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Monday, November 23, 2009

विवेक और श्रीकृष्ण में टक्कर

माधव वाधवानी के निधन(उन्हें न्यूज पोस्टमार्टम की श्रद्धांजलि) के बाद महापौर पद को लेकर भाजपा फिर असमंजस में फंसी दिख रही है. भारतीय जनता पार्टी के महापौर के दावेदार जहां अपने आकाओं के साथ भोपाल में डटे हैं वहीं कुछ अपनी गोटियां फिट करके लौट आये है. लेकिन टिकट की जो संभावनाएं दिख रहीं है उसमें विवेक अग्रवाल और सुधाकर चतुर्वेदी अब अपनी बढ़त बनाते दिख रहे हैं. इसमें चतुर्वेदी के साथ संघ के श्रीकृष्ण माहेश्वरी की सिफारिश है तो विवेक के साथ जमीनी हकीकतों का पुलिंदा और स्थानीय विधायक का भी पुश बैक शामिल है. लेकिन प्रदेश स्तर पर संगठन में पैठ रखने वाले रामोराम गुप्ता भी धीरे से आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं. वही अन्य दावेवार जिनमें रामदास मिश्रा, व कबाड़ व्यवसायी की हवा निकलती दिख रही है. इसमें रामदास मिश्रा का जहां व्यापारिक खेमें में व्यापक विरोध तथा कई पुरानी हार का कलंक अभी फिर ताजा हो चुका है वहीं कबाड़ व्यवसायी को उसके आका ही नेता के रूप में नहीं देखना चाह रहे हैं. राजकुमार मिश्रा को यह कह दिया गया है कि सभी में आपका ही कब्जा मंजूर नहीं है. मंडी और जिलाध्यक्ष पर कब्जा जमाने के बाद भी इनकी लालसा भी महापौर की है लेकिन इससे बनी छवि व विरोध को पार्टी पहले ही भांप चुकी है और इनका नंबर अलग करती दिख रही है. बहरहाल महापौर टिकट की दौड़ में दावेदारों से ज्यादा लड़ाई विधायक व संगठन के बीच हो रही है. पार्टी का मानना है विधायकों के चयन में हुए विरोध को संगठन ही ठंडा करता है इसलिये इसबार उसका मौका है. यदि यह सही रहा तो फिर कहीं न कहीं पार्टी को विवेक से काम करना पड़ेगा.

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