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Friday, February 27, 2009

सामयिक टिप्पणी

जरूरत से ज्यादा सक्रियता
२६ फरवरी को सतना के मास्टर प्लान इलाके में दो युवतियों एवं तीन युवकों के संदिग्ध हालत में मिलने की खबर पाते ही राष्ट्रीय, प्रादेशिक, स्थानीय चैनलों के मीडिया प्रतिनिधि एवं दैनिक समाचार पत्रों के फोटोग्राफर बिना देरी लगाए घटनास्थल पर पहुंचे. इस सक्रियता का कारण खबर की रिपोर्टिंग करना कम शहर की प्रोफाइल लड़कियों से जुड़ा होना ज्यादा था. घटनाओं में मीडिया की उपस्थिति केवल घटना के कवरेज के मात्र उद्देश्य से होनी चाहिये किन्तु ऐसी घटना में तत्काल मौके पर मीडियाजनों का पहुंचना और पुलिस की मौजूदगी में अपने पत्रकार होने का अहसास कराते हुए लड़कियों पर फब्ती कसना तथा असभ्य और अश्लील भाषा में अमर्यादित तरीके से मीडियाजनों का व्यवहार करना किसी भी दृष्टि से ठीक या उचित नहीं कहा जा सकता. ठीक है युवा लड़के लड़कियों ने गलत कदम उठाया है तो इसके लिये पुलिस और न्यायालय कार्यवाही के लिये जिम्मेदार हैं. पुलिस और न्यायालय की भूमिका पत्रकारों द्वारा निर्वहन करना क्या दर्शाता है? मीडिया को केवल अपना काम करना चाहिये उसे घटना में इन्वाल्व होकर अपनी गुरुता का अहसास नहीं दिलाना चाहिये.

ट्रेफिक पुलिस का अनावश्यक बचाव
२६ फरवरी को ही कोठी तिराहे पर मोटर साइकिल चालक की ट्रक दुर्घटना में मृत्यु हो गई, एक सवार घायल हो गया. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक पूरी दुर्घटना ट्रेफिक पुलिस और जिले की पुलिस द्वारा वाहनों की जांच के नाम पर खुली दुकान ही असली कारण रहा है. दुर्घटना के वास्तविक कारणों को करीब-करीब सभी अखबार के रिपोर्टरों ने पुलिस के अपने निजी संबंधों की बलि चढ़ाते हुए नजर अंदाज कर दिया. कुछ अखबार ने दुर्घटना का कारण वाहन चेकिंग को बताते हुए मामला संक्षेप में समेट दिया तथा खबर का अन्य मामलों के द्वारा फैलाव कर लिया. प्रत्यक्षदर्शियों का स्पष्ट कहना है कि पुलिस के ट्रेफिक सूबेदार अपनी टीम के साथ व्यस्त चौराहे में चेकिंग लगाए थे और घटना के बाद अपनी गाड़ी लेकर वहां से हट गए. ओव्हर ब्रिज, सिविल लाइन तिराहा, सेमरिया चौक ट्रेफिक के लिहाज से व्यस्ततम चौराहे हैं. ऐसी जगह बीच सड़क में चेकिंग लगाने का औचित्य समझ से परे है तथा ट्रेफिक जांच के नियमों के विपरीत है. दो पहिया वाहन चालक इनसे बचने आंख मूंदकर जान हथेली पर लेकर भागने का प्रयास करते हैं. चेकिंग के दौरान यह कोई पहली दुर्घटना नहीं है. इन्ही चेकिंग स्थानों से व्हीआईपी समेत अन्य नये चार पहिया वाहन बिना नम्बर प्लेट लगाए फर्राटे से निकलते हैं. वाहनों की जांच के नाम पर दुपहिया वाहन चालक को परेशान करने वाले इन ट्रेफिक पुलिस की जुर्रत चार पहिया वाहन को रोकने की कभी नहीं होती? जबकि वाहनों की जांच में दोपहिया चार पहिया सभी शामिल हैं. क्या यहां के अखबारनवीश अपनी दृष्टि इस ओर भी डालते हुए अपने पेशे के साथ न्याय कर पाएंगे?

5 comments:

  1. har kisi ko ek tarazu me taulna achhi baat nahi hai sriman ji . ye mana ja sakta hai ki kai log us pravritti ke ho sakte hai .lekin sabhi par aisi tippani kar kelagata hai aap swayam apni guruta ka ahsaas karana chahate hai .sabhi apna kaam jaante hai apne daayitva aurdaayra jaante hai .samiksha theek hai lekin kisi se judne ki chaahat jaise shabdo se prayukta tippaniya aapke dwara bhi theek nahi hai .har koi ladkiyo se sambandh rakhnr -banane ka shaukeen nahi hota.aap un maamlo par bhi nazar daudaye jo chupchap nibat jaate hai.jo chhap nahi paate ya chhapne nahi diye jaate.anyatha mat leejiyega .

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  2. jab laash vaha padi thi jaam laga tha tabhi collector ki gaadi vaha se gujari lekin ruki nahi.

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  3. Bahut hua sarafat kaa raaag gate aakhir gyan kyo gaya tha yadi gaya tha to story kaha chali yadi nahi chali to use maloom hona chahiye ki uske chanel ka status kya hai. nvbharat se do-do reporter gaye usme aroopi ka naam tak nahi chapa. B-tv me ek line nahi dee gaie. thane ka najara aur ladkiyo se patrkaro ke baat karne ka tarika bhi hamne dekha hai. patrakaar na ho gaye top ho gaye. bhala ho aap logo ke ghar ki ladkiya nahi thi tab aisa hota to dekta. aabhi bhoola nahi hai bus stand me ek maamle me biradari ke sajjan aise hi halat ke sikar hua tha tab yahi media bachane me laga tha. isliye shant ho kar galti man lena bhi badi baat hoti hai

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  5. agar aisi ghatnaon main sabke pahuchne se dard hai,to pahle apne parivaar ke logon ko mana kariye aise kratya karne se.doosaron ki patrakarita ki guidelines aap hi tay karenge to doosare kya maa ch.........ge.

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