफसरों पर बेईमानी, सरकार को धोखा देने जैसे इल्जाम हैं। इनमें से अधिकांश अफसर तो मंत्रियों की पसंद के हैं।
लोकायुक्त जांच के दायरे में आबकारी आयुक्त अरुण कुमार पांडे, प्रभात पाराशर आयुक्त जबलपुर, मनीष श्रीवास्तव कलेक्टर सागर, लोक निर्माण विभाग के सचिव मोहम्मद सुलेमान हैं तो विवेक अग्रवाल और एसके मिश्रा, जो कि मुख्यमंत्री के सचिवालय में कार्यरत हैं, भी जांच के घेरे में हैं।
रोजगार गारंटी योजना में सीधी के कलेक्टर रहे सुखवीर सिंह, संजय गोयल, डिंडोरी कलेक्टर चंद्रशेखर बोरकर, छिंदवाड़ा कलेक्टर, निकुंज श्रीवास्तव, भिंड कलेक्टर विवेक पोरवाल सहित अन्य जांच के घेरे में हैं। मनीष श्रीवास्तव, जिलाध्यक्ष जिला शिवपुरी पर त्रैमासिक, अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्रश्न–पत्र की छपाई में घोटाले का आरोप है। अरुण कुमार पांडे पर अधिकारियों की मिलीभगत से दो करोड़ रुपए का ठेकेदार को लाभ देने का आरोप है।
प्रभात पाराशर (तत्कालीन आयुक्त नगर पालिक निगम, इंदौर) पर वाहन खरीदी में पांच लाख से ज्यादा का भ्रष्टाचार का आरोप है। गोपाल रेड्डी (तत्कालीन कलेक्टर इंदौर) पर शासन के राजस्व को हानि पहुंचाने, अवैध कालोनाइजरों को अनुचित लाभ पहुंचाने एवं शासन को आर्थिक हानि का आरोप हैं अनिता दास, तत्कालीन प्रमुख सचिव, ग्रामोउद्योग भोपाल तथा अन्य पर ऊन तथा सिल्क साडि़यों के क्रय में भ्रष्टाचार का आरोप है। दिलीप मेहरा, तत्कालीन प्रमुख सचिव, लोक निर्माण विभाग, भोपाल पर कार्यपालन यंत्री से अधीक्षण यंत्री की पदोन्नति में भ्रष्टाचार एवं अनियमिततओं का आरोप हैं। मोहम्मद सुलेमान, तत्कालीन कलेक्टर इंदौर पर कालोनाइजरों को अवैध लाभ पहुंचाने का आरोप है। जीटी राधाकृष्ण, तत्कालीन प्रबंध संचालक, मप्र राज्य बीज निगम, भोपाल वर्तमान में छत्तीसगढ़ शासन पर दवा खरीदी में अनियमितताओं का आरोप है।
देवराज बिरदी प्रमुख सचिव, आवास एवं पर्यावरण विभाग पर ग्राम उमरिया तहसील महू की कृषि भूमि का उपयोग आवासीय करके आवासीय कालोनी का ले–आउट स्वीकारकर आवासीय कालोनी की अनुमति देकर मेसर्स डिवाइन, बिल्डवेज प्रा.लि. को लगभग बीस करोड़ का अवैध लाभ पहुंचाने का आरोप है।
एस.एस. उप्पल आयुक्त नगर निगम, भोपाल पर पांच लाख रुपए लेकर भूमाफियाओं को मंजूरी देने का आरोप है। अरुण भट्ट (कलेक्टर झाबुआ) पर पेटलावद नगर की शासकीय आबादी भूमि सर्वे नं. 1414 रकबा 3.59 का कमिश्नर इंदौर के अदला–बदली का आरोप है। निकुंज श्रीवास्तव (कलेक्टर खंडवा) पर भ्रष्टाचार का आरोप, एमए खान (प्रबंध संचालक मप्र राज्य एवं फार्म विकास निगम) पर मंडियों के सचिव की नियुक्ति में अनियमितता, अनिल श्रीवास्तव ( प्रबंध संचालक मप्र लघु उद्योग निगम) पर अनियमितता, संजय दुबे (मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत शहडोल) पर वर्ष 1998–99 के दौरान जिला शहडोल के शिक्षा कर्मियों के चयन में अनियमतिता के आरोप।
रामकिंकर गुप्ता (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी, इंदौर) पर योजना क्रमांक 54 में टर्मिनल एवं बस स्टैंड बनाने हेतु दस एकड़ भूमि के आवंटन में मे. श्रीराम बिल्डर्स को सौ करोड़ रुपए का अवैध लाभ पहुंचाने, एमके वाष्र्णेय (तत्कालीन आयुक्त नगर निगम ग्वालियर) पर संपत्ति कर के प्रकरणों के अनाधिकृत निराकरण से निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने, आरके गुप्ता (तत्कालीन कलेक्टर उमरिया) पर निविदा स्वीकृति में अनियमितता, एंटोनी डिसा (तत्कालीन आयुक्त, भोपाल) पर निविदा स्वीकृति में अनियमितता, शशि कर्णावत (तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी मंडला) पर पद का दुरुपयोग और भ्रष्टाचार, राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र मिशन के अंतर्गत बीज एवं पौधों के क्रय में वित्तीय (जिलाध्यक्ष जिला अनूपपुर) पर पद का दुरुपयोग कर भ्रष्टाचार, विवेक अग्रवाल पर झूठे प्रमाण पत्रों के आधार पर वर्ष 2005–06 के बिक्स प्रोत्साहन राशि के रूप में 11,50,400 रुपए, कार्यालयीन उपयोग हेतु प्राप्त 21 लाख रुपए के मनमाने उपयोग का आरोप है।
एसके मिश्रा सचिव, खनिज साधन विभाग, भोपाल पर खनिज साधन विभाग में एमएल एवं पीएल आवंटन प्रकरणों में भ्रष्टाचार। राकेश साहनी, मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन पर व्यक्तिगत लाभ हेतु अपने पद का दुरुपयोग कर अपने पुत्र समीन साहनी को विमान प्रशिक्षण का कम शुल्क में प्रशिक्षण दिलवाना तथा पांच लाख का अवैध लाभ प्राप्त करना तथा संस्था को आर्थिक लाभ पहुंचाने का आरोप है।
महेंद्रसिंह भिलाला (आईएएस) पर संपूर्ण ग्रामीण योजना के प्रथम स्त्रोत के अंतर्गत 22.5 फीसदी के अंतर्गत मप्र स्टेट एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपेंट कॉर्पोरेशन शाखा बैतूल के माध्यम से 75 लाख रुपए की खरीदी में अनियमितता का आरोप। अलका उपाध्याय, स्वास्थ्य आयुक्त तथा अन्य भोपाल पर पद का दुरुपयोग, सोमनाथ झारिया, आयुक्त नगर निगम खंडवा एवं अन्य पर विगत चार साल से भ्रष्टाचार तथा पद का दुरुपयोग कर 819 वर्ग फुट के स्थान पर 1330 वर्ग फुट की भूमि पर निमा्रण की अनुमति देने का आरोप है। डा. पवन कुमार शर्मा, तत्कालीन आयुक्त नगर निगम, ग्वालियर पर न्यू दर्पण कॉलोनी में बगैर रोड निर्माण कराए ठेकेदार को 5,06,055 रुपए का भुगतान किया जाना है। ये सभी अधिकारी लोकायुक्त जांच के घेरे में है।
Wednesday, February 10, 2010
शागिर्द भी कम नहीं

कारनामाः मझगवां जनपद में नया पद बना सहायक अधिकारी का

अदना सा बाबू जिला पंचायत सीईओ पर भारी

दरअसल चर्चा का कारण भी वाजिब है. जिला पंचायत सीईओ आशीष कुमार ने दो माह पूर्व कार्यालय के अधिकारी कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका सहित गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक कर देने के आरोप में स्थापना का प्रभार देख रहे संतोष कुमार पयासी सहायक ग्रेड 2 से स्थापना का प्रभार छीनकर सहायक ग्रेड 2 बी.के.कुशवाहा को देने का आर्डर जारी किया था. किन्तु दो माह बाद भी सीईओ का यह आदेश बेअसर साबित हो रहा है. प्रभावित बाबू पयासी स्थापना का मलाईदार प्रभार किसी को नहीं देना चाह रहे इसके लिये वह सांसद और विधायक सतना से सीईओ पर डलवाने में सफल भी रहे हैं. बी.के.कुशवाहा भी प्रभार पाने के लिये एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं लेकिन डीआरडीए की काकस मण्डली द्वारा किये जा रहे प्रयासों के आगे सभी नतमस्तक हैं. स्थापना प्रभारी एसीईओ एन.के.पाण्डेय, लेखापाल एवं स्टेनो गर्ग सीईओ के आगे यही दलील देते हैं कि साहब पयासी के अलावा और कोई नहीं चला सकता यह प्रभार. सीईओ जिला पंचायत भी इसी दलील के पक्षधर हो गये हैं. क्या करें आखिर जनप्रतिनिधियों की भी यही इच्छा है. बहरहाल एक बाबू जिपं सीईओ से भारी नजर नहीं आ रहा बल्कि उनपर भारी हो चला है.
Thursday, February 4, 2010
महंगा पड़ा पीआरओ पर दबाव डालना
सतना में कल 4 फरवरी का दिन पत्रकार जगत के लिये काफी उहापोह से भरा रहा. विगत 3 फरवरी को हुए एक अप्रत्याशित घटनाक्रम से घबराये पत्रकारों को एक बार फिर अपनी बचाने में प्रेस क्लब नामक जमींदोज हो गये पत्रकार संगठन का सहारा लेना पड़ा तो मामले की गंभीरता को देखते हुए समझौते पर मजबूर हुए. हालांकि इस घटना के जितने जिम्मेदार वे पत्रकार रहे उतने पीआरओ नहीं. यह अलग बात है कि मामला थाने में ले जाकर पीआरओ ने गलत किया था.
मामला जो जानकारी में आया है उसके मुताबिक बुधवार को संजय लोहानी, नितेन्द्र गुरुदेव और ज्ञान शुक्ला पीआरओ आफिस पहुंचकर पीआरओ से यह प्रमाणीकरण चाहते है कि वे यह लिख कर दे दें कि उनका नाम इस कार्यालय में है. जब पीआरओ यह लिखने से मना कर देते है साथ ही अधिमान्यता संबंधी मामले में नियुक्ति प्रमाण पत्र की मांग भी करते हैं तो यहां से इन तीनों का दिमाग उखड़ जाता है और बाहर आकर तल्ख टिप्पणी करने लगते है यह टिप्पणियां पीआरओ को हो रही थी. इसी दौरान वहा मौजूद एक फर्जी पत्रकार अंदर जाकर इस मामले को बढ़ा चढ़ा कर पीआरओ को बताता है और उनके द्वारा मामला थाने को दे दिया जाता है.
मामला थाने में जाते ही इन पत्रकारों ने अपने बचाव में आनन फानन में काउंटर केस दर्ज कराया लेकिन मामले की गंभीरता से अवगत होने पर बचाव की मुद्रा में आये इन लोगों ने समझौते की राह तलाशी और नवभारत के संपादक संजय पयासी और घटना के सूत्रधार अशोक शुक्ला चौकन्ना, जनसंपर्क विभाग के संभागीय अधिकारी चौधरी की मौजूदगी में गुरुवार को समझौता हुआ. लेकिन यहां सवाल यह खड़ा हुआ है कि गलती कहां से हुई तो जो जानकारी में आया है वह यह है कि पूरी गलती ज्ञान शुक्ला को प्रमाणीकरण दिलाने के लिये की गयी. क्योंकि यहां संजय लोहानी और नितेन्द्र के पास वे सभी दस्तावेज है जो अधिकृत पत्रकार को चाहिये. लेकिन ज्ञान जनसंपर्क अधिकारी से यह लिखाना चाह रहे थे कि पीआरओ यह लिख कर दे दे कि उनके कार्यालय में चैनल प्रतिनिधि के रूप में उनका नाम दर्ज है. दरअसल गलत बुनियाद पर शुरू हुई बात की वजह से ही समझौते पर उतरना पड़ा. उधर पीआरओ की गलती यह रही कि उन्हे भी किसी के बहकावे में आकर मामले को थाने नहीं ले जाना था. क्योंकि जो भी बात हुई थी वह उनके सामने नहीं थी. उन्हे भी अपनी आदत में सुधार लाना होगा कि अपने यहां फर्जी तरीके से बैठने वालो को एक दूरी तक लाना होगा क्योंकि उनके यहां ऐसे लोगों की जमात बढ़ती जा रही है.
मामला जो जानकारी में आया है उसके मुताबिक बुधवार को संजय लोहानी, नितेन्द्र गुरुदेव और ज्ञान शुक्ला पीआरओ आफिस पहुंचकर पीआरओ से यह प्रमाणीकरण चाहते है कि वे यह लिख कर दे दें कि उनका नाम इस कार्यालय में है. जब पीआरओ यह लिखने से मना कर देते है साथ ही अधिमान्यता संबंधी मामले में नियुक्ति प्रमाण पत्र की मांग भी करते हैं तो यहां से इन तीनों का दिमाग उखड़ जाता है और बाहर आकर तल्ख टिप्पणी करने लगते है यह टिप्पणियां पीआरओ को हो रही थी. इसी दौरान वहा मौजूद एक फर्जी पत्रकार अंदर जाकर इस मामले को बढ़ा चढ़ा कर पीआरओ को बताता है और उनके द्वारा मामला थाने को दे दिया जाता है.
मामला थाने में जाते ही इन पत्रकारों ने अपने बचाव में आनन फानन में काउंटर केस दर्ज कराया लेकिन मामले की गंभीरता से अवगत होने पर बचाव की मुद्रा में आये इन लोगों ने समझौते की राह तलाशी और नवभारत के संपादक संजय पयासी और घटना के सूत्रधार अशोक शुक्ला चौकन्ना, जनसंपर्क विभाग के संभागीय अधिकारी चौधरी की मौजूदगी में गुरुवार को समझौता हुआ. लेकिन यहां सवाल यह खड़ा हुआ है कि गलती कहां से हुई तो जो जानकारी में आया है वह यह है कि पूरी गलती ज्ञान शुक्ला को प्रमाणीकरण दिलाने के लिये की गयी. क्योंकि यहां संजय लोहानी और नितेन्द्र के पास वे सभी दस्तावेज है जो अधिकृत पत्रकार को चाहिये. लेकिन ज्ञान जनसंपर्क अधिकारी से यह लिखाना चाह रहे थे कि पीआरओ यह लिख कर दे दे कि उनके कार्यालय में चैनल प्रतिनिधि के रूप में उनका नाम दर्ज है. दरअसल गलत बुनियाद पर शुरू हुई बात की वजह से ही समझौते पर उतरना पड़ा. उधर पीआरओ की गलती यह रही कि उन्हे भी किसी के बहकावे में आकर मामले को थाने नहीं ले जाना था. क्योंकि जो भी बात हुई थी वह उनके सामने नहीं थी. उन्हे भी अपनी आदत में सुधार लाना होगा कि अपने यहां फर्जी तरीके से बैठने वालो को एक दूरी तक लाना होगा क्योंकि उनके यहां ऐसे लोगों की जमात बढ़ती जा रही है.
Wednesday, January 27, 2010
गणतंत्र दिवस पुरस्कारः अंधे ने बांटी रेवड़ी
गणतंत्र दिवस के अवसर पर सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिये पुरस्कार देने में मुंहदेखी और चापलूसी की पराकाष्ठा पार कर दी गयी. मसलन इस मौके पर पुलिस विभाग के
सभी थाना प्रभारियों और पुलिसकर्मियों को किसी न किसी कार्य के लिये सम्मानित किया गया. कलेक्ट्रेट एवं अन्य विभागों के अधिकारियों को गणतंत्र दिवस पर पुरस्कार देने में सावधानी बरतते हुए किसी को पुरस्कृत नहीं किया गया. इनमें केवल महिला बाल विकास अधिकारी को जनसुनवाई में सर्वश्रेष्ठ निराकरण के लिये पुरस्कृत करना बताया गया जबकि वास्तविकता यह है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं के भर्ती के संबंध में जनसुनवाई में हजारों की तदाद में शिकायती पत्र प्राप्त हुए जिनका निराकरण अभी लंबित है फिर भी जनसुनवाई में श्रेष्ठ कार्य के लिये पुरस्कृत किया गया. इसी प्रकार से पुलिस विभाग में अपने चहेते एवं खास किस्म के अधिकारियों को किसी न किसी बहाने पुरस्कृत किया गया. मंच संचालक द्वारा जब उन अधिकारियों के सर्वश्रेष्ठ कार्य एवं उपलब्धियों के बारे में बखान किया जाता रहा तब उपस्थित जनसमुदाया में कानाफूसी और हास्यास्पद स्थिति बनी रही. उदाहरण बतौर सिटी कोतवाली के टीआई विमल श्रीवास्तव को चुनाव के दौरान सतना शहर में शांति और व्यवस्था अपराधों के नियंत्रण बनाये रखने के कार्य में पुरस्कृत किया गया जबकि चुनाव के दौरान शहर में एक ही रात में पांच पांच दुकानों के ताले चटकाए गये, कोतवाली के बगल में दोहरा हत्याकाण्ड हुआ, धवारी में गुटीय संघर्ष हुआ इसी प्रकार शहर की चरमराई यातायात व्यवस्था, बाजारों में पल पल लगने वाले जाम की स्थिति और ओव्हर ब्रिज पर झूलते हुए ट्रक और बसों के बीच आये दिन रिकार्ड बना रही सड़क दुर्घटनाओं के माहौल में सुदृढ़ यातायात व्यवस्था के लिये यातायात सूबेदार लाल बहादुर बौद्ध को पुरस्कृत किया गया. अधिकारियों के चमचा गिरी करने वाले कर्मचारियों को पुरस्कृत करने की हद तब पार हो गई जब जिला पंचायत सीईओ आशीष कुमार ने अपने अंगरक्षक को जिला पंचायत की सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर सम्मानित करवाया. समग्र स्वच्छता अभियान के स्तर हीन झांकी प्रदर्शत होने के बाद भी इस झांकी को द्वितीय स्थान दिला कर परियोजना अधिकारी अजय सिंह के साथ सीईओ जिला पंचायत आशीष कुमार स्वयं प्रमाण पत्र लेने समारोह मंच पर पहुंच गये. जिला पंचायत के प्रभारी अध्यक्ष कमलेश्वर सिंह, सदस्य दिलीप मिश्रा किरण सेन, प्रागेन्द्र बागरी सहित अनेक जिला पंचायत सदस्य निर्मल ग्रामों के पालक होने के नाते निर्मल पुरस्कार की चाह लिये गणतंत्र दिवस समारोह में पूरे समय तक उपस्थित रहे लेकिन इन्हे निराशा ही हाथ लगी.

Sunday, January 24, 2010
फैक्ट्री की जांच और सीएमएचओ पुत्र को नौकरी
हमें भेजे गये मेल में चिकित्सा विभाग के बड़े अधिकारी के कारनामे का खुलासा किया गया है. इसमें बताया गया है कि विगत दिनों सीएमएचओ आरएस दण्डोतिया द्वारा प्रिज्म सीमेन्ट फैक्ट्री के समीप रहने वाले ग्रामीणों की शिकायत पर जांच करने गये थे कि फैक्ट्री द्वारा फैलाए गये प्रदूषण से ग्रामीणों को बीमारी हो रही है या नहीं. यह जांच उन्होने प्रदूषण विभाग के अनुरोध पर गांव में जाकर की. इसकी रिपोर्ट के दो तीन दिन बाद वे प्रिज्म फैक्ट्री परिसर स्थित अस्पताल का निरीक्षण करने भी पहुंचे. वहां कि रिपोर्ट क्या रही यह तो पता नहीं चल सका लेकिन यह जरूर है कि डॉ दण्डोतिया के पुत्र को कुछ दिनों पहले ही फैक्ट्री में नौकरी मिल गयी है.
Saturday, January 9, 2010
जिला पंचायत का गरीबों के धन में भी डाका
न्यूजपोस्टमार्टम को मिले मेले में खुलासा किया गया है कि अब तक रोजगार गारंटी में भ्रष्टाचार की मिशाल कायम कर चुके जिला पंचायत सतना के अधिकारी अब गरीबों के ऋण में भी डाका डालने में जुटे हैं. मामला है एसजीएसवाई योजना का. इस योजना के तहत जो प्रकरण स्वीकृत होते हैं उसमें योजना के नोडल अधिकारी गौरव शर्मा तथा यहां तैनात डिस्पैच का काम देख रहे लिपिक का हिस्सा तय करना पड़ता है. बताया गया है कि पी4 के जो प्रकरण यहां आते है तो स्वीकृत उपरांत उनकी एक कापी तो जनपदों में भेज दी जाती है लेकिन बैंको को जाने वाली कापी को गौरव शर्मा द्वारा डिस्पैच में रुकवा दिया जाता है . जब हितग्राही जनपद से जानकारी मिलने पर बैंक जाता है तो उसे पता चलता है कि यहां प्रकरण नहीं पहुंचा है तब वह जिला पंचायत पहुंचता है. जहां डिस्पैच का काम देख रहा गौरव शर्मा का प्यादा उससे सौदा तय करता है तब जाकर प्रकरण बैंक भेजा जाता है . ऐसा नहीं है इस मामले की जानकारी सीईओ जिला पंचायत को नहीं है लेकिन वे अपने सिपहसलार की इस हरकत की इसलिये अनदेखी करते हैं क्योंकि उससे उन्हे गाहे बगाहे फायदा तो होता ही रहता है.
इस मामले की विस्तृत जानकारी के लिये न्यूजपोस्टमार्टम की पड़ताल अलग से जारी है जो आगे दी जायेगी.
इस मामले की विस्तृत जानकारी के लिये न्यूजपोस्टमार्टम की पड़ताल अलग से जारी है जो आगे दी जायेगी.
Monday, December 28, 2009
व्याख्याता ने कलेक्टर बन चैनल का प्रसारण रुकवाया
सतना जिले के सरकारी कर्मचारियों के कारनामों में यह एक अपनी तरह का काफी बड़ा मामला सामने आया है जिसमें एक व्याख्याता ने एक अधिकारी का नजदीकी बनने के लिहाज से कलेक्टर बन कर सतना शहर में चैनल का प्रसारण रुकवा दिया.
हमे मेल द्वारा भेजी गई जानकारी में बताया गया है कि 24 दिसम्बर को साधना न्यूज के रिपोर्टर राज द्विवेदी ने डिप्टी कलेक्टर राजीव दीक्षित की फुटेज अपने कैमरे में तब कैद कर ली जब वे अपने आफिस में कम्प्यूटर में ताश खेल रहे थे. मेल में बताया गया है कि राज इसे महज एक सामान्य स्टोरी की भांति चलाना चाह रहे थे लेकिन डिप्टी कलेक्टर को न जाने क्या सूझा कि उन्होंने खबर ही रुकवाने का मन बना लिया. अधिकारी की यह मंशा स्थानीय चैनल के संचालक सदस्यों में से एक तथा व्यंकट क्रमांक 2 के व्याख्याता भूप सिंह को समझ में आ गयी. उन्होंने खुद को मीडिया जगत की तोप बताने की नीयत से न केवल यह आस्वासन दे दिया कि यहां किसी चैनल में यह खबर नहीं आयेगी न ही किसी न्यूजपेपर में. लेकिन इस बीच साधन चैनल में इस खबर की पट्टी चलने लगी क्योंकि रिपोर्टर द्वारा इस स्टोरी की उच्च स्तर पर जानकारी दी जाकर खबर बनाने की अनुमति मांगी गयी थी. जैसे ही यह जानकारी राजीव दीक्षित को लगी तो फिर यह मामला फिर भूप सिंह के समीप पहुंचा. इसे अपनी इज्जत से जोड़ते हुए भूप सिंह ने न केवल साधना चैनल के रिपोर्टर से बदतमीजी की बल्कि उन्हे धमकी भी दी. इसके साथ ही अपने चैनल में प्रसारण रोकने के साथ ही शहर के अन्य चैनलों को यह संदेश भिजवाया कि कलेक्टर इस चैनल का प्रसारण बंद करने के आदेश दिये है. फिर क्या था आनन फानन में चैनल का प्रसारण रोक दिया गया जबकि हकीकत यह थी कि इसकी जानकारी स्वयं कलेक्टर को नहीं थी.
जब इसकी जानकारी संबंधित चैनल को लगी की उसका प्रसारण रुक गया है तो फिर चैनल ने इस स्टोरी को मास्टर स्टोरी बनाते हुए प्रदेश स्तर से प्रभारी मंत्री सहित तमाम लोगों को आन लाइन किया साथ ही कलेक्टर सतना से भी इस बावत बात की जिसमें कलेक्टर यह साफ कहते नजर आये कि उन्हे इस घटना की जानकारी नहीं है. फिर सिटी मजिस्ट्रेट को चैनलो के प्रसारण केन्द्र में भेज कर साधना का प्रसारण शुरू करवाया गया.
लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि भूप सिंह जैसे व्याख्याता क्या इतने भारी हो गये हैं कि कलेक्टर के नाम पर फर्जी निर्देश जारी कर दें. साथ ही कलेक्टर ने क्या इस पर कोई जांच बैठायी है हालांकि प्रभारी मंत्री ने इस घटना की जांच कराने की बात कही है. लेकिन यह जरूर स्पष्ट हो गया है कि भूप सिंह ने अधिकारी के करीबी बनने के चक्कर में कलेक्टर की इज्जत की फजीहत जमकर उड़ाई है.
हमे मेल द्वारा भेजी गई जानकारी में बताया गया है कि 24 दिसम्बर को साधना न्यूज के रिपोर्टर राज द्विवेदी ने डिप्टी कलेक्टर राजीव दीक्षित की फुटेज अपने कैमरे में तब कैद कर ली जब वे अपने आफिस में कम्प्यूटर में ताश खेल रहे थे. मेल में बताया गया है कि राज इसे महज एक सामान्य स्टोरी की भांति चलाना चाह रहे थे लेकिन डिप्टी कलेक्टर को न जाने क्या सूझा कि उन्होंने खबर ही रुकवाने का मन बना लिया. अधिकारी की यह मंशा स्थानीय चैनल के संचालक सदस्यों में से एक तथा व्यंकट क्रमांक 2 के व्याख्याता भूप सिंह को समझ में आ गयी. उन्होंने खुद को मीडिया जगत की तोप बताने की नीयत से न केवल यह आस्वासन दे दिया कि यहां किसी चैनल में यह खबर नहीं आयेगी न ही किसी न्यूजपेपर में. लेकिन इस बीच साधन चैनल में इस खबर की पट्टी चलने लगी क्योंकि रिपोर्टर द्वारा इस स्टोरी की उच्च स्तर पर जानकारी दी जाकर खबर बनाने की अनुमति मांगी गयी थी. जैसे ही यह जानकारी राजीव दीक्षित को लगी तो फिर यह मामला फिर भूप सिंह के समीप पहुंचा. इसे अपनी इज्जत से जोड़ते हुए भूप सिंह ने न केवल साधना चैनल के रिपोर्टर से बदतमीजी की बल्कि उन्हे धमकी भी दी. इसके साथ ही अपने चैनल में प्रसारण रोकने के साथ ही शहर के अन्य चैनलों को यह संदेश भिजवाया कि कलेक्टर इस चैनल का प्रसारण बंद करने के आदेश दिये है. फिर क्या था आनन फानन में चैनल का प्रसारण रोक दिया गया जबकि हकीकत यह थी कि इसकी जानकारी स्वयं कलेक्टर को नहीं थी.
जब इसकी जानकारी संबंधित चैनल को लगी की उसका प्रसारण रुक गया है तो फिर चैनल ने इस स्टोरी को मास्टर स्टोरी बनाते हुए प्रदेश स्तर से प्रभारी मंत्री सहित तमाम लोगों को आन लाइन किया साथ ही कलेक्टर सतना से भी इस बावत बात की जिसमें कलेक्टर यह साफ कहते नजर आये कि उन्हे इस घटना की जानकारी नहीं है. फिर सिटी मजिस्ट्रेट को चैनलो के प्रसारण केन्द्र में भेज कर साधना का प्रसारण शुरू करवाया गया.
लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि भूप सिंह जैसे व्याख्याता क्या इतने भारी हो गये हैं कि कलेक्टर के नाम पर फर्जी निर्देश जारी कर दें. साथ ही कलेक्टर ने क्या इस पर कोई जांच बैठायी है हालांकि प्रभारी मंत्री ने इस घटना की जांच कराने की बात कही है. लेकिन यह जरूर स्पष्ट हो गया है कि भूप सिंह ने अधिकारी के करीबी बनने के चक्कर में कलेक्टर की इज्जत की फजीहत जमकर उड़ाई है.
Wednesday, December 16, 2009
पुष्कर शहर के प्रथम नागरिक चयनित
कभी हां कभी न के बीच नगर निगम सतना की जनता ने आखिर अपने शहर के विकास की बागडोर भाजपा छोड़ बसपा से महापौर प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए पुष्कर सिंह तोमर को थमा दी है. वहीं भाजपा प्रत्याशी राजकुमार मिश्रा ने तीसरे स्थान पर पहुंच कर न केवल अपनी बची बचाई इज्जत साथ ही भाजपा पर भी कालिख पोत दी हालांकि प्रत्याशी चयन के लिये खुद पार्टी भी जिम्मेदार है. इनकी छवि को लेकर पूर्व में ही भाजपा में काफी विरोधाभाष टिकट वितरण को लेकर रहा. कांग्रेस के मनीष तिवारी ने संघर्ष किया और दूसरे स्थान पर रहे.
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