
पत्रकार जगत में सभी मीडिया बन्धुओं का हितैषी एकता के सूत्र में बांधने और पत्रकारिता के उज्जवल भविष्य के लिये प्रतिबद्ध प्रेस क्लब सतना राज एक्सप्रेस के दफ्तर पर एक प्रत्याशी के पुत्र और समर्थकों के तथाकथित उपद्रव और तोड़फोड़ के मामले में खामोश क्यों है? यह सवाल मीडिया गलियारों में प्रासंगिक बना हुआ है. और तो और राज एक्सप्रेस के दफ्तर में हुए हमले की खबर खुद राज एक्सप्रेस में नहीं छपती. हालांकि उनके द्वारा पुलिस में रिपोर्ट भी लिखाई गई है किन्तु यह खबर सतना में आ रहे एक मात्र अखबार हरिभूमि में ही लगी है शेष में नहीं. यह सवाल भी प्रेसक्लब के औचित्य पर प्रश्न चिन्ह लगाता है. इम मामले में न तो प्रेस क्लब में कोई चर्चा हुई न ही क्लब की ओर से कोई विज्ञप्ति भेजी गई. उपद्रव के कारण चाहे जो रहे हों लेकिन मीडिया राजनैतिक टिप्पणियां, समीक्षाएं अपने विचार से छापने के लिये स्वतंत्र है. निजी स्वार्थ और आपसी संबंधों के खराब होने के डर से मीडिया जगत में रहस्यमय चुप्पी आम पाठकों के मन में सवाल पैदा करते हैं.
हालांकि प्रत्याशी की ओर से अपने बचाव में घटना की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद निर्वाचन अधिकारी और प्रेक्षकों को दो पत्रकारों द्वारा मर्यादाहीन समाचार लगाने और पैसा लेने के लिये ब्लैक मेलिंग करने के आरोप की शिकायत दर्ज कराई है.
sahi hai chaukanna aur uske press meet sathi prabhavit nahi hain. is bar press club ki koi prtikriya nahi aai
ReplyDeleteझांतु है प्रेस क्लब. चार लोग मिलकर ठेकेदरी कर रहे हैं दलाली का अड्डा है उस्ससे कोई उम्मीद नहीं रखने चाहिय वर्ना और गंद पर पड़ेगी
ReplyDeleteप्रेस क्लब मात्र चार लोगो का जमावडा है जो अपनी दुकानदारी चलाते है और अपना प्रभाव जमाते है दुनिया जय भाड़ में उन्हें क्या पड़ी उन्होंने तो अपनी कीमत ले ली है पहले ही
ReplyDeleteप्रेस वाले भी प्रत्यासियो को चील कौवे की तरह नोच रहे है क्या करे सुखलाल भी उसने सभी दैनिक साप्ताहिक चॅनल को उनकी हैसिअत के मुताबिक पैसा सबको दिया लेकिन राज एक्सप .का पेट नहीं भरा वे ढाई लाख रूपया मागने लगे जैसे चुनाव पत्रकार ही जिताते हो
ReplyDeleteमायावती के सतना दौरे के एक दिन पहले यहाँ के पत्रकारों के फोन ने नाक में दम कर दिया सुखलाल के वो उस दिन केवल पत्रकारों के ही फोन अत्तेंड करता रहा और झल्लाहट में अपने साथी से कहा सबसे बड़े डकैत तो ये है मेरी तो गति ये है की भई गति साप छछूंदर केरी उगलत लिलत पीर घनेरी जैसा हाल मेरा कर दिया है प्रेस वालो ने !
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