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Thursday, February 19, 2009

19 फरवरी के अंक में समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार

दैनिक भास्कर
जब ढूढ़े नहीं मिले सीएस. सीएमओ... खबर में बताया गया है कि वे प्रभारी मंत्री के कार्यक्रम में व्यस्त थे फिर भी उनके नहीं मिलने से अस्पताल की व्यवस्थाएं एक दिन में कैसे दम तोड़ गई? पानी की निगरानी मैं खुद करूंगा... फोटो बाक्स सबहेडिंग सहित अच्छी खबर है. नगर निगम पर क्षति में कटौती की मार त्रुटि पूर्ण शीर्षक है. क्षतिपूर्ति होना चाहिये. नहीं खर्च पाए २ करोड़ बेहतरीन खबर है. लावारिस शवों को कौन दफनाए सामयिक महत्वपूर्ण खबर है. दस स्टाम्प वेंडरों के स्टाक रजिस्टर जब्त छापामार हीरो सिटी मजिस्ट्रेट की खबर है. अखबार नवीश यह पता लगाने की कोशिश नहीं करते कि इन हीरो महोदय ने कितने छापों में फालोअप क्या कार्यवाही की है? क्या इनकी छापामार कार्यवाही मात्र अखबारों की लीड खबर और फोटो छपाने के लिये ही होती है. प्रभारी मंत्री की प्रेस कान्फ्रेन्स हकीकत को बयान करती है.

नवभारत
छात्राओं के नृत्य पर झूमे दर्शक अतिरंजित शीर्षक है. पेयजल व विद्युत आपूर्ति में सुधार लाएं... शीर्षक सहित खबर सरकारी लगती है. रिपोर्टर द्वारा स्वयं के प्रयासों से संकलित चर्चा के बिन्दु और घटनाक्रम वास्तविक रूप से दिये हैं. लेकिन रोगायो में बगैर एएस हो गया कार्य में लेखन में लयबद्धता नहीं है. खबर संक्षिप्त कर देने से स्पष्ट नहीं हो रहा मामला क्या था. पदांकन में हुई गड़बड़ी का खुलासा... तथ्यात्मक, सामयिक और गड़बड़ी को उजागर करती उम्दा खबर बनी है. रिपोर्टर की मेहनत और तथ्यों का समावेश काबिले तारीफ है. रोगी कल्याण समिति की बैठक की खबर का शीर्षक पुराना है. कलेक्टर के निरीक्षण में यही शीर्षक कई समाचार पत्रों में पहले ही छप चुका है. प्रभारी मंत्री की प्रेस कान्फ्रेंस मंत्री की विभाग के विषय में कम जानकारी को उजागर करती हकीकत की खबर है. अवैध उत्खनन मामले ... बाक्स में वन अपराध और अवैध खनिज उत्खनन को एक ही रूप देने का प्रयास हुआ है. जबकि अलग-अलग मामले हैं. पुलिस कर्मियों के बच्चे कुपोषण के शिकार खबर में... महिला बाल विकास की योजनाओं पर सवाल खड़ा किया है क्या पुलिस कर्मियों के बच्चे आंगनबाड़ी में जाते हैं...?

राजएक्सप्रेस
कचरे में फेंकी इंसानो की लाशे ... मानवीय संवेदनाओं को उजागर करती बेहतरीन लीड खबर बनी है. फोटो जीवन्त और मौके के हैं. हत्थे चढ़ा चोर गिरोह क्राइम की ठीक खबर है. नापतौल, बिल भुगतान फिर भी अंधेरे में, योजना सात लाभ शून्य अन्य समाचार पत्रों की तुलना में अनूठी और नई खबरे हैं. राज एक्सप्रेस की खबरों में रिपोर्टर्स की मेहनत का पता चलता है. नई चीज ढूढ़ कर देने का प्रयास और विज्ञप्तियों पर कम निर्भरता अखबार के लिये अच्छी बात है. शीर्षक रुचिकर और गढ़े जाते हैं. करिश्मे से बना जगतदेव तालाब फोटो के साथ आकर्षक खबर बन पड़ी है. जीवंत और घटना से जुड़े सामयिक फोटो चयन करने से खबरे अच्छी लगती हैं.

देशबन्धु
दिगम्बर जैन महिला क्लब ... खबर के अनुपात में बहुत बड़ा शीर्षक है. स्टाम्प वेण्डरों की जांच में बीबी गंगेले फोटो में दिखाई नहीं पड़ रहे हैं जबकि कैप्शन में नाम है. शेष पृष्ठ १२ में सतना की खबरे प्रेस नोट से सतना का पेज भरा गया है. देशबन्धु और स्वदेश में पत्रकार वार्ता एक ही व्यक्ति द्वारा लिखी गई है.

स्वदेश
अंतिम छोर में खड़े गरीब को मिले ... प्रभारी मंत्री की पत्रकार वार्ता की खबर में शीर्षक नई जानकारियों से युक्त होना चाहिये. घिसापिटा लगता है. लावारिस बच्ची की लाश खबर में प्रयुक्त फोटो वीभत्स है. मानवीय दृष्टिकोण से उपयोग स्पष्ट रूप से नहीं करना था.

हरिभूमि
प्रभारी मंत्री की सिर्फ पत्रकार वार्ता ही लगी है. शेष महत्वपूर्ण खबरे गायब हैं. छोटे मोटे क्राइम की खबरों को बढ़ाकर स्पेस दिया जाता है. जैसे कुत्ते के विवाद पर युवक को धुना... मनोहारी दृश्य का फोटो अनावश्यक है पूर्णता नहीं है.

जागरण
प्रभारी मंत्री और सांसद के वाहन के भिड़न्त की खबर अकेले जागरण में छपी है. आभागिन बच्ची की लाश का तमाशा अच्छा शीर्षक है किन्तु अभागिन शब्द होना था. फोटो वीभत्स कम है खबर अच्छी लिखी गई है. प्रभारी मंत्री के कार्यक्रम में सिटी पेज में पार्षद धर्मेन्द्र सिंह का बड़ा फोटो लगाकर उपकृत किया गया है. खबर का फोटो जानकर लग रहा है कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पार्षद ही थे.

1 comment:

  1. police walo ke bachche aanganwadi me na jaaye lekin aanganwadi walo ko to coloney me jaana chahiye.bachcho ki mata bhi anemic mili thi .bachcho ki umra 6 varsh ke andar hai.mahila bal vikas ka jikra shayad isiliye kiya gaya hai.

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