बिछियन घटनाः मीडिया के सूचना तंत्र की विफलता 19 मार्च को

बिछियन गांव में हृदय विदारक नरसंहार और डकैतों के कोहराम की घटना निश्चय ही अति निंदनीय और मानवता पर कलंक रही है . इस घटना में १२ लोगों को जिंदा जला दिया गया. लेकिन जिले में इतनी बड़ी घटना होने के बाद उसकी खबर मीडिया जगत को दूसरे दिन मिलना निश्चय ही इस बात को प्रमाणित करता है कि तथा कथित पुलिस से आत्मीय संबंध रखने वाले और डकैतों की हर हलचल की खबर तत्काल रखने वाले रिपोर्टरों का दंभ चूर-चूर हुआ है. 19 मार्च की रात्रि 7.30 बजे से चले इस घटनाक्रम की खबर की भनक तक मीडिया जनों को समाचार पत्र प्रकाशन के अंतिम क्षणों तक तो क्या दूसरे दिन 20 मार्च को प्रातः मिली. जबकि अखबारनवीसों ने ही लिखा है कि पुलिस अधीक्षक रात्रि 10 बजे घटना स्थल पहुंच गए थे. फिर भी पुलिस से नजदीकियां रखने वाले अखबार नवीसों को घटना का भान भी नहीं हुआ.
इसे मीडिया के सूचना तंत्र की विफलता कहें या पुलिस प्रशासन की सूचना प्रबंधन की तकनीक, बहरहाल जो भी हो अपने हिसाब से समझ लें. लेकिन इतना तो तय है कि इतनी बड़ी घटना के बाद भी म.प्र. उत्तर प्रदेश या सतना के मीडियाजनों को भनक भी नहीं लगना मीडिया के सूचनातंत्र पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है.
media koi bhagwan nahi hai. chuk sabhi se hoti hai. fir bhi badi chuk hai
ReplyDeletemedia bhagwan nahi hai malum hai lakin vo apane aapko police aur dakaito ke bare me sari jankari rakhane ka dong ko dikhate hai
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