हमें मिले एक गुमनाम कमेंट में जो जानकारी दी गई है वह यह उजागर कर रही है कि एक विधायक अपने मतलब के लिये किस हद तक जा सकता है भले ही उसकी हरकत से सरकार की ही फजीहत हो जाये. हमें बताया गया है कि विगत दिवस विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस पार्टी बिजली के मुद्दे पर सरकार को घेर रही थी. चर्चा चल ही रही थी कि तभी सतना जिले के रैगांव विधानसभी क्षेत्र के विधायक जुगुलकिशोर बागरी अचानक उठ खड़े हुए और काग्रेस की बात का समर्थन करते हुए कहने लगे कि सही बोल रहे हैं ये लोग. अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है. भारी भ्रष्टाचार मचा हुआ है. ट्रांसफार्मर के नाम पर घूंस चल रही है कहीं कोई सुनवाई नहीं है.... आदि... आदि...
फिर क्या था कांग्रेस को तो मानो मुंह मांगी मुराद मिल गई और सदन में ही शेम..शेम... के नारे लगने लगे और सरकार बचाव की मुद्रा में आ गई.
खैर उसी दिन शाम को मुख्यमंत्री ने जुगुलकिशोर को बुलाकर फटकारने लगे इस दौरान वहां कई विधायक मौजूद थे. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कोई तरीका नहीं है. यह नहीं कहता कि आपकी बात गलत थी लेकिन बात का एक मंच होता है. यह सुनकर जुगुल किशोर बागरी अपनी आदत अनुसार कह पड़े - क्या करें हमारी प्याज सूखी जा रही है.
बहरहाल यह सब कुछ होने के बाद मुख्यमंत्री ने जुगुलकिशोर बागरी की लंबी क्लास ली साथ ही वहीं मौजूद उर्जा मंत्री राजेन्द्र शुक्ला को भी तल्ख लहजे में कहा कि देखिये बिधायक जी की क्या समस्या है.
बहरहाल जुगुलकिशोर की सदन में चर्चा जरूर मुद्दे पर थी लेकिन यदि उनकी प्याज न सूख रही होती तो क्या वे आम जनता के लिये इस तरह आवाज उठा सकते यह अपने आप में बड़ा सवाल है...
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