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Friday, November 6, 2009

शिवराजः स्थानीय वर्सेज बिहार

गरीब उत्थान सम्मेलन में विगत दिवस मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह कहा कि यहां प्लांट लगाएं. सीमेंट के प्लांट लगाएं, लोहे के प्लांट लगाएं, पावर के एक नहीं अनेक प्लांट लगाएं लेकिन शर्त ये है कि मेरे जिले के नौजवानों को ही ट्रेंड करना पड़ेगा और इन्हीं को रोजगार देना पड़ेगा. ये नहीं कि प्लांट लग जाए सतना में और नौकरी करने वाले आ जाएं बिहार से. ये हम नहीं होने देंगे और इस शर्त को सख्ती से लागू किया जाएगा.
और इसको लेकर तमाम जगह हायतौबा मच गई.
लेकिन शिवराज के इस बयान को सिर्फ एक नजरिये से न देखें जरा मीडिया हकीकत के निकट जाकर भी देखे की ज्यादातर कारखानों की फितरत होती है कि वे बाहरी मजदूरों को ही प्राथमिकता देते हैं. उनकी कोशिश होती है कि स्थानीय कर्मचारी कम से कम ही रखने पड़ें. चूंकि सतना में उद्योगों का तेजी से विकास हो रहा है और यहां भारी संख्या में बाहरी मजदूर आ कर रोजगार पा रहे हैं और स्थानीय लोगों को काम की तलाश में बाहर पलायन करना पड़ रहा है. इस मामले को लेकर सतना में समय समय पर तमाम बयान आये, धरना प्रदर्शन हुए, सभाएं हुई... यह यहां का ज्वलंत मुद्दा है. श्री शिवराज सिंह ने शायद इसे ही आधार बना कर यह कहा है. रही बात बिहारियों की तो वे नेता जो तमाम तरह के बयान दे रहे हैं उन्होंने कभी सोचा है कि आखिर क्या स्थिति है की बिहार के ही लोग सर्वाधिक अपने राज्य से बाहर काम करने क्यों जा रहे हैं. क्या वहां काम नहीं है. पहले वो अपने राज्य की व्यवस्था बनाएं रोजगार के अवसर पैदा करें. जहां तक बात मध्यप्रदेश की है तो यहां बिहारियों को लेकर कभी कोई भेद नहीं रहा है और मीडिया जबरन इस अपनी टीआरपी की लालच में तूल देने में जुटा है. उसने यह गौर नहीं किया कि शिवराज ने तो प्रदेश को भी छोड़ कर सिर्फ जिले के नौजवानों को काम देने की बात कही है. इससे स्पष्ट है कि वे राज्यवाद की मानसिकता पर न बोल कर स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर दिलाने की बात कह रहे थे.

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